कुत्ता और गौरैया : परी कहानी
Kutta Aur Goraya : Fairy Tale
एक चरवाहा था। वह अपने कुत्ते का बिल्कुल ध्यान नहीं रखता था बल्कि कई बार तो उसे भूखा रखता था। कुत्ता जब यह नहीं सह पाया तो एक दिन बहुत दुःखी और उदास होकर वहाँ से भाग लिया। सड़क पर उसे एक गौरैया मिली जो बोली, “दोस्त, तुम इतने उदास क्यों हो?"
कुत्ते ने जवाब दिया "क्योंकि मैं बहुत भूखा हूँ और मेरे पास खाने के लिए कुछ नहीं है।"
गौरैया ने कहा, "अगर यही बात है तो मेरे साथ दूसरे शहर चलो और मैं तुम्हें जल्दी से टेर सारा खाना दिलवा दूंगी।"
दोनों साथ-साथ शहर की तरफ चल दिए। जब वे एक कसाई की दुकान के पास निकल रहे थे तो गौरैया बोली, “तुम थोड़ी देर यहीं खड़े रहो। मैं एक छोटा सा गोश्त का टुकड़ा लाकर देती हूँ।" वह गई। पहले उसे चारों तरफ ध्यान से देखा कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा, फिर ताक के किनारे पर पड़े एक टुकड़े को चोंच से कुरेदा, खिसकाया, तब वह नीचे गिर गया। कुत्ता झपटा और उसे लेकर एक कोने में भाग गया। उसने झटपट वह खा लिया।
चिड़िया ने उससे पूछा, “और चाहिए तो वह भी मिलेगा। तुम मेरे साथ अगली दूकान पर चलो, मैं तुम्हारे लिए एक और टुकड़ा गिरा दूंगी।" जब कुत्ते ने वह भी खा लिया तो गौरैया ने कहा, "मेरे अच्छे दोस्त, क्या इतना काफी है?"
उसने जवाब दिया, “गोश्त तो काफी हो गया, अब एक डबलरोटी का टुकड़ा मिल जाता तो अच्छा था।" चिड़िया बोली, "तुम मेरे साथ आओ, तुम्हें जल्दी ही वह भी मिल जाएगा।" वह उसे बेकरी में ले गई और खिड़की पर रखे दो डबलरोटी के टुकड़े नीचे गिरा दिए, पर । कुत्ते का मन और खाने का था। वह उसे दूसरी दुकान पर ले गई और वहाँ से भी कुछ और दिलवा दिए। सब कुछ खा लेने के बाद चिड़िया ने पूछा, "क्या अब तुम्हारा पेट भर गया।" वह बोला, “हाँ, अब चलो शहर से कुछ दूर जाकर सैर कर लेते हैं।
वे दोनों सड़क पर चल दिए पर मौसम बहुत खराब और गरम था। थोड़ी दूर जाते ही कुत्ता बोला, "मैं बहुत थक गया हूँ, अब एक झपकी लेना चाहता हूँ।" चिड़िया ने कहा, “ठीक है, तुम सो लो, मैं तब तक झाड़ी के ऊपर बैठती हूँ।" कुत्ता सड़क पर लेटा और गहरी नींद में सो गया। वह सो रहा था, तभी गाड़ीवान तीन घोड़ों वाली गाड़ी में उधर से निकला, उसकी गाड़ी में शराब से भरे दो पीपे लदे हुए थे। गौरैया ने देखा। उसे लगा कि अगर गाड़ी सीधी उस रास्ते पर जाएगी तो सोता हुआ कुत्ता कुचल जाएगा। वह चिल्लाई “रोको, गाड़ीवान रोको, नहीं तो बहुत बुरा होगा।"
गाड़ीवान बड़बड़ाने लगा, “जरूर बहुत बुरा होगा। तुम क्या करोगी?" उसने घोड़ों को एक चाबक मारी और कुत्ते के ऊपर से चला गया। बेचारा कुत्ता कुचला गया और मर गया। गौरैया चिल्लाई, “ओ दुष्ट! तुमने मेरे दोस्त को मारा है। अब मेरी बात सुन लो। तुम्हें इसके बदले में अपना सब कुछ खोना पड़ेगा।"
वह दुष्ट बोला, “तुम्हें जो करना है वह कर लो। तुम मेरा क्या बिगाड़ सकती हो?" यह कहकर वह आगे चला गया, पर गौरैया पीछे से गाड़ी में घुसी और एक पीपे की डाट पर तब तक चोंच मारती रही जब तक कि वह ढीली नहीं हो गई। सारी शराब बहने लगी, गाड़ीवान को पता तक नहीं चला। जब उसने पीछे घूमकर देखा तो लगा कि गाड़ी में से कुछ टपक रहा था, तब तक पीपा काफी खाली हो चुका था।
