खिलती झाड़ी (स्पेनिश कहानी) : कारमैन बरगौस
Khilti Jhaadi (Spanish Story in Hindi) : Carmen de Burgos
दक्षिण स्पेन में, अलसीरा के पास राजमार्ग से अलग-थलग रमणीय भूमि के टुकड़ों पर नवजात पक्षी की तरह और फैले हुए वृक्षों से रक्षित सफेद मकान खड़े हैं जो दूर से ही यात्रियों के मन में लताकुंज को देखने की चाहना पैदा करते हैं। लताकुंज, जहाँ जंगली लकड़ी के पत्ते अंगूरों की लताओं की टहनियों में अटके मिलते हैं। यहाँ उग्र सूर्य की किरणें पृथ्वी को चमकीले आलिंगन में लपेटती हैं जो जीवन को उत्पन्न करती हैं।
अनाज की कटाई के समय के खेत, मिलकर सुनहरे रंग प्रस्तुत कर रहे थे। अंगूरों की लताओं के पत्तों ने अपनी हरी उलझनों के साथ अंगूरों के घने गुच्छों को धुँधले रूप से दिखाना शुरू कर दिया था। खजूरों के पेड़ फलों से लदी अपनी शाखाओं को बहादुरी से हिला रहे थे और वातावरण में शक्ति की सुगंध तैर रही थी। प्रकृति का यह प्राणदाता श्वास मर्सीडीज के कोमल और थके हुए शरीर में प्रवेश करके उसके रक्त में ऑक्सीजन भरकर उसे नया जीवन प्रदान कर रहा था।
मर्सीडीज पैतृक संपत्ति की मालकिन थी। वह अठारह वर्ष की युवा, रमणीय, कोमल शरीर की अनाथ लड़की थी और दरबार में लगातार सामाजिक उत्सवों के कारण थक चुकी थी।
अब उसका अस्तित्व अवर्णनीय रूप से परिवर्तित हो चुका था। प्यार और उपजाऊपन का बाहरी वातावरण, जो उसको लपेटे हुए था और उसके स्वास्थ्य को नया बनाता था, ने उसी समय उसकी कल्पना को प्रभावित किया। युवा लड़की, जिसको उसके डॉक्टर के नुसखों ने यहाँ रहने के लिए विवश किया था, किसी अनुरक्त किसान के स्वप्न देखने लगी, जो भद्दे देहातियों, जिनसे वह घिरी रहती थी, से वस्तुतः भिन्न था।
साहसी कुँआरी लड़कियों के सिरों में मन की कल्पना किसी तरह चमत्कार करेगी। मर्सीडीज ने कभी प्रेम नहीं किया था और सुंदर तथा प्रशंसनीय महिलाओं की तरह उसने केवल अपनी ही सुंदरता के मंदिर में पूजा की थी। एक दिन उसने अपनी खिड़की के लोहे के कठघरे से बँधी खिलती झाड़ी की शाख देखी। नई खिली फूलों की कलियाँ सुंदर लाली की तड़क-भड़क दिखा रही थीं और उनकी पत्तियों पर ओस के कण पिसे हुए हीरों की तरह चमक रहे थे।
सायंकाल जब वे अंगूरों के कुंज के नीचे एकत्र हुए तो उसने पूछा कि उसके लिए फूल कौन लाया था? मैन्युअल, बीस वर्षीय युवा जो अंगूरों के बगीचे में काम करता था, ने अपनी काँपती आवाज में और अपनी पुरानी टोपी को काँपती अंगुलियों से मोड़ते हुए स्वीकार किया कि उसी ने महिला के लिए फूल तोड़े थे; उसने झाड़ी के नुकीले काँटों से घायल अपने हाथ दिखाए।
