खुर्रम और कटहल : बांग्लादेश की लोक-कथा

Kurram Aur Kathal : Lok-Katha (Bangladesh)

आसिफ शेख कपड़े का बहुत बड़ा व्यापारी था । उसने ढेरों दौलत जमा कर रखी थी । उसका व्यापार आस-पास के देशों में भी फैल चुका था । वह कभी-कभी उन देशों की यात्रा भी किया करता था । जब उसका बेटा जवान हो गया तो वह पिता के व्यापार में हाथ बंटाने लगा ।
एक बार आसिफ शेख ने अपने बेटे खुर्रम से कहा - "हमारे पास बांग्लादेश से बहुत बड़ा ऑर्डर आया है, तुम्हें सामान लेकर वहां जाना होगा ।"
खुर्रम ने अब तक किसी देश की यात्रा नहीं की थी । वह यह जानकर बहुत खुश हुआ कि उसके अब्बा उसे बांग्लादेश भेज रहे हैं । उसने तुरंत वहां जाने की तैयारी शुरू कर दी ।

अगले दिन खुर्रम सामान लेकर बांग्लादेश के लिए रवाना हो गया । वह होटल में सामान रखकर वहां से बाजार में घूमने निकला । रास्ते में उसने एक निराला फल बिकते देखा । उसने इतना बड़ा फल आज तक नहीं देखा था । वह फल वाले के पास गया और फल को हाथ में उठाकर देखा तो हैरान रह गया कि ऊपर से कांटों वाला यह फल बहुत ही भारी था ।
खुर्रम ने पूछा - "भाई जान, इसे क्या कहते हैं ?"
फल वाला हंसते हुए बोला - "साहब, इसे कटहल कहते हैं ।"

खुर्रम ने कटहल को सूंघकर देखा तो उसे कटहल की खुशबू अच्छी लगी । वह सोचने लगा कि यदि इस कटहल की खुशबू इतनी अच्छी है तो स्वाद कितना अच्छा होगा ? परंतु मन ही मन खुर्रम यह सोच रहा था कि इतना बड़ा फल बहुत महंगा होगा ।
उसने फल वाले से पूछा - "भाईजान, कटहल कितने का है ?"
फल वाले ने उत्तर दिया - "दस आने का ।"

खुर्रम को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ । उसे लगा कि शायद उसने गलत सुना है या फल वाले का ध्यान कहीं और है, इस कारण उसने गलती से कटहल का दाम कम बता दिया है । उसने तुरंत जेब से पैसे निकाले और कटहल खरीद लिया । कटहल लेकर वह सीधा होटल पहुंचा । छुरी निकाल कर कटहल काट लिया और उसे खाने लगा । उसे कटहल का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था, इस कारण आधे से अधिक कटहल उसने खा लिया ।

खाने के पश्चात् वह नल पर हाथ धोने गया, परंतु उसके हाथ व मुंह बुरी तरह चिपक रहे थे, इस कारण साफ नहीं हो सके । हाथ धोने की कोशिश में वे और भी ज्यादा चिपक गए । उसने हाथों को बार-बार साबुन से रगड़ा परंतु वे साफ नहीं हो रहे थे । उसने देखा कि कटहल का रस कपड़ों पर लग गया है । उसने कपड़ों को नैपकिन से साफ करने की कोशिश की, परंतु नैपकिन कपड़ों से चिपक गया । वह अकेला था इस कारण समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे । वैसे भी खुर्रम अपने घर से पहली बार अकेला निकला था । इस कारण थोड़ा घबरा रहा था । उसने सोचा कि होटल के मालिक या किसी नौकर से पूछ लूं कि इसे कैसे साफ किया जाए ।

खुर्रम कमरे से बाहर निकल कर ज्यों ही किसी के सामने पड़ा वह व्यक्ति खुर्रम को देखकर हंसने लगा । खुर्रम की हिम्मत ही नहीं हुई कि वह किसी से कुछ पूछे । वह चुपचाप होटल के बाहर निकल गया । बाहर तेज हवा चल रही थी । सड़क के पत्ते उड़-उड़ कर खुर्रम के कपड़ों पर चिपकने लगे । उसकी मूंछों के बाल भी चिपक कर अजीब से लग रहे थे । हवा के साथ धूल-मिट्टी, कागज, पंख आदि उसके कपड़ों व हाथों में चिपकते जा रहे थे । वह जिधर से निकलता, उधर से लोग उसे देखकर हंसने लगते । उसका चेहरा भी धूल चिपकने से गंदा लगने लगा था ।

कुछ लोग उसे पागल समझकर उसके पीछे चलने लगे । खुर्रम की समझ में नहीं आया कि वह क्या करे । वह चुपचाप एक दुकान में घुस गया और एक कोने में छिपने का प्रयास करने लगा । संयोग से वह दुकान एक सर्राफ की थी । वहां ग्राहकों को दिखाए गए आभूषण एक मेज पर रखे थे । खुर्रम उस मेज से टकरा गया और कुछ आभूषण उछल कर उसके कपड़ों से जा चिपके । ज्यों ही खुर्रम छिपने का प्रयास करने लगा दुकान मालिक की निगाह उस पर गई । उसने 'चोर-चोर' कह-कहकर शोर मचा दिया । दुकान के नौकरों ने खुर्रम को पकड़ लिया । भीड़ इकट्ठी हो गई ।

पुलिस को खबर दी गई । खुर्रम ने लाख समझाया कि उसने चोरी नहीं की है परंतु उसके कपड़ों पर चिपके आभूषणों के कारण किसी को विश्वास नहीं हुआ । उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया ।

पुलिस ने खुर्रम से चोरी का कारण जानना चाहा तो उसने विस्तार से कटहल खाने की पूरी बात उन्हें बता दी । थानेदार हंसता हुआ बोला - "अरे मियां, जब खाना आता नहीं था तो कटहल खाया क्यों ? अच्छा, यह बताओ कि तुम किस व्यापारी के यहां आए थे ।"

खुर्रम को उस व्यापारी के यहां ले जाया गया । परंतु उस व्यापारी ने खुर्रम के हुलिए के कारण उसे पहचानने से इन्कार कर दिया । तब खुर्रम ने अपना व अपने पिता का पूरा नाम बताया, साथ ही अपने साथ लाए सामान की पूरी जानकारी दी । तब व्यापारी ने उसे पहचानते हुए कहा - "थानेदार जी, यह अपना ही बच्चा है । इसे छोड़ दीजिए । यह हालात के कारण मुसीबत में फंस गया है ।"
अब खुर्रम बोला - "पहले मुझे इस मुसीबत से छुटकारा दिलाइए ।"

व्यापारी ने खुर्रम को बदलने के लिए कपड़े दिए । उसका चेहरा व हाथ-पैर साफ करवाए, फिर उसकी अच्छी खातिरदारी की और कहा - "बेटा याद रख, किसी भी नई चीज को आजमाने से पहले उसकी थोड़ी जानकारी अवश्य ले लेनी चाहिए ।"

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