न्याय (नाटक) : जॉन गाल्सवर्दी, अनुवादक : प्रेमचन्द, बी० ए०

Justice (Play in Hindi) : John Galsworthy

न्याय (नाटक) : पात्र-सूची

जेम्स हो — सालिसिटर (वकील)
वाल्टर हो — (जेम्स हो का लड़का)
राबर्ट कोकसन — उनका मैनेजिंग क्लर्क (कार्याध्यक्ष)
विलियम फाल्डर — छोटा (जूनियर) क्लर्क
स्वीडिल — आफिस का नौकर
विस्टर — डिटेक्टिव (खुफिया पुलीस)
कावली — एक केशियर (खजांची)
मिस्टर जस्टिस फ्लाइड — जज विचारक
हैरोल्ड क्लीवर — पुराना एडवोकेट (सरकारी वकील)
हेक्टर फ्रोम — एक युवक वकील
केप्टेन डान्सन भी. सी. — एक जेल के अध्यक्ष
रेवरेन्ड हिउ मिलर — एक जेल के पादड़ी
एडवर्ड क्लेमेन्ट — एक जेल के डाक्टर
वुडर — प्रधान वार्डर
मोने, क्लिप्टन, ओक्लिअरी — क़ैदी
रुथ हनीविल — एक औरत
वैरिस्टर गण, सालिसिटर गण, दर्शक गण, चोबदार, रिपोर्टर गण, जूरीमैन, वार्डर गण और क़ैदी गण।

समय — वर्तमान काल

अंक पहिला — जेन्स एण्ड वाल्टर हो का आफ़िस, सबेरा, जुलाई।

अंक दूसरा — अदालत, दोपहर, अक्टूबर।

अंक तीसरा — जेल, दिसम्बर।

दृश्य पहिला — जेल अध्यक्ष का आफ़िस।

दृश्य दूसरा — जाने आने का रास्ता।

दृश्य तीसरा — जेल की कोठरी।

अंक चौथा — जेम्स एण्ड वाल्टर हो का आफ़िस, सवेरा, मार्च दो वर्ष बाद की घटना।

न्याय (नाटक) : अङ्क पहिला : दृश्य १

जुलाई मास का सवेरा, जेम्स और वाल्टर हो के मैनेजिंग-क्लर्क का कमरा है। कमरा पुराने ढंग का, महोगनी की पुरानी कुरसी और मेज़ों से सजा हुआ है, जिन पर चमड़ा लगा हुआ है। टीन के बक्स और इलाकों के नक्शे क़तारों में सजे हैं। कमरे में तीन दरवाज़े हैं, जिनमें दो दरवाजे बीच दीवार में पास-पास हैं। दरवाजों में एक बाहर के दफ़्तर में जाने का है लकड़ी और काँच के परदे की दीवार से मैनेजर का कमरा उस बाहरी कमरे से अलग कर दिया गया है। बाहरी कमरे में जाने का दरवाज़ा खोलने पर एक चौड़ा दरवाज़ा और दिखाई देता है जहाँ से नीचे उतरने की सीड़ियाँ हैं। बीच के दो दरवाज़ों में दूसरा दरवाज़ा छोटे क्लर्क के कमरे में जाता है। तीसरा दरवाज़ा मालिकों के कमरे में जाने का है। मैनेजिंग कुर्क कोकसन बैठे हुए मेज पर रखी हुई पासबुक के अंकों को जोड़ रहे हैं, और अपने ही आप अंकों को दुहराते भी जाते हैं। उनकी उम्र साठ वर्ष की है। चश्मा लगाये हैं। कद के ठिंगने हैं, सिर गंजा है। ठुड्डी कुछ आगे को उठी हुई है, जिससे नीयत की सफ़ाई झलक रही है। एक पुराना काला कोट और धारीदार एतलून पहने हुए हैं।

कोकसन

और पाँच बारह, और तीन---पन्द्रह, उन्नीस, तेईस, बत्तीस, इकतालीस, हासिल आए चार।

[ पृष्ठ पर एक निशान लगाकर उसी प्रकार उच्चारण करता जाता है ]

पाँच, सात, बारह, सत्रह, चौबीस और नौ तेतीस, तेरह हासिल आया एक।

[ फिर निशान लगाता है। बाहर के कमरे का दरवाज़ा खुलता है, और ऑफ़िस का अर्दली स्वीडिल दरवाज़े को बन्द करता हुआ भीतर आता है। उसकी अवस्था १६ साल की है। उसके चेहरा का रंग पीला और बाल खड़े हैं। ]

[ झुँझलाकर ऐसी दृष्टि से देखता हुआ मानो कह रहा हो कि तुम क्या करने आए हो? ]

और हासिल आया एक।

स्वीडिल

फाल्डर को कोई पूछ रहा है।

कोकसन

पाँच, नौ, सोलह, इक्कीस, उन्तीस और हासिल आए दो। उसे मारिस के मकान पर भेज दो। नाम क्या है?

स्वीडिल

हनीविल!

कोकसन

चाहता क्या है?

स्वीडिल

औरत है।

कोकसन

शरीफ औरत है?

स्वीडिल

नहीं, मामूली है।

कोकसन

उसे भीतर बुला लो। यह पास-बुक मिस्टर जेम्स के पास ले जाओ।

[पास बुक बन्द करता है।]

स्वीडिल

[दरवाज़ा खोलकर]

जरा आप अन्दर चली आयें।

[रुथ हनीविल भीतर आती है। उसकी अवस्था छब्बीस वर्ष की है। क़द लम्बा आँखें और बाल काले हैं। चेहरा सुगठित, सुढौल और हाथी दांत सा सफेद है उसके कपड़े सादे हैं। वह बिलकुल चुपचाप खड़ी है। उसके अन्दाज़ और रङ्ग-ठङ्ग से मालूम होता है कि किसी अच्छे घर की है।]

[स्वीडिल पास-बुक लेकर मालिकों के कमरे की ओर चला जाता है।]

कोकसन

[घूमकर रुथ की ओर देखते हुए]

वह अभी बाहर गया है।

[सन्देह के साथ]

आप अपना मतलब कहिए।

रुथ

[बेधड़क होकर]

जी हाँ, कुछ अपना काम है।

कोकसन

यहाँ निजी काम से कोई नहीं आने पाता। आप चाहें तो उसे कुछ लिखकर रख जायँ।

रुथ

नहीं, मैं उनसे मिलना ही चाहती हूँ।

[वह अपनी काली आँखों को सिकोड़कर कटाक्ष से उनकी ओर देखती है।]

कोकसन

[फूलकर]

यह बिलकुल नियम के विरुद्ध है। मान लीजिए मेरा ही कोई मित्र यहाँ मुझसे मिलने आए। यह तो ठीक नहीं है।

रुथ

जी नहीं, ठीक है?

कोकसन

[कुछ चकराकर]

हाँ कहता तो हूँ, और तुम तो यहाँ एक छोटे क्लर्क से मिलना चाहती हो?

रुथ

जी हाँ, मुझे उससे बहुत ही जरूरी काम है।

कोकसन

[उसकी तरफ़ पूरी तरह मुँह फेरकर, कुछ बुरा मानकर]

लेकिन यह वकील का दफ्तर है। तुम उसके घर पर जाकर मिलो।

रुथ

वहाँ तो वह था ही नहीं।

कोकसन

[चिन्तित होकर]

क्या तुम्हारा उससे कुछ रिश्ता है?

रुथ

जी नहीं।

कोकसन

[दुविधे में पड़कर]

मेरी समझ में नहीं आता क्या कहूँ? यह कोई दफ़्तर का काम तो है नहीं।

रुथ

लेकिन मैं करूँ तो क्या करूँ?

कोकसन

वाह! यह मैं क्या जानूँ?

[स्वीडिल लौट आता है, और इस कमरे से कोकसन की ओर कुतूहल से घूरता हुआ कमरे में चला जाता है। जाते समय दरवाज़े को सावधानी के साथ दो एक इंच खुला छोड़ जाता है।]

कोकसन

[उसकी दृष्टि से होशियार होकर]

ऐसा नहीं हो सकता, आप जानती हैं, ऐसा किसी तरह नहीं हो सकता। मान लो एक मालिक ही आ जायँ तो?

[बाहरी कमरे के बाहरी दरवाजे से रह-रहकर कुंडी का खटकना और हँसना सुनाई देता है।]

स्वीडिल

[दरवाज़े के भीतर सिर डालकर]

यहाँ बाहर कुछ बच्चे खड़े हैं।

रुथ

जी, वे मेरे बच्चे हैं।

स्वीडिल

मैं उन्हें देखता रहूँ?

रुथ

यह तो बिलकुल छोटे बच्चे हैं।

[कोकसन की ओर एक कदम बढ़ाती।]

कोकसन

तुम्हें दस्तर के घंटों में उसका समय नष्ट न करना चाहिए। यों ही हमारे यहाँ एक क्लर्क की कमी है।

रुथ

मरने जीने का सवाल है जी!

कोकसन

[फिर कान खड़े करके]

मरने जीने का?

स्वीडिल

यह फ़ाल्डर साहब आ गए।

[फ़ाल्डर बाहर के कमरे से भीतर आता है। उसका चेहरा पीला है, देखने में अच्छा है। उसकी आँखें तेज़ और सहमी हुई है। वह क्लर्क के कमरे की ओर बढ़ता है और वहाँ हिचकता हुआ खड़ा हो जाता है।]

कोकसन

खैर, मैं तुम्हें एक मिनट दे सकता हूँ। लेकिन यह नियम विरुद्ध है।

[वह काग़ज़ों का एक पुलिन्दा उठाकर मालिकों के कमरे में घुस जाता है।]

कोकसन

[धीमी, घबराई हुई आवाज़ से]

वह फिर पीने लगा, विल। कल रात को उसने मेरा गला काटने की कोशिश की थी। उसके जागने के पहिले ही मैं बच्चों को लेकर भाग आई हूँ। मैं तुम्हारे घर गई थी।

फाल्डर

मैंने डेरा बदल दिया है।

रुथ

आज रात के लिए सब तैयारी हो गई है न?

फ़ाल्डर

मैं टिकट ले आया हूँ। टिकट घर के पास मुझसे पौने बारह बजे मिलना। ईश्वर के लिए भूल मत जाना कि हम स्त्री-पुरुष हैं।

[उसकी ओर स्थिर और निराश नेत्रों से देखते हुए।]

रुथ

तुम जाने से डर तो नहीं रहे हो?

फ़ाल्डर

क्या अपना और बच्चों का सामान तुमने ठीक कर लिया है?

रुथ

नहीं, सब छोड़ आई हूँ। मुझे हनीविल के जग जाने का भय था। बस एक बेग लेकर चली आई हूँ। मैं अब घर के पास तक नहीं जा सकती।

फ़ाल्डर

[हल्का बक्का होकर]

वह सब रुपया यों ही बरबाद गया! कम-से-कम कितने रुपये हों तो तुम्हारा काम चल जाय?

रुथ

छः पाउंड। मेरे ख्याल से इतने में काम चल जायगा।

फ़ाल्डर

देखो, हमारे जाने की खबर किसी को न हो।

[मानो कुछ अपने ही आप से]

वहाँ जाकर मैं यह सब भुला देना चाहता हूँ।

रुथ

अगर तुम्हें खेद हो रहा हो, तो रहने दो। मुझे उसके हाथ से मर जाना मंजूर है। परन्तु तुम्हारी मरजी के खिलाफ तुम्हें न ले जाऊँगी।

फ़ाल्डर

[एक अजीब हँसी हँसकर]

हमारा जाना तो रुक नहीं सकता। मुझे परवा नहीं। मैं तो तुम्हें चाहता हूँ।

रुथ

अब भी विचार कर लो, क्योंकि अभी कुछ नहीं बिगड़ा है।

फ़ाल्डर

जो कुछ होना था हो गया। यह लो सात पाउंड। याद रखना टिकट घर के पास—पौने बारह बजे। रुथ यदि मुझे तुमसे प्रेम न होता!

रुथ

मुझे प्यार करो।

[दोनों आवेग के साथ चिपट जाते हैं, ठीक इसी समय कोकसन के आ जाने से वे झट अलग हो जाते हैं। रुथ बाहर के कमरे से होकर चली जाती है। कोकसन गंभीर भाव से सब समझते हुए भी दृढ़ता से धीरे-धीरे जाकर अपनी जगह पर बैठते हैं।

कोकसन

यह बात ठीक नहीं है, फ़ाल्डर।

फ़ाल्डर

फिर ऐसा कभी नहीं होगा।

कोकसन

इस जगह यह बिलकुल मुनासिब नहीं।

फ़ाल्डर

हाँ ठीक है।

कोकसन

तुम खुद समझ सकते हो, मैंने केवल इसीलिए आने दिया कि वह कुछ दुखी थी, और उसके साथ बच्चे थे।

[मेज़ की दराज़ से एक पुस्तक निकालकर देते हुए़]

लो इसे पढ़ना। "घर की पवित्रता" बड़े अच्छे ढंग से लिखी गई है।

फ़ाल्डर

[एक अजीब मुंह बनाकर उसे लेते हुए]

धन्यवाद!

कोकसन

और सुनो फ़ाल्डर, वाल्टर साहब आते ही होंगे। क्या तुमने वह सूची पूरी कर ली जो डेविस जाने से पहिले कर रहा था?

फ़ाल्डर

जी, मैं कल उसे बिलकुल पूरी कर दूँगा। निश्चय।

कोकसन

डेविड को गये एक हफ्ता हो गया। देखो फ़ाल्डर, ऐसे काम नहीं चलेगा। तुम निजके झगड़ों में पड़कर दप्तर के कामों में लापरवाई कर रहे हो। मैं उस औरत के आने की बात तो किसी से न कहूँगा। लेकिन—

फ़ाल्डर

[अपने कमरे में जाते हुए]

बड़ी दया है!

[कोकसन उस दरवाज़े की ओर घूरता है, जिसमें से होकर फ़ाल्डर गया है। फिर एक बार सिर हिलाकर कुछ लिखने के लिए तैयार होता है। उसी समय बाहर कमरे से वाल्टर हो आता है। उसकी उम्र पैंतीस वर्ष की होगी। सूरत भले मानुसों की सी है। आवाज़ मीठी और नम्र है।]

वाल्टर

गुडमार्निंग, कोकसन!

कोकसन

गुडमार्निंग, मिस्टर वाल्टर!

वाल्टर

अब्बा जान?

कोकसन

[बड़प्पन जताते हुए, मानो ऐसे युवक से बातें कर रहा हो, जो अपने काम में जी न लगाता हो]

मिस्टर जेम्स तो ठीक ग्यारह बजे यहाँ आ गए हैं।

वाल्टर

मैं तसवीर देखने गिल्डहाल चला गया था।

कोकसन

[इस प्रकार से उसकी ओर देखते हुए मानो उसने ठीक इसी उत्तर की आशा की हो।]

देख आए आप? हाँ, यह बोल्टर का पट्टा है। क्यों इसे वकील के पास भेज दूं?

वाल्टर

अब्बा जान क्या कहते हैं?

कोकसन

उनसे पूछना व्यर्थ है।

वाल्टर

मगर हमें बहुत होशियार रहना चाहिए।

बिलकुल जरा-सी तो बात है। मुशकिल से मिहनताने भर का भी न होगा। मैं समझता था आप खुद ही इसे कर लेंगे।

वाल्टर

नहीं आप भेज ही दें। मैं ज़िम्मेदारी अपने सिर नहीं लेना चाहता।

कोकसन

[ऐसे दयाभाव से जो शब्दों में नहीं प्रकट किया जा सकता]

जैसी आपकी इच्छा; और यह रास्ते के हक़वाला जो मामला है, उसकी सब लिखा-पढ़ी हो गई है।

वाल्टर

मैं जानता हूँ; लेकिन साफ़-साफ़ तो उनकी मनशा यही मालूम होती है, कि शिरकत की ज़मीन को अलग कर दिया जाय।

कोकसन

हमें इससे क्या मतलब, हम कानून से बाहर नहीं हैं।

वाल्टर

मैं इसे पसंद नहीं करता।

कोकसन

[सद्भाव से मुसकिराकर]

हम कानून के खिलाफ नहीं जा सकते। आपके पिता जी भी ऐसे काम में समय नष्ट करना पसंद न करेंगे।

[ठीक इसी समम जेम्स हो मालिकों के कमरे में से होकर भीतर आते हैं। वह ठिंगने हैं। सफ़ेद गलमुच्छे हैं सिर के बाल घने और सफ़ेद हैं। आँखों से होशियारी टपकती है। सोने का कमानीदार चश्मा नाक पर लगा है।]

जेम्स

गुड मॉर्निंग, वाल्टर!

वाल्टर

आपका मिज़ाज कैसा है, अब्बा जान?

कोकसन

[अपने हाथ के काग़ज़ों को नाक के नीचे से इस प्रकार देखता हुआ, मानो उनके आकार को तुच्छ समझ रहा हो]

मैं बोल्टर के पट्टे को फॉल्डर को दिये आता हूँ कि इस बारे में हिदायत तय्यार कर दे।

[फॉल्डर के कमरे में जाता है।]

वाल्टर

उस रास्ते के हक़वाले मामले में क्या होगा?

जेम्स

हाँ, हमको वहाँ जाना पड़ेगा। मुझे याद आता है तुमने कल कहा था न, कि फर्म का रोकड़ चार सौ के कुछ ऊपर है?

वाल्टर

हाँ, है तो।

जेम्स

[पासबुक बेटे की ओर बढ़ाकर]

तीन–पाँच–एक–और हाल का तो कोई चेक है ही नहीं। जरा वह चेकबुक निकाल तो लाओ।

[वाल्टर एक अलमारी की दराज़ खोलकर चेकबुक लाकर देता है।]

जेम्स

मुसन्नों में पाउंड पर निशान लगाते जाओ। पाँच, चौवन, सात, पाँच, अट्ठाइस, बीस, नव्वे, ग्यारह, बावन, इकहत्तर मिलते हैं न?

वाल्टर

[सिर हिलाकर]

कुछ समझ ही में नहीं आता, मैंने तो अच्छी तरह देख लिया था चार सौ से ऊपर थे।

जेम्स

लाओ मुझे तो दो।

[चेकबुक लेकर मुसन्नों को अच्छी तरह जाँचता है]

देखो तो यह नव्वे कैसा है?

वाल्टर

इसे किसने मँगाया?

जेम्स

तुमने।

वाल्टर

[चेकबुक लेकर]

जुलाई ७ को लिखा गया है? हाँ, उसी दिन मैं ट्रेन्टन का इलाक़ा देखने गया था। शुक्रवार को मैं गया था और मंगलवार को वापस आया था। आपको तो याद होगा। लेकिन देखिए, अब्बा जान, मैंने नौ पाउंड का चेक भुनाया था। पाँच गिन्नी स्मिथर को दिया। बाक़ी सब मेरे ख़र्च में आया। हाँ, केवल आधा क्राउन बचा था।

जेम्स

[गम्भीर भाव से]

उस नब्बे पाउण्डवाले चेक को देखना चाहिए।

[पासबुक के पाकिट में से चेक को ढूँढ निकालता है।]

ठीक तो मालूम होता है। यहाँ नौ तो कहीं नहीं है। कुछ गड़बड़ है। उस नौ पाउंड के चेक को किसने भुनाया था?

वाल्टर

[परेशानी और दुःख के साथ]

लाइए देखूँ, मैं मिसेज़ रेडी की वसीयत लिख रहा था। उतना ही समय मिला था। याद आ गया, हाँ मैंने कोकसन को दिया था।

जेम्स

इन अक्षरों को तो देखो। क्या तुमने लिखा था?

वाल्टर

[विचार कर]

अक्षर पीछे की ओर कुछ घूम जाता है। लेकिन यह तो नहीं घूमता।

जेम्स

[कोकसन उसी समय फ़ॉल्डर के कमरे से निकल कर आता है।]

उससे पूछना चाहिए। कोकसन ज़रा इधर आकर सोचो तो सही। क्या तुम्हें याद है गए शुक्रवार को मिस्टर वाल्टर ने तुम्हें एक चेक भुनाने के लिए दिया था? यह वही दिन है जिस दिन वह ट्रेन्टन गए थे।

कोकसन

हाँ, नौ पाउंड का चेक था।

जेम्स

ज़रा देखो तो इसे!

[चेक उसके हाथ में देता है]

कोकसन

नहीं! नौ पाउंड था, मेरा खाना उसी समय आया था। और मैं गर्म-गर्म खाना पसन्द करता हूँ इस लिये चेक को मैंने डेविस को दे दिया कि जल्दी बैंक चला जाय। वह गया और सब नोट ही नोट लाया था। आपको तो याद होगा, मिस्टर वाल्टर! गाड़ी के भाड़े के लिए आपको कुछ रेज़कारी की दरकार थी।

[कुछ अवज्ञा भरी दया की दृष्टि से]

इधर लाइए ज़रा मैं तो देखूँ। आप शायद ग़लत चेक देख रहे हैं।

[चेकबुक और पासबुक वाल्टर के हाथ से ले लेता है।]

वाल्टर

नहीं, ऐसा नहीं है।

कोकसन

[जाँचकर]

बड़े अचम्भे की बात है।

जेम्स

तुमने डेविस को दिया था, और इधर डेविस सोमवार को आस्ट्रेलिया के लिये रवाना हो गया। दाल में कुछ काला है, कोकसन।

कोकसन

[परेशानी और घबराहट के साथ]

यह तो पक्का जाल है। नहीं-नहीं, जरूर कुछ ग़लती हो रही है।

जेम्स

मेरा भी ऐसा ही ख्याल है।

कोकसन

मुझे यहाँ तीस साल हो गए, पर ऐसा कभी इस दफ़्तर में नहीं हुआ।

जेम्स

[चेक और मुसन्ने को देखते हुए]

किसी बड़े चालाक आदमी का काम है। यह तुम्हारे लिए चेतावनी है वाल्टर, कि अंकों के बाद जगह मत छोड़ा करो।

वाल्टर

[कुछ चिढ़कर]

मैं जानता हूँ, लेकिन उस दिन मैं बड़ी जल्दी में था।

कोकसन

[अकस्मात्]

मेरे तो होश ठिकाने नहीं हैं।

जेम्स

मुसन्ने में भी अंक बदले हुये हैं। बड़ी उस्तादी से माल उड़ाया है। डेविस कौन से जहाज़ से गया है?

कोकसन

'सिटी आफ रंगून' से।

जेम्स

हमें तार देकर उसे नेपल्स में गिरफ़्तार करा देना चाहिए। अभी वहाँ पहुँचा न होगा।

कोकसन

उसकी जवान बीबी का क्या होगा! उस डेविस युवक को मैं बहुत चाहता हूँ। छी! छी ! इस दफ्तर में ऐसी—

वाल्टर

मैं बेंक जाकर ख़ज़ांची से दर्याफ्त करूँ?

जेम्स

[गंभीर भाव से]

उसे यहाँ ले आओ और कोतवाली को भी टेलीफोन करो।

वाल्टर

सचमुच?

[बाहर के कमरे से होकर चला जाता है, जेम्स कमरे में टहलने लगता है। फिर ठहर कर कोकसन की ओर देखता है जो बेचैनी से पाजामे के ऊपर से घुटनों को रगड़ रहा है।]

जेम्स

देखो कोकसन, चाल चलन बड़ी चीज है। है न?

