नुकीली ठुड्डीवाला राजा : परी कहानी

King Thrushbeard : Fairy Tale

एक राजा की एक बेटी थी, जो बहुत ही सुंदर थी; पर बहुत घमंडी और बदमिजाज थी। उसे कोई भी व्यक्ति पसंद नहीं आता था। राजा उसका विवाह करना चाहता था; पर वह घमंडी लड़की हर लड़के में कोई-न-कोई कमी निकालकर उसके विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा देती थी। उसकी बदमिजाजी से राजा बहुत परेशान था। उसने एक बार अपनी बेटी के लिए स्वयंवर रचाने का इंतजाम किया और दूर-दूर के विवाहेच्छुक नौजवानों को इस स्वयंवर के लिए आमंत्रित किया। इन सभी नौजवानों को उसने उनकी हैसियत के हिसाब से उनके स्थानों पर बैठाया। इसके बाद उसने अपनी बेटी को उन राजाओं और राजकुमारों की सभा में बुलवाया ताकि वह अपनी इच्छा से किसी को भी अपना पति चुने, पर राजा को तब अत्यंत दुःख हुआ जब उसकी लड़की ने हर एक उम्मीदवार में कमियाँ निकालनी शुरू कर दी। उसके लिए कोई बहुत मोटा था, तो कोई बहुत पतला। कोई बहुत लंबा था, तो कोई बहुत छोटा। किसी की शक्ल मरीज की तरह पीली थी, तो किसी की तरबूज की तरह लाल। इस तरह उस लड़की ने हर युवक में कोई-न-कोई कमी निकालकर उन सभी से विवाह करने से इनकार कर दिया। एक नुकीली ठुड्डीवाले राजा का तो उसने काफी अपमान किया। वह लड़की उस राजा को देखकर बोली, 'इस राजा की ठुड्डी तो देखो, जैसे बतख की चोंच।'

इस घटना के बाद से उस राजा का नाम 'नुकीली ठुड्डीवाला राजा' पड़ गया। राजा ने जब अपनी बेटी को सभा में आए हुए राजाओं और राजकुमारों का अपमान करते देखा तो वह गुस्से से लाल-पीला हो गया और बोला, 'इस लड़की ने सभा में आए हुए मेहमानों का बहुत निरादर किया है। इसलिए अब इसे उस भिखारी से विवाह करना पड़ेगा जो भीख माँगने के लिए मेरे दरवाजे पर आएगा।' इसके बाद उसने इस घटना के लिए सभी राजाओं और राजकुमारों से क्षमा माँगी और आदर सहित उन्हें विदा किया।

कुछ दिनों बाद एक भिखारी गायक राजा के महल के सामने गाना गाकर भीख माँगने आया। जैसे ही राजा ने उसका गाना सुना, उस भिखारी को अपने महल में बुलवाया। वह मैले-कुचैले कपड़ोंवाला भिखारी जब महल में पहुँचा तो राजा बोला, 'मुझे तुम्हारा गाना बहुत ही पसंद आया। मैं तुम्हें इसके बदले अपनी बेटी उपहार में देता हूँ। आज से तुम ही मेरी बेटी के पति हो।'

राजा की बेटी यह सब सुनकर हक्की-बक्की रह गई और विवाह से इनकार करने लगी, पर राजा बोला, 'मैंने तेरे स्वयंवर वाले दिन कसम खाई थी कि मैं तेरा विवाह अपने दरवाजे पर आनेवाले पहले भिखारी से करूँगा। आज मैं अपनी उसी कसम को पूरा कर रहा हूँ।'

राजकुमारी का रोना-धोना राजा के निश्चय को नहीं बदल सका। राजा ने उसी समय राजपुरोहित को बुलवाकर अपनी बेटी का विवाह उसी भिखारी गायक के साथ कर दिया। शादी के बाद राजा अपनी बेटी से बोला, 'अब तुम मेरी बेटी नहीं, एक भिखारी की पत्नी हो और भिखारी की पत्नी इस महल में नहीं रह सकती। अब तुम्हें अपने पति के साथ ही जाना होगा।'

राजकुमारी को राजा की आज्ञा के अनुसार अपने पिता के महल को छोड़कर अपने भिखारी पति के साथ जाना पड़ा। उसे अपने पति के साथ पैदल ही चलना पड़ा, क्योंकि राजा ने अपनी बेटी को कोई भी रथ या घोड़ागाड़ी देने से इनकार कर दिया। जब भिखारी पति के साथ वह एक जंगल से गुजर रही थी तो उस राजकुमारी ने धीरे से पूछा, 'यह इतना सुंदर जंगल किसका है।'
'यह जंगल नुकीली ठुड्डीवाले राजा का है। अगर तुम उससे शादी कर लेती तो यह सुंदर जंगल आज तुम्हारा होता।'
लड़की मन-ही-मन पछताने लगी और बोली, 'काश! मैंने उस नुकीली ठुड्डीवाले राजा से शादी कर ली होती।'

