कनक की बुद्धिमानी (बाल कहानी) : भूपेश प्रताप सिंह
Kanak Ki Buddhimaani (Baal Kahani) : Bhupesh Pratap Singh
मकान के सामने एक लॉन था।सुबह- शाम लोग कुछ यहाँ बैठ कर गपियाते रहते थे।दीपावली की छुट्टी थी तो स्कूल भी बंद था इसलिए मास्टर राममणि भी लॉन में आ बैठे।उनके आते ही बच्चे शांत हो गए। दरअसल बात यह थी कि वे ही इन बच्चों को स्कूल में भी पढ़ाते थे।चुपचाप अधिक समय तक बैठना हर किसी के वश की बात तो होती नहीं ।उस पर राममणि थे भी मास्टर।दिनभर बच्चों को पढ़ाने की आदत थी तो भला कब तक चुप रहते। आखिर उन्होंने ही बच्चों से बातें करनी शुरू कर दी । फिर क्या था ! धीरे -धीरे सभी बच्चों ने कुछ-न-कुछ बोलना शुरू कर दिया। संकोच एक दीवार है। इस पर भी अगर भय समाप्त हो जाए तो व्यक्ति मुक्तकंठ से बोलने लगता है।ऐसे में अनुशासन भंग होने का जोखिम भी रहता है लेकिन आज तो मास्टर साहब को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था ।पेड़-पौधे, नदी , हवा, पानी के बारे में बातें करते -करते समय कैसे बीत गया कुछ पता ही नहीं चला . सूर्यास्त होने लगा ।सूरज ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने गोल थाली को सिंदूर से पूरी तरह भर दिया हो। यह दृश्य भी बहुत मनोरम था ।
मास्टर साहब ने बच्चों से कहा ," आज साँझ हो गई है । देखो, अँधेरा गहराता जा रहा है ।चलो अब घर चलें ।" उनकी बात सुनते ही सभी बच्चे चलने के लिए तैयार हो गए। तभी हरे -भरे झुरमुटों से किसी की आवाज़ आई ।
मिंटू बोला ,"गुरुजी! ये आवाज़ कहाँ से आ रही है ?"
हाँ मिंटू , आवाज़ तो आ रही है लेकिन यहाँ तो कोई भी नहीं है, -मास्टर साहब ने कहा ।
तभी फिर आवाज़ आई " हम यहाँ हैं ।हमारी तो आप लोगों को चिंता ही नहीं है ।लगता है मैं इस धरती का प्राणी ही नहीं हूँ ।"
इस बार सबने ध्यान से देखा तो झुरमुट के बीच में दो चिड़ियाँ थीं । एक का रंग तो बिल्कुल सोने जैसा था और दूसरा ऐसे लग रहा था जैसे पत्तियों ने अपने ही रंग में रँग दिया हो । मास्टर राममणि दोनों चिड़ियों को अपनी हथेलियों पर रखकर घर ले आए ।मन तो मिंटू का भी इन्हें अपने घर ले जाने के लिए ललचा रहा था लेकिन वह डर रहा था क्योंकि अभी एक हफ्ते पहले ही उसकी बुलबुल को बिल्ली ने मार डाला था ।
मास्टर साहब जब इन्हें अपने घर लाए तो इनके रंगों के कारण ही एक का नाम कनक और दूसरे का नाम हरियल रख दिया । कनक और हरियल के खाने-पीने का ख्याल घर के सभी लोग रखने लगे । बाजरे के दाने ,मीठा पानी , स्वादिष्ट रसीले फल सब कुछ तार से बनी सुन्दर जाली में हमेशा रखा रहता। उनके सोने के समय और कमरे के तापमान का तो बहुत ही ध्यान रखा जाता ।कनक और हरियल की नींद में कोई बाधा न हो इसलिए कमरे की लाइट बंद कर दी जाती ।कई बार तो इसी चक्कर में मास्टर साहब बच्चों का रिपोर्ट कार्ड समय पर नहीं दे पाते थे लेकिन अब कनक और हरियल भी तो अपने ही हैं। पक्षी कुछ मायनों में हम इनसानों से बहुत अच्छे होते हैं। मास्टर साहब जब भी स्कूल से आते तो उन्हें देखते ही वे चहकना शुरू कर देते । इसे सुनकर मास्टर साहब की दिन भर की थकान गायब हो जाती। कनक और हरियल महीने भर से मास्टर साहब की भाषा सीख रहे थे लेकिन उनके सामने केवल चहकते थे क्योंकि उनके मालिक को यह बहुत मधुर लगता था ।एक दिन मास्टर राममणि स्कूल चले गए। मणिका भी मन्दिर चली गई। सेजल और नवल एक सप्ताह के लिए अपने ननिहाल गए थे लेकिन वहाँ मन लग गया तो आज आए ही नहीं ।इस तरह पूरा घर खाली था जहाँ अवकाश होता है हवा तो वहाँ भी होती है फिर यहाँ तो कनक जैसी विदुषी और हरियल जैसा समझदार था। वे आपस में इनसानी फ़ितरत की बातें करने लगे । कनक ने कहा,"हरियल ,देखो न, इनसान भी कितना स्वार्थी हो गया है ।"
अरे नहीं , कहाँ स्वार्थी हो गया है । हम लोग मज़े से रह रहे हैं। इसमें मास्टर साहब को क्या मिल रहा है ? वे तो अपने खर्च से हमें पाल रहे हैं ।
हमें पाल नहीं रहे हैं। हमें कैद कर लिया है ।
कैद ! अब ये कैद क्या है कनक ?
