खुयु : नागा लोक-कथा
Khuyu : Naga Folktale
('आओ' नागा कथा)
(वोखा की पहाड़ियों में लोथा आदिवासियों द्वारा बसाया गया कोइको नामक एक गाँव था। उस गाँव पर आओ आदिवासियों ने आक्रमण करके अधिकार कर लिया और वहीं बस गए। उनके समय में उस गाँव का नाम 'खुयु' पड़ा, जिसके सम्बन्ध में 'आओ' यह कथा सुनाते हैं-)
बहुत पुरानी बात है, उस गाँव में एक पति-पत्नी अपनी इकलौती पुत्री के साथ रहते थे। पत्नी की अचानक मृत्यु हो जाने पर पति ने छोटी बच्ची की देखभाल के लिये दूसरा विवाह कर लिया। सौतेली माँ बहुत क्रूर निकली, वह छोटी लड़की से घृणा करती थी और उसको मार डालने के उपाय सोचती रहती थी।
एक बार, जब उसका पति व्यापार के काम से गाँव से बाहर गया हुआ था, उसने लड़की को मारने की योजना बनाई। सौतेली माँ ने तीखी मिर्चों की गर्म सब्ज़ी बना कर रखी और लड़की को वह सब्ज़ी दिखाते कहा कि किसी भी हालत में वह सब्ज़ी न छुए। वह भलीभाँती जानती थी बच्चों की यह विशेष मानसिकता होती है कि जिस वस्तु को छूने से मना किया जाएगा, वे उत्सुकतावश उसे छुएंगे। अतः छोटी लड़की को ऐसा निर्देश देकर उसने बाहर जाने का नाटक किया। लड़की से उसने कहा कि वह चावल लेने खेत में जा रही है जबकि घर के बाहर बेंत की दीवार के पीछे छिप गयी तथा घर में झांक कर लड़की की निगरानी करने लगी।
छोटी लड़की ने कुछ समय बाद अच्छा अवसर जानकर उंगली से सब्ज़ी का स्वाद चखा। तुरन्त ही सैतेली माँ क्रोधित होती हुई घर में घुस गयी और चिल्लाई, 'तेरा झूठा भोजन कौन खाएगा, इसे अभी समाप्त कर।' सौतेली माँ के भय से वह मासूम बच्ची अत्याधिक मिर्च वाली सब्ज़ी खाने लगी, पानी मांगने पर उसने पानी देने से मना कर दिया। कष्ट की अधिकता के कारण लड़की की मृत्यु हो गयी।
सौतेली माँ मन में यह सोचकर प्रसन्न थी कि वह अपने पति को उसकी मृत्यु का उचित कारण बता कर सन्तुष्ट कर देगी किन्तु उसे भय था कि यदि वह लड़की का अन्तिम संस्कार परम्परागत रूप से नहीं करेगी तो पति के रोष का सामना करना पड़ सकता है, अतः उसने एक सुअर की बलि दी। अन्तिम क्रिया से निबट कर वह पति की प्रतीक्षा करने लगी।
उस दिन जब लड़की का पिता अपने काम से लौट रहा था तो उसे उस स्थान पर, जहाँ खुयु गाँव बसा है, एक डलिया और् एक थाली दिखी, जिसे उसने पहचान लिया कि ये उसकी पुत्री के हैं। वहीं एक बड़ा मृत सुअर भी दिखा, जिसके गले पर सफ़ेद निशान से उसने पहचान लिया कि यह सुअर स्वयं उसी का है। इन वस्तुओं को देखकर वह अचम्भे में पड़ गया और अशुभ के भय में इन वस्तुओं पर विचार करता हुआ शीघ्रता से घर पहुँचा। घर पर अपनी पुत्री की आकस्मिक मृत्यु का समाचार पाकर वह समझ गया कि वे वस्तुएं उसकी पुत्री की आत्मा ने छोड़ी होंगी।
उसकी पत्नी लगतार बोलते हुए उसे बता रही थी कि पुत्री के अचानक बीमार हो जाने पर उसने उसे बचाने का बहुत प्रयास किया तथा बहुत कठिनाई से अन्तिम कार्य पूर्ण किये, सुअर की बलि दी, शव को धुआँरने के लिये चबूतरे पर लिटाया। यहाँ तक वह सब कुछ शान्ति से सुनता रहा मानो उसने पत्नी की बात पर विश्वास है। पूरा वृत्तान्त सुनकर वह जंगल चला गया और पत्नी को मधु लेकर जंगल आने के लिये कहा। पत्नी मधु लेकर अपनी विजय पर प्रसन्न होती जंगल पहुँची। जैसे ही वह पति के निकट पहुँची, उसके पति ने विकराल नाग का रूप धारण कर लिया और फुफकारा, 'मैं तुझे अपनी पुत्री की हत्या के लिये डसने जा रहा हूँ।' यह कहकर उसने अपनी पत्नी को डरा दिया और वह भय से तुरन्त मर गयी।
(खुयु='भार उतार देना'। क्योंकि बालिका की आत्मा ने उस स्थान पर अपना
'भार उतार दिया' था अतः उस स्थान का नाम 'खुयु' पड़ा;
धुआँरने की प्रथा=मृत्यु के पश्चात शव को बांस के चबूतरे
पर लिटा कर नीचे आग जलाते हैं;
मधु=चावल से बनाई गई शराब का नाम है।
(सीमा रिज़वी)