खान का भ्रमण : फ़्रेंज़ काफ़्का

Khan Ka Bhraman : Franz Kafka

मुख्य अभियंताओं ने खान में हमारी ओर का भ्रमण किया था।

प्रबंधन ने नई गैलरी के विषय में कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसलिए आरंभिक सर्वे के लिए अभियंता वहाँ आ गए। ये कितने युवा हैं, फिर भी एक-दूसरे से कितने भिन्न। पूरी स्वतंत्रता के वातावरण में ये बड़े हुए हैं, जो उनके चरित्र से स्पष्ट है। युवावस्था में भी इनमें जरा भी स्वाभिमान नहीं है।

एक काले बालों वाले जोशीले व्यक्ति की आँखें हैं, जो शीघ्र ही किसी चीज को परख लेती हैं।

दूसरा व्यक्ति जिसके हाथ में नोटबुक है, वह चारों ओर देखता है, उन्हें नोट करता है, फिर उसकी तुलना करता है।

तीसरा व्यक्ति जिसके हाथ उसकी कोट की जेब में हैं, उसके बारे में ज्यादा स्पष्ट नहीं है, वह सीधा चलता है; अपना अभिमान बनाए रखता है। अपनी अधीरता तथा यौवन को छुपाने के लिए अपने होंठों को काटता रहता है।

चौथा, तीसरे को बिना माँगे ही स्पष्टीकरण देता रहता है। अन्य सभी की तुलना में कद में छोटा, उसके साथ मोहक रूप में चलता, उसकी तर्जनी उँगली हमेशा हवा में लहराती; मानो हर चीज की आँखों देखी कमेंट्री कर रहा है।

पाँचवाँ, जो कद में शायद वरिष्ठ है, उसे किसी के साथ की जरूरत नहीं, कभी सबसे आगे, तो कभी सबसे पीछे, समूह के अन्य व्यक्ति ही उसे अपने साथ लेकर चलना चाहते हैं; वह कमजोर है; जिम्मेदारियों से उसकी आँखें धँस गई हैं। सोचने की मुद्रा में वह कभी-कभी अपने हाथों से माथे को दबाता है।

छठा और सातवाँ थोड़ा आगे झुककर चलता है। वे पास-पास खड़े होकर किसी गोपनीय विषय पर बात कर रहे हैं। यदि ये कोयले की हमारी खानें नहीं होतीं और गैलरी में हमारा कार्यालय नहीं होता तो निस्संदेह कोई भी इन दुबले-पतले, बिना दाढ़ी-मूँछ के ऊँची नाक के सज्जनों को पादरी समझता। उनमें से एक तो अधिकांशतः अपने आप पर ही बिल्ली जैसी घर्राहट भरी आवाज में हँसता है। दूसरा भी जो कि मुसकराता है, बातचीत में सबसे आगे है। अपनी स्थिति से ये दोनों कितने संतुष्ट हैं; वास्तव में हमारे खाने के लिए उन लोगों ने कितने काम किए होंगे कि इतनी युवावस्था में ही वे अपने प्रमुख के साथ यहाँ सर्वे करने आए हैं तथा अपने काम या कम-से-कम ऐसे काम, जिनकी शीघ्र कोई जरूरत नहीं है, उनके लिए निःसंकोच भाव से स्वयं क ो समर्पित कर देना चाहते हैं। या हो सकता है कि अपनी सारी बेफिक्री या मौज के बावजूद भी वे इस बात से भली-भाँति अवगत हैं कि क्या चीज जरूरी है? कोई भी शायद ही इन सज्जनों के बारे में कोई निर्णायक फैसला कर सकता है।

दूसरी ओर इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि आठवाँ आदमी, उदाहरण के लिए, अतुलनीय रूप से उन दो व्यक्तियों में, बल्कि उन सभी में काम के प्रति अधिक समर्पित है। वह हर चीज को स्पर्श करता है तथा अपने छोटे हथौड़े से हिलाकर देखता है, जो वह बार-बार अपनी जेब से निकालता है और वापस अपनी जेब में रखता है। अपनी शानदार पोशाक के बावजूद कभी-कभी वह घुटने के बल जमीन पर कीचड़ में बैठकर जमीन को ठोकक र देखता है, कभी चलते-चलते दीवार को ठोककर देखता है या अपने सिर के ऊपर छत क ो। एक बार वह पूरी तरह अपने हाथ-पैर फैलाकर जमीन पर स्थिर लेट गया तो हम यह सोचने लगे कि इसे कुछ परेशानी है। फिर अचानक अपने छरहरे शरीर के साथ वह अपने पैरों पर उछल पड़ा। वह एक अन्य जाँच-पड़ताल कर रहा था। हम यह कल्पना करते हैं कि हमें अपने खान तथा इसकी चट्टान संरचना का ज्ञान है, लेकिन इस अभियंता का आचरण हमारी समझ से बाहर है।

