लालची कुत्ता : इथियोपिया की लोक-कथा

Laalchi Kutta : Ethiopia Folk Tale

इथियोपिया के अम्बो शहर के पास एक लड़का रहता था। वह अपने माता पिता के साथ ही रहता था और अपने पिता की भेड़ों की देखभाल में उनका हाथ बंटाता था। वह रोज भेड़ों को घास चराने के लिए ले जाता था।

उसके पास एक कुत्ता भी था। वह कुत्ता उसका अच्छा साथी था और कई मौकों पर उसकी सहायता भी करता था। वह उसकी भेड़ों की देख भाल भी करता था।

सुबह सुबह वह कुत्ता उन भेड़ों को मैदानों की तरफ चराने के लिए ले जाता और शाम को ही उनको घर वापस लाता। सब काम वह बहुत अच्छा करता था पर वह लालची बहुत था। उसको अपने लिये सारी चीज़ें चाहिये थीं।

एक दिन उस कुत्ते ने घर से थोड़ा सा माँस चुराया और उसको ले कर दूर जंगल में भाग गया। कुछ दूर जाने के बाद ही एक छोटी सी नदी आयी। नदी पार करने के लिए नदी के ऊपर एक पुल था।

जब वह कुत्ता पुल से हो कर नदी पार कर रहा था तो उसने नीचे पानी की तरफ देखा। पानी में उसको अपनी परछाँई दिखायी दी। परछाँई देख कर उसने सोचा कि वह कोई दूसरा कुत्ता था जो उससे ज़्यादा बड़ा माँस का टुकड़ा लिये जा रहा था।

पहले तो उसे यह सब देख कर डर लगा पर तुरन्त ही लालच ने उसे घेर लिया। उसकी उस दूसरे कुत्ते से वह माँस का टुकड़ा लेने की इच्छा हो आयी और वह तुरन्त ही उस दूसरे कुत्ते से माँस के टुकड़े को छीनने के लिये नदी में कूद पड़ा।

पानी में कूद कर उसने दूसरे कुत्ते का माँस का टुकड़ा छीनने के लिये अपना मुंह खोला तो उसके अपने मुंह का माँस का टुकड़ा तो पानी में गिर गया और नदी के पानी के बहाव में बह गया।

पर पानी में कोई दूसरा कुत्ता तो था नहीं, वहाँ तो केवल उसकी अपनी परछाँई थी सो लाख कोशिशें करने के बाद भी वह पानी वाले कुत्ते से उसके बड़े माँस के टुकड़े को न पा सका।

"ओह तो यह उस कुत्ते की चाल थी। यहाँ तो कोई भी नहीं है। चलो कोई बात नहीं, मेरे पास मेरा अपना माँस का टुकड़ा तो है ही।" कुत्ता खुशी से बोला।

पर यह क्या? उसका अपना माँस का टुकड़ा तो कब का पानी में बह चुका था।

इस तरह उसने लालच में आ कर अपना माँस का टुकड़ा तो खोया ही खोया और उसे पानी वाले कुत्ते के माँस का टुकड़ा भी न मिल सका। सच है लालच बुरी बला है।

ऐसी ही कहानी उत्तरी भारत में भी माता पिता अपने बहुत छोटे बच्चों को सुनाते हैं।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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