कोकसन

[चश्मे के ऊपर से उसकी ओर देखकर]

मैं आपका ठीक मतलब समझ नहीं सका।

जेम्स

तुम्हारा बयान उसे बिलकुल न जँचेगा, जो तुम्हें नहीं जानता है।

कोकसन

आँ–हाँ।

[वह हंस पड़ता है और फिर यकायक गंभीर होकर कहना है]

मैं उस युवक के लिए बहुत दुःखित हूँ। मिस्टर जेम्स, मुझे अपने लड़के के लिए भी इससे अधिक दुःख न होता।

जेम्स

बुरी बात है।

कोकसन

सब काम ठीक चलता हो वहाँ यकायक ऐसी वारदात हो जाय! आफ़त है और क्या। आज खाना भी न रुचेगा।

जेम्स

ऐं–यहाँ तक नौबत पहुँच गई?

कोकसन

चिंता में डालनेवाली बात है।

[धीरे से]

वह ज़रूर किसी लालच में पड़ गया होगा।

जेम्स

इतनी जल्दी नहीं, कोकसन। अभी उस पर दोष भी तो नहीं साबित हुआ है।

कोकसन

अगर मुझे एक महीने की तनुख़्वाह न मिलती तो मुझे अफ़सोस न होता, मगर यह तो—

[सोचता है]

जेम्स

मैं ख़्याल करता हूँ वह जल्दी पहुँचेगा।

कोकसन

[खजान्ची के लिए सब सामान ठीक कर]

पचास गज़ भी तो नहीं है यहाँ से; अभी एक मिनट में आ पहुँचता है। इस दफ्तर में बेईमानी! यह सोचकर मेरे दिल को चोट लगती है।

[वह मालिकों के कमरे की ओर जाता है]

स्वीडिल

[आहिस्ते से पाकर धीरे-धीरे कोकसन से]

वह फिर आ पहुँची। फ़ाल्डर से शायद कुछ कहना भूल गई है।

कोकसन

[यकायक चौंककर]

हैं? नहीं असंभव है! लौटा दो उसे।

जेम्स

मामला क्या है?

कोकसन

कुछ नहीं मिस्टर जेम्स, एक निजी मामला है। चलो, मैं ख़ुद चलता हूँ।

[जेम्स के मालिक के कमरे में जाते ही, वह बाहर दफ़्तर में जाता है]

देखो अब तुम तंग मत करो, अभी हम किसी से मिल नहीं सकते।

रुथ

क्या एक मिनट के लिए भी नहीं?

कोकसन

नहीं हरगिज़ नहीं! अगर तुम्हें बहुत जरूरी काम हो, तो बाहर ठहरो। अभी थोड़ी देर बाद वह खाना खाने जायगा।

रुथ

जी! बहुत अच्छा।

[वाल्टर खजांची के साथ जाता है, और रुथ के बगल से होकर निकलता है। रुथ भी उसी समय बाहर के कमरे चली जाती है।]

कोकसन

[खज़ांची से, जो देखने में, घुड़सवार पलटन का एक आलसी सिपाही सा मालूम होता था]

गुडमार्निङ्ग!

[वाल्टर से]

आपके अब्बाजान कहाँ हैं?

[वाल्टर मालिकों के कमरे की ओर चला जाता है]

कोकसन

मिस्टर कौली, बात तो छोटी है पर है बड़ी भद्दी। मुझे शर्म आती है कि इसके लिए आपको कष्ट देना पड़ा।

कौली

मुझे वह चेक ख़ूब याद है। उसमें कोई ख़राबी नहीं थी।

कोकसन

ख़ैर, आप बैठिए तो। मैं ऐसा आदमी तो नहीं हूँ कि ज़रा सी बात में घबड़ा जाऊं लेकिन इस तरह का मामला ऐसी जगह में हो जाय, यह तो ठीक नहीं। मैं यह चाहता हूँ कि लोग सच्चे दिल से ख़ुशी ख़ुश काम करें।

कौली

ठीक है।

कोकसन

[बटन पकड़ कर, खींचते हुए और मालिकों के कमरे की ओर देखते हुए।]

मान लिया कि वह अभी बिलकुल ना समझ है, पर मैंने उससे कई बार कहा कि अङ्कों के आगे जगह न छोड़ा करो, पर यह सुनता ही नहीं।

कौली

मुझे उस आदमी की सूरत खूब याद है–बिलकुल जवान था।

कोकसन

पर बात यों है कि शायद उस आदमी को हम आपके आगे पेश न कर सकें।

[जेम्स और बाल्टर अपने कमरे में से बाहर आते हैं।]

जेम्स

गुडमार्निङ्ग, मिस्टर कौली! आपने मुझे और मेरे लड़के को तो देख ही लिया। मिस्टर कोकसन और मेरे आफ़िस के नौकर स्वीडिल को भी आप देख चुके हैं। मैं समझता हूँ, हममें से कोई न था।

[खज़ांची मुसकिरा कर सिर हिलाता है।]

जेम्स

आप कृपा कर बैठिए तो यहाँ, मिस्टर कौली! कोकसन तुम ज़रा तब तक इनसे बातें तो करो।

[फ़ाल्डर के कमरे की ओर जाते हैं।]

कोकसन

जरा एक बात सुनते जाइये, मिस्टर जेम्स।

जेम्स

कहो, कहो।

कोकसन

उस बेचारे को क्यों परेशान करते हैं? वह गरीब तो योंही बात बात में घबड़ा जाता है।

जेम्स

इस मामले को बिलकुल साफ़ कर लेना चाहिए कोकसन। फ़ाल्डर की ही नहीं तुम्हारी भी नेकनामी है इसी में।

कोकसन

[जरा अकड़ कर]

ख़ैर, मेरी तो आप चिन्ता न करें। वह आज सवेरे एक बार हैरान हो चुका है। मैं नहीं चाहता कि उसे दोबारा उलझन में डाला जाय।

जेम्स

यह तो ज़ाब्ते की बात है, लेकिन ऐसे विषय में भलमंसी–की क्या बात है। बहुत संगीन मामला है। जब तक कौली साहब को बातों में लगाइये।

[फ़ाल्डर के कमरे का दरवाज़ा खोलता है।]

बोल्टर के पट्टे की मिसिल तो लाओ फ़ाल्डर।

कोकसन

[झटके के साथ]

आप कुत्ते तो नहीं पालते?

[ख़ज़ाँची दरवाज़े की ओर एक टक देखता रहता है, और कुछ जवाब नहीं देता।]

कोकसन

आपके पास कोई बुलडाक का बच्चा हो, तो एक मुझे दे दीजिए।

[ख़ज़ाँची के चेहरे का रंग देखकर उसका चेहरा उतर जाता है, और वह फ़ाल्डर की ओर मुड़कर देखता है फ़ाल्डर कौली के चेहरे की ओर इस तरह टकटकी लगाए द्वार पर खड़ा है, जैसे ख़रग़ोश साँप की ओर आँखें जमा लेता है।]

फ़ाल्डर

[कागज़ों को लाकर]

जी, ये हैं सब।

जेम्स

[उनको लेकर]

धन्यवाद!

फ़ाल्डर

जी, तो मेरे लिये और कोई काम नहीं है?

जेम्स

नहीं।

[फ़ाल्डर घूमकर अपने कमरे में चला जाता है, जैसे ही वह दरवाज़ा बन्द करता है, जेम्स ख़ज़ाँची की ओर प्रश्न सूचक दृष्टि से देखता है। ख़ज़ाँची सिर हिलाता है।]

जेम्स

यही था? हमें तो यह संदेह न था।

कौली

बिलकुल ठीक, वह भी मुझे पहिचान गया। कमरे से भाग तो नहीं सकता?

कोकसन

[दु:खित होकर]

एक ही खिड़की है नीचे पूरा एक मंजिल और तहखाना।

[फ़ाल्डर के कमरे का दरवाज़ा खुलता है, फ़ाल्डर हाथ में टोपी लिए, बाहरी कमरे के दरवाज़े की तरफ़ जाता है।]

जेम्स

[धीरे से]

कहाँ जाते हो, फ़ाल्डर?

फ़ाल्डर

जी, खाना खाने।

जेम्स

थोड़ी देर और ठहर सकते हो? मुझे तुमसे इस पट्टे के बारे में कुछ कहना है। समझे!

फ़ाल्डर

जी, अच्छा!

[अपने कमरे में वापस जाता है।]

कौली

अगर जरूरत पड़े, तो मैं क़सम खाकर कह सकता हूँ कि इसी आदमी ने चेक भुनाया था। उस दिन सवेरे वही आखिरी चेक था जो खाना खाने के पहिले मैंने लिया था। देखिये मेरे पास उन नोटों के नम्बर भी मौजूद हैं।

[एक कागज़ का पुरज़ा मेज पर रखता है फिर अपनी टोपी घुमाते हुए]

अच्छा, गुडमार्निङ्ग!

जेम्स

गुडमार्निङ्ग, मिस्टर कौली!

कौली

गुडमार्निङ्ग, मिस्टर कोकसन!

कोकसन

[कुछ भौचक्के से होकर]

गुडमार्निङ्ग!

[ख़ज़ाँची बाहर के आफिस घर से होकर जाता है, कोकसन अपनी कुर्सी पर इस भाँति बैठ जाता है, मानो इस परेशानी में उसे सिर्फ़ कुर्सी ही का सहारा है।]

वाल्टर

आप अब क्या करना चाहते हैं?

जेम्स

उसे यहाँ बुलाओ, चेक और मुसन्ना मुझे दे दो।

कोकसन

आखिर यह बात क्या है; मैंने तो समझा था, यह डेविस–

जेम्स

अभी सब मालूम हुआ जाता है।

वाल्टर

ठहरिए, क्या आपने अच्छी तरह सोच लिया है?

जेम्स

बुलाओ उसको अन्दर।

कोकसन

[मुशकिल से उठकर फ़ाल्डर के कमरे का दरवाज़ा खोलकर भारी स्वर से]

जरा यहाँ तो आना।

[फ़ाल्डर आता है]

फ़ाल्डर

[शान्त भाव से]

जी, हाजिर हूँ।

जेम्स

[अचानक उसकी ओर मुड़कर चेक को उसकी ओर बढ़ाते हुए]

तुम इस चेक को पहिचानते हो, फाल्डर?

फ़ाल्डर

जी नहीं!

जेम्स

अच्छी तरह देखो तो इसे, तुमने पिछले शुक्रवार को इसे भुनाया था।

फ़ाल्डर

हाँ, जी हाँ! यह वही है, जिसे डेविस ने मुझे दिया था।

जेम्स

मुझे मालूम है और तुमने डेविस को रुपए दिए थे?

फ़ाल्डर

जी हाँ!

जेम्स

जब डेविस ने तुमको यह चेक दिया था तब क्या यह ठीक ऐसा ही था?

फ़ाल्डर

जी हाँ, मेरा तो यही खयाल है।

जेम्स

क्या तुम्हें मालूम है कि मिस्टर वाल्टर ने केवल ९ पाउंड का चेक लिखा था?

फ़ाल्डर

जी नहीं, नब्बे का।

जेम्स

नहीं, फ़ाल्डर, सिर्फ़ नौ का।

फ़ाल्डर

[घबड़ा कर]

मैंने समझा नहीं।

जेम्स

मतलब यह है कि इस चेक में फेर फ़ार किया गया है। अब सवाल यह है कि तुमने किया या डेविस ने!

फ़ाल्डर

मैंने–मैंने?

जेम्स

समझ कर जवाब दो, सोच लो।

फ़ाल्डर

[समझकर]

जी नहीं, मुझसे यह काम नहीं हुआ।

जेम्स

मिस्टर वाल्टर ने कोकसन को चेक दिया था। उसी समय कोकसन का खाना आया था। उस समय ज़रूर एक बजा होगा।

कोकसन

हाँ, इसीलिए तो मैं जा नहीं सका।

जेम्स

ठीक है, इसीलिए कोकसन ने डेविस को चेक दे दिया। तुमने सवा बजे चेक भुनाया था। यह ऐसे पता चलता है कि ख़ज़ांची ने खाना न खाने के पहिले इसी चेक के रुपए दिए थे।

फ़ाल्डर

जी हाँ, डेविस ने मुझे इस लिये चेक दिया था कि उसके कुछ मित्र उसे एक दावत दे रहे थे।

जेम्स

[सिटपिटा कर]

तो तुम डेविस पर दोष लगाते हो?

फ़ाल्डर

यह मैं कैसे कह सकता हूँ? बड़े अचरज की बात है!

[वाल्टर अपने बाप के बिलकुल पास जाकर कान में कुछ कहता है]

जेम्स

फिर शनिवार के बाद तो डेविस यहाँ नहीं आया न?

कोकसन

[किसी प्रकार इस युवक को सहारा देने की इच्छा से और इस बात के टलने की झलक की तनिक आशा पाकर।]

नहीं, वह सोमवार को चला गया।

जेम्स

वह यहाँ आया तो नहीं था? क्यों फ़ाल्डर?

फ़ाल्डर

[बहुत धीमे स्वर से]

जी नहीं।

जेम्स

बहुत अच्छा, तब तुम इस बात का क्या जवाब देते हो कि मुसन्ना में नौ के बाद सिफ़र मंगल के दिन या उसके बाद जोड़ा गया।

[आश्चर्य से]

यह क्या?

[फ़ाल्डर का सिर चकराने लगता है, बड़ी कठिनाई के साथ वह अपने को सँभालता है। मगर उसकी हालत बुरी हो जाती है।]

जेम्स

[बहुत गंभीर होकर]

कोकसन, बात पकड़ गई न! चेकबुक मिस्टर वाल्टर की जेब में मंगलवार तक था। क्योंकि उसी दिन सवेरे वे ट्रेन्टन से लौटे हैं। क्या अब भी तुम इनकार करते हो फ़ाल्डर तुमने चेक और मुसन्ने को नहीं बदला?

फ़ाल्डर

जी नहीं, जी नहीं, हो साहब। जी हाँ, मैंने ही यह काम किया है।

कोकसन

[दुःख के आवेश में]

छी! छी! ऐसा काम किया तुमने?

फ़ाल्डर

साहब, मुझे रुपए की बड़ी सख्त जरूरत थी। मुझे ध्यान ही न रहा कि मैं क्या कर रहा हूँ।

कोकसन

तुम्हारे दिमाग़ में यह बात आई कैसे?

फ़ाल्डर

[उसकी बातों का मतलब समझकर]

मैं कुछ नहीं कह सकता, साहब, एक मिनट के लिए मैं पागल हो गया था।

जेम्स

तुम्हारा मिनट बहुत लम्बा होता है, फ़ाल्डर।

[मुसन्ने को ठोंकते हुए]

कम से कम चार दिन का।

फ़ाल्डर

हुजूर मैं क़सम खाता हूँ मुझे बिलकुल ख़्याल न था कि मैं क्या कर रहा हूँ। जब कर चुका तब होश आया। मेरी इतनी हिम्मत न हुई कि कह दूँ। भूल जाइए, साहब, मेरी इस दुर्बलता को, मैं सब रुपए वापस कर दूँगा मैं वादा करता हूँ।

जेम्स

अपने कमरे में जाओ।

[फ़ाल्डर करुणाजनक दृष्टि से देखकर अपने कमरे में चला जाता है। सन्नाटा छा जाता है।]

इससे बुरा मामला और क्या हो सकता है?

कोकसन

ऐसी सीनाज़ोरी और यहाँ!

वाल्टर

अब क्या करना चाहिए?

जेम्स

और कुछ नहीं, मुक़दमा चलाइये।

वाल्टर

मगर यह इसका पहिला क़सूर है।

जेम्स

[सिर हिलाकर]

मुझे इसमें बहुत सन्देह है। कितनी सफाई के साथ हाथ मारा है!

कोकसन

मैं तो समझता हूँ इसे किसी ने मोह में डाल दिया।

जेम्स

जीवन भारी मोह के सिवा और है क्या?

कोकसन

हाँ, यह तो ठीक है लेकिन मैं काया और कामिनी की बात कर रहा हूँ, मिस्टर जेम्स! उससे मिलने के लिए आज ही एक औरत आई थी।

वाल्टर

वही औरत जो आते वक्त हमारे सामने से निकली थी। क्या वह इसकी बीबी है?

कोकसन

नहीं, कोई रिश्ता नहीं।

[आँखें मटकाना चाहता है, पर समय का विचार करके रुक जाता है।]

हाँ, विवाहिता है।

वाल्टर

आपको कैसे मालूम?

कोकसन

अपने बच्चों को साथ लाई थी।

[विरक्ति के साथ]

वे दफ्तर के बाहर थे।

जेम्स

तब तो पक्का शोहदा है।

वाल्टर

मेरे ख़्याल से उसे इस बार क्षमा कर देनी चाहिए।

जेम्स

जिस कमीनापन से उसने यह काम किया है, उससे तो मैं क्षमा नहीं कर सकता। वह समझे बैठा था, कि अगर बात खुल गई, तो हमारा संदेह डेविस पर होगा। यह बिलकुल इत्तिफ़ाक़ था कि चेकबुक तुम्हारी जेब में पड़ी रह गई।

वाल्टर

ज़रूर किसी क्षणिक मोह में पड़ गया था। उसको सोचने का वक्त़ नहीं मिला।

जेम्स

कोई ईमानदार और साफ़दिल आदमी एक मिनट के अन्दर ऐसे मोह में नहीं पड़ जाता। उसका कोई ठिकाना नहीं है। रुपए के मामले में अपनी नीयत को साफ रखने की शक्ति उसमें नहीं है।

वाल्टर

[रूखे स्वर से]

लेकिन पहिले कभी उसने ऐसा नहीं किया।

जेम्स

[उसकी बात को अनसुनी करके]

अपने समय में मैंने ऐसे बहुत आदमी देखे हैं। इसके सिवा कोई उपाय नहीं कि उन्हें हानि के पथ से दूर रक्खा जाय। उनकी आँखें नहीं होती।

वाल्टर

उसे सख़्त क़ैद की सज़ा हो जायगी।

कोकसन

जेल बड़ी बुरी जगह है!

जेम्स

[हिचकता हुआ]

समझ में नहीं आता, उसे कैसे छोड़ दिया जा सकता है। इस दफ़्तर में उसे रखने का तो अब कोई सवाल ही नहीं। लेकिन ईमान ही मनुष्य का सब से बड़ा गुण है।

कोकसन

[मंत्रमुग्ध की भाँति]

इसमें क्या शक।

जेम्स

वैसे ही उसे हम उन लोगों के बीच में नहीं छोड़ सकते जो उसके चाल चलन को नहीं जानते। समाज की ओर भी हमारा कुछ कर्त्तव्य है।

लेकिन उस पर इस तरह तो दाग़ लगा देना अच्छा नहीं।

जेम्स

अगर चकमा देने की कोशिश न करता, तो मैं उसे क्षमा कर देता। लेकिन उसने अपराध पर अपराध किया है। आवारा है।

कोकसन

मैं यह नहीं कहता, परिस्थितियों पर विचार करके उसका अपराध हलका हो जाता है।

जेम्स

एक ही बात है, उसने खूब दाव घात लगाई, और मालिकों की आँखों में धूल झोंकी, और एक निर्दोषी आदमी के सिर अपराध मढ़ दिया। अगर ऐसा मामला भी क़ानून के लायक न हो, तो कौन होगा।

वाल्टर

फिर भी उसकी सारी ज़िन्दगी की ओर देखिए।

जेम्स

[चुटकी लेते हुए]

अगर तुम्हारी चले तो कोई अभियोग ही न चले।

वाल्टर

[मुँह सिकोड़ कर]

मैं ऐसी बातों से नफ़रत करता हूँ।

कोकसन

हमें तो सिर्फ अपने बचाव से मतलब।

जेम्स

ऐसी बातों से कोई फ़यदा नहीं।

[अपने कमरे की ओर बढ़ता है।]

वाल्टर

थोड़ी देर के लिए, आप अपने को उसकी जगह पर रखिए, पिताजी!

जेम्स

यह मेरे बस की बात नहीं।

वाल्टर

हमें क्या मालूम कि उसके ऊपर क्या संकट पड़ा था।

जेम्स

यह समझ लो वाल्टर, कि जो आदमी ऐसा करना चाहता है, वह करेगा, चाहे संकट हो या न हो। अगर न करना चाहे, तो कोई उसको मजबूर नहीं कर सकता।

वाल्टर

वह आगे ऐसा काम नहीं करेगा।

कोकसन

अच्छा, मैं अभी उससे इस बारे में बातें करता हूँ। उस बेचारे पर सख़्ती न करनी चाहिए।

जेम्स

अब जाने दो, कोकसन! मैंने इरादा पक्का कर लिया है।

[अपने कमरे में चला जाता है।]

कोकसन

[थोड़ी देर संदेह के साथ कुछ सोचकर]

तुम्हारे पिता का कोई विशेष दोष नहीं हैं अगर वह यही उचित समझते हैं, तो मैं उनका हाथ न पकड़ूँगा।

वाल्टर

हटो भी कोकसन, तुम मेरी बात पर जोर क्यों नहीं देते। उस पर दया तो आती है।

कोकसन

[ग़रूर से]

मैं नहीं कह सकता मुझे दया आ रही है, या नहीं।

वाल्टर

हमें पछताना पड़ेगा।

कोकसन

उसने जान बूझकर यह काम किया है।

वाल्टर

दया खींचतान से नहीं आती।

कोकसन

[प्रश्नसूचक दृष्टि से उसकी ओर देखकर]

नाराज़ न हो हमें सोच समझकर काम करना चाहिए।

स्वीडिल

[तश्तरी में खाना लाकर]

आपका खाना, हुज़ूर।

कोकसन

रखो।

[स्वीडिल ख़ाना मेज़ पर रखता है, ठीक इसी समय जासूस विस्टर बाहर के कमरे में आता है। और वहाँ किसी को न देखकर भीतर चला पाता है। वह मोटा आदमी है क़द मामूली, मूछें मुड़ी हुई, नीले रंग का टिकाऊ सूट पहिने है। मज़बूत बूट पैर में है।

विस्टर

[वाल्टर से]

मैं स्कॉटलैंड यार्ड के थाने से आ रहा हूँ। मेरा नाम डिटेक्टिव सार्जेंट विस्टर है।

वाल्टर

[प्रश्नसूचक दृष्टि से देखता हुआ]

बहुत अच्छा, मैं अपने पिता को ख़बर देता हूँ।

[वह मालिकोंवाले कमरे में जाता है, जेम्स आता है।]

जेम्स

गुडमार्निंग!

[कोकसन से जो उसकी ओर करुणा भरी दृष्टि से देखता है।]

मुझे अफसोस है कि मैं मान नहीं सकता। मुझे ऐसा करना ही पड़ेगा। उस दरवाज़े को खोलो।

इधर आओ, फ़ाल्डर।

[जैसे ही फ़ाल्डर झिझकता हुआ बाहर निकालता है, डिटेक्टिव जेम्स का इशारा पाकर उसकी बाहों को पकड़ लेता है।]

फ़ाल्डर

[सिकुड़ते हुए]

नहीं-नहीं-नहीं-नहीं!

विस्टर

बस! बस! तुम तो समझदार आदमी हो ।

जेम्स

मैं इस पर चोरी करने का जुर्म लगाता हूँ।

फ़ाल्डर

हुजूर, दया कीजिए एक औरत है जिसके लिये मैंने यह काम किया। मुझे कल तक के लिए छोड़ दीजिए।

[जेम्स हाथ का इशारा करता है। उसके उस निष्ठुर भाव को देखकर फ़ाल्डर निश्चल हो जाता है। फिर धीरे-धीरे मुड़कर अपने को डिटेक्टिव के हाथ में दे देता है। जेम्स कठोर और गंभीर होकर पीछे-पीछे चलता है। स्वीडिल लपक कर द्वार खोलता है, और उनके पीछे बाहर के कमरे से दालान तक जाता है, जब वे सब चले जाते हैं कोकसन एक बार चारों ओर घूमकर बाहर के कमरे की ओर दौड़ता है।]

कोकसन

[अधीर होकर]

सुनो, सुनो! ये सब हम क्या कर रहे हैं?