नौवाँ व्यक्ति एक प्रकार की छोटी पहिएदार गाड़ी में सर्वे का सामान लेकर उसके सामने आता है। अत्यधिक महँगे से उपकरण सबसे मुलायम काटनवुल में लपेटे हुए थे। कार्यालय के चपरासी को वास्तव में इस छोटी गाड़ी को चलाना चाहिए, लेकिन उस पर विश्वास नहीं है। एक अभियंता को यह करना पड़ रहा था और वह अत्यंत सद्भावना से यह कर रहा था। शायद वह सबसे छोटा है और उसे इन उपकरणों के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन वह पूरे समय उपकरणों पर नजर रखता है, जिससे कभी-कभी उसकी गाड़ी को दीवार से टकराने का खतरा भी सहन करना पड़ता है।

लेकिन साथ ही एक दूसरा अभियंता भी चल रहा है, जो ऐसा होने से रोकता है। स्पष्टतः उसे इन उपकरणों का पूरा ज्ञान है और वह ही वास्तव में उनके रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है। समय-समय पर वह गाड़ी को बिना रोके ही किसी उपकरण के एक पुरजे को उठाता है, देखता है, उसका पेंच खोलता और बंद करता है, उसे हिलाता-डुलाता है, ठोकता-बजाता है, इसे अपने कानों के पास लाक र सुनता है और जब इस गाड़ी को ढकेलता व्यक्ति चुपचाप खड़ा हो जाता है, वह सावधानीपूर्वक उस छोटी वस्तु को उसी पैकिंग में रख देता है। यह अभियंता थोड़ा दबंग है, लेकिन सिर्फ इन उपकरणों की सेवाओं के मामले में ही। इस छोटी गाड़ी के दस कदम आगे ही उसके निःशब्द इशारे से हमें उस गाड़ी के लिए जगह बनानी पड़ती है, जहाँ जगह बिल्कुल भी नहीं होती।

इन दो सज्जनों के पीछे ऑफिस का चपरासी खड़ा है, जिसके पास करने को कोई काम नहीं है। सज्जन, जैसा कि व्यापक ज्ञान के ऐसे व्यक्तियों से अपेक्षित होता है, इन्होंने जो भी घमंड कभी रहा होगा उसे छोड़ दिया है, लेकिन लगता है कि इस चपरासी ने उनके व्यक्त घमंड को ले लिया है और उसे सँभाला हुआ है। एक साथ पीछे किए तथा दूसरे हाथ से अपनी वरदी के बटन को स्पर्श करते हुए वह दाएँ-बाएँ ऐसे झुकता है मानो हम उसे सलामी दे रहे हों और वह उन्हें स्वीकार कर रहा है या बल्कि मानो वह यह समझ रहा है कि हमने उसे सलामी दी थी और वह इतना ऊँचा एवं तगड़ा है कि हमारी सलामी को वह देख नहीं पाया।

निश्चित रूप से हम उसे सलामी नहीं देते, फिर भी उसे देखकर कोई भी यह विश्वास कर लेगा कि खान के मुख्य कार्यालय का चपरासी होना एक बड़ी बात है। उसकीपीठ पीछे तो हम लोट-लोटकर हँसे, लेकिन बहुत जोर की आवाज पर भी मुड़कर नहीं देखता, वह हमेशा हमारे लिए एक अजीब पहेली ही रहा।

आज हम बहुत ज्यादा काम नहीं करेंगे; यह व्यवधान अत्यंत रुचिकर था। इस प्रकार के भ्रमण में हमारे काम करने के सारे विचारों को भी लेकर चला जाता है। ट्रायल गैलरी के अँधेरों में इन सज्जनों को गुम होते देखना अत्यंत रोचक है। इसके अलावा हमारी पारी भी जल्द खत्म होनेवाली है। हम उन्हें वापिस आते हुए देखने के लिए तब वहाँ नहीं होंगे।

(अनुवाद: अरुण चंद्र)

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