युवा महिला के दिल में असाधारण सहानुभूति जाग्रत हुई; उसने अपने आपको विनीत व्यक्ति की आत्मा की मालकिन के रूप में देखा। वह उसकी उत्कंठा और गुप्त आराधना से अति प्रसन्न हुई। इसके बाद मर्सीडीज ने लड़के को सब प्रकार के बहानों के साथ अपने पास रखा, भले ही पड़ोसियों ने तरह-तरह की चर्चाएँ कीं।
प्रतिदिन मैन्युअल उसके लिए खिलती झाड़ी की शाखें लाता था और वह उनसे अपने लिए अद्भुत शृंगार की चीजें बनाती थी। उसके नीले-काले बाल छोटे लाल फूलों और छोटी हरी पत्तियों से गुँथे, उसे अद्भुत आकृति प्रदान करते थे और आँखों में अधिक चमक लाते थे। उन्हीं फूलों से बना हार उसकी त्वचा के कोमल पीलेपन को और बढ़ाता था; उसके सफेद उड़ते हुए कपड़ों पर यहाँ-वहाँ अस्थिरता से बिखरी हुई झाड़ी की शाखों से वह पवित्र गुफा की ड्रूइड पुजारन नजर आती थी।
मर्सीडीज की दया और मुसकराहट ने मैन्युअल का साहस बढ़ा दिया और उनकी मित्रता ने ग्रामीण जीवन की उस कथा का रूप ले लिया जिसमें महान् महिला अपने आपको देहाती आदमी के स्तर तक झुका लेती है, प्रेम के मधुर वायदे करती है जो लड़के का समस्त जीवन भर देते हैं। उसने स्थिति पर गंभीरता से विचार नहीं किया। उसकी कसकुट रंग की त्वचा, उसकी सुघड़ शक्तिशाली आकृति और उसकी बड़ी एवं तीक्ष्ण आँखों के साथ मैन्युअल उसे सुंदर लगता था; उसका प्रचंड और बर्बर स्वभाव का आदरणीय पूजा में बदलना उसके झूठे अभिमान की मिथ्या प्रशंसा थी। जहाँ तक मैन्युअल का प्रश्न था, वह कम कष्ट महसूस करती थी—परंतु यहाँ सबकुछ था।
एक दिन मर्सीडीज, फार्म पर सभी काम करनेवालों के साथ, पासवाले मंदिर गई। वह लड़कियों से हटकर सिंहासन पर प्रसन्नता से बैठी और उस क्षण की अधीरता से प्रतीक्षा करने लगी कि कब मैन्युल आए और उसका साथ दे, परंतु भोज में आनेवालों में उसके कुछ मित्र भी थे जिन्होंने उस दुनिया की बात की जिसको अपने एकांत के अवकाशों में वह भूल चुकी थी; आनंद और प्रसन्नता की लहर उसपर दौड़ गई।
इस छाप को दूर करने के लिए मर्सीडीज ने मैन्युअल को अपनी आँखों से ढूँढ़ा और अंत में, देहाती भीरुता के कारण उसे अपने पास न आते हुए देख ही लिया। मर्सीडीज उसे बुला सकती थी, परंतु उसने अपने आपको रोके रखा। वह उससे लज्जित थी। उसके मित्र क्या कहेंगे? वह, जो अपने नौकरों में से एक की प्रेमिका है!
उसने मैन्युअल की ओर पुनः देखा। कितना अपना लगता था! मोटे कपड़े की जैकेट पहने, एक लाल रूमाल के छल्ले-से निकालकर गले में बँधा हुआ, गाय के चमड़े से बने भद्दे जूते जो उसके चलने-फिरने में रुकावट पैदा करते थे—वह सोच रही थी कि वह उसे सुंदर कैसे और क्यों समझने लगी है!