[चारों ओर सन्नाटा छा जाता है, वह अपना रूमाल निकालकर मुँह पर से पसीना पोंछता है। फिर अपनी मेज़ के पास अंधे की तरह आकर बैठ जाता है। और खाने की ओर उदास भाव से देखता है।]

[पर्दा गिरता है।]

न्याय (नाटक) : अङ्क दूसरा : दृश्य १

न्यायालय। अक्टूबर महीने का तीसरा पहर, चारों ओर कुहरा छाया हुआ है। कचहरी में बारिस्टर, वकील, सम्वाद-दाता, चपरासी, जूरियों से ठसाठस भरा है। एक बड़े मज़बूत कठघरे में फ़ाल्डर है। उसके दोनों तरफ़ दो सिपाही निगरानी के लिए खड़े हैं, मानो उनकी उसपर कुछ विशेष दृष्टि नहीं है। फ़ाल्डर ठीक जज के सामने बैठा है। जज एक ऊँची जगह पर बैठा है। उसका भी ध्यान किसी ख़ास चीज़ पर नहीं है। सरकारी वकील हेरोल्ड क्लीवर दुबला, और पीला आदमी है। उम्र अधेड़ से कुछ अधिक है। सिर पर एक नक़ली बाल लगाए बैठा है, जिसका रंग उसके चेहरे के रंग से मिलता-जुलता है। वादी का वकील हेक्टर फ्रोम जवान और लम्बे कद का है। मूँछ और दाढ़ी साफ़ है। एक सफ़ेद नक़ली बाल सिर पर पहिने है। दर्शकों में जेम्स और मिस्टर होम बैठे हैं उनकी गवाही हो चुकी है। कोकसन और ख़ज़ांची भी बैठे हैं। विस्टर गवाही के कटघरे से उतर रहा है।

क्लीवर

यह सरकारी मुक़दमा है हुज़ूर।

[अपने कपड़ों को सँभालकर बैठता है]

फ़्रोम

[अपनी जगह से उठता हुआ, जज को सलाम करके]

हुज़ूर जज और जूरी के सदस्य गण! मैं इस यथार्थ बात को अस्वीकार नहीं करता कि अभियुक्त ने चेक के अंकों को बदला था। मैं आपके सम्मुख इस बात का प्रमाण दूँगा कि उस समय अभियुक्त की मानसिक अवस्था कैसी थी, और आपकी सेवा में निवेदन करूँगा, कि उस समय उसे उसका ज़िम्मेदार समझने में आप उसके साथ अन्याय करेंगे, वास्तव में अभियुक्त ने यह काम चित्त की अव्यवस्थित दशा में किया जो क्षणिक उन्माद के समान था। इसका कारण वह भीषण समस्या थी, जो उसपर आ पड़ी थी। महोदयो! अभियुक्त की उम्र केवल तेइस वर्ष की है। मैं अभी एक औरत को यहाँ पेश करता हूँ जिसके बयान से आपको मालूम हो जायगा, कि अभियुक्त ने यह काम क्यों किया। आप स्वयं उसके मुख से उसके जीवन की करुण-कथा और इससे भी करुण प्रेम-वृत्तान्त सुनेंगे, जो अभियुक्त के हृदय में उसने जागृति की थी। महाशय गण! वह और अपने पति के साथ बड़ी बुरी अवस्था में रहती है। पति बराबर उसके साथ अत्याचार करता है। यहाँ तक कि उस बेचारी को डर है कि वह उसे मार तक न डाले। इस समय मेरे कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि किसी नवयुवक के लिए किसी की विवाहिता स्त्री से प्रेम करना प्रशंसनीय या उचित है अथवा उसको यह अधिकार है कि वह उस स्त्री की उसके पिशाच पति से रक्षा करे। परन्तु हम सब को मालूम है, कि प्रेम आदमी से क्या क्या नहीं करा सकता। महोदयो! मैं आपसे कहता हूँ कि उस औरत का बयान सुनते समय आप इस बात पर ध्यान रखें, कि एक निर्दय और अत्याचारी व्यक्ति से विवाह होने के कारण वह उसके हाथ से छुटकारा नहीं पा सकती। क्योंकि विवाह-विच्छेद कराने के लिए मार पीट के सिवा किसी और दोष का दिखाना ज़रूरी है जो शायद उसके पति में नहीं है।

जज

क्या इन बातों का भी अभियोग से कोई सम्बन्ध है, मिस्टर फ़्रोम?

फ़्रोम

हुज़ूर, मैं अभी यह आपको साबित करूँगा।

जज

बहुत अच्छा।

फ़्रोम

इस प्रकार की अवस्था में वह और क्या कर सकती थी। उसके लिए और कौनसा रास्ता खुला था? या तो वह अपने शराबी पति के साथ रह कर अत्याचारों को चुपचाप सहती अथवा अदालत के जरिए विवाह-विच्छेद कराती। लेकिन महाशय गण! अपने अनुभवों से मैं कह सकता हूँ कि अदालत की शरण लेकर भी अपने पति के अत्याचारों से बचना कठिन था। और किसी तरह वह बच भी जाती, तो सिवा किसी कारख़ाने में जाने या सड़क पर मारे-मारे फिरने के और कुछ भी नहीं कर सकती थी। क्योंकि कोई काम न जानने वाली औरत के लिए अपना और अपने बच्चों का पालन करना आसान काम नहीं। यह अब उसे मालूम हो रहा है। या तो वह सरकारी ख़ैरात-ख़ाने में जाती या अपनी लाज बेचती।

जज

आप अपने विषय से बहुत दूर चले गए, मिस्टर फ़्रोम।

फ़्रोम

मैं एक मिनट के अन्दर अपना आशय बतला दूँगा, हुज़ूर।

जज

खैर, कहो।

फ़्रोम

महोदय! विचार कीजिए। यह औरत स्वयं आएको ये बातें बतायेगी और अभियुक्त भी उसका समर्थन करेगा, कि ऐसी अवस्थाओं में पड़कर उसने अपने उद्धार की सारी आशाएँ उसपर छोड़ दीं। क्योंकि इस युवक के हृदय में उसने जो भाव उत्पन्न किए थे, उससे वह अपरिचित न थी। इस विपत्ति से बचने के लिए, उसे इसके सिवा और कोई मार्ग दिखाई न दिया कि किसी दूर देश में जाकर, जहाँ उन्हें कोई न पहिचाने, वे पति पत्नि की तरह रहें। बस यही उनका अंतिम और, जैसा निस्संदेह मेरे मित्र मिस्टर क्लेवर कहेंगे, अविचार पूर्ण निर्णय था। परन्तु यह सच्ची बात है कि दोनों का मन इसीपर तुला हुआ था। एक अपराध से बचने के लिए दूसरा अपराध करना अच्छी बात नहीं। और जिनके लिए ऐसी अवस्था में पड़ने की संभावना नहीं है, वे शायद मेरी बातों पर चौंक उठेंगे। परंतु मैं उनका उत्तर देना नहीं चाहता, महोदय, चाहे आप इनके इस कार्य को किसी भी दृष्टि से देखें, चाहे इस दशा में पड़कर इन दोनों को क़ानून के हाथ में ले लेना आपको उचित मालूम हो या अनुचित पर बात यह अवश्य ठीक है। आफ़त की मारी हुई यह बेचारी औरत और उसको जान से चाहने वाला यह अभियुक्त जो बालक से कुछ ही अधिक उम्न का होगा, इन दोनों ने एक साथ किसी दूर देश में जाने का निश्चय कर लिया अब इसके लिए इनको रुपए की आवश्यकता भी थी। परन्तु इनके पास रुपया नहीं था। अब सातवीं जुलाई की घटनाओं के विषय में, जिस दिन चेक पर का अंक बदला गया था, और जिन घटनाओं से मैं यह सिद्ध करना चाहता हूँ कि अभियुक्त इस कार्य के लिए ज़िम्मेदार नहीं था, ये बातें आप गवाहों के मुख से ही सुनेंगे। राबर्ट कोकसन।

[एक बार चारों ओर घूम पड़ता है फिर सादा कागज़ हाथ में लेकर इन्तज़ार करता है]

[कोकसन की पुकार होती है, वह आकर गवाहों के कटघरे में जाता है, टोपी को अपने सामने पकड़े रहता है, उसे हलफ़ दी जाती है।]

फ़्रोम

आपका नाम क्या है?

कोकसन

राबर्ट कोकसन।

फ़्रोम

क्या आप उस आफ़िस के मैनेजिंग क्लर्क हैं जिसमें अभियुक्त नौकर था?

कोकसन

हाँ

फ़्रोम

अभियुक्त उनके यहाँ कितने दिनों से काम कर रहा है?

कोकसन

दो साल से। नहीं–मैं भूल रहा हूँ–हाँ– बस १७ दिन कम दो साल।

फ़्रोम

ठीक है, अच्छा मिहरबानी करके यह बतलाइए, कि दो साल में आपने उसका चालचलन कैसा पाया है?

कोकसन

[मानो इस प्रश्न से कुछ तअज्जुब हुआ हो, वह धीरे से जूरी से कहता है।]

वह बहुत अच्छा और शरीफ़ आदमी था। मैंने कभी उसका कोई दोष नहीं देखा। मुझे तो बड़ा आश्चर्य हुआ था, जब उसने ऐसी हरकत की।

फ़्रोम

क्या कभी उसने ऐसा मौका दिया था, जिससे उसकी ईमानदारी पर आपको संदेह हुआ हो?

कोकसन

नहीं, हमारे दफ़्तर में बेईमानी! नहीं, ऐसा कभी नहीं हुआ।

फ़्रोम

मुझे विश्वास है, मिस्टर कोकसन कि जूरी महोदय गण आपकी बात को ध्यान से सुन रहे हैं।

कोकसन

हर एक रोज़गारी आदमी जानता है कि कारबार में ईमानदारी ही सब कुछ है।

फ़्रोम

क्या आप उसके चाल चलन की तारीफ़ कर सकते हैं?

कोकसन

[जज की ओर मुड़कर]

बेशक! हमेशा से हम लोग सब बहुत अच्छी तरह आनंद पूर्वक रहते थे। उसे सुनकर मेरे तो होश उड़ गए।

फ़्रोम

अच्छा, अब सातवीं जुलाई का दिन याद कीजिए। जिस दिन कि यह चेक बदला गया था। उस दिन उसके चित्त की क्या दशा थी?

कोकसन

[जूरियों से]

यदि मुझसे पूछो, तो मैं कहूँगा, कि उस समय उसका चित्त ठिकाने नहीं था।

जज

[तीव्र स्वर में]

क्या तुम्हारा मतलब है कि वह पागल था?

कोकसन

परेशान था।

जज

ज़रा साफ़-साफ़ कहो।

फ़्रोम

[नम्रता के साथ]

कहिए, मिस्टर कोकसन।

कोकसन

[कुछ चिढ़कर]

मेरी राय में–

[जज की ओर देखकर]

वह जैसी कुछ भी हो। वह कुछ डावांडोल सा था अवश्य जूरीगण मेरे मतलब को समझ गए होंगे।

फ़्रोम

क्या आप कह सकते हैं कि आपने यह राय कैसे क़ायम की,

कोकसन

हाँ! मैं कह सकता हूँ, मैं होटल से खाना मँगवाता हूँ। थोड़ा सा कबाब और आलू। इससे वक्त की बहुत बचत होती है। हाँ जब मेरा खाना आया मिस्टर वाल्टर हो ने मुझे वह चेक भुनाने के लिए दिया। इधर अगर मैं उस समय जाऊँ, तो खाना ठंढा हुआ जाता है, और फिर ठंढा खाना किस काम का। यह तो आप समझ ही सकते हैं। हाँ, तो बस मैं क्लर्कों के कमरे में गया, और दूसरे क्लर्क डेविस को मैंने वह चेक भुना लाने को दे दिया। मैंने उस समय फ़ाल्डर को कमरे में टहलते देखा, मैंने उससे कहा भी था "फ़ाल्डर यह चिड़ियाघर नहीं है।"

फ़्रोम

क्या आपको याद है उसने इसका क्या जवाब दिया?

कोकसन

हाँ, उसने कहा "ईश्वर इसे चिड़ियाघर बना देता तो अच्छा होता।" मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ।

फ़्रोम

और भी आपने कोई विशेष बात देखी?

कोकसन

हाँ, देखा था।

फ़्रोम

वह क्या?

कोकसन

उसके गले का बटन खुला हुआ था। मैं हमेशा चाहता हूँ कि लोग साफ़ और क़ायदे से रहें। मैंने उससे कहा तुम्हारे कालर का बटन खुला है ।

फ़्रोम

उसने आपकी बात का क्या जवाब दिया था।

कोकसन

उसने मुझे घूरकर देखा, यह बेअदबी थी।

जज

तुम्हें घूर कर देखा था? क्या यह एक बहुत मामूली बात नहीं है?

कोकसन

हाँ, लेकिन उसका देखना कुछ ... मैं ठीक बयान नहीं कर सकता एक अजीब तरह का था।

फ़्रोम

क्या आपने कभी ऐसी दृष्टि उसकी आँखों से आगे नहीं देखी थी?

कोकसन

नहीं। अगर देखता, तो मैं मालिकों से उसकी शिकायत कर देता! हम ऐसे झक्की आदमी को अपने यहाँ नहीं रखते।

क्या तुमने इस बात की शिकायत अपने मालिकों से की थी?

कोकसन

[आहिस्ते से]

बिना किसी पक्के सबूत के मैं उनको कष्ट देना उचित नहीं समझता।

फ़्रोम

लेकिन आप पर इस बात का खास असर पड़ा था?

कोकसन

इसमें क्या शक! डेविस अगर यहाँ होता, तो वह भी यही कहता।

फ़्रोम

अफसोस है कि वह यहाँ नहीं है। खैर, अब आप उस दिन की बात याद कर सकते हैं। जिस दिन वह जाल पकड़ा गया। क्या उस दिन कोई ख़ास बात हुई थी? वह १८ तारीख़ थी।

कोकसन

[कान पर हाथ रखकर]

मैं कुछ कम सुनता हूँ।

फ़्रोम

जिस दिन आपको इस जाल की बात मालूम हुई उस दिन उसके पहिले कोई ऐसी घटना हुई थी, जिससे आपका ध्यान आकर्षित हुआ हो?

कोकसन

हाँ, एक औरत।

जज

इस बात से इसका क्या संबन्ध है, मिस्टर फ़्रोम?

फ़्रोम

हुज़ूर, मैं कोशिश कर रहा हूँ जिससे मालूम हो जाय कि अभियुक्त ने यह काम किस प्रकार की मानसिक अवस्था में किया है।

जज

ठीक है, यह मैं समझता हूँ। लेकिन आप जो पूछ रहे हैं, वह इसके बहुत बाद की बात है।

फ़्रोम

हाँ हुज़ूर! लेकिन यह मेरे कथन को पुष्ट करती है।

जज

ठीक है।

फ़्रोम

आपने क्या कहा? एक औरत? तो क्या वह दस्तर में आई थी?

कोकसन

हाँ!

फ़्रोम

किस लिये?

कोकसन

फ़ाल्डर से मिलने के लिए। वह उस समय मौजूद नहीं था।

फ़्रोम

उसे आपने देखा था?

कोकसन

हाँ! देखा था।

फ़्रोम

क्या वह अकेली आई थी?

कोकसन

[दृढ़ता से]

आप मुझे मुश्किल में डाल रहे हैं। चपरासी ने जो कुछ कहा था वह बयान करते हुए मुझे संकोच होता है।

फ़्रोम

ठीक है, मिस्टर कोकसन, ठीक है!

कोकसन

[अकस्मात् इस भाव से जैसे कहता हो तुम इन बातों को क्या समझो, अभी बच्चे हो, मैं कहता हूँ।]

फिर भी दूसरी तरह समझा देता हूँ। एक आदमी के किसी प्रश्न के उत्तर में उस औरत ने जवाब दिया था, वे मेरे हैं, महाशय।

जज

वे क्या थे? कौन थे?

कोकसन

उसके बच्चे बाहर थे।

जज

आपको कैसे मालूम?

कोकसन

हुज़ूर! मुझसे यह बात न पूछे, वरना मुझे सब माजरा कहना पड़ेगा। यह ठीक नहीं है।

जज

[मुसकिराते हुए]

दफ़्तर के चपरासी ने आप से सब माजरा कह दिया।

कोकसन

जी हाँ! जी हाँ!

फ़्रोम

खैर, मैं जो पूछना चाहता हूँ, मिस्टर कोकसन, वह यह है, कि जब वह औरत मिस्टर फ़ाल्डर से मिलने के लिए आग्रह कर रही थी, उस समय उसने कोई ऐसी बात कही थी, जो आपको खास तौर से याद हो।

कोकसन

[उसकी ओर इस तरह से देखता हुना मानो उसे उस वाक्य को पूरा करने के लिए उत्साहित कर रहा हो]

हाँ, कुछ और कह रहा था।

फ़्रोम

या उसने कुछ नहीं कहा था।

कोकसन

नहीं कहा था। लेकिन मैं इस प्रश्न का उत्तर देना ठीक नहीं समझता।

फ़्रोम

[चिढ़ से मुसकिराकर]

क्या आप जूरी से भी नहीं कह सकते?

कोकसन

जीने मरने का सवाल है।

जूरी का मुखिया

क्या आपका मतलब है कि उस औरत ने यह कहा था?

कोकसन

[सिर हिलाकर]

यह ऐसी बात है जो आप सुनना पसन्द न करेंगे।

फ़्रोम

[बेसब्र होकर]

क्या फ़ाल्डर उस औरत के सामने ही आ गया था?

[कोकसन सिर हिलाता है]

और वह उससे भेंट करके चली गई?

कोकसन

ऐ! मैंने ठीक समझा नहीं, मैंने उसे जाते नहीं देखा।

फ़्रोम

तो क्या वह अब भी वहीं है?

कोकसन

[प्रसन्नता से मुसकिराकर]

नहीं!

फ़्रोम

धन्यवाद, मिस्टर कोकसन।

[वह बैठता है]

क्लीवर

[उठकर]

आपने कहा कि जाल के दिन अभियुक्त कुछ विचलित सा था। उसके मानी क्या, महाशय?

कोकसन

[नर्मी से]

यह आपको खुद समझ लेना चाहिए, आपने कोई ऐसा कुत्ता देखा है–कुत्ता जो अपने मालिक से भटक गया हो–उस समय वह चारों ओर निगाह दौड़ाता है?

क्लीवर

ठीक, मैं भी आँखों की बात पूछनेवाला था! आपने कहा, उसकी दृष्टि कुछ अजीब थी। अजीब से आपका क्या मतलब है? विचित्र या कुछ और?

कोकसन

हाँ, अजीब सी!

क्लीवर

खैर, आपने कहा उसके गले का बटन खुला हुआ था। क्या उस दिन बहुत गर्मी थी?

कोकसन

हाँ, शायद थी तो।

क्लीवर

जब आपने उससे कहा, तो क्या उसने बटन लगा लिया?

कोकसन

हाँ, शायद लगा लिया।

क्लीवर

क्या इससे यह मालूम होता है कि उसका दिमाग़ ठीक नहीं था?

[कोकसन जवाब देने को मुँह खोलकर ही रह जाता है। क्लीवर बैठ जाता है।]

फ़्रोम

[जल्दी से उठकर]

क्या आपने कभी पहिले भी उसे ऐसे अस्तव्यस्त देखा था?

कोकसन

नहीं, वह हमेशा शांत और साफ़ रहता था।

फ़्रोम

बस, उतना काफ़ी है।

[कोकसन जज की ओर घूमकर इस प्रकार से देखता है मानो वकील भूल गया हो कि जज भी कुछ पूछेगा। फिर जब समझ जाता है कि जज कुछ नहीं पूछेगा तो उतर कर जेम्स और वाल्टर के बग़ल में बैठ जाता है।]

फ़्रोम

रुथ हनीविल।

[रुथ हनीविल अदालत में आकर गवाहों के कटघरे में स्थिरभाव से शांत खड़ी होती है, उसका चेहरा मुरझाया हुआ है।

फ़्रोम

नाम क्या है?

रुथ

रुथ हनीविल।

फ़्रोम

उमर?

रुथ

छब्बीस साल।

फ़्रोम

आपकी शादी हो चुकी है? अपने पति के साथ रहती हैं? ज़रा ज़ोर से बोलिए।

रुथ

नहीं, जुलाई से उनके साथ नहीं रहती।

फ़्रोम

आपके बाल बच्चे हैं?

रुथ

जी हाँ! दो हैं।

फ़्रोम

क्या वे आपके साथ रहते हैं?

रुथ

जी हाँ!

फ़्रोम

क्या आप अभियुक्त को जानती हैं?

रुथ

[उसकी ओर देखकर]

हाँ!

फ़्रोम

आपके साथ उसका किस प्रकार का संबंध था?

रुथ

मित्र का।

जज

मित्र!

रुथ

[भोलेपन से]

जी हाँ, प्रेमी!

जज

[तीव्र स्वर से]

किस मानी में?

रुथ

हम दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं।

जज

ठीक है! लेकिन—

रुथ

[सिर हिलाकर]

जी नहीं, और कुछ नहीं हुआ।

जज

अभी तक कुछ नहीं–हूँ–

[रुथ से फ़ाल्डर की ओर दृष्टि घुमाकर]

ठीक है!

फ़्रोम

आपके पति क्या करते हैं ?

रुथ

मुसाफ़िर हैं।

फ़्रोम

आप दोनों में कैसी पटती है?

रुथ

[सिर हिलाकर]

वह कहने की बात नहीं है।

फ़्रोम

क्या वह तुम्हारे साथ बुरा व्यवहार करते थे या और कोई बात है?

रुथ

हाँ, पहिले बच्चे के बाद से ही।

फ़्रोम

किस प्रकार?

रुथ

यह मैं नहीं कह सकती—हर तरह से।

जज

मुझे डर है, आप यह-सब नहीं कह सकते।

रुथ

[फ़ाल्डर की ओर इशारा करके]

उन्होंने मुझे अपनी शरण में लेने का वचन दिया। हम दक्षिण अमरीका जानेवाले थे।

फ़्रोम

[जल्दी से]

हाँ, ठीक है। और फिर अड़चन क्या पड़ी?

रुथ

मैं दफ़्तर के बाहर ही खड़ी थी कि वह पकड़ लिए गए। इससे मेरा दिल टूट सा गया।

फ़्रोम

तो आप जान गई थीं कि वह गिरफ्तार कर लिया गया?

रुथ

जी हाँ, मैं उसके बाद दफ़्तर में गई थी, और उन्होंने—

[कोकसन की ओर इशारा करके]

मुझे सब बतला दिया।

फ़्रोम

अच्छा क्या आपको ७ वीं जुलाई की बात याद है?

रुथ

हाँ।

फ़्रोम

क्यों?

रुथ

उसदिन मेरे पति ने मेरा गला घोँट डालना चाहा था।

जज

गला घोँट डालना चाहा था?

रुथ

[सिर नीचा करके]

जी हाँ।

फ़्रोम

हाथ से या किसी—

रुथ

हाँ, मैं किसी प्रकार वहाँ से भाग आई, और अपने मित्र से मिली। उस समय ठीक आठ बजे थे।

जज

सवेरे? तुम्हारे पति उस समय शराब के नशे में तो नहीं थे?

रुथ

हमेशा शराब के नशे में ही नहीं मारते थे।

फ़्रोम

आप उस समय किस हालत में थी?