जंगल से निकलकर दोनों एक बड़ी सी नगरी से गुजरने लगे, तो राजकुमारी ने भिखारी पति से फिर पूछा, 'यह सुंदर सा नगर किसका है?' पति ने जवाब दिया, 'नुकीली ठुड्डीवाले राजा का।'

राजकुमारी ने एक गहरी साँस भरी और बोली, 'काश! मैं उसी राजा से शादी कर लेती।' भिखारी ने जब उसे फिर यह कहते सुना तो बोला, 'मुझे यह बिलकुल पसंद नहीं है कि तुम मेरी पत्नी होने के बाद भी किसी दूसरे आदमी के बारे में सोचो।'

आखिर में वे दोनों एक छोटे से कच्चे घर के पास पहुँचे। भिखारी पति बोला, 'यही हमारा छोटा सा घर है। इसी में हम एक साथ रहेंगे।' वह घर इतना छोटा था कि दो आदमी मुश्किल से रह सकते थे। उसके दरवाजे इतने छोटे थे कि उसमें झुककर जाना पड़ता था। लड़की यह सब देखकर बहुत दुःखी हो रही थी। उसने अपने भिखारी पति से पूछा, 'यहाँ के नौकर-चाकर कहाँ हैं?' भिखारी राजकुमारी का यह प्रश्न सुनकर बोला, 'कैसे नौकर-चाकर? यहाँ तो सारा काम तुम्हें खुद ही करना पड़ेगा। अब तुम उठो और चूल्हा जलाकर कुछ भोजन आदि का प्रबंध करो। मुझे बड़ी भूख लग रही है।'

राजा की लड़की को क्या पता चूल्हे-चौके का! वह यह सब सुनकर रोने लगी, क्योंकि उसे तो कुछ काम करना नहीं आता था। अब उस भिखारी को ही दोनों के लिए खाने को कुछ पकाना पड़ा। राजकुमारी भिखारी का बनाया हुआ रूखा-सूखा खाना पाकर गंदे और सख्त बिस्तर पर लेट गई। उस बिस्तर पर उसे नींद नहीं आ रही थी। वह रह-रहकर अपने आपको कोस रही थी, क्योंकि इस सबके लिए उसका घमंड जिम्मेदार था।

अगले दिन उसके पति ने उसे सुबह तड़के ही जगा दिया कि वह जंगल से कुछ लकड़ियाँ चुनकर लाए। राजकुमारी को लकड़ियाँ चुनने के लिए जंगल में जाना पड़ा। इसी तरह रोते-धोते कुछ दिन बीत गए। घर में जो थोड़ा-बहुत खाने का सामान था वह भी खत्म होने लगा। तब भिखारी पत्नी से बोला, 'देखो, ऐसे हाथ-पर-हाथ धरे बैठे रहने से काम नहीं चलेगा। हम दोनों को कछ काम करना पडेगा। मैं भीख माँगना नहीं चाहता, क्योंकि एक राजकुमारी मेरी पत्नी है। अब हमें कुछ ऐसा करना पड़ेगा, जिससे हम दोनों इज्जत की जिंदगी बिता सकें। मैं जंगल से कुछ बाँस इकट्ठा करके लाऊँगा। तुम उससे टोकरियाँ तैयार करना।'

इतना कहकर भिखारी जंगल से बाँस इकट्ठे करने चला गया। वापस आकर उसने बाँसों को बारीकबारीक छीलकर टोकरी बुननी शुरू की और साथ में राजकुमारी को भी बुननी सिखाई, पर सख्त बाँसों से राजकुमारी के कोमल हाथों से खून निकलने लगा। राजकुमारी के जख्मी हाथों को देखकर भिखारी बोला, 'यह टोकरी बनाना तुम्हारे बस की बात नहीं। तुम रुई से सूत काता करो। मैं तुम्हारे लिए रुई और चरखा ला दूंगा।'

अगले दिन भिखारी अपनी पत्नी के लिए चरखा और कुछ रुई ले आया, पर जब राजकुमारी ने सूत कातना शुरू किया तो तकले से उसकी अंगुलियों से खून निकलना शुरू हो गया। यह देखकर भिखारी बोला, 'देखा, तुम किसी भी काम के लायक नहीं हो। तुमसे शादी करके तो मैंने बहुत बड़ी मुसीबत मोल ले ली। अब मुझे कोई और काम ढूँढ़ना पड़ेगा, जिसे तुम आसानी से कर सको और तुम्हारे हाथों से खून भी न निकले। मिट्टी के बरतन बनाने का काम ही तुम्हारे लिए सबसे ठीक रहेगा। मैं मिट्टी के बरतन बनाऊँगा और तुम उन्हें बाजार में बेचकर आना।'

