कमज़ोर बर्तन (जापानी कहानी) : यासुनारी कावाबाता (अनुवाद : राहुल तोमर)
Kamzor Bartan (Japanese Story in Hindi) : Yasunari Kawabata
शहर के एक नुक्कड़ पर कलाकृतियों की एक दुकान थी। उस दुकान और सड़क के मध्य बौद्ध देवी क्वान यिन की एक चीनी मिट्टी की मूर्ति खड़ी थी। मूर्ति लगभग एक बारह साल की बच्ची जितनी थी। जब भी वहाँ से कोई ट्रेन गुज़रती तो क्वान यिन की ठंडी त्वचा और दुकान के काँच का दरवाज़ा हौले से कँपकँपा जाता।
मैं जब भी उस दुकान के पास से गुज़रता तो मुझे डर लगता कि कहीं यह मूर्ति सड़क पर गिर न पड़े।
मैंने एक सपना देखा था जो कुछ इस तरह था :
क्वान यिन का शरीर सीधे मेरे ऊपर गिर रहा था।
क्वान यिन ने यकायक अपना लंबा, बहुत बड़ा और सफ़ेद हाथ बाहर निकाला और मेरे गले पर लपेट दिया।
मैं पीछे की ओर कूदा—मूर्ति के केवल हाथ के जीवित होने की विचित्रता और चीनी मिट्टी की त्वचा के ठंडे स्पर्श के कारण।
बेआवाज़ क्वान यिन सड़क के किनारे टुकड़ा-टुकड़ा हो गई।
एक लड़की ने उसके कुछ टुकड़े उठाए। वह थोड़ा निहुर कर बिखरे हुए चमचमाते चीनी मिट्टी के टुकड़ों को जल्दबाज़ी में समेटने लगी। मैं उस लड़की के एकदम से वहाँ आ जाने पर भौचक्का रह गया।
मैंने जैसे ही कोई बहाना बनाने के लिए अपना मुँह खोला… मैं जाग गया।
ऐसा लगा कि यह सब कुछ क्वान यिन के गिरने के तुरंत बाद फटाफट से हुआ।
मैंने कोशिश की इस सपने को समझने की।
‘‘अपनी पत्नी को वैसा सम्मान दो जैसा तुम कमज़ोर बर्तन को देते हो।’’ बाइबिल की यह पंक्ति तब अक्सर मेरे ज़ेहन में आ जाया करती थी। मैंने हमेशा ‘कमज़ोर बर्तन’ का अनुवाद चीनी मिट्टी के बर्तन में किया।
और फिर, मैंने इसका अनुवाद उस लड़की में किया जो मेरे सपने में आई थी।
एक युवा लड़की झट से गिर जाती है।
एक तरह से, प्रेम अपने आपमें एक युवा लड़की का गिरना है। मैंने सोचा।
तो क्या, मेरे सपने में, ऐसा नहीं हो सकता कि वह लड़की जल्दबाज़ी में समेट रही हो अपने ही गिरने के टुकड़े।