रुथ

बहुत बुरी हालत में। मेरे कपड़े सब फट रहे थे, और मेरा दम घुट रहा था।

फ़्रोम

क्या आपने अपने मित्र से यह माजरा कहा था?

रुथ

हाँ, कहा था। अब समझती हूँ, अगर न कहती, तो अच्छा होता।

फ़्रोम

क्या यह सुनकर वह आपे से बाहर हो गया था?

रुथ

बुरी तरह!

फ़्रोम

उसने किसी चेक के बारे में कभी आप से कुछ कहा था?

रुथ

कभी नहीं।

फ़्रोम

उसने कभी आपको रुपए भी दिए थे?

रुथ

हाँ, दिए थे।

फ़्रोम

किस दिन?

रुथ

शनिवार के दिन।

फ़्रोम

८ तारीख़ को।

रुथ

मेरे और बच्चों के लिए कपड़े खरीदने और चलने की तैयारी करने के लिए।

फ़्रोम

क्या इससे आपको आश्चर्य हुआ था?

रुथ

किस बात से?

फ़्रोम

कि उसके पास तुम्हें देने को रुपए निकल आए।

रुथ

हाँ, हुआ था। इसलिए कि जब मेरे पति ने मुझे मारा था उस दिन सवेरे मेरे मित्र रोने लगे थे कि उनके पास रुपए नहीं हैं जो वे मुझे कहीं ले चलें। बाद को उन्होंने मुझसे कहा था कि अचानक उनकी क़िस्मत खुल गई है।

फ़्रोम

आपने उनको आखिरी बार कब देखा?

रुथ

जब वे पकड़ लिए गए। यही दिन हमारे रवाना होने का था।

फ़्रोम

अच्छा, क्या आप से उसकी मुलाक़ात शुक्रवार और उस दिन के बीच में और भी कभी हुई थी?

[रुथ सिर हिलाकर क़बूल करती है]

उस समय उसकी क्या हालत थी?

रुथ

गूंगे के समान। कभी कभी तो उसके मुँह से एक शब्द भी नहीं निकलता था।

फ़्रोम

मानो कोई असाधारण, बात हो गई हो?

रुथ

हाँ।

फ़्रोम

रंज की, ख़ुशी की, या और किसी बात की?

रुथ

जैसे उनके सिर पर कोई विपत्ति मँडरा रही हो!

फ़्रोम

[कुछ हिचककर]

मैं पूछ सकता हूँ कि तुम्हें उससे बहुत प्रेम था?

रुथ

[सिर नवाकर]

हाँ।

फ़्रोम

क्या वह भी आपसे बहुत प्रेम करता था?

रुथ

[फ़ाल्डर की ओर देखकर]

हाँ, साहब!

फ़्रोम

अच्छा जी, आपका क्या विचार है? आपको ख़तरे और आफ़त में देखकर वह बदहवास हो गया और उसका अपने ऊपर क़ाबू न रहा या और कुछ?

रुथ

हाँ, यही बात है।

फ़्रोम

भले बुरे का ख़्याल भी जाता रहा।

रुथ

हाँ, कुछ देर के लिए अवश्य।

क्लीवर

[लेहाज़ से]

जब शुक्रवार सात तारीख़ के सबेरे आप इनसे विदा हुईं, उस समय वह होशहवास में थे?

रुथ

जी हाँ!

क्लीवर

धन्यवाद! मुझे आपसे और कुछ नहीं पूछना है।

रुथ

[जूरी की ओर कुछ झुककर]

शायद मैं भी उनके लिए ऐसा ही कर सकती थी, अवश्य कर सकती थी।

जज

ज़रा ठहरो, तुम कहती हो कि तुम्हारा विवाहित जीवन बिलकुल सुख रहित है। दोनों ही का दोष होगा।

फ़्रोम

अच्छा, क्या शुक्रवार को वह बहुत घबड़ाया हुआ था या साधारण दशा में?

रुथ

बहुत ही घबड़ाए हुए। मैं उन्हें अपने पास से जाने न देती थी।

फ़्रोम

क्या आप अब भी उसे चाहती हैं?

रुथ

[फ़ाल्डर की ओर देखकर]

उन्होंने मेरे लिए अपना सत्यानाश कर लिया।

फ़्रोम

धन्यवाद!

[वह बैठ जाता है, रुथ वहीं पर अविचलित भाव से सीधी खड़ी रहती है।]

क्लीवर

[लेहाज़ से]

जब शुक्रवार सात तारीख़ के सबेरे आप इनसे विदा हुईं, उस समय वह होशहवास में थे?

रुथ

जी हाँ!

क्लीवर

धन्यवाद! मुझे आपसे और कुछ नहीं पूछना है।

रुथ

[जूरी की ओर कुछ झुककर]

शायद मैं भी उनके लिए ऐसा ही कर सकती थी, अवश्य कर सकती थी।

जज

ज़रा ठहरो, तुम कहती हो कि तुम्हारा विवाहित जीवन बिलकुल सुख रहित है। दोनों ही का दोष होगा।

रुथ

मेरा दोष है कि मैं कभी उसकी खुशामद नहीं करती। ऐसे आदमी की खुशामद करेंही क्यों?

जज

तुम उनका कहना नहीं मानती होगी।

रुथ

[प्रश्न को टालकर]

मैं हमेशा उसकी इच्छा के अनुसार काम करती रही हूँ।

जज

मुलज़िम से जान पहिचान होने के पहिले तक?

रुथ

नहीं, बाद को भी।

जज

मैं यह सवाल इसलिए पूछ रहा हूँ कि तुम मुलजिम से प्रेम करना निंदा की बात नहीं समझती?

रुथ

[हिचक कर]

कदापि नहीं, मेरे जीवन का यही आधार है।

जज

[कड़ी निगाह से देखकर]

अच्छा, अब तुम जा सकती हो।

[रुथ फ़ाल्डर की ओर देखनी है, फिर धीरे धीरे उतर कर गवाहों में जाकर बैठ जाती है।]

फ़्रोम

मैं अब मुलज़िम को बुलाता हूँ, हुज़ूर!

[फ़ाल्डर कटघरे में से उतर कर गवाहों के कटघरे में जाता है। बाक़ायदा क़दम दिलाई जाती है।]

फ़्रोम

तुम्हारा नाम क्या है?

फ़ाल्डर

विलियम फ़ाल्डर।

फ़्रोम

और उम्र?

फ़ाल्डर

तेईस साल।

फ़्रोम

तुम्हारी शादी नहीं हुई है?

[फ़ाल्डर सिर हिलाकर इनकार करता है।]

फ़्रोम

उस महिला को तुम कितने दिनों से जानते हो?

फ़ाल्डर

छः महीने से।

फ़्रोम

उसने तुम्हारे साथ अपना जो रिश्ता बतलाया है, क्या वह ठीक है?

फ़ाल्डर

हाँ।

फ़्रोम

तो तुम्हें उससे गहरा प्रेम है। क्यों?

फ़ाल्डर

हाँ।

जज

यह जानते हुए भी कि उसकी शादी हो गई है?

फ़ाल्डर

हुज़ूर, मैं लाचार हो गया।

जज

लाचार हो गए?

फ़ाल्डर

हुज़ूर, मैं अपने को सँभाल न सका।

जज

[जज कंधा हिलाता है]

फ़्रोम

तुमसे उससे जान पहिचान कैसे हुई?

फ़ाल्डर

मेरी एक विवाहिता बहिन के ज़रिए।

फ़्रोम

क्या तुम जानते थे कि अपने पति के साथ वह सुखी थी, अथवा नहीं?

फ़ाल्डर

उसे कभी सुख नहीं मिला।

फ़्रोम

क्या तुम उसके पति को जानते थे?

फ़ाल्डर

हाँ, केवल उसी के द्वारा मैंने जाना था वह नरपशु है ।

जज

मैं नहीं चाहता पड़ोस में किसी आदमी को गालियाँ दी जायँ!

फ़्रोम

[सिर झुकाकर]

जैसी हुज़ूर की आज्ञा!

[फ़ाल्डर से]

क्या तुम इस चेक में रद्दोबदल स्वीकार करते हो?

[फ़ाल्डर सिर झुका लेता है]

फ़्रोम

तारीख ७ जुलाई की बात याद करो और जूरी से उस दिन की घटना बयान करो।

फ़ाल्डर

[जूरी की ओर देखकर]

मैं सवेरे अपना नाश्ता कर रहा था जब वह आई। उसके सारे कपड़े फटे हुए थे, वह हाँफ रही थी मानो साँस लेने में उसे कष्ट हो रहा हो। उसके गले पर पुरुष की उँगलियों के निशान थे। उसकी बाँहों में चोट आ गई थी। और खून जम गया था। मैं उसकी यह दशा देखकर डर गया। उसके बाद उसने सब हाल मुझसे कहा। मुझे ऐसा मालूम होने लगा—ऐसा मालूम होने लगा। और वह मैं बयान नहीं कर सकता। मेरे लिए वह असह्य था।

[एकाएक तन कर]

आप उसे देखते, और आपके दिलमें भी उसके लिए मेरी जैसी मुहब्बत होती तो आप भी मेरे ही समान व्याकुल हो जाते।

फ़्रोम

अच्छा!

फ़ाल्डर

वह मेरे पास से चली गई क्योंकि मुझे दफ़्तर जाना था। लो इस भय से मेरे होश उड़े थे कि कहीं वह फिर उस पर अत्याचार न करे। सोच रहा था क्या करूँ। मैं काम न कर सका। रात दिन इसी तरह बीत गया। किसी काम में जी ही न लगता था। सोचने की शक्ति न थी। चुपचाप बैठा न जाता था। ठीक उसी समय डेविस मेरे पास आया, और चेक देकर बोला, फ़ाल्डर जाओ, ज़रा बैंक से रुपए लेते आओ; शायद हवा में फिर आने से तुम्हें कुछ आराम मिले। मालूम होता है तुम्हारी आधी जान निकल गई है। फिर जब वह चेक मेरे हाथ में आया मैं नहीं जानता मुझे क्या हुआ। न जाने क्योंकर मेरे मन में आया कि अगर टी वाई जोड़कर अंक के आगे एक बिंदी लगा दूँ तो रुथ को वहाँ हटा ले जाने के लिए रुपए हो जायँगे। वह बात मेरे दिमाग़ में आई और चली गई। मुझे फिर कुछ याद नहीं कि डेमिस के जाने के बाद मैंने क्या किया। केवल जब केशियर को मैंने चेक दिया, तो उसने पूछा था कि क्या नोट दूँ? तब शायद मुझे मालूम हुआ कि मैंने क्या किया। जब मैं बाहर आया, तो जी में आया किसी मोटर के नीचे दबकर मर जाऊँ। मैंने चाहा रुपयों को फेंक दूँ, लेकिन फिर मुझे उसकी याद आई और मैंने उसे बचाने की ठान ली। चाहे कुछ भी हो, यह सच है कि सफ़र के टिकट के रुपए और जो कुछ मैंने उसको दिए थे सब मिट्टी में मिल गए। लेकिन बाक़ी रुपए मैंने बचा लिए हैं, मैं सोच रहा हूँ मैंने यह काम कैसे किया, क्योंकि यह मेरा स्वभाव नहीं है।

[फ़ाल्डर चुप हो जाता है और हाथ मलता है।]

फ़्रोम

तुम्हारे आफ़िस से बैंक कितनी दूर है?

फ़ाल्डर

कोई पचास गज़ से अधिक न होगा।

फ़्रोम

डेमिस के चले जाने के बाद से तुम्हारे चेक भुनाने में कितना समय लगा होगा?

फ़ाल्डर

चार मिनट से ज़्यादा न लगे होंगे, क्योंकि मैं दौड़ता हुया गया था।

फ़्रोम

क्या चार मिनट के भीतर का हाल तुम्हें याद नहीं?

फ़ाल्डर

जी नहीं, सिवाय इसके कि मैं दौड़ता हुआ गया था।

फ़्रोम

टी वाई और बिन्दी का जोड़ना भी तुम्हें याद नहीं।

फ़ाल्डर

जी नहीं, मैं सच कहता हूँ।

[फ़्रोम बैठता है और क्लीवर उठता है।]

क्लीवर

लेकिन तुम्हें याद है कि तुम दौड़े थे?

फ़ाल्डर

जब मैं बैंक पहुँचा, उस समय मेरा दम फूल रहा था।

क्लीवर

और तुम्हें चेक का बदलना याद नहीं?

फ़ाल्डर

[धीरे से]

जी नहीं।

क्लीवर

मेरे मित्र ने जो विलक्षणता का आवरण डाल रक्खा है उसे हटा देने से क्या वह साधारण जालसाज़ी के सिवा और कुछ हो सकता है? बोलो!

फ़ाल्डर

मैं उस दिन आधा पागल हो रहा था, जनाब।

क्लीवर

ठीक, ठीक! लेकिन तुम इनकार नहीं कर सकते कि टी. वाई. और सिफ़र बाक़ी लिखावट के साथ ऐसा मिल गया था, कि ख़ज़ांची धोखा खा गया।

फ़ाल्डर

संयोग था।

क्लीवर

[खुश होकर]

विचित्र का संयोग था, क्यों? मुसन्ने को तुमने कब बदला?

फ़ाल्डर

[सिर झुकाकर]

बुधवार के दिन।

क्लीवर

क्या वह भी संयोग था?

फ़ाल्डर

[क्षीण स्वर से]

जी नहीं।

क्लीवर

यह काम करने के लिए तुम अवश्य मौका ढूंढते रहे होगे। क्यों?

फ़ाल्डर

[आवाज़ मुश्किल से सुनाई पड़ती है]

हाँ।

क्लीवर

तुम यह तो नहीं कहते, कि काम करते वक्त़ भी तुम बहुत उत्तेजित थे?

फ़ाल्डर

मेरे सिर पर भूत सवार था।

क्लीवर

पकड़े जाने के डर से?

फ़ाल्डर

[बहुत धीरे]

हाँ!

जज

क्या तुमने यह नहीं सोचा कि अपने मालिकों से सारी बातें कहकर रुपए लौटा देना ही तुम्हारे लिए अच्छा होगा?

फ़ाल्डर

मैं डरता था।

[सब चुप हो जाते हैं]

क्लीवर

निःसंदेह तुम्हारी इच्छा थी कि तुम इसके बाद उस औरत को भगा ले जाओगे।

फ़ाल्डर

जब मुझे मालूम हुआ कि मैंने ऐसा काम कर डाला, तो उसका उपयोग न करना गुनाह बेलज्ज़त था। इससे तो कहीं अच्छा नदी में डूब कर मर जाना था।

क्लीवर

तुम जानते थे कि क्लर्क डेविस इंगलैंड से जा रहा है। जब तुमने चेक बदला था तब क्या तुम्हें नहीं सूझा था कि सब का शक डेविस पर होगा?

फ़ाल्डर

मैंने पल भर के भीतर सब काम किया। हाँ, बाद को यह बात मेरी समझ में आई थी।

क्लीवर

और फिर भी तुम से अपनी ग़लती जाहिर न की गई?

फ़ाल्डर

[उदासी से]

मैंने सोचा था वहाँ पहुँच कर मैं सब कुछ लिख भेजूंगा। मेरी इच्छा रुपए को चुका देने की थी।

जज

लेकिन इसी बीच में तुम्हारा निर्दोषी मित्र क्लर्क गिरफ्तार हो सकता था।

फ़ाल्डर

मैं जानता था, कि वह बहुत दूर है, हुज़ूर। मैंने सोचा था कि वक्त़ मिल जायगा। इतनी जल्दी बात ज़ाहिर हो जायगी यह मुझे ख़याल ही नहीं था।

फ़्रोम

शायद हुज़ूर को याद दिलाना बेजा न होगा, चेक बुक मिस्टर वाल्टर हो के पास डेविस के चले जाने के बाद तक था। अगर यह जालसाज़ी एक दिन बाद पकड़ी जाती, तो फ़ाल्डर भी चला गया होता। इससे शक भी फ़ाल्डर पर ही होता न कि डेविस पर।

जज

सवाल यह है कि मुलज़िम को यह बात मालूम थी या नहीं कि शक उसपर होगा न कि डेविस पर?

[फ़ाल्डर से तीव्र स्वर में]

क्या तुम जानते थे चेक मिस्टर वाल्टर हो के पास डेविस के चले जाने के बाद तक था?

फ़ाल्डर

मैं—मैं—मैंने सोचा था—वह—

जज

देखो सच-सच बोलो, हाँ या नहीं।

फ़ाल्डर

[बहुत आहिस्ते]

नहीं हुज़ूर यह, मैं नहीं जानता था।

जज

यहाँ तुम्हारी बात कट जाती है, मिस्टर फ़्रोम।

[फ़्रोम सिर झुकाता है]

क्लीवर

क्या ऐसी सनक तुम्हें पहले भी कभी सवार हुई थी?

फ़ाल्डर

[कातर भाव से]

जी नहीं।

क्लीवर

तीसरे पहर तुम इतने स्वस्थ हो गए थे कि फिर तुम उस समय पूरे तौर से काम पर वापस अपना काम करने के लिए गए।

फ़ाल्डर

हाँ, मुझे रुपया लेकर आफ़िस से वापस जाना था।

क्लीवर

तुम्हारा मतलब नौ पाउंड से है। तुम्हारा होश तो इतना ठीक था। कि तुम्हें यह खूब अच्छी तरह याद थी फिर भी तुम कहते हो कि तुम्हें चेक के अंक बदलने की बात याद नहीं।

फ़ाल्डर

अगर मैं उस समय पागल न होता, तो मैं कभी भी यह काम करने की हिम्मत न करता।

फ़्रोम

[उठकर]

क्या वापस जाने के पहिले तुमने अपना खाना खाया था?

फ़ाल्डर

नहीं, मैंने दिन भर कुछ नहीं खाया था। और रात को नींद भी मुझे नहीं आई।

फ़्रोम

अच्छा, डेविस के जाने और नोट भुनाने के बीच जो चार मिनट बीते थे, उसकी बात क्या तुम्हें बिलकुल याद नहीं है?

फ़ाल्डर

[एक मिनट ठहरकर]

मुझे केवल यह याद है कि उस समय मिस्टर कोकसन का चेहरा मुझे याद आ रहा था।

फ़्रोम

मिस्टर कोकसन का चेहरा? उससे और तुम्हारे काम से क्या संबंध?

फ़ाल्डर

नहीं, महाशय।

फ़्रोम

क्या तुम्हें आफ़िस में जाने के पहले भी वही बात याद थी?

फ़ाल्डर

हाँ! उस समय बाहर दौड़ते समय भी।

फ़्रोम

और क्या उस समय तक ही याद था जब ख़ज़ांची ने तुम से कहा "क्या नोट लेंगे"?

फ़ाल्डर

हाँ, उसके बाद मुझे होश आ गया। लेकिन तब सोचना बेकार था।

फ़्रोम

धन्यवाद! बस सफ़ाई के सब गवाह गुज़र चुके।

[जज सिर हिलाता है। फ़ाल्डर अपनी जगह पर वापस आता है।]

फ़्रोम

[काग़ज़ वगैरह सँभालकर]

हुज़ूर और जूरी गण, मेरे मित्र ने अपनी जिरह में इस सफाई का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की है जो इस मामले में हमारी तरफ से पेश की गई है। मैं जानता हूँ कि जो गवाह पेश किए गए हैं उससे अगर आपके दिलमें यह यक़ीन न हो गया हो कि मुलज़िम ने यह काम केवल एक क्षणिक दुर्बलता के कारण किया है, और दरअसल उसको इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं कहा जा सकता तो मेरे कथन का भी कुछ असर आप पर नहीं पड़ेगा। उसके हृदय में जो भयानक उथल पुथल था, उसने उसकी मानसिक और नैतिक शक्तियों को ऐसा कुचल डाला कि उसे एक क्षणिक पागलपन कहा जा सकता है। मेरे मित्र ने कहा है मैंने इस मामले पर विलक्षणता का आवरण डालने की कोशिश की है। महोदय गण, मैंने ऐसी कोशिश नहीं की। मैंने केवल जीवन का वह आधार दिखाया है—अस्थिर जीवन का, जो प्रत्येक पाप का कारण होता है, चाहे मेरे मित्र उसकी कितनी हँसी क्यों न उड़ाएँ। महाशयगण, हम इस समय एक ऐसे सभ्य युग में पहुँच गए हैं कि किसी प्रकार के भीषण अत्याचार का दृश्य हमारे दिल पर एक खास असर डाले बिना नहीं रहता, चाहे हमारे साथ उस मामले का कुछ भी संबंध न हो। पर अगर हम ऐसा अत्याचार एक औरत पर होते देखें, और वह ऐसी औरत हो जिसे हम प्यार करते हैं, तब क्या होगा? सोचिए, यदि मुलज़िम की दशा में आप होते, तो किस प्रकार का भाव आपके मनमें उत्पन्न होता? इस बात को सोचिए और तब उसके मुँह की ओर देखिए। वह उनके फिक्रों में और बेहयाओं में नहीं है जो उस औरत पर जिसे वह प्यार करता है पैशाचिक अत्याचार के चिह्न देखें और विचलित न हों। हाँ महाशयगण, देखिए उसके मुख पर दृढ़ता नहीं है। और न उसके चेहरे से पाप ही झलक रही है। यह एक ऐसा साधारण चेहरा है जो बड़ी आसानी से अपने भावों के वशीभूत हो जाता है। उसकी आँखों का हाल भी आपने सुना है। मेरे मित्र चाहे 'अजीब' शब्द पर हँस उठे, लेकिन दरअसल ऐसी अवस्थाओं में मनुष्यों की आँखों में जो चंचलता आ जाती है वह सिवाय "अजीब" के और कुछ नहीं कही जा सकती। याद रखिए, मैं यह नहीं कहता कि उसकी मानसिक दुर्बलता क्षणिक अंधकार की झलक मात्र नहीं थी जिसमें धर्म और अधर्म का ज्ञान लुप्त हो गया लेकिन मैं यह कहता हूँ कि जिस तरह कोई मनुष्य ऐसी परिस्थिति में आत्महत्या कर लेने पर आत्म हत्या के दोष से मुक्त हो जाता है, उसी भाँति वह इस अव्यवस्थित दशा में दूसरे अपराध भी कर सकता है, और करता है। इस कारण उसको अपराधी न कहकर एक मरीज कहना चाहिए और उसके इलाज का प्रबंध भी करना चाहिए। मैं मानता हूँ इस तर्क का दुरुपयोग किया जा सकता है। परिस्थिति को देखकर ही इसका निर्णय करना चाहिए। लेकिन यह एक ऐसा भावना है, जिसमें आपको सन्देह का फल अपराधी को देना चाहिए। आपने सुना होगा मैंने अपराधी से प्रश्न किया था कि उसने उन अभागे चार मिनट में क्या सोचा था। उसने क्या जवाब दिया? "मुझे मिस्टर कोकसन का चेहरा याद आ रहा था"। महाशयगण, कोई आदमी बनावटी तौर से ऐसा जबाब नहीं दे सकता। इसपर सत्य की एक गम्भीर छाप लगी हुई है। जो औरत आज अपनी जान को भी जोखिम में डालकर यहाँ गवाही देने आई है, उसके साथ अपराधी का जो प्रेम है, चाहे उचित हो या न हो, वह भी आप से अब छिपा नहीं है। जिस दिन उसने यह काम किया था उस दिन वह कितना घबड़ाया हुआ था इसमें तो कोई सन्देह करना असम्भव है। इस प्रकार के दुर्बल और भाव प्रबल आदमी का ऐसी दशा में कितना पतन हो सकता है यह हम सब को अच्छी तरह मालूम है। यह सारा काम केवल एक मिनट में हुआ। बाक़ी काम ठीक वैसे ही हुआ, जैसे छुरा भोंकने के बाद आदमी मर जाता है या सुराही उलट देने से पानी गिर पड़ता है। आपको यह बतलाने की ज़रूरत नहीं। जीवन में कोई बात इतना दुखदाई नहीं है जितनी यह कि जो हो चुका वह मेटा नहीं जा सकता। एक बार जब चेक पर अंक बदल दिया गया और उसके रुपये मिल गए जो चार भयंकर मिनटों का काम था, तो चुप साध लेने के सिवा और क्या किया जा सकता था? लेकिन उन चार मिनटों में यह आदमी जो आपके सामने खड़ा है उस पिंजड़े में आकर फंस गया जो आदमी को बेदाग़ नहीं छोड़ता। उसके बाद के काम—उसका अपराध स्वीकार न करना, मुसन्ने को बदलना, भागने की तैयारी करना—इनसे यह नहीं सिद्ध होता कि उसने दृढ़ पापमय संकल्प से ये काम किए, जो मूल आचरण के फलमात्र थे। बल्कि इनसे केवल उसके चरित्र की दुर्बलता सिद्ध होती है। और यही उसकी विपत्ति का कारण है। लेकिन क्या हमें केवल इस लिये उसे पतित कर देना चाहिए कि वह जन्म और शिक्षा से दुर्बल चरित्र है। महोदय गण, इस अपराधी की तरह हज़ारों आदमी हमारे क़ानून की चक्की में रोज़ पिसकर मर रहे हैं। केवल इस लिये कि हममें वह इनसानियत की आँख नहीं है जिससे हम देखें कि वे अपराधी नहीं केवल मरीज़ हैं। यदि मुलज़िम का अपराध साबित हो गया और उसके साथ पाप में सने प्राणियों का सा व्यवहार किया गया तो वह सचमुच ही एक अपराधी बन जायगा, जैसा हम अपने अनुभव से कह सकते हैं। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि ऐसी व्यवस्था न दीजिए जो उसे जेल में ले जाकर हमेशा के लिए दाग़ लगा दे। महोदयगण! न्याय एक यंत्र है जिसे यदि कोई चला दे तो फिर वह अपने ही आप चलता रहता है। क्या हम इस व्यक्ति को दरअसल उस मशीन के नीचे दबा कर चकना चूर कर देंगे? और वह इस लिये कि दुर्बलता के वशीभूत होकर उसने एक भूल की है। क्या आप उसे उन अभागे मल्लाहों का एक सदस्य बनाना चाहते हैं जो उन अँधेरे और भीषण जहाज़ों को चलाते हैं जिन्हें हम जेलख़ाना कहते हैं? क्या उसे वह यात्रा शुरू करनी होगी जहाँ से शायद ही कोई लौटता हो? या फिर उसे एक बार समय देना चाहिए कि सुबह का खोया हुआ शाम को भी लौट आता है, या नहीं? मैं आप लोगों से अर्ज़ करता हूँ कि उस नौजवान की जिन्दगी को बरबाद न कीजिए। यह सारी बरबादी उन्हीं चार मिन्टों का फल है। घोर सर्वनाश उसकी ओर मुंह खोले खड़ा है। अभी यह बच सकता है। आज आप उसे अपराधी की तरह सज़ा दे दीजिए और मैं आप से कह देता हूँ कि वह हमेशा के लिए हाथ से निकल जायगा। न तो उसका चेहरा और न उसका रंग ढंग यह कह सकता है कि वह उस अग्नि-परीक्षा से बच निकलेगा, उसके अपराध को एक पलड़े में तौलिए और दूसरे पर उसके उन कष्टों को तौलिए जो वह पा चुका है। आपको मालूम होगा कि कष्टों का पलड़ा दस गुना अधिक भारी हो गया। दो महीने से वह हवालात में सड़ रहा है। क्या सम्भव है वह इसे भूल जायगा? इस दो महीने में उसके हृदय को जो दुःख हुआ होगा उसे सोचिए। आप यकीन रखिए कि उसकी सज़ा काफी हो गई। न्याय की भीषण चक्की इसको तभी से पीसने लगी है जब से इसका गिरफ़्तार होना तय हो चुका था। यह उसकी सजा की दूसरी मंजिल चला रही है। यदि आप तीसरी पर इसे ले जानेकी चेष्टा करेंगे तो मैं आगे कुछ नहीं कहना चाहता।