वह चिल्लाया, "मैं कितना बदकिस्मत और अभागा हूँ।" चिड़िया बोली, “अभी पूरी तरह अभागे नहीं हुए हो।" वह एक घोड़े के सिर पर बैठकर चोंच मारने लगी। वह परेशान होकर पिछली टाँगें उठाकर उछलने लगा। यह देखकर गाड़ीवान ने अपनी कुल्हाड़ी निकाली और गौरैया को मारने के लिए फेंकी, पर वह उड़ गई और कुल्हाड़ी इतनी जोर से उसके घोड़े के सिर पर लगी कि वह तभी मर गया। गाड़ीवान बोला, "मैं कितना अभागा हूँ।"
चिड़िया ने फिर कहा, “अभी पूरी तरह नहीं।" फिर वह दूसरे घोड़े के सिर पर बैठकर उसे भी चोंच मारने लगी। गाड़ीवान भागा और फिर से उस पर वार किया। वह फिर से उड़ गई और दूसरा घोड़ा भी वहीं मर गया। वह फिर बोला, “मैं कितना बदकिस्मत हूँ।" चिड़िया ने फिर कहा “अभी पूरी तरह नहीं।" अब वह तीसरे घोड़े के सिर पर चोंच मारने लगी। गाड़ीवान गुस्से से पागल हो उठा। उसने न इधर देखा, न उधर, किसी बात की परवाह किये बिना फिर से चिड़िया पर वार किया और अपना तीसरा घोड़ा भी मार दिया। बाद में फिर कहने लगा, "हाय! मैं कितना बदकिस्मत हैं।" गौरैया ने उड़ते-उड़ते जवाब में कहा, "अभी पूरी तरह नहीं हुए हो।"
बेबस गाडीवान ने गाड़ी वहीं छोड़ी और घर गया। वह खीझ और गुस्से से भरा हुआ घर पहुंचा और अपनी पत्नी को बताने लगा, “मेरी बदकिस्मती तो देखो, तीनों घोड़े मर गए, सारी शराब बह गई।” जवाब में पत्नी कहने लगी, “यहाँ भी एक दुष्ट चिड़िया बहुत सारी चिड़ियों के साथ दुछत्ती में घुसकर मकई के दाने खाये जा रही है।" गाड़ीवान सीढ़ियों से ऊपर की तरफ भागा और देखा सैकड़ों चिड़ियाँ जमीन पर बैठी मकई के दाने खा रही हैं, उनके बीच में गौरैय्या है। मकई को खत्म होते देखकर गाड़ीवान फिर बोला. "मैं कितना अभागा हूँ।" जवाब में गौरैया फिर बोली, "अभी पूरी तरह नहीं, अपनी क्रूरता के बदले में तुम्हें अपनी जान देनी होगी।" और उड़ गई।
गाड़ीवान ने देखा कि वह अपना सब कुछ खो बैठा था। पर उसे अब भी अपने किए पर पछतावा नहीं था। वह नीचे गया। तब वह खीझ और क्रोध से अंधा हो गया, और खिड़की की सीट को इतनी ताकत से मारा कि उसने उसे दो में तोड़ दिया: और जब गौरैया एक जगह से दूसरी जगह उड़ गई, तो गाड़ीवान और उसकी पत्नी इतने क्रोधित हो गए, कि उन्होंने अपना सारा फर्नीचर तोड़ दिया, चश्मा, कुर्सियाँ, बेंच, मेज, और अंत में दीवारें, बिना पक्षी को छुए।
परन्तु अंत में उन्होंने उसे पकड़ लिया: और पत्नी ने कहा, 'क्या मैं उसे एक ही बार में मार दूं?'
'नहीं,' वह चिल्लाया , 'ये तो उसे बहुत आसानी से छोड़ना है: मैं उसे अधिक क्रूर मौत मरूंगा ; मैं उसे खा जाऊँगा।’
लेकिन गौरैया अपनी गर्दन फैलाकर चिल्लाई, 'गाड़ीवान! कुत्ते के प्राणों की कीमत तुझे चुकानी पड़ेगी!' इस से वह और न ठहर सका; सो उस ने अपनी पत्नी को कुल्हाड़ी देकर पुकारा, कि हे पत्नी, चिड़िया को मार, और मेरे हाथ में मार डाल। और पत्नी ने मारा; परन्तु वह अपने लक्ष्य से चूक गई, और अपने पति के सिर पर ऐसा मारा कि वह मर गया, और गौरैया चुपचाप अपने घोंसले में अपने घर चली गई।
(ग्रिम्स ब्रदर्स की परिकथायें : अनुवादक - उमा पाठक)