हरियल , अब मेरी बातों को ध्यान से सुनो ।सब समझ आ जाएगा। जिसे तुम आनंद समझ रहे हो उसी सोच के कारण हमारी आज़ादी छिन गई है । हम कहीं जा नहीं सकते,सरिता का बहता जल नहीं पी सकते ,वृक्ष की सबसे ऊँची शाखा पर बैठ नहीं सकते और नीले आकाश में उड़ नहीं सकते। यह भी तो सोचो कि आदमी अपने आप को मजबूत बनाने के लिए योग -व्यायाम करता है और हम पक्षियों को पिंजरे में बंद करके रखता है। ऐसे तो कुछ महीनों बाद हमारे पंखों की ताकत ही खत्म हो जाएगी और अगर हम बीमार हो गए तो वह हमें उसी झुरमुट में छोड़ आएगा। अब मास्टर साहब को ही देख लो। जिस दिन उनके आने पर हम लोग नहीं चहकते उस दिन वे हमारे नज़दीक नहीं आते। अपने दूसरे कामों में लग जाते हैं।
कनक की बातें हरियल बहुत ध्यान से सुन रहा था । अब वह भी सही बात समझने लगा था । वह बोला ,"कनक तुम बात तो सही कह रही हो। यहाँ हमें ठंडी हवा तो मिलती है लेकिन यह शुद्ध नहीं होती।अभी तीन दिन पहले मुझे सर्दी हो गई थी जो अभी तक ठीक नहीं हुई फिर भी मुझे खाने के लिए खीरा दे दिया गया। खीरा तो आदमी खाते हैं हम पक्षी कब खीरा खाते हैं ?"
अब समझ आया न कि गुलाम किसे कहते हैं । यहाँ जो बाजरा रखा है इसे पैदा करने में रासायनिक खाद का बहुत अधिक प्रयोग हुआ है। जनसंख्या बढ़ती जा रही है तो आदमी को अधिक अनाज चाहिए। लालच के कारण वह हमारे पेड़ों को काटकर खेत बनाता जा रहा है।वह खुद को पढ़ा-लिखा और बुद्धिमान कहता है। अपने घर के लिए दूसरों का घर उजाड़ देना कैसी बुद्धिमानी है।यह तो कमाल है कि हमारा घर उजाड़कर वह हमें अपने पिंजड़े में कैद करके खुश होता रहता है ।
"हरियल बोला ,"कनक ,बात इतनी भर नहीं है। यह आदमी पालता भी किसको है जो रंग-बिरंगा होता है ,अब तुम्हीं बताओ उल्लू ,गिद्ध को भला कौन पालता है। अब वे कहाँ रहेंगे?
कनक गुस्से से बोली ,"आज ही हम यहाँ से उड़ चलेंगे।"
"लेकिन कैसे ?हम तो तार के पिंजड़े में बंद हैं।"- हरियल ने कहा।
हरियल की ओर देखती हुई कनक ने कहा कि पिजड़े के पीछे वाली खिड़की हमेशा खुली रहती है। मास्टर साहब के आने की आवाज़ सुनते ही हम पिजड़े में मुर्दे की तरह लेट जाएँगे । जैसे ही हमें निकालकर बाहर रखा जाएगा हम एक साथ खिड़की से बाहर उड़ चलेंगे ।वे आपस में बातें कर ही रहे थे कि तभी मास्टर राजमणि के पैरों की आवाज़ सुनाई पड़ी।
कनक ने धीरे से कहा,"नाटक शुरू किया जाए " दोनों ने वही किया । मास्टर साहब इन्हें देखकर बोले , मणिका ने इस निरीह पक्षियों का ध्यान नहीं रखा।अब मुझे देखकर कौन चहकेगा? फिर कुछ सेकेंड में ही बोल पड़े ,कोई बात नहीं कल ही सेजल और नवल आ जाएँगे । उन्हें पढ़ना भी तो है ।इनके चक्कर में वे भी लापरवाह होते जा रहे थे। इतना कहकर उन्होंने कनक और हरियल को पकड़कर दरवाज़े से बाहर फेंका लेकिन यह क्या! वे दोनों पेड़ पर जा बैठे और एक साथ बोले ,"हम जीत गए मास्टर साहब! बच्चों को यह ज़रूर बताना कि स्वस्थ रहने के लिए खुली हवा में साँस लेना चाहिए। बच्चों को हमारे बारे में बताना।"बच्चों को यह ज़रूर ज़रूर पढ़ाना।" मास्टर साहब ने भी हाँ में सिर हिलाया।सभी खुश हो गए।