[अपनी उँगली और अँगूठे को मिलाकर एक दायरा बनाता है, फिर हाथ को नीचा कर लेता है और बैठ जाता है।]

[जूरी एक दूसरे का मुँह देखकर सिर हिलाते हैं, फिर सरकारी वकील की ओर देखते हैं। वह उठता है और अपनी आँखें ऐसी जगह गढ़ा कर जिससे उसे कुछ सुविधा मालूम पड़ती है बार बार आँखें फेर कर जूरी की ओर देखता जाता है।]

क्लीवर

हुजूर!

[पंजे के बल खड़े होकर]

और जूरी गण! इस मामले की घटनाओं पर कोई आपत्ति नहीं की गई और मेरे मित्र क्षमा करें, सफाई जो दी गई है वह इतनी कमज़ोर है कि मैं फिर गवाहों के बयान की आलोचना करके आपका समय नहीं खराब करना चाहता। सफ़ाई में क्षणिक पागलपन की दलील पेश की गई है, और क्यों यह बे सिर की सफ़ाई पेश की गई? शायद आप मुझे माफ़ करें, मैं आप से ज्यादा अच्छी तरह जानता हूँ। ऐसी सफ़ाई को बे सिर पैर के सिवा और क्या कहा जाय? क़सूर को इक़बाल कर लेना ही दूसरा रास्ता था। महोदयगण! अगर अपराध स्वीकार कर लिया गया होता, तो मेरे मित्र को हुज़ूर की सीधी सादी दया की प्रार्थना करने के सिवा और कोई उपाय न था। परन्तु उन्होंने ऐसा न करके इस मामले की कतरब्योंत की है, और यह सफ़ाई गढ़ डाली है जिससे उन्हें त्रिया-चरित्र की बानगी दिखाने एक स्त्री को गवाह के कटघरे में खड़ा करने और इसे एक करुणप्रेम के रंग में रंगने का अवसर दे दिया है। मैं अपने मित्र की इस सूझ बूझ की तारीफ़ करता हूँ। इससे उन्होंने किसी हद तक क़ानून से बचने की कोशिश की है। शायद और किसी तरह वह प्रेरणा और चिन्ता के सारे क़िस्से को अदालत के सामने इस प्रकार न खड़ा कर सकते। लेकिन महोदयगण! एक बार जब आपको असली बात मालूम हो गई, तब आप सारी बात जान गए।

[सहृदय उपेक्षा के साथ]

अच्छा, इस पागलपन की दलील को देखिए। पागलपन के सिवा हम इसे कुछ नहीं कह सकते। आपने उस औरत का बयान सुना है। वह क़ैदी के हक में गवाही देगी इसमें कुछ आश्चर्य की बात नहीं। फिर भी उसने क्या कहा था, आपको मालूम है? उसने कहा—जब उसने कैदी से विदा ली थी उस समय वह किसी तरह अव्यवस्थित न था। अगर चिन्ताओं ने उसे अशान्त कर दिया था तो वही एक ऐसा वक्त था, जब उसके मन की अशान्ति प्रगट होती। सफ़ाई के दूसरे गवाह मेनेजिंग क्लर्क की गवाही भी आपने सुनी जो उन्होंने कैदी के हक़ में दी थी। कुछ कठिनाई के बाद मैं उससे क़बूल करा पाया हूँ कि डेविस को चेक देते वक्त़ मुलज़िम कुछ अस्थिर (उनका विचार ऐसा मालूम होता था कि आप इस शब्दका आशय समझ जायँगे और यकीन है, महाशयगण आप समझ गए होंगे) होने पर भी पागल नहीं था। अपने मित्र की भाँति मुझे भी दुःख है कि डेविस यहाँ नहीं है। लेकिन मुलज़िम ने वे शब्द कहे हैं जो डेविस ने उन्हें चेक देते समय कहे थे। अवश्य ही वह इस समय पागल नहीं था, नहीं तो वह इन शब्दों को ज़रूर भूल जाता। ख़ज़ांची ने भी कहा है कि चेक भुनाते वक्त़ उसके होश हवास बिलकुल ठीक थे। इस लिये इस सफ़ाई का मतलब यह हुआ कि एक आदमी जो एक बजकर १० मिनट पर स्वस्थ था और एक बजकर १५ मिनट पर भी ठीक था वह अपने को इस समय के बीच में केवल अपराध की सजा पाने के डर से पागल कह रहा है। महाशय, यह दलील इतनी लचर है कि मैं ज्यादा बकवाद करके आपका समय नष्ट नहीं करना चाहता। आप स्वयं निश्चय कर सकते हैं कि उसका क्या मूल्य है। मित्र ने यह आधार लेकर जवानी, प्रलोभन, आदि के विषय में बहुत कुछ कहा है और बड़े सुन्दर शब्दों में कहा है। परन्तु मैं केवल इतना ही याद दिलाता हूँ कि मुलज़िम ने जो अपराध किया है क़ानून की दृष्टि से बहुत भारी अपराध है। साथ ही इस मामले में कुछ और भी विचार करने की बात है। जैसे मुलज़िम का अपने साथ के निर्दोषी क्लर्क पर शक करवाने की कोशिश करना, दूसरे की ब्याही हुई औरत के साथ रिश्ता रखना, इत्यादि। इन सब बातों से आपके लिए इस सफ़ाई को अधिक महत्त्व देना कठिन हो जायगा। सारांश यह कि मैं आपसे मुलजिम को दोषी स्वीकार करने की प्रार्थना करता हूँ, जो इन सारी बातों को देखते हुए आपके लिए लाज़िम हो गई है।

[दृष्टि को जज और जूरी की ओर से फेरकर, फ़ाल्डर की ओर घुमाता है, फिर बैठ जाता है।]

जज

[जूरी की ओर कुछ झुककर और हाकिमाना अंदाज़ से]

जूरीगण, आपने गवाहों के बयान और उनपर जिरह सुन ली है। मेरा काम केवल यही है कि मैं आपके सामने वह तनक़ीहें रख दूं जिनपर आपको विचार करना है। यह बात तो स्वीकार करही ली गई है कि चेक और मुसन्ने के अंकों को मुलज़िम ने बदला। अब सफ़ाई यह दी गई है कि मुलज़िम ने जब यह अपराध किया, उस समय वह अपने होश हवास में न था। जहाँ तक पागलपन की बात है आपने मुलज़िम का सारा किस्सा और दूसरे गवाहों के बयान भी सुन लिए। अगर इन बातों से आप इस नतीजे पर पहुँचें कि जाल करते वक्त़ मुलजिम पागल था तो आप यही कह सकते हैं कि मुलज़िम अपराधी है लेकिन वह पागल था। और यदि आपको यह विश्वास हो कि मुलज़िम का दिमाग ठीक था (याद रखिए पूरा पागल होना ज़रूरी है) तो आप उसे अपराधी ठहरायेंगे। उसके मन की दशा के विषय में जो शहादते हैं, उनपर विचार करते समय आप बहुत होशियारी से जालसाज़ी के पहिले और पीछे मुलज़िम के रंग ढंग और चाल ढाल पर ध्यान रखें। खुद मुलज़िम की, उस औरत की, कोकसन की, और केशियर की शहादतों से क्या सिद्ध होता है? इस विषय में मैं आपको यह भी याद दिलाना चाहता हूँ कि मुलज़िम ने कबूल किया है कि टी वाई और सिफ़र (ty and the nought) को जोड़ने की बात चेक हाथ में आते ही उसके मन में आ गई थी। मुसन्ने के बदलने के बाद उसका आचरण कैसा था इसे भी ध्यान में रखिए। इन सब बातों का पूर्वनिश्चय के प्रश्न से जो सम्बन्ध है वह खुला हुआ है। और पूर्वनिश्चय स्वस्थ दशा में ही हो सकता है। उसकी उम्र और चित्त की चञ्चलता इत्यादि बातों पर विचार करके आपको उसके साथ रियायत करने की जरूरत नहीं। आप यदि उसे उस दोषी के साथ पागल निर्णय करें, तो यह सोच देखें कि वह पागलपन उसका उस लायक था या नहीं कि उस वक्त वह पागलख़ाने भेज दिया जाता।

[वह रुक जाता है, फिर जूरी के मेम्बरों को दुविधे में पड़ा हुआ देखकर कहता है।]

अब आप चाहें तो अलग जा सकते हैं।

[जज के पीछे के दरवाजे से जूरी चले जाते हैं, जज कुछ क़ाग़ज़ों को सिर झुकाकर देखने लगता है, फ़ाल्डर अपने कटघरे से झुककर अपने वकील से घबड़ाए हुए स्वर में रुथ की ओर संकेत कर कुछ बात करता है। वकील उसे सुनकर फ़्रोम से कहता है।]

फ़्रोम

[उठकर]

हुज़ूर, मुलज़िम ने मुझे आपसे यह अर्ज़ करने को कहा है कि आप कृपा करके रिपोर्टरों से कह दें कि वे अखबार में उस गवाह औरत का नाम इस मामले की कार्यवाही की रिपोर्ट में न छापें। शायद हुज़ूर समझ सकते हैं कि नतीजा उसके लिए कितना बुरा हो सकता है।

जज

[चोट करते हुए हलकी सी मुसकिराहट के साथ]

लेकिन मिस्टर फ़्रोम, आप इन बातों को जानते हुए भी उसे यहाँ लाए हैं न?

जज

गवाह के नाम को छुपा रखना मेरे नियम के विरुद्ध है।

[फ़ाल्डर की ओर देखता है जो हाथ मलता रहता है, फिर रुथ की ओर देखता है, जो स्थिर बैठी हुई फ़ाल्डर की ओर देखती है।]

मैं आपकी बात पर विचार करूँगा। मैं सोचूँगा, क्योंकि मुझे यह भी देखना है कि यह औरत कहीं क़ैदी के लिए झूठी गवाही देने न आई हो।

फ़्रोम

हुज़ूर, मैं सच—

जज

ठीक है, मैं अभी कोई ऐसी बात नहीं कह रहा हूँ। मिस्टर फ़्रोम अभी इस बात को छोड़िए।

[बात ख़तम होते ही जूरी लौटते हैं और अपनी जगह पर बैठते हैं।]

अहलमद

जूरीगण, क्या आप सब की राय मिल गई है?

फ़ोरमैन

हाँ, मिल गई है।

अहलमद

क्या आपने उसे दोषी निर्णय किया है, या दोषी के साथ पागल भी?

फ़ोरमैन

दोषी।

[जज प्रसन्न होकर सिर हिलाता है, फिर क़ागज़ों को हिलाकर फ़ाल्डर की ओर देखता है जो चुपचाप स्थिर भाव से बैठा है।]

फ़्रोम

[उठकर]

हुज़ूर का हुक्म हो तो आप से उसकी सजा कुछ कम करने के लिए अर्ज़ करूँ। जूरी से तो मैं उसकी उम्र और यह काम करते समय उसके मन की चंचलता के विषय में जो कुछ कहना था कह चुका। उसके उपरान्त हुज़ूर से कुछ और कहने की ज़रूरत मैं नहीं समझता।

जज

मेरा तो ऐसा ही ख़याल है।

फ़्रोम

अगर हुज़ूर ऐसा फ़रमाते हैं, तो मैं केवल इतना ही अर्ज़ करूँगा कि हुज़ूर सज़ा देते वक्त मेरी अर्ज़ का ख़याल रक्खें।

जज

[क्लर्क से]

क़ैदी को आवाज दो।

क्लर्क

मुलज़िम! सुनो तुम्हारे ऊपर जालसाज़ी करने का अपराध लगाया गया है। क्या तुम्हें इस विषय में कुछ कहना है कि अदालत से तुम्हें क़ानून के मुताबिक सज़ा क्यों न दी जाय?

[फ़ाल्डर सिर हिलाकर 'नहीं' कहता है।]

जज

विलियम फ़ाल्डर, तुम्हारा विचार अच्छी तरह किया गया और तुम्हारे ऊपर जालसाज़ी का अपराध सिद्ध हुआ है, और मेरी राय में ठीक सिद्ध हुआ है।

[कुछ ठहर कर क़ाग़ज़ देखता है और कहता है]

तुम्हारी ओर से यह सफ़ाई दी गई थी कि यह अपराध करते समय तुम अव्यवस्थित थे, और इस लिये इस काम के लिए तुम ज़िम्मेदार नहीं कहे जा सकते। मैं ख़याल करता हूँ कि यह केवल उस प्रलोभन का प्रत्यक्ष रूप दिखाने की एक चाल थी, जिसने तुम्हें चंचल कर दिया, क्योंकि तुम्हारे विचार के प्रारम्भ से ही तुम्हारे वकील ने एक प्रकार से केवल दया की प्रार्थना की है। यह सफ़ाई पेश करने से इतना ज़रूर हुआ कि उन्हें ऐसी गवाहियाँ दिलाने का अवसर मिला जो उस विचार से ध्यान देने योग्य हैं। यह कार्यवाही उचित थी या नहीं थी, दूसरी बात है। उन्होंने तुम्हारे बारे में कहा है कि तुम्हें अपराधी नहीं, मरीज़ समझना चाहिए। और उनकी इस दलील का जिसका अन्त दया की एक मर्मस्पर्शी प्रार्थना पर हुआ, तत्त्व क्या है? यही कि हमारी न्यायपद्धति दूषित है और पापवृत्ति को सुधारने के बदले उसको पुष्ट और पूर्ण करती है। इस प्रार्थना को कितना महत्त्व देना चाहिए इस विषय में कई बातें विचारणीय हैं। पहले तो तुम्हारे अपराध की गुरुता है। किस चालाकी के साथ तुमने मुसन्ने को बदला; किस कमीनापन से एक निर्दोषी के सिर अपराध मढ़ने की कोशिश की। और यह मेरे खयाल में एक बहुत बड़ी बात है। और सब से बड़ी बात यह है कि मुझे दूसरों को तुम्हारा उदाहरण दिखाकर ऐसे कामों से रोकना है। दूसरी ओर यह भी विचार करना है कि तुम कम उम्र हो। इसके पहिले तुम्हारा चाल चलन हमेशा अच्छा रहा है। और जैसा कि तुम्हारे और तुम्हारे गवाहों के बयान से मालूम होता है कि तुम यह काम करते वक्त कई कारणों से कुछ अस्थिरचित्त भी थे। तुम्हारे प्रति और समाज के प्रति जो मेरा कर्तव्य है उसके अन्दर रहते हुए मेरी पूरी इच्छा है कि मैं तुमपर दया का व्यवहार करूँ। और यह मुझे इन बातों की याद दिलाता है जिनके आधार पर ही मुआमले का विचार किया जा सकता है। तुम वकील के दफ़्तर में क्लर्क का नाम करते हो यह इस मामले में एक बड़ी भारी बात है। यह तुम किसी प्रकार भी नहीं कह सकते कि तुम्हें अपराध की भीषणता या उसके दण्ड का पूरा ज्ञान नहीं था। हाँ, यह कहा गया है, कि तुम्हारे मनोभावों ने तुम्हें अस्थिर बना दिया था। हनीविल से जो तुम्हारा रिश्ता था उसका वृत्तान्त आज कहा गया है, उसी वृत्तान्त पर सफ़ाई और दयाप्रार्थना दोनों ही का आधार रक्खा गया है। दया की प्रार्थना केवल उसीपर से की गई है। अच्छा, अब वह वृत्तान्त क्या है? तुम एक युवक हो और वह एक विवाहिता युवती है, यद्यपि उसका विवाहित जीवन दुखी है। तुम दोनों का आपस में प्रेम हो गया। तुम दोनों कहते हो कि वह सम्बन्ध अपवित्र और कलुषित नहीं था। मैं नहीं जानता कि यह बात कहाँ तक सच है। फिर भी तुम स्वीकार करते हो कि शीघ्र ही वह होनेवाला था। तुम्हारे वकील ने इस बात पर पर्दा डालने के लिए यह कहा है कि उस औरत की अवस्था बड़ी ही करुण थी। मैं अपनी राय इस विषय में नहीं देना चाहता। मैं इतना जानता हूँ कि वह एक विवाहिता स्त्री है, और यह खुली हुई बात है कि तुमने यह अपराध एक भ्रष्ट संकल्प को पूरा करने के लिए किया। इच्छा होने पर भी मैं दयाप्रार्थना का अनुमोदन नहीं कर सकता, जिसका आधार सदाचार के विरुद्ध है। तुम्हारे वकील ने यह भी कहा है कि तुमको और अधिक क़ैद की सज़ा देना तुम्हारे प्रति अविचार होगा। मैं उनके इस कथन से सहमत नहीं हूँ। क़ानून जो है वहीं रहेगा। क़ानून एक विशाल भवन है जो हम सब की रक्षा करता है, और जिसका हरएक पत्थर दूसरे पत्थर पर अवलम्बित है। मैं केवल इसका व्यवहार करनेवाला हूँ। तुमने जो अपराध किया है वह बड़ा भारी है। इस हालत में कर्तव्य की ओर दृष्टि रख कर मेरे हृदय में तुम्हारे प्रति जो दया की इच्छा है, वह मैं पूरी नहीं कर सकता। तुम्हें तीन साल की सख़्त सज़ा भोगनी पड़ेगी।

[फ़ाल्डर जो अब तक व्यग्रता के साथ जज की वक्तृता को सुन रहा था, अपनी छाती पर सिर झुका लेता है। जैसे ही वार्डर उसे ले जाने लगते हैं रुथ अपनी जगह पर उठ खड़ी होती है। अदालत में गोल माल होने लगता है।]

जज

[रिपोर्टरों से]

प्रेस के महोदयगण, आज के मामले में जिस औरत ने गवाही दी है उसका नाम क़ागज़ों में जाहिर न हो।

[रिपोर्टर लोग सिर झुकाकर स्वीकार करते हैं।]

जज

[रुथ से जो उस ओर देख रही है]

तुम समझ गई न? तुम्हारा नाम जाहिर न होगा।

कोकसन

[रुथ की आस्तीन पकड़कर]

जज आपसे कुछ कह रहे हैं।

[रुथ जज की ओर देखती है और चली जाती है।]

जज

आज मैं अभी और बैठूँगा। दूसरा मामला पेश करो। अहलमद जॉन बूली को आवाज़ दो।

अहलमद

[वार्डर को]

जॉन बूली वाले गवाह हाज़िर हैं?

[आवाज़ देता है—जॉन बूली वाले गवाह हाज़िर हैं?]

[परदा गिरता है।]

न्याय (नाटक) : अङ्क तीसरा : दृश्य १

जेलखाने में मामूली तरह से सजा हुआ एक कमरा, जिसमें दो बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ है। खिड़कियों में छड़ लगी हुई है, जिनमें से क़ैदियों के कसरत करने का आँगन दिलाई दे रहा है। वहाँ कैदी पीले कपड़े पहिने हुए दिखाई देते हैं। उनके कपड़ों पर तीर का निशान लगा हुआ है। सिर पर पीली मुंडी टोपी है। वे सब एक क़तार में चार-चार गज़ के फ़ासले से सफ़ेद और टेढ़ी मेढ़ी लकीरों पर तेज़ी से चलते दिखाई देते हैं जो आँगन के फ़र्श पर बनी हैं। दो सिपाही नीले रंग का कपड़ा पहिने हुए, तलवार लिए बीच में खड़े हैं। उनकी टोपी के सामने थोड़ा सा हिस्सा निकला हुआ है। कमरे की दीवारें रंग से पुती हुई हैं। कमरे में किताब रखने का एक आला है जिसमें सरकारी ढंग की किताबें रक्खी हैं। दोनों खिड़कियों के बीच एक अलमारी है। दीवार पर जेलखाने का एक नक़शा लटक रहा है। एक लिखने की मेज पर सरकारी कागज़ात रखे हैं। यह क्रिसमस की संध्या है। दारोग़ा साफ़ रोबदार आदमी है कतरी हुई छोटी मूंछे हैं। मुल्लाओं की सी आँखें, बाल खिचड़ी हो गए हैं, और कनपट्टी से फिरे हुए हैं। मेज़ के पास खड़ा एक आरी को देख रहा है, जो किसी धातु की बनी हुई है। जिस हाथ में वह उसे पकड़े हुए है उसमें दस्ताना है, क्योंकि उसके हाथ की दो उँगलियाँ गायब हैं। प्रधान वार्डर वुडर लंबा और दुबला है, और पलटनिया मालूम होता है। उसकी उम्र साठ वर्ष की है। मूंछें सफ़ेद हैं। बंदर की सी उदास आँखें हैं। गवर्नर से दो क़दम की दूरी पर मुस्तैदी से खड़ा है।

दारोग़ा

[रूखी और हलकी मुसकिराहट के साथ]

बड़े आश्चर्य की बात है, मिस्टर वुडर! तुम्हें यह कहाँ मिली?

वुडर

उसकी चादर के नीचे, साहब। ऐसी बात दो वर्ष से नज़र नहीं आई।

दारोग़ा

[आश्चर्य से]

कोई सधी बधी बात थी क्या?

वुडर

उसने अपनी खिड़की की गराद इतनी काट डाली है।

[अँगूठे और उँगली को एक चौथाई इंच अलग करके उठाता है।]

दारोग़ा

मैं दोपहर को उससे मिलूँगा, उसका नाम क्या है? मोनी, शायद कोई पुराना असामी है।

वुडर

हाँ, साहब! यह चौथी बार सज़ा भुगत रहा है। ऐसे पुराने खिलाड़ी को तो ज्यादा समझ से काम लेना चाहिए था।

[करुणभाव से]

कह रहा था, मन बहलाता था। कहीं घुस गए, कहीं से निकल आए। सब इसी धुन में पड़े रहते हैं।

दारोग़ा

दूसरे कमरे में कौन रहता है?

वुडर

ओ-क्लियरी, हुजूर!

दारोग़ा

अच्छा, वह आइरिशमैन?

वुडर

उसके दूसरे कमरे में रहता है वह युवक फ़ाल्डर, सभ्य श्रेणी का। उसके बाद बूढ़ा क्लिपटन।

दारोग़ा

हाँ, यह दार्शनिक। मैं उससे मिलूँगा, उसकी आँखों के बारे में पूछना है।

वुडर

कुछ अक्ल काम नहीं करती। ऐसा मालूम होता है कि अगर एक भागने की कोशिश करता है, तो बाकी सभों को इसकी ख़बर हो जाती है। सभी भागने पर उतारू हो जाते हैं। ख़ूब हलचल मच रही है।

गवर्नर

[विचार करके]

यह हलचल बुरा है।

[क़ैदियों को कसरत करते देखता हुआ]

वहाँ तो सब के सब बड़े शान्त मालूम होते हैं।

वुडर

उस आइरिशमैन ओक्लियरी ने आज दरवाज़े पर धक्का देना शुरू किया। बिलकुल ज़रा सी बात उनमें खलबली डाल देने को काफ़ी है। वे कभी कभी सब बेजबान जानवरों से हो जाते हैं।

दारोग़ा

घोड़ों में बादल गरजने के पहले यह बात मैंने देखी है सवारों की कतारों को चीरते हुए निकल जाते थे।

[जेल का पादरी आता है। बाल काले हैं, वैराग्य का भाव है, गिर्जे के कपड़े पहिने है। चेहरा बहुत गंभीर, होंठ कुछ जकड़े हुए। धीरे से सभ्य भाषा में बात करता है।]

दारोग़ा

[आरा दिखाकर]

इसे देखा तुमने, मिलर?

चेपलेन

काम की चीज़ मालूम होती है ।

दारोग़ा

अजायबघर में भेजने लायक है।

[अलमायरा के पास जाकर उसे खोलता है और उसमें पुरानी रस्सियों के टुकड़े, कीलें और धातुओं के बने हुए औज़ार नज़र आते हैं। उनमें कागज़ के पर्चे बंधे हुए हैं।]

अच्छा, धन्यवाद मिस्टर वुडर, तुम जा सकते हो।

वुडर

[सलाम करके]

जो हुक्म।

[चला जाता है]

दारोग़ा

क्यों मिस्टर मिलर—दो तीन दिन में यह क्या हो गया है? सारे जेल की हवा बिगड़ी हुई है।

चेपलेन

मुझे तो कुछ नहीं मालूम।

दारोग़ा

ख़ैर, जाने दो। कल यहीं भोजन कीजिए न?

चेपलेन

बड़ा दिल है, अनेक धन्यवाद!

दारोग़ा

आदमियों की हलचल मुझे परेशान कर देती है।

[आरे को देखते हुए]

इस शैतान को भी सज़ा देनी पड़ेगी। जो भागने की कोशिश करता है उसपर सख़्ती करने का जी नहीं चाहता।

[आरे को जेब में रख लेता है, और अलमारी में भी ताला बन्द करता है।]

चेपलेन

बाज़-बाज़ बला के हठीले और शरीर होते हैं। बिना सख्ती के कुछ नहीं किया जा सकता।

दारोग़ा

फिर भी तो कोई नतीजा नहीं। गोल्फ़ के लिए ज़मीन बहुत कड़ी है, क्यों?

[वुडर फिर भीतर आता है।]

वुडर

एक आदमी आपसे मिलना चाहते हैं, महाशय। मैंने उनसे कहा ऐसा क़ायदा नहीं है।

दारोग़ा

क्या चाहता है?

वुडर

कहिए तो बिदा कर दूँ।

दारोग़ा

[मजबूरी से]

नहीं, नहीं, बुलालो। तुम बैठो, मिलर।

[वुडर से किसी को आने के लिए इशारा करता है, और उसके भीतर आते ही वह चला जाता है। मिलने वाला कोकसन है, वह घुटने तक मोटा ओवरकोट पहिने है। हाथ में ऊनी दस्ताने हैं। ऊँची टोपी लिये हुए है।]

कोकसन

मुझे आपको कष्ट देने का खेद है। लेकिन मुझे एक युवक के बारे में कुछ कहना है।

दारोग़ा

यहाँ तो बहुत से युवक हैं।

कोकसन

फ़ाल्डर नाम है। जालसाज़ी में।

[अपने नाम का कार्ड दारोग़ा को देकर]

जेम्स ऐण्ड वाल्टरहो का कार्यालय वकालत के लिए मशहूर है।

दारोग़ा

[मुसकिराहट के साथ कार्ड लेते हुए]

आप किस लिए मुझसे मिलना चाहते हैं?

कोकसन

[अकस्मात् क़ैदियों की क़वायद देखकर]

कैसा दृश्य है!

दारोग़ा

हाँ, हमारे यहाँ से अच्छी तरह दिखाई देता है। मेरे दफ्तर की मरम्मत हो रही है।

[टेबिल के पास बैठकर]

हाँ, कहिए।

कोकसन

[मानो कष्ट के साथ अपनी दृष्टि को क़ैदियों की ओर फेरकर]

मैं आपसे दो एक बात करना चाहता हूँ। मुझे अधिक देर लगेगी।

[धीरे से]

बात यह है कि मैं क़ायदे से तो यहाँ नहीं आ सकता। परन्तु उसकी बहन मेरे पास आई थी। बाप माँ तो कोई है ही नहीं। वह बहुत घबराई हुई थी। मुझसे बोली मेरे पति तो मुझे उससे मिलने जाने नहीं देते। कहते हैं उसने कुल में कलङ्क लगाया है। दूसरी बहन बिलकुल चलने फिरने से लाचार है। उसने मुझसे आने के लिए कहा मुझे भी उस युवक से प्रेम है। मेरा ही मातहत था। मैं भी उसी गिर्जे में जाया करता हूँ इसलिए मैं इनकार न कर सका।

दारोग़ा

लेकिन खेद है, उसे किसी से मिलने का हुकुम नहीं है। वह वहाँ केवल एक मास की काल कोठरी के लिए आया है।

कोकसन

मैं उसमे उस समय एक बार मिला था जब वह हवालात में बन्द था। और उसका मामला चल रहा था। बेचारे के आगे पीछे कोई नहीं है।

दारोग़ा

[कुछ प्रसन्न होकर]

मिलर ज़रा घंटी तो बजाओ।

[कोकसन से]

क्या आप सुनना चाहते हैं कि डॉक्टर उसके बारे में क्या कहते हैं?

चैपलेन

[घंटी बजाकर]

मालूम होता है कि आप जेलख़ाने में बहुत कम जाते हैं।

कोकसन

हाँ, लेकिन देखकर दुःख होता है, वह अभी बिलकुल युवक है। मैंने उससे कहा—"धीरज रक्खो!" हाँ, यही कहा था। "धीरज" उसने जवाब दिया। "एक दिन अपने को कमरे में बंद करके मेरी ही भाँति सोचिए और कलपिए तो मालूम हो। बाहर एक का दिन यहाँ के एक वर्ष के समान है। मैं क्या करूँ?" उसने फिर कहा मैं कोशिश करता हूँ, मिस्टर कोकसन, परन्तु अपनी आदत से लाचार हूँ।" फिर हाथों से मुँह ढाँप कर वह रोने लगा। मैंने देखा उँगलियों के बीच में से होकर आँसू टपक रहे थे। मैं तो तड़प उठा।

चैपलेन

वही युवक है न जिसकी आँखें कुछ अजीब तरह की हैं। चर्च आफ़ इँगलैंड का नहीं मालूम होता।

कोकसन

नहीं।

चैपलेन

जानता हूँ।

दारोग़ा

[वुडर से जो भीतर आया है]

डॉक्टर साहब से कहो कि कृपा करके एक मिनट के लिए मुझसे आकर मिल लें।

[वुडर सलाम करके चला जाता है]

उसकी शादी तो नहीं हुई है।

कोकसन

नहीं।

[गुप्तभाव से]

लेकिन एक औरत है, जिसे वह बहुत चाहता है, ठीक वेश्या नहीं है। बड़ी करुण कहानी है।

चैपलेन

अगर दुनिया में शराब और औरत न होती, तो जेलखाने ही न होते।

कोकसन

[चश्मे के ऊपर से चैपलेन को देखता हुआ]

हाँ, लेकिन मैं विशेष कर वही बात आपसे कहने आया हूँ। यह चिन्ता उसे मारे डालती है।

दारोग़ा

अच्छा!

कोकसन

बात यह है कि उस औरत का पति बड़ा ही बदमाश है और वह उसे छोड़ बैठी है। वह उस युवक के साथ ही भाग जाने का इरादा करती है। यह बात अच्छी नहीं है। लेकिन मैंने इसपर ध्यान नहीं दिया । जब मुक़द्दमा ख़तम हो गया, तो उसने कहा—कि अलग रह कर अपना पेट चलाऊँगी और जब तक वह सज़ा काट कर बाहर न आए, उसके नाम पर बैठी रहूँगी। उसको इस बात से बड़ी भारी शान्ति मिली थी। लेकिन एक महीने बाद वह मुझको मिली मुझसे उससे जान पहिचान नहीं है और बोली—"अपनी बात तो दूर है, मैं अपने बच्चों तकका पालन नहीं कर सकती। मेरे कोई मित्र नहीं है। मैं ज़्यादा किसी से मिल जुल भी नहीं सकती। उससे मेरे पति को मेरा पता लग जाने का डर है। मैं बिलकुल दुबली हो गई हूँ।" दर असल वह दुबली हो गई है। "अब शायद मुझे किसी कारख़ाने में जाना पड़ेगा"। यह बड़ी दुःख भरी कहनी है। मैंने कहा "नहीं, कहीं न जाना पड़ेगा। मेरे घर पर मेरी स्त्री है, बच्चे हैं। यदि उन्हें भोजन मिलेगा तो तुमको भी क्यों नहीं मिल सकता?" "दर असल" यह बड़ी नेक औरत है। उसने जवाब दिया "सच? लेकिन मैं आपसे यह नहीं कह सकती इससे तो अच्छा है, कि मैं अपने पति के पास लौट जाऊँ।" यद्यपि मैं जानता हूँ कि उसका पति एक शराबी तथा पशु के समान अत्याचारी आदमी है फिर भी मैंने उसे पति के पास जाने को मना नहीं किया।

चैपलेन

आप कैसे कर सकते थे?

कोकसन

हाँ, लेकिन इसके लिए मुझे दुःख है। युवक को अभी तीन साल सज़ा भुगतनी है। मैं चाहता हूँ वह कुछ आराम से रहे।

चैपलेन

[कुछ चिढ़कर]

क़ानून आपके साथ बिलकुल सहमत नहीं।

कोकसन

वह बिलकुल अकेला है, मुझे डर है वह पागल न हो जाय। भला ऐसा कौन चाहता होगा? मुझे जब उसने देखा तो रोने लगा, मुझसे किसी का रोना देखा नहीं जाता।

चैपलेन

यह बहुत ही कम देखा गया है, कि क़ैदी किसी को देखकर रोने लगे।

कोकसन

[उसकी ओर ताकता हुआ यकायक जामे से बाहर होकर]

मेरे घर कुत्ते भी हैं।

चैपलेन

अच्छा!

कोकसन

हाँ, और मैं कह सकता हूँ कि मैं कभी उन्हें हफ्तों तक अकेले बन्द नहीं रख सकता। चाहे वह मुझे टुकड़े-टुकड़े कर डाले।

चैपलेन

मगर अपराधी तो कुत्ते नहीं हैं। उनमें धर्म अधर्म का ज्ञान होता है।

कोकसन

लेकिन उसको समझाने का यह ढङ्ग नहीं है।

चैपलेन

खेद है हम आपसे एक मत नहीं हो सकते।

कोकसन

कुत्तों में भी यही बात है आप उनसे दया का व्यवहार करेंगे तो वे आपके लिए सब कुछ करेंगे। मगर उनको अकेले बन्द कर रखिये। आप देखेंगे वे झल्ला उठेंगे।

चैपलेन

मगर इतना आप ज़रूर स्वीकार करेंगे, जो आपसे ज्यादा अनुभव रखते हैं वह जानते हैं कि कैदियों से किस तरह व्यवहार किया जाय।

कोकसन

[हठ करके]

मैं इस बेचारे युवक को जानता हूँ। मैं उसे वर्षों से देखता आ रहा हूँ। वह कुछ दिल का कमजोर है। उसका बाप भी क्षय से मरा था। मैं केवल उसके भविष्य की बात सोच रहा हूँ। अगर उसको काल कोठरी में रक्खा जायगा जहाँ कुत्ता बिल्ली तक उसके साथी नहीं हैं, तो उसके स्वास्थ्य को ज़रूर नुक़सान पहुँचेगा। मैंने उससे पूछा था कि "तुम्हें क्या कष्ट है?" उसने जवाब दिया "यह मैं आपसे ठीक बयान नहीं कर सकता, मिस्टर कोकसन, लेकिन कभी-कभी जी चाहता है कि अपना सिर दीवार पर पटक हूँ।" कितनी भयानक बात है।

[उसकी बात के बीच में ही डाक्टर भीतर आते हैं। उनका क़द मझोला है, खूबसूरत भी कहा जा सकता है, आँखें तेज़ हैं खिड़की पर झुक कर खड़े होते हैं।]

दारोग़ा

यह महाशय कह रहे हैं कि एकांतवास से उच्चश्रेणी के नं० ३००७—वही दुबला सा युवक—फ़ाल्डर की दशा बिगड़ रही है। आपकी क्या राय है डाक्टर क्लेमेंट?

डाक्टर

हाँ, वह ज़रूर ऊब गया है। परन्तु उसके स्वास्थ्य में तो कोई खराबी नहीं आई है। केवल एक महीना तो है।

कोकसन

लेकिन यहाँ आने के पहिले तो उसे हफ्तों रहना पड़ा था।

डाक्टर

यह तो जानी बूझी बात है। यहाँ उसका वज़न कुछ नहीं घटा है।

कोकसन

लेकिन मेरा मतलब उसके दिमाग़ से है।

डाक्टर

उसका दिमाग़ भी दुरुस्त है। वह कुछ घबड़ाया सा ज़रूर रहता है। परन्तु और कोई शिकायत नहीं है। मैं उसके विषय में सावधान हूँ।

कोकसन

[लाजवाब होकर]

मुझे यह सुनकर बड़ी खुशी हुई।

चैपलेन

[सज्जनता के साथ]

यही एक ऐसा वक्त है कि हम उनके दिल पर कुछ असर डाल सकते हैं। मैं अपने निजकी दृष्टि से कहता हूँ।

कोकसन

[दारोग़ा की ओर भौचक्केपन से देखकर]

मैं आपसे शिकायत नहीं करना चाहता, परन्तु मेरे ख़याल में यह अच्छी बात नहीं।

दारोग़ा

मैं ख़ुद जाकर आज उसे देखूँगा।

कोकसन

इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। मेरा ख़याल है कि रोज़ देखते रहने से शायद आपको कुछ पता न लगे।

दारोग़ा

[कुछ तीखेपन से]

अगर उसके स्वास्थ्य में कुछ भी ख़राबी मालूम हुई तो मामला फ़ौरन आगे भेज दिया जावेगा इसका काफ़ी प्रबन्ध है।

[वह उठता है]

कोकसन

[अपनी ही धुन में]

यह बात अवश्य है कि जो बात आँख से नहीं देखी जाती उसके लिए कष्ट नहीं होता। परन्तु मैं उधर से निश्चिन्त हो जाना चाहता हूँ।

दारोग़ा

आप उसे हमारे ऊपर छोड़ दीजिए।

कोकसन

[नम्र और विनीत भाव से]

शायद आप मेरा आशय समझ गए हों। मैं सीधा सादा आदमी हूँ। अफ़सर के विरुद्ध मैं कुछ नहीं कहना चाहता।

[चैपलेन की ओर झुककर]

बुरा न मानिएगा। गुडमार्निंग।

[जब वह चला जाता है, तब तीनों कर्मचारी एक दूसरे की ओर नहीं देखते। लेकिन उनके चेहरे पर एक विचित्र भाव छा जाता है।]

चैपलेन

हमारे इन मित्र का ख़याल है कि जेल अस्पताल है।

कोकसन

[अकस्मात् लौटकर बड़े ही विनीत भाव से]

एक बात और है, वह औरत—मेरे ख़याल में आपसे यह कहना उचित न होगा अगर आवे तो उसे इससे मिला दीजिएगा। इससे दोनों निहाल हो जायंगे। वह उसी का ध्यान कर रहा होगा। माना वह उसकी बीबी नहीं है, लेकिन किसी बात का खटका नहीं है। बेचारे दोनों बड़े ही दुखी हैं। आप कोई ख़ास रियायत नहीं कर सकते?

दारोग़ा

[उकता कर]

मुझे सचमुच ही दुःख है कि मैं कोई खास रियायत नहीं कर सकता। वह जब तक मामूली जेलख़ाने में न जाय, तब तक वह किसी से नहीं मिल सकता।

कोकसन

ठीक है।

[निराश स्वर से]

आपको तकलीफ़ दी, माफ़ कीजिए।

[फिर बाहर चला जाता है]

चैपलेन

[कंधों को हिलाकर]

बड़ा सीधा आदमी है बिचारा। चलो क्लेमेंट खाना खालो।

[वह और डाक्टर बातें करते जाते हैं।]

दारोग़ा

[एक लम्बी साँस लेकर टेबिल के पास कुर्सी पर बैठ जाता है और क़लम उठा लेता है।]

परदा गिरता है।

न्याय (नाटक) : अङ्क तीसरा : दृश्य २

जेलख़ाने की पहिली मंज़िल के दालान का हिस्सा। दीवारें फीके हरे रंग से गहरे हरे रंग की एक धारी तक रंगी हुई हैं जो मनुष्य के कंधे की ऊँचाई तक होगी। इसके ऊपर सफ़ेदी की हुई है। जमीन काले पत्थरों की बनी हुई है। किनारे पर की एक खिड़की से रोशनी छन कर आ रही है। चार कोठरियों के दरवाज़े नज़र आ रहे हैं। आँख की ऊँचाई पर हर एक कोठरी के दरवाज़े में एक छोटा झरोखा है जिसपर एक गोल ढकना लगा है। उसको ऊपर उठाने से कोठरी का भीतरी दृश्य दिखाई देता है। कोठरी के पास ही दीवार पर एक छोटा चौकोर तख़्ता लगा है जिसपर क़ैदी का नाम, नंबर और हाल लिखा है।

ऊपर दो मंज़िले और तिमंज़िले के दालानों के लोहे के छज्जे दिखाई दे रहे हैं।

वार्डर (जमादार) एक कोठरी से बाहर निकल रहा है। उसके डाढ़ी है और नीली वर्दी पहिने हुए है। वर्दी पर एक गर्द पोश है, उसमें चाबियाँ लटक रही हैं।

जमादार

[दरवाज़े से कोठरी के अन्दर बोलते हुए]

जब यह कर लोगे तो मैं तुम्हें कुछ थोड़ा सा काम और दूंगा।

ओक्लियरी

[नेपथ्य में आयरिश स्वर में]

ठीक है, हुज़ूर।

जमादार

[दोस्ताना ढंग से]

आखिर बैठकर क्या करोगे? कुछ न कुछ करना ही अच्छा है।

ओक्लियरी

यही तो मैं सोचता हूँ।

[कोठरियों के बन्द होने और ताला पड़ने का शब्द सुनाई देता है। फिर किसी के पैरों की आवाज़ सुनाई देती है।]

दारोग़ा

इन्हीं महाशय ने आरी बनायी है न?

[जेब में से आरी निकालता है, वुडर कोठरी का दरवाज़ा खोलता है, क़ैदी सिर पर टोपी दिए बिछौने पर सीधा लेटा नज़र आता है। वह चौंक पड़ता है और कोठरी के बीच में खड़ा हो जाता है। वह दुबला आदमी है, उम्र छप्पन वर्ष की, कान चमगीदड़ के-से, डरावनी घूरती हुई और कठोर आखें हैं।]

वुडर

टोपी उतारो।

[मोनी टोपी उतारता है]

बाहर आओ।

[मोनी दरवाजे के पास आता है]

दारोग़ा

[उसे दालान में निकल आने का इशारा करके जेब में से आरी निकाल कर उसे दिखाते हुए इस ढंग से बोलता है जैसे कोई अफ़सर सिपाही से बात कर रहा हो।]

इसके बारे में कुछ कहना है?

[मोनी चुप रहता है।]

बोलो।

मोनी

वक़्त काट रहा था।

दारोग़ा

[कोठरी की ओर इशारा करके]

काम कम है, क्यों?

मोनी

उसमें मन नहीं लगता।

दारोग़ा

[आरी को खटखटाकर]

तो इससे अच्छा ढंग सोचना चाहिए था।

मोनी

[मुँह लटकाकर]

और कौन सा ढंग था? जब तक मैं यहाँ से निकल न जाऊँ, तब तक मुझे किसी न किसी काम में अपना वक्त काटना पड़ेगा। इस उम्र में और मेरे लिए रक्खा ही क्या है?

[ज्यों-ज्यों ज़बान हिलती है वह नर्म होता जाता है]

आपको तो मालूम ही है कि इस मियाद के बाद दो ही एक साल में मुझे फिर लौट आना पड़ेगा। बाहर निकल कर अपनी बे इज़्ज़ती न कराऊँगा। जेल को क़ायदे से, दुरुस्त रखने में आपको गर्व है। मुझे भी अपनी इज़्ज़त प्यारी है।

[यह देखकर कि दारोग़ा उसकी बातों को ध्यान से सुन रहा है वह आरी की ओर इशारा करके कहता है।]

कुछ थोड़ा-थोड़ा यह काम भी करता रहूँ तो किसी का क्या बिगड़ता है? पाँच हफ़्तों से मैं इसे बना रहा था। शायद बुरा तो नहीं बना है। अब शायद काल कोठरी मिलेगी। या सात दिन सिर्फ रोटी और पानी। आपके बस की बात नहीं। मैं जानता हूँ क़ायदे से आप भी लाचार हैं।

दारोग़ा

अच्छा, देखो मोनी अगर मैं इस बार तुम्हें माफ़ कर दूं तो क्या तुम मुझ से वादा कर सकते हो कि आगे तुम कभी ऐसा न करोगे? सोचो।

[वह कमरे में घुसता है और उसके सिरे तक चला जाता है, फिर स्टूल पर चढ़कर खिड़की की सलाख़ों को आज़माता है।]

दारोग़ा

[लौटकर]

क्या कहते हो?

मोनी

[जो सोच रहा था]

अभी मुझे छः हफ्ते और यहाँ अकेले रहना है। कैसे मुमकिन है कि मैं बिना कुछ किए चुपचाप रहूँ। कोई चीज़ जरूर चाहिए जिसमें मेरा मन लगे। आपकी बड़ी दया है। लेकिन मैं कोई वादा नहीं कर सकता। एक भले आदमी को धोखा नहीं देना चाहता।

[कोठरी की ओर देखकर]

अगर चार घंटे डट कर और मिलते तो मैं इसे पूरा कर लेता।

दारोग़ा

तो उससे होता क्या? फिर पकड़ लिए जाते। यहाँ लाए जाते और सजा मिलती। पाँच हफ़्ते की सख़्त मिहनत करने पर भी कोठरी में बन्द रहना पड़ता। तुम्हारी खिड़की पर एक नई गराद लगा दी जाती। सोचो मोनी क्या यह काम इस लायक है ?

मोनी

[कुछ डरावने भाव से]

हाँ, है।

दारोग़ा

[हाथों से भौहों को खुजाते हुए]

अच्छा, दो दिन कोठरी और सिर्फ रोटी और पानी।

मोनी

धन्यवाद!

[वह जानवर की भांति घूमता है और अपने कमरे में घुस जाता है। दारोग़ा उसकी ओर देखता रहता है, और सिर हिलाता है। वुडर कोठरी को बन्द करके ताला डालता है।]

दारोग़ा

क्लिपटन की कोठरी खोलो।

[वुडर क्लिपटन की कोठरी खोलता है, क्लिपटन ठीक दरवाज़े के पास एक स्टूल पर बैठा हुआ पाजामा सी रहा है। वह नाटा, मोटा और अधेड़ है। सिर मुड़ा हुआ। धुँधले चश्मे के पीछे छोटी और काली आँखें मानो बुझ रही हो। वह उठकर दरवाज़े में चुपचाप खड़ा हो जाता है और आनेवालों को घूरता है।]

दारोग़ा

[उसको बाहर जाने का इशारा कर]

ज़रा एक मिनट के लिए बाहर आओ, क्लिपटन।

[क्लिपटन एक डरावनी ख़ामोशी के साथ बाहर आता है, सूई डोरा उसके हाथ में है। दारोग़ा वुडर से इशारा करता है, वह जाँच करने के लिए कोठरी के भीतर जाता है।]

दारोग़ा

तुम्हारी आँखें कैसी हैं?

क्लिपटन

मुझे उनकी कुछ शिकायत नहीं करनी है। यहाँ सूरज के कभी दर्शन नहीं होते।

[चोरों की तरह क़दम उठाकर सिर बढ़ा देता है।]

मैं चाहता हूँ कि आप मेरे इस दूसरे कमरे के महाशय से कुछ कह दें कि वह ज़रा कुछ चुप रहा करें।

दारोग़ा

क्यों, क्या बात है? मैं चुगली नहीं सुनना चाहता, क्लिपटन।

क्लिपटन

मैं नहीं जानता वह कौन है। मुझे तो उसके मारे नींद तक नहीं आती।

[उपेक्षा से]

शायद कोई उच्च (Star) श्रेणी का होगा! उसे हमारे साथ नहीं रखना चाहिए।

दारोग़ा

[शान्त स्वर से]

ठीक है, क्लिपटन, जब कोई कोठरी खाली होगी तब वह हटा दिया जायगा।

क्लिपटन

सबेरे वह दरवाज़ों पर धमाधम शब्द करता है, मानो कोई जंगली जानवर हो। मुझे बरदाश्त नहीं होती। मेरी नींद खुल जाती है। शाम को भी यही हाल होता है। यह कोई अच्छी बात नहीं है। आप ही सोच देखिए। नींद के सिवा यहाँ और है क्या? वह मुझे पेट भर मिलनी चाहिए।

[वुडर कोठरी के बाहर आता है। जैसे ही वह आता में क्लिपटन चोर की तरह झट से अपनी कोठरी में घुस जाता है।]

वुडर

सब ठीक है, हुज़ूर।

[दारोग़ा सिर हिलाता है, वुडर दरवाज़े को बन्द कर ताला लगाता है।]

दारोग़ा

वह कौन है जो सवेरे अपने दरवाज़े पर धक्का मार रहा था?

वुडर

[ओक्लियरी की कोठरी के पास जाकर]

यह है, साहब।

[वह ढकना उठाकर झरोखे में से भीतर देखता है।]

दारोग़ा

खोलो।

[वुडर दरवाज़ा बिलकुल खोल देता है, ओक्लियरी दरवाज़े के पास टेबिल के सामने कान लगाए बैठा हुआ नज़र आता है। दरवाज़ा खुलते ही वह उछलकर ठीक द्वार पर सीधा खड़ा हो जाता है। उसका चेहरा चौड़ा है, उम्र अधेड़ है, मुँह पतला, चौड़ी और गालों की ऊँची हड्डियों के नीचे गढ़े हो गए हैं।]

दारोग़ा

क्या मज़ाक है, ओक्लियरी?

ओक्लियरी

मज़ाक, हुज़ूर! मैंने तो बहुत दिनों से इसे नहीं देखा।

दारोग़ा

अपने दरवाज़े पर धक्के लगाना!

ओक्लियरी

ओ! वह!

दारोग़ा

यह ज़नानों का सा काम है।

ओक्लियरी

और दो महीने से हो क्या रहा है?

दारोग़ा

कोई शिकायत है?

ओक्लियरी

नहीं, हुज़ूर।

दारोग़ा

तुम पुराने आदमी हो, तुम्हें सोच समझ कर काम करना चाहिए।

ओक्लियरी

यह सब तो सुन चुका हूँ।

दारोग़ा

तुम्हारे बादवाले कमरे में एक लौंडा है, वह घबड़ा जायगा।

ओक्लियरी

कभी कभी सनक सवार हो जाती है, हुज़ूर मैं क्या करूँ! हमेशा मन ठिकाने नहीं रहता।

दारोग़ा

काम तो पसन्द है न?

ओक्लियरी

[एक चटाई उठाकर जो वह बना रहा था।]

यह काम मुझे दिया गया है। मेरे चाहे कोई प्राण ही लेले। पर यह मुझसे न होगा। ऐसा सड़ियल काम! एक चूहा भी इसे बना सकता है।

[मुँह बनाकर]

बस, यही मुझसे नहीं सहा जाता। यही सन्नाटा! जरा सी कोई भनक कान में आए तो जी हलका हो जाता है।

दारोग़ा

तुम बाहर किसी दूकान में ही होते, तो क्या बातें करने पाते?

ओक्लियरी

संसार की बातचीत तो सुनता।

दारोग़ा

[मुसकिराकर]

अच्छा, अब ये बातें बन्द होनी चाहिएँ।

ओक्लियरी

अब ज़बान न खोलूँगा, हुज़ूर।

दारोग़ा

[घूमकर]

सलाम!

ओक्लियरी

सलाम, हुज़ूर।

[वह कोठरी में जाता है, दारोग़ा दरवाज़ा बन्द करता है।

दारोग़ा

[चालचलन की तख़्ती को पढ़कर]

इस पाजी से कुछ कहने को जी नहीं चाहता।

वुडर

हाँ, साहब, मुहब्बती आदमी है।

दारोग़ा

[दालान से निकलने के रास्ते की ओर इशारा करके]

वुडर, जाकर डाक्टर को बुला लाओ।

[वुडर उधर चला जाता है]

[दारोग़ा फ़ाल्डर की कोठरी की ओर जाता है। वह हाथ उठाकर झरोखे के ढकने को खोलना चाहता है कि अचानक ही सिर हिलाकर हाथ नीचा कर लेता है। फिर चालचलन की तख़्ती पढ़कर वह दरवाज़े को खोलता है। फाल्डर जो दरवाज़े के सहारे ही खड़ा हुआ था गिरते गिरते सँभलता है।]

दारोग़ा

[बाहर आने का इशारा कर]

कहो, क्या अब भी तुम शांत नहीं हो सके, फ़ाल्डर?

फ़ाल्डर

[हाँफता हुआ]

हाँ, साहब!

दारोग़ा

मेरा मतलब यह है कि अपने सिर को दीवार पर पटकने से कुछ न होगा।

फ़ाल्डर

जी नहीं।

दारोग़ा

फिर ऐसा मत किया करो।

फ़ाल्डर

कोशिश करूँगा, हुज़ूर।

दारोग़ा

क्या तुम्हें नींद नहीं आती?

फ़ाल्डर

बहुत थोड़ी। दो बजे और उठने के समय के बीच में दिल बहुत घबड़ाता है।

दारोग़ा

क्यों?

फ़ाल्डर

[उसके ओंठ फैल जाते हैं, जैसे मुसकिराता हो]

यह नहीं जानता। मैं कच्चे दिल का आदमी हूँ।

[अचानक वाचाल होकर]

उस समय सभी बातें मुझे भयानक मालूम होती हैं। कभी-कभी सोचता हूँ कि शायद मैं यहाँ से कभी बाहर नहीं निकलूँगा।

दारोग़ा

दोस्त यह वहम है। अपने को सँभालो।

फ़ाल्डर

[अचानक झुँझलाकर]

हाँ, करना ही पड़ेगा।

दारोग़ा

अपने और साथियों को देखो।

फ़ाल्डर

उनको आदत हो गई है। जी हाँ, शायद मैं भी कुछ दिनों में उन्हीं जैसा हो जाऊँगा।

दारोग़ा

[कुछ दुःखित होकर]

खैर, यह तुम जानो। अच्छा, अब काम में अपना मन लगाने की कोशिश करो। तुम अभी बिलकुल जवान हो। आदमी जैसा चाहे बन सकता है।

फ़ाल्डर

[उत्सुकता से]

जी हाँ।

दारोग़ा

अपने मन को वश में रक्खो। कुछ पढ़ते हो?

फ़ाल्डर

[सिर झुकाकर]

मेरी समझ में कुछ आता ही नहीं। मैं जानता हूँ इससे कोई फ़ायदा नहीं। फिर भी बाहर क्या हो रहा है, यह जानने की इच्छा होती है।

दारोग़ा

क्या कोई घरेलू मामला है?

फ़ाल्डर

जी हाँ।

दारोग़ा

उन बातों को तुम्हें नहीं सोचना चाहिए।

फ़ाल्डर

[कोठरी की ओर देखकर]

यह मेरे बस बात नहीं है।

[वुडर और डाक्टर को आते देखकर बिलकुल चुप और स्थिर हो जाता है। दारोग़ा उसे कोठरी में जाने का इशारा करता है।]

फ़ाल्डर

[जल्दी से धीमे स्वर में]

मेरा दिमाग़ बिलकुल ठीक है, साहब।

[कोठरी के भीतर जाता है]

दारोग़ा

[डाक्टर से]

जाओ और उसे ज़रा देख आओ, क्लेमेंट।

[डाक्टर के भीतर जाते ही दारोग़ा दरवाज़े को भेड़ देता है, फिर खिड़की की ओर जाता है।]

वुडर

[उनके पीछे-पीछे चलकर]

बड़े दुःख की बात है कि आपको इन सभों के पीछे इतना कष्ट उठाना पड़ता है। मगर सब आदमी सुखी हैं।

दारोग़ा

क्या तुम ऐसा सोचते हो?

वुडर

हाँ, साहब, केवल "बड़े दिन" के कारण सब ज़रा बेचैन हो उठे हैं!

दारोग़ा

[अपने ही आप]

अजीब बात है।

वुडर

क्या कहा, हुज़ूर?

दारोग़ा

बड़ा दिन।

[खिड़की की ओर मुँह फेरता है। वुडर उनकी ओर बड़ी चिंता और दया की दृष्टि से देखता है।]

वुडर

[यकायक]

कहिए तो अबकी कुछ धूम धाम ज्यादा की जाय, या आप चाहें तो हाली1 के और पौदे लगा दिए जायँ।

(1क्रिसमस में युरोप में हाली के पौदों से सजावट की जाती है। इसे शुभ समझा जाता है।)

दारोग़ा

कोई जरूरत नहीं।

[डाक्टर फ़ाल्डर के कमरे से बाहर आता है, दारोग़ा उसे इशारे से बुलाता है।]

दारोग़ा

कहिए।

डाक्टर

मैं तो कोई ख़राबी नहीं पाता हूँ। हाँ, कुछ घबड़ाया ज़रूर है।

दारोग़ा

क्या उसकी हालत की इत्तला देनी चाहिए? सच कहो, डाक्टर।

डाक्टर

बात तो यह है, उसे इस प्रकार एकांत में रखने से कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है। परंतु यह बात तो मैं बहुतों के लिए कह सकता हूँ।

दारोग़ा

आपका मतलब है कि आपको औरों के लिए भी सिफ़ारिश करनी पड़ेगी।

डाक्टर

कम से कम एक दर्जन के लिए। केवल ज़रा घबड़ाहट है और कोई बात स्पष्ट नहीं है। यही देखो न।

[ओक्लियरी की कोठरी की ओर इशारा करके]

इसकी भी हालत यही है। अगर मैं लक्षणों को छोड़ दूँ तो कुछ कर ही नहीं सकता। ईमान की बात यह है कि मैं कोई खास रियायत नहीं कर सकता। वज़न में कुछ घटा नहीं है। आँखें ठीक हैं, नब्ज़ भी ठीक है। बातें बिलकुल होश की करता है। और अब एक हफ्ता तो रह ही गया है।

दारोग़ा

उन्माद का रोग तो नहीं मालूम होता?

डाक्टर

[सिर हिलाकर]

यदि आप कहें तो मैं उसके बारे में रिपोर्ट पेश कर सकता हूँ। लेकिन फिर मुझे औरों के लिए भी रिपोर्ट पेश करनी पड़ेगी।

दारोग़ा

अच्छा!

[फ़ाल्डर की कोठरी की ओर देखते हुए]

उस बेचारे को अभी यहीं रहना होगा।

[कहने के साथ कुछ अनमना सा होकर वुडर की ओर देखता है।]

वुडर

आप कुछ कह रहे हैं, हुज़ूर?

[जवाब के बदले दारोग़ा उसकी ओर आँखें फाड़कर देखता है। फिर पीछे फिरकर चलने लगता है। किसी धातु की चीज़ पर कुछ ठोंकने का शब्द सुनाई देता है।]

दारोग़ा

[ठहर कर]

क्या है, मिस्टर वुडर?

वुडर

अपने दरवाज़े को पीट रहा है, साहब। अभी शांत होता नहीं जान पड़ता।

[वह जल्दी से दारोग़ा की बगल से होकर चला जाता है, दारोग़ा भी धीरे धीरे उसी ओर जाता है।]

परदा गिरता है

न्याय (नाटक) : अङ्क तीसरा : दृश्य ३

फ़ाल्डर की कोठरी। दीवारों पर सफ़ेदी है, कमरा तेरह फीट चौड़ा, सात फीट लम्बा है। ऊँचाई नौ फीट है। छत गोल है। ज़मीन चमकीली, काली ईंटों की बनी है। जङ्गलेदार खिड़की है जिसके ऊपर हवादान है। खिड़की सामने की दीवार के बीचो बीच बनी है। उसके सामने की दीवार में छोटा-सा दरवाज़ा है। एक कोने में चादर और बिछावन लपेटा हुआ रक्खा है (दो कम्बल दो चादरें और एक गिलाफ़) ठीक उसके ऊपर चौथाई गोल लकड़ी का ताक है जिसपर बाइबिल और कई धर्म ग्रंथ तले ऊपर मीनार की तरह रक्खे हैं। बालों का काला ब्रुरुश, दाँतों का बुरुश, और एक छोटा सा साबुन भी रक्खा है। दूसरे कोने में लकड़ी की एक खाट खड़ी रक्खी है। खिड़की के नीचे एक अँधेरा हवादान है और एक दरवाज़े के ऊपर भी है। फ़ाल्डर का काम (एक कमीज़ पर उसे बटन के काज बनाने को दिया गया है।) एक खूँटी पर टंगा हुआ है। उसके नीचे एक लकड़ी की मेज़ पर एक उपन्यास "लौना दून" खुला हुआ रक्खा है। कोने में दरवाज़े के पास कुछ नीचे एक वर्ग फुट का मोटा काँच का पर्दा है जो दीवार में लगी हुई गैस की नाली के द्वार को छेके हुए है। एक लकड़ी का स्टूल भी रक्खा है। उसके नीचे जूते रक्खे हैं। खिड़की के नीचे तीन चमकदार टीन के डब्बे जड़े हुए हैं।

दिन शीघ्रता से ढल रहा है फ़ाल्डर मोज़ा पहिने हुए दरवाज़े से सिर लगाकर (मानो कुछ सुन रहा हो) चुपचाप खड़ा है। वह दरवाज़े के कुछ और पास बढ़ता है, पैरों में मोज़ा रहने के कारण शब्द नहीं होता। वह दरवाज़े से सटकर खड़ा होता है। वह खूब कोशिश करता है कि बाहर की कोई बात उसे सुनाई दे जाय। अचानक वह उछलकर सीधा सांस बन्द करके खड़ा होता है मानो किसी की आहट पाई हो। फिर एक लम्बी साँस लेकर वह अपने काम (कमीज़) की ओर बढ़ता है और सिर नीचा करके उसे देखता है। सूई लेकर दो एक टाँके लगाता है। उसकी मुद्रा से प्रकट होता है, कि वह रंज में इतना डूबा है कि हर एक टाँका मानो उसमें स्फूर्ति का संचार कर रहा है। फिर यकायक काम छोड़कर वह इस तरह कोठरी में टहलने लगता है जैसे पिंजड़े में जानवर। फिर दरवाजे के पास खड़ा होता है, कुछ सुनता है, फिर हथेली को फैलाकर दरवाज़े पर रखता है, और माथे को दरवाज़े से टेक लेता है। वहाँ से मुड़कर धीरे धीरे उँगली को दीवार की ऊँची रंगीन लकीर पर फेरता हुआ वह खिड़की के पास आता है। वहाँ आकर ठहरता है, और टीन के डब्बे का एक ढकना उठाकर देखता है मानो अपने ही चेहरे का एक साथी बनाना चाहता हो। बहुत कुछ अँधेरा हो गया है। अचानक उसके हाथ से टीन का ढक्कन झन-झन शब्द के साथ गिर पड़ता है। सन्नाटे में इस आवाज़ से वह कुछ चौंक उठता है। वह उस कमीज़ की ओर एक नज़र से देखता रहता है जो दीवार पर लटकी हुई है, और अँधेरे में कुछ सफ़ेदी दिखाई देती है। ऐसा मालूम होता है मानो कोई चीज़ या किसी आदमी को देख रहा हो। खट से एक आवाज़ होती है, कमरे के अन्दर की गैस की बत्ती जो शीशे के आइने में है जल उठती है। कमरे में खूब उजाला होने लगता है, फ़ाल्डर हाँफता हुआ नज़र आता है, अचानक दूर पर कोई शब्द होता है मानो धीरे-धीरे किसी धातु पर कोई चीज़ ठोकी जा रही हो। फ़ाल्डर पीछे खिसकता है, उससे यह अचानक आनेवाला शोर नहीं सुना जाता। परन्तु आवाज़ बढ़ती जाती है मानो कोई बड़ा ठेला कोठरी की ओर आ रहा हो। फ़ाल्डर मानो इस आवाज़ से सम्मोहित होता जाता है। वह यकायक इंच दरवाज़े की ओर खिसकता है, धम-धम की आवाज़ कोठरियों को पार करती हुई और भी पास आती जाती है। फ़ाल्डर हाथ हिलाने लगता है मानो उसकी आत्मा उस शब्द से मिल गई हो। फिर वह आवाज़ मानो कमरे के भीतर घुस आती है। अकस्मात् वह बँधी हुई मुट्ठी उठाता है, जोर-जोर से हाँफता हुआ वह दरवाज़े पर गिर पड़ता है और उसे पीटने लगता है।

परदा गिरता है।

न्याय (नाटक) : अङ्क चौथा : दृश्य १

दो साल गुज़र गए हैं। कोकसन का वही कमरा। मार्च का महीना है। दस बजने को दो मिनट बाक़ी है। दरवाज़े सब अच्छी तरह खुले हैं। स्वीडिल आफिस को ठीक कर रहा है। उसकी अब छोटी-छोटी मूछें निकल आई हैं। वह कोकसन के टेबिल को झाड़ पोछ रहा है। ढक्कनदार सिंगार मेज़ के पास जाता है और ढक्कन को खोलकर शीशे में अपना चेहरा देखता है। ठीक इसी समय रुथ हनीविल बाहर के दफ़्तर के भीतर से होकर आती है और दरवाज़े के पास खड़ी हो जाती है। उसके चेहरे पर आनंद के भाव झलक रहे हैं।

स्वीडिल

[उसको देखते ही उसके हाथ से ढक्कन छूट कर धम्म से गिर पड़ता है।

अच्छा, आप हैं!

रुथ

हाँ।

स्वीडिल

अभी तो यहाँ केवल मैं ही हूँ, वे सुबह ही सुबह आकर अपना वक्त खराब नहीं करते। ओफ़! करीब दो साल बाद आप से मुलाकात हुई।

[कुछ हिचककर]

आप क्या करती थीं?

रुथ

[ज़बरदस्ती हँसकर]

जी रही थी।

स्वीडिल

[दुःखित होकर]

अगर आप उनसे—

[कोकसन की कुर्सी की ओर इशारा करके]

मिलना चाहती हैं तो जरा बैठिए। वे आते ही होंगे। उनको कभी देर नहीं होती।

[संकोच के साथ]

मैं खयाल करता हूँ वे देहात से वापस आए होंगे। उनकी मियाद तो तीन महीने हुए पूरी हो गई, जहाँ तक मुझे याद है।

[रुथ सिर हिलाकर स्वीकार करती है]

मुझे उनके लिए बहुत दुःख है। मेरे ख़याल से मालिक ने उनके साथ अन्याय किया।

रुथ

हाँ, अन्याय तो किया।

स्वीडिल

उनको चाहिए था कि उन्हें उस बार माफ़ कर देते। और जज को भी चाहिए था कि उन्हें छोड़ देते। वे आदमी का स्वभाव क्या जानें। हम लोग इनसे कहीं अच्छी तरह जानते हैं।

[रुथ कनखियों से देखकर मुसकिराती है]

स्वीडिल

ये हमारे कंधों पर पत्थरों की गाड़ी लाद देते है, हमें मलिया मेट कर देते हैं और फिर यदि हम उठ न सकें तो हमीं को बुरा कहते हैं। मैं इन लोगों को खूब जानता हूँ। मैंने इस थोड़ी सी उम्र में ऐसी बातें बहुत देखी हैं।

[इस तरह सिर हिलाकर मानो बुद्धि उसी के हिस्से में पड़ी है]

यही देखो न उस दिन मालिक........