वापसी यात्रा उद्विग्न करनेवाली रही। मर्सीडीज शून्यचित्त प्रतीत होती थी और उसकी आँखों ने एक बार भी मैन्युअल की आँखों को नहीं देखा। उसने समझा कि उनके संबंध बहुत दूर तक जा चुके हैं और प्रतिदिन तेजी और आकस्मिक ढंग से बढ़ रहे हैं; उसने मेडरिड लौट जाने के लिए सारे प्रबंध पूरे कर लिये।
एक वर्ष व्यतीत हो गया। हम मर्सीडीज के नगरवाले मकान के शानदार महिलाकक्ष में हैं। युवा महिला आराम-कुरसी पर विश्राम कर रही है और पीला और काँपता हुआ मैन्युअल उसके सामने खड़ा है जिसमें अलसीरावाली कोमल हृदयी युवावस्था पहचान पाना कठिन है।
‘‘तुम्हें देखकर मैं कितना खुश हूँ,’’ उसने झूठे मित्रभाव से उसे कहा, ‘‘मुझे बताओ कि तुम कैसे हो और गाँव का क्या हाल है?’’
जब उसने कोई उत्तर नहीं दिया, तो उसने कहना जारी रखा—‘‘क्या तुम चिंतित हो, मेरे छोकरे? मैंने तुम्हें इसलिए बुलाया है कि मैं विवाह करने जा रही हूँ। मेरे पति को वहाँ काम से जाना पड़ेगा और मैं नहीं चाहती कि उसको पता चले—तुम समझते हो कि मेरा अभिप्राय क्या है। मैं एक किसान की पत्नी बनने का निश्चय नहीं कर सकती थी, इसकी अपेक्षा कि तुम कभी एक भद्र पुरुष बनते, परंतु तुम नाराज मत हो, विचारशक्ति से काम लो—तुम संपत्ति के निरीक्षक होंगे और अपनी इच्छा से उसका प्रबंध करोगे। तुम्हें भी विवाह कर लेना चाहिए। सबसे बढ़कर उस बचपने के खेल की बाबत किसी से बात मत करना।’’
‘‘मैं समझता हूँ, मैडम मसीर्डीज, तुम विश्वास रखो, मैं तुम्हें पीड़ा नहीं दूँगा।’’ मैन्युअल बोला और एकाएक कमरे से चला गया।
मर्सीडीज उसके दुःख का भाव समझकर बड़बड़ाई—‘उसने इसको कितनी गंभीरता से लिया होगा!’ स्त्री के शाश्वत अहंकार और स्वार्थ तथा विजय के ढंग से उसने आगे कहा, ‘वह अब भी मुझे प्रेम करता है और लुई को उसका पता नहीं चलेगा।’
‘‘हाँ, प्यारे लुई,’’ मसीर्डीज ने दो दिन बाद अपने प्रेमी से कहा, ‘‘मुझे बड़ा धक्का लगा है। अलसीरा का निरीक्षक बिजली की गाड़ी के नीचे आ गया है—अविश्वसनीय मूर्खता का टुकड़ा—सड़क के मध्य में खड़ा काँप रहा था।’’
‘‘यह वास्तव में दुःख और विलाप करने योग्य घटना है, परंतु इतना शोक करने के लिए मुझे कोई विशेष कारण नजर नहीं आता। तुम हाथ में यह क्या थामे हुए हो?’’
‘‘जंगली फूलों का गुच्छा जो अभागा आदमी मुझे देने के लिए ला रहा था और मरते समय उसके पास से उठाया गया है।’’
‘‘क्या अद्भुत उपहार है!’’
‘‘वह इनको मेरे लिए अलसीरा से लाया था क्योंकि जब मैं वहाँ पर थी तो वह मुझे फूल पेश किया करता था; वह मेरी पसंद को जानता था।’’
‘‘यह भी हो सकता है कि तुम उसपर हाथ रखने के लिए उससे मौज-मस्ती करती होगी। ऐसे पाप गिनना निंदनीय है। इनको फेंक दो और इस मामले पर अधिक मत सोचो।’’
‘‘तुम कितने अच्छे हो, लुई और मैं तुम्हें कितना प्यार करती हूँ!’’ उसने झाड़ी की शाख को आग में फेंक दिया; झाड़ी की शाख से कड़ाके का शोर हुआ जबकि सफेद धुएँ का बादल खिलते खेतों में तीखी गंध छोड़ता हुआ हवा में मिल गया।
(अनुवाद: भद्रसेन पुरी)