राजकुमारी ने सोचा कि अगर वह बाजार में बरतन बेचने बैठेगी तो राज्य के लोग उसे पहचान जाएँगे और सब लोग उसपर हँसेंगे। उसने यह बात अपने पति से कही, पर उसने उसकी एक न सुनी और अपने बनाए हुए मिट्टी के कुछ बरतन देकर बेचने के लिए उसे बाजार भेज दिया। भूखे मरने से अच्छा तो बेइज्जती सहन करना था। शुरू के कुछ दिन तो राजकुमारी के सारे बरतन हाथोहाथ बिक गए और सुंदर बरतनों के मुंहमांगे दाम उसे मिल गए; पर एक दिन राजकुमारी अपने बरतन लेकर बाजार के एक कोने में बैठ गई। एक दिन एक शराबी सैनिक उधर से निकला। उसका घोड़ा इस लड़की की दूकान से टकराया और सारा सामान टुकड़े-टुकड़े हो गया। राजकुमारी घबरा गई और रोने लगी। वह बोली, “अब मेरा क्या होगा? मेरे पति क्या कहेंगे?" वह भागी हुई घर गई और पति को सब कुछ बताया। वह बोला, "कौन सोच सकता था कि तुम इतनी बेवकूफ निकलोगी कि मिट्टी के बरतन बाजार के कोने में लेकर बैठोगी जहाँ से सब आते-जाते हैं? पर अब रोओ नहीं। मैं समझ गया हूँ कि तुम इस काम के लायक नहीं हो। मैं पहले ही राजा के महल में गया था और वहाँ पता लगाया या कि क्या उनकी रसोई में नौकरानी की जरूरत है। उन्होंने तुम्हें रखने का वचन दिया है। वहाँ तुम्हें खाने के लिए भी खूब चीजें मिलेंगी।"

इस तरह राजकुमारी राजा की रसोई में नौकरानी बन गई। वह रसोइये की मदद करती थी। उसे गन्दे से गन्दा काम करना पड़ता था। आखिर में उसे बचा हुआ गोश्त वगैरह दे दिया जाता था, उससे वह और उसका आदमी अपना काम चलाते थे।

अभी उसे आए हुए बहुत दिन नहीं हुए थे, तभी उसने सुना कि राजा का सबसे बड़ा बेटा उसी तरफ से शादी करने के लिए जानेवाला था। वह भी खिड़की से बाहर झाँकने लगी। सब तैयारी थी, सभा की पूरी चमक-दमक, धूमधाम वहाँ दिख रही थी। वह दुःखी होकर अपनी बदकिस्मती के बारे में सोच रही थी। उसे अपने अहंकार की याद करके बेहद दुःख हो रहा था जिसकी वजह से उसे इतना गिरना पड़ा। नौकरों ने उसे बढ़िया गोश्त दिया, इसने उसे अपनी टोकरी में रख लिया ताकि घर ले जा सके।

जब वह बाहर निकल रही थी, तभी अचानक राजा का पुत्र मखमली और रेशमी वस्त्र पहने, गले में सोने की जंजीर डाले हुए वहां आया । जब उसने उस खूबसूरत महिला को दरवाजे के पास खड़ा देखा तो उसने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके साथ नृत्य करने के लिए कहने लगा । लेकिन उसने इनकार कर दिया और डर गई, क्योंकि उसने देखा कि वह नुकीली ठुड्डीवाला राजा ही था, वह प्रेमी जिसे उसने घृणा के साथ अस्वीकार कर दिया था। उसने अपने आपको छुड़ाने की बहुत कोशिश की । परन्तु वह उसे हॉल में खींच कर ले गया । उसकी जेब में बंधी डोरी टूट गई और बर्तन फर्श पर गिर पड़े। सूप इधर उधर बिखर गया । लोगों ने यह देखा तो सभी हंस पड़े और उसका मजाक उड़ाया। वह शर्म से ज़मीं में गड़ी जा रही थी । वह दरवाजे से बाहर कूद गई और भागना चाहती थी, लेकिन एक आदमी ने उसे सीढ़ियों पर पकड़ लिया और वापस ले आया। और जब उसने उसकी ओर देखा, तो वह फिर से नुकीली ठुड्डीवाला राजा था।

उसने दया से उससे कहा, "डरो मत। मैं और उस दयनीय झोपड़ी में तुम्हारे साथ रहने वाला भिखारी गायक एक ही हैं। तुम्हारे प्यार के लिए मैंने यह सब कुछ किया। और मैं ही वह शराबी सैनिक था जिसने तुम्हारे बर्तन तोड़े थे । यह सब तुम्हारे घमण्डी आत्मा को नम्र करने के लिये किया गया है, और जिस घमण्ड से तुम ने मेरा उपहास किया है, उसके लिये तुम्हें दण्ड देने के लिये यह सब किया है।”

तब वह फूट-फूट कर रोने लगी, और कहने लगी, “मैं ग़लत थी, और आपकी पत्नी होने के योग्य नहीं हूँ ।”
लेकिन उसने कहा, "धैर्य रखो । बुरे दिन बीत चुके हैं। अब हम अपनी शादी का जश्न मनाएंगे।"

तब नौकरानियाँ आईं और उसे सबसे शानदार कपड़े पहनाए, और उसके पिता और उसका पूरा दरबार आया और नुकीली ठुड्डीवाले राजा के साथ उसके विवाह में उसकी खुशी की कामना की, और उनकी सच्ची खुशी अभी शुरू हुई।

काश आप और मैं भी वहां होते।