[कोकसन बाहर के दफ्तर से भीतर आता है। पूर्वी हवा ने कुछ ताज़ा कर दिया है। हाँ, बाल कुछ और सफेद हो गए हैं।]

कोकसन

[कोट और दस्तानों को खोलते हुए]

अच्छा, तुम हो!

[स्वीडल को बाहर जाने का इशारा करके दरवाज़ा बन्द करते हुए]

बिलकुल भूल गया। दो वर्ष बाद तुम्हें देखा, मुझसे मिलने आई हो? अच्छा मैं तुम्हें कुछ समय दे सकता हूँ। बैठ जाओ, घर पर सब कुशल तो है?

रुथ

मैं अब वहाँ नहीं रहती।

कोकसन

[तिरछी नज़र से उसकी ओर देखकर]

मैं आशा करता हूँ घर की अवस्था पहिले से अच्छी होगी।

रुथ

उतने बखेड़े के बाद मैं हनीविल के साथ न रह सकी।

कोकसन

तुम कोई पागलपन कर बैठी? मुझे यह सुनकर दुःख होगा।

रुथ

मैंने बच्चों को अपने पास रक्खा है।

कोकसन

[उसे चिंता होने लगती है कि बातें वैसी आशाजनक नहीं हैँ, जैसा उसने ख़याल किया था]

ख़ैर, मुझे तुमसे मिलकर बड़ी प्रसन्नता हुई। रिहाई के बाद तो तुमसे शायद फ़ाल्डर से मुलाकात नहीं हुई होगी।

रुथ

नहीं, कल अकस्मात् उनसे भेंट हो गई।

कोकसन

अच्छी तरह है न?

रुथ

[अकस्मात् झल्लाकर]

उन्हें कुछ काम नहीं मिल रहा है। उनकी हालत बुरी हो रही है। हड्डी-हड्डी निकल आई है।

कोकसन

[सच्ची सहानुभूति से]

सच! मुझे यह सुन कर बहुत रंज हुआ।

[अपने को संभाल कर]

उसको रिहा करने के बाद क्या उन लोगों ने कोई काम नहीं तलाश कर दिया?

रुथ

वह केवल तीन हफ्ते वहाँ काम कर पाए थे। पर उसे छोड़ना पड़ा।

कोकसन

मेरी समझ में नहीं आता तुम्हारी क्या मदद करूं। किसी को साफ़ जवाब देते मुझे बुरा लगता है।

रुथ

मुझसे उसकी यह दशा नहीं देखी जाती।

कोकसन

[उसकी प्यारी सूरत की ओर देखता हुआ]

मुझे मालूम है उसके रिश्तेदार उसे आश्रय न देंगे। शायद तुम इस बुरे वक्त में उसकी कुछ मदद कर सको।

रुथ

अब नहीं कर सकती। पहिले कर सकती थी। अब नहीं कर सकती।

कोकसन

मेरी समझ में नहीं आता तुम क्या कह रही हो।

रुथ

[अभिमान से]

मैं उससे फिर मिली थी। अब कोई आशा नहीं।

कोकसन

[उसकी ओर ग़ौर से देखकर कुछ घबड़ाया हुआ]

मैं बाल बच्चों वाला आदमी हूँ। मैं ऐसी कोई ख़राब बात नहीं सुनना चाहता। मुझे माफ़ करो। अभी मुझे बहुत काम करना है।

रुथ

अब अगर वह मर रहा हो तो मैं उसके पास नहीं जाऊंगी।

कोकसन

[खड़ा होकर इस तरह कन्नी काटता है, मानो अग्निप्रवाह से बच रहा हो]

हमें इतना आपे से बाहर न होना चाहिए—क्यों?

रुथ

[क्रोध से]

जो आदमी ऐसा कमीना बर्ताव......

[सन्नाटा छा जाता है।]

कोकसन

[स्वभाव के विरुद्ध अनुरक्त होकर]

हाँ, तो फिर तुमने क्या किया?

रुथ

[सिहरकर]

पहिली बार उसे छोड़कर जो करती थी वही काम फिर शुरू किया। कमीज़ों की सिलाई सस्ती बेचनी पड़ती थी। यही एक काम मैं कर सकती थी। परन्तु किसी हफ़्ते में सात आठ रुपए से ज्यादा न कमा सकी। अपना सूत होता था और दिन भर काम करना पड़ता था। रात को बारह बजे के पहिले कभी नहीं सोती थी। नौ महीने तक मैं यह करती रही।

[क्रोध से]

लेकिन मैं इस तरह काम नहीं कर सकती थी। मर जाना अच्छा है।

कोकसन

चुप रहो, ऐसी बातें मत करो।

रुथ

बच्चों को भी भूखों मरना पड़ता था। इतने आराम से रहने के बाद मैं उनकी तरफ से बे परवाह हो गई। मैं बहुत थक जाती थी।

[चुप हो जाती है]

कोकसन

[उत्कंठा से]

फिर क्या हुआ?

रुथ

[हँसकर]

दूकान के मालिक ने मेरे ऊपर दया की, अभी तक उनकी दया बनी हुई है।

कोकसन

ओफ़! मैंने ऐसी बात कभी नहीं सुनी।

रुथ

[उदासीन भाव से]

उनका व्यवहार मेरे साथ अच्छा है। लेकिन अब वह सब खतम हो गया।

[उसके होंठ अचानक काँपने लगते है उलटी हथेली से वह होठों को छिपा लेती है।]

मैंने कभी नहीं सोचा था कि फिर भी उनसे कभी मेरी मुलाक़ात होगी। अचानक ही मुझसे कल "हर्द बाग" में मुलाकात हो गई। हम दोनों वहाँ बहुत देर तक बैठे रहे। उसने अपनी सब राम कहानी मुझे सुना दी। ओफ़! कोकसन साहब, आप उसे फिर अपने यहाँ ले लीजिए।

कोकसन

[व्यग्र होकर]

तो तुम दोनों ने अपनी रोजी खो दी। कितनी भीषण समस्या है।

रुथ

अगर वह यहाँ आ जाते तो यहाँ तो उनके विषय में कोई पूछ ताछ न होती।

कोकसन

हम कोई ऐसा काम नहीं कर सकते जिससे कार्यालय की बदनामी हो।

रुथ

मेरे लिए और कहीं ठिकाना नहीं है।

कोकसन

मैं मालिकों से कहूंगा, लेकिन मैं नहीं ख़याल करता कि वे उसे ले लेंगे। बात ऐसी ही आ पड़ी है।

रुथ

वह मेरे साथ आए हैं, उधर सड़क पर बैठे हैं

[खिड़की की ओर दिखाती है]

कोकसन

[शान दिखाकर]

उसे नहीं आना चाहिए जब तक कि उसे बुलाया न जाय।

[उसके मुख की ओर देखकर नम्र स्वर से]

हमारे यहाँ एक जगह खाली है लेकिन मैं वादा नहीं कर सकता।

रुथ

आप उसे प्राण दान देंगे।

कोकसन

मुझसे जहाँ तक होगा मैं कोशिश करूंगा लेकिन निश्चय नहीं कह सकता। अच्छा, उससे कह दो वह यहाँ न आए जब तक मैं अवस्था को विचार न लूं। अपना पता बता जाओ।

[उसके पते को दुहराकर]

८३ मलिंगर स्ट्रीट

[ब्लाटिंग काग़ज़ पर लिख लेता है]

अच्छा, सलाम!

रुथ

धन्यवाद!

[वह दरवाज़े के पास जाकर कुछ कहने के लिए रुकती है। परंतु फिर चली जाती है।]

कोकसन

[सिर और कपाल का पसीना एक बड़े सफ़ेद रूमाल से पोंछकर]

ओफ़, क्या बुरी गत है!

[काग़ज़ों की ओर देखकर घंटी बजाता है। स्वीडिल आता है।]

कोकसन

क्या वह जवान रिचार्ड आज क्लर्क को जगह के लिए आएगा?

स्वीडिल

जी हाँ!

कोकसन

अच्छा उसे टाल देना। मैं अभी उससे मिलना नहीं चाहता।

स्वीडिल

उससे क्या कहूँ, हुजूर?

कोकसन

[झिझक कर]

कोई बहाना सोच लो। बुद्धि से काम लो। हाँ, उसे एक दम भगा मत देना। क्या उससे कह दूँ कि आपकी तबियत ख़राब है?

कोकसन

नहीं, झूठ मत बोलो! कह देना कि मैं आज आया नहीं हूँ।

स्वीडिल

अच्छा, साहब, तो उसे अभी घुमाता रहूँ।

कोकसन

और देखो तुम फ़ाल्डर को तो भूले नहीं हो, न? शायद वह मुझसे मिलने आवे। देखो उसके साथ वैसा ही बर्ताव करना जैसा उसकी दशा में तुम खुद चाहते।

स्वीडिल

यह तो मेरा धर्म ही है।

कोकसन

ठीक, गिरे हुए को ठोकर मारना चाहिये। फ़ायदा ही क्या? उसे हाथ का सहारा दे दो। यह एक ऐसा सिद्धान्त है जिसे जीवन में कभी न भूलना चाहिये। यही पक्की नीति है।

स्वीडिल

आपको आशा है कि मालिक लोग उन्हें ले लेंगे।

कोकसन

यह अभी कुछ कह नहीं सकता।

[बाहर के दफ़्तर में किसी के पैरों की आहट पाकर]

कौन है?

स्वीडिल

[दरवाज़े के पास जाकर देखता हुआ]

फ़ाल्डर आए हैं।

कोकसन

[चिल्लाकर]

ओफ़! यह उसकी बड़ी बेवकूफी है। उसे फिर आने को कहो। मैं नहीं चाहता......

[फ़ाल्डर के भीतर आते ही वह चुप हो जाता है। उसका चेहरा पीला और मुरझाया हुआ है। उम्र भी ज़्यादा हो गई है। आँखें अस्थिर हो रही हैं। कपड़े पुराने और फटे हैं।]

[स्वीडिल ख़ुशी के साथ अभिवादन करके चला जाता है।]

कोकसन

तुम्हें देखकर बहुत खुश हुआ, मगर तुम कुछ पहले आ गए।

[लल्लो चप्पो करते हुए]

आओ, हाथ मिलाओ। वह तो ख़ूब दौड़ धूप कर रही है।

[पसीना पोंछकर]

उसका क़सूर नहीं है, विचारी बहुत चिन्तित है।

[फ़ाल्डर संकोच के साथ कोकसन से हाथ मिलाता है और मालिकों के कमरे की ओर देखता है।]

कोकसन

नहीं, अभी वे आए नहीं हैं, बैठ जाओ।

[फ़ाल्डर कोकसन की मेज़ के किनारे एक कुर्सी पर बैठता है और अपनी टोपी मेज़ पर रखता है।]

अच्छा, अब अपना कुछ हाल बतलाओ।

[चश्मे के ऊपर से उसको देखते हुए]

तबियत कैसी है?

फ़ाल्डर

जीता हूँ।

कोकसन

[किसी और ध्यान में पढ़े हुए]

यह सुनकर मुझे खुशी है, हाँ उसके बारे में देखो, मैं कोई ऐसी बात नहीं करना चाहता जो देखने में भद्दी हो। यह मेरी आदत है। मैं सीधा आदमी हूँ। मैं सब बातें साफ-साफ करना ही पसन्द करता हूँ। लेकिन मैं ने तुम्हारे मित्र से वादा किया है कि मालिकों से तुम्हारे बारे में कहूँगा। तुम जानते हो मैं अपनी ज़बान का पक्का हूँ।

फ़ाल्डर

बस मैं एक मौक़ा और चाहता हूँ, मिस्टर कोकसन। मैंने जो काम किया था उसका हज़ार गुना दंड भोग चुका। हाँ, साहब, हज़ार गुना ज्यादा। मेरे दिल से पूछिए। लोग कहते हैं मेरा वज़न बढ़ गया है। लेकिन इस—

[सिर पर हाथ रखकर]

चीज़ को उन्होंने नहीं तोला। कल तक भी मैं सोचता था कि शायद यहां

[दिल पर हाथ रखकर]

अब कुछ नहीं है।

कोकसन

[चिन्तित भाव से]

तुम्हें दिल की बीमारी तो नहीं हुई है?

फ़ाल्डर

उनके ख़याल में मेरा स्वास्थ्य बहुत अच्छा है।

कोकसन

लेकिन उन्होंने तुम्हारे लिए कोई जगह तो तलाश कर दी थी न?

फ़ाल्डर

कर दी थी, बहुत अच्छे लोग थे। सब जानते हुए भी मुझसे खुश थे। मैंने सोचा था मजे से दिन कट जायँगे। लेकिन एक दिन और क्लर्कों के कान में भनक पड़ गई...वे मुझसे...फिर मैं वहाँ न रह सका, मिस्टर कोकसन! बहुत मुशकिल था।

कोकसन

दिल को संभालो; भाई, घबड़ाओ मत।

फ़ाल्डर

उसके बाद एक जगह और मुझे मिल गई थी, पर चली नहीं।

कोकसन

क्यों?

फ़ाल्डर

आप से झूठ बोलकर कुछ फ़ायदा नहीं है, मिस्टर कोकसन! बात यह है मुझे ऐसा मालूम होता है कि मुझे किसी चीज़ ने चारों ओर से जकड़ रक्खा है जिसमें फँसा पड़ा हुआ हूँ। ठीक जैसे मैं किसी जाल में फाँस लिया गया हूँ। ताड़ से गिरता हूँ तो बबूल पर अटकता हूँ। बिना प्रशंसापत्र के कोई काम नहीं देता था। इस विषय में मुझे जो कुछ न करना चाहिए था वह मैं ने किया। और उपाय ही क्या था? परन्तु मुझे डर लगा कि कहीं पकड़ा न जाऊं। बस, इसीलिये छोड़ दिया। अब भी मुझे डर लगा रहता है।

[सिर नीचा कर टेबिल के सहारे निराश होकर झुक जाता है।]

कोकसन

तुम्हारी हालत पर मुझे बहुत रंज है। विश्वास मानो। क्या तुम्हारी बहन तुम्हारे लिए कुछ न करेगी?

फ़ाल्डर

एक को तपेदिक की बीमारी है और दूसरी...

कोकसन

हाँ, मुझे याद है, तुमने मुझसे कहा था कि उनके पति तुमसे बहुत खुश नहीं हैँ।

फ़ाल्डर

मैं जब वहाँ गया तब वे खाना खा रहे थे। मेरी बहन मुझे चूम लेना चाहती थी। मगर उसने उसकी ओर घूर कर देखा,...फिर मुझसे कहा—तुम क्यों आये हो? मैंने अपने सब अभिमानों को दबाकर कहा—"क्या तुम मुझसे हाथ नहीं मिलाओगे, जिम?" उसने कहा—"देखो जी, जो कुछ हुआ वह हुआ। मैं तुमसे निबटारा कर लेना चाहता हूँ। मैं जानता था कि तुम आओगे, और मैंने पहिले ही निश्चय कर लिया है, मैं तुम्हें २५ गिन्नी देता हूँ! तुम केनाडा चले जावो। मैंने कहा, ठीक है, ख़ूब गला छुड़ा रहे हो। धन्यवाद! मुझे ज़रूरत नहीं है, २५ गिन्नी अपने पास रक्खो। जिस दशा में मैं रह चुका हूँ उस दशा में रहने के बाद फिर कहाँ की दोस्ती?

कोकसन

मैं समझ गया। अच्छा, यदि मैं तुम्हें २५ गिन्नी दूं तो तुम लोगे, भाई?

[फ़ाल्डर को अपनी ओर मुसकिराते देखकर झेंपता है।]

बुरा मानने की बात नहीं, मेरा इरादा बुरा न था।

फ़ाल्डर

तो यहाँ मुझे नौकरी न मिलेगी?

कोकसन

नहीं, नहीं, तुम मेरा मतलब नहीं समझ रहे हो।

फ़ाल्डर

मैंने इस हफ़्ते में रात बग़ीचे में सोकर काटी है। कवियों की उषा का वहाँ कहीं पता भी नहीं। लेकिन कल उससे मिलकर मुझे मालूम होता है कि मैं आज कुछ और ही हो गया हूं। मेरे जीवन में जो सुख या शान्ति है यह केवल उसके प्रेम में है। वह मेरे लिये पवित्र है। फिर भी उसने मेरा सर्वनाश कर दिया। कितनी अजीब बात है!

कोकसन

हम सब को ही तुम्हारे लिये दुःख है।

फ़ाल्डर

ह, यहाँ तो मैं भी देख रहा हूँ। अत्यन्त दुःख है।

[श्लेष के साथ]

लेकिन चोर डाकुओं साथ मिलना आपकी शान के खिलाफ़ है।

कोकसन

छीः फ़ाल्डर, क्यों अपने को गाली देते हो? इससे कोई फ़ायदा नहीं है। इस पर परदा डाल दो।

फ़ाल्डर

परदा डाल देना मामूली बात है, अगर आपके पास काफ़ी धन हो। मेरी तरह टूट जाइये तो मालूम हो। मसल है "जो जैसा करता है फल पाता है"। मुझे तो कुछ ज्यादा मिल गया।

कोकसन

[चश्मे के ऊपर से उसकी ओर तिरछी नज़र से देखकर]

तुम साम्यवादी तो नहीं बन गये हो?

[फ़ाल्डर अकस्मात् चुप हो जाता है मानो पिछली बातें सोच रहा है। कुछ अजीब तरह से हँसता है।]

कोकसन

विश्वास मानो, सब लोग दिल से तुम्हारी भलाई चाहते हैं। तुम्हारा नुक़सान करना कोई नहीं चाहता।

फ़ाल्डर

आप बहुत ठीक कहते हैं, कोकसन। हमारा दुश्मन तो कोई नहीं है। फिर भी जान के गाहक सब हैं।

[चारों ओर देखने लगता है, मानो कोई उसे फँसा रहा हो।]

यह मुझे कुचले डालता है।

[मानो अपने को भूलकर]

जान ही लेकर छोड़ोगे।

कोकसन

[बहुत बेचैन होकर]

यह सब कुछ नहीं है। सब अपने आप ठीक हो जायगा। मैं बराबर तुम्हारे लिए प्रार्थना करता था। तुम निश्चिंत रहो। मैं होशियारी से काम लूंगा और जब वे ज़रा मौज में रहेंगे, तब यह जिक्र छेड़ूंगा।

[ठीक इसी समय जेम्स और वाल्टर हो आते हैं।]

कोकसन

[कुछ घबड़ाकर, परन्तु साथ ही उन्हें इतमीनान दिलाने के लिए]

आज तो आप लोग बहुत जल्द आ गए। मैं ज़रा इनसे बातें कर रहा था—आप इन्हें भूले न होंगे?

जेम्स

[तीव्र गंभीर भाव से देखकर]

बिल्कुल नहीं। कैसे हो फ़ाल्डर?

वाल्टर

[डरता हुआ अपना हाथ फैलाकर]

तुम्हें देखकर बहुत ख़ुश हुआ, फ़ाल्डर।

फ़ाल्डर

[अपने को सँभालकर वाल्टर से हाथ मिलाते हुए]

आपको धन्यवाद देता हूँ।

कोकसन

आपसे एक बात करनी है, मिस्टर जेम्स।

[क्लर्क के कमरे की ओर फ़ाल्डर को इशारा करके]

तुम जरा वहाँ जाकर बैठ जाओ। मेरा जूनियर आज नहीं आएगा। उसकी स्त्री के बच्चा हुआ है।

[फ़ाल्डर हिचकता हुआ क्लर्क के कमरे में जाता है।]

कोकसन

[गोपनीय भाव से]

मैं आपसे इसी के बारे में कहना चाहता हूँ। अपनी भूल पर बहुत लज्जित है। लेकिन लोग उस पर शुभा करते हैं। और उसका चेहरा भी आज उतरा हुआ है। भोजन के लाले पड़े हैं। भोजन के बिना कोई कैसे रह सकता है?

जेम्स

अच्छा भोजन भी नहीं मिलता?

कोकसन

हाँ, मैं आपसे यही पूछना चाहता था अब तो उसको काफ़ी सबक़ मिल गया है और हमें एक क्लर्ककी ज़रूरत भी है। फ़ाल्डर हम लोगों के लिये कोई नया आदमी नहीं है। एक युवक ने दरख़ास्त तो भेजी है, लेकिन मैं उसे टाल रहा हूं।

जेम्स

क्या जेल के असामी को आफिस में रक्खोगे, कोकसन? मुझे तो अच्छा नहीं लगता।

वाल्टर

वकील की वह बात मैं कभी न भूलूंगा। "न्याय की चक्की के चलते हुए पार।"

जेम्स

इस मामले में मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसे कोई बुरा कह सके। जेल से निकलकर अब तक क्या करता रहा?

कोकसन

एकाध जगह नौकरी मिली थी, मगर वहाँ टिक नहीं सका। वह बहुत शक्की है—स्वाभाविक बात है—उसे मालूम होता है कि सारी दुनिया उसके पीछे पड़ी है।

जेम्स

यह और खराब बात है, मैं उसे पसन्द नहीं करता। कभी नहीं किया। "दुर्बल चरित्र" तो मानो उसके चेहरे पर लिखा हुआ है।

वाल्टर

हमें एकबार उसे सहारा तो देना ही चाहिए।

जेम्स

उसने अपने ही हाथों तो अपने पैर में कुल्हाड़ी मारी।

वाल्टर

इस जमाने में पूरी जिम्मेदारी का सिद्धान्त मानने योग्य नहीं।

जेम्स

[गंभीरता से]

फिर भी तुम्हारा कल्याण इसी में है कि इसे मानते रहो।

वाल्टर

हाँ, अपने लिए, दूसरों के लिए नहीं।

जेम्स

ख़ैर, मैं सख्ती नहीं करना चाहता।

कोकसन

मुझे ख़ुशी है कि आप ऐसा कहते हैं।

[हाथ फैलाकर]

वह अपने चारों ओर कुछ देखता रहता है। यह दुर्बलता का चिह्न है।

जेम्स

उस औरत का क्या हुआ जिससे उसका कुछ सम्बन्ध था? ठीक वैसी ही एक औरत को बाहर अभी देखा है।

कोकसन

वह-वह आपसे कह देना ही ठीक है, वह उससे मिल चुका है।

जेम्स

क्या वह अपने पति के साथ रहती है?

कोकसन

नहीं।

जेम्स

शायद फ़ाल्डर उसके साथ रहता होगा।

कोकसन

[बनती हुई बात को बनाए रखने की प्रबल चेष्टा करके]

यह मुझे नहीं मालूम। मुझसे इससे क्या मतलब?

जेम्स

लेकिन अगर हम उसे नौकर रक्खेंगे, तो हमें इससे ज़रूर मतलब है।

कोकसन

[अनिच्छा से]

शायद आपसे कहना ही ठीक है। वह आज यहाँ आई थी।

जेम्स

मैंने भी यही सोचा था।

[वाल्टर से]

नहीं, बेटा, हम ऐसा नहीं कर सकते। सरासर बदनामी है।

