किसान, ईश्वर और पोस्टमास्टर : देवेन्द्र वर्मा
मैक्सिको में एक गरीब किसान रहता था। उसकी फसल एक बार ओलों से नष्ट हो गयी। उसकी हालत दयनीय हो गयी। उसे मदद करनेवाला कोई नहीं था।
उसने सुन रखा था कि ईश्वर बड़ा दयालु है तथा वह दीन-दुखियों की मदद करता है, अतः किसान ने ईश्वर को पत्र लिखने की ठानी। उसने पत्र निम्नलिखित ढंग से लिखा -
आदरणीय ईश्वर महोदयजी,
बारम्बार नमस्कार।
आप बड़े ही दयालु हैं, ऐसा मैंने सुन रखा है। आशा है जो मैंने सुन रखा है वह ठीक ही है या होगा।
मेरी फसल अबकी बार ओलों से नष्ट हो गयी है। ओले आपके बिना कोई नहीं बरसा सकता। अतः आपसे सानुरोध प्रार्थना है कि मुझे सौ डालर भेजने की कृपा करें।
इन सौ डालरों से मेरा काम चार महीने तक अच्छी तरह चल जाएगा। आप अवश्य मुझे सौ डालर भेजने की कृपा करेंगे, ऐसी मेरी आशा है।
आपको बारम्बार नमस्कार।
आपका सेवक,
गरीब किसान
लिफाफे पर किसान ने यह पता लिखा -
मिले, ईश्वर चन्द,
स्वर्गपुरी।
लिफाफे को किसान ने अच्छी तरह एक बार और देखकर लेटर बॉक्स में डाल दिया।
जब पोस्टमास्टर ने यह पत्र देखा, तो उसे बड़ी हँसी आयी। उत्सुकता से उसने लिफाफा खोला। सारा पत्र पढ़ने के बाद पोस्टमास्टर को किसान पर बड़ी दया आयी। पत्र पर किसान का पता लिखा हुआ था, अतः उसने किसान की मदद करने की सोची।
पोस्टमास्टर ने अपने पाँच-छः साथियों को इकट्ठा करके यह पत्र पढ़ाया तथा किसान के लिए चन्दा देने की बात कही। पोस्टमास्टर के सब साथी मान गये तथा सबने कुछ-न-कुछ डालर पोस्टमास्टर को दे दिये।
इस प्रकार पोस्टमास्टर के पास अस्सी डालर इकट्ठे हो गये। उसने अस्सी डालर एक लिफाफे में बन्द कर दिये।
करीब एक हफ्ते बाद उस किसान ने पोस्ट-ऑफिस में आकर पूछा कि क्या उसका कोई मनीऑर्डर है? पोस्ट मास्टर ने किसान को लिफाफा दे दिया।
किसान ने लिफाफा खोला और डालर गिने। उसने ईश्वर से जितने डालरों की माँग की थी, उसमें से बीस डालर कम आये अर्थात् किसान को अस्सी ही मिले।
यह देखकर किसान ने तुरन्त दूसरा लिफाफा खरीदा और ईश्वर को दूसरी चिट्ठी लिखी -
आदरणीय ईश्वर,
नमस्कार!
आपने पैसा भेजा उसके लिए धन्यवाद! भविष्य में यदि आप पैसा भेजें तो लिफाफे में नहीं भेजें, मनीऑर्डर से भेजें क्योंकि डाकघर वाले चोर हैं।
आपका सेवक
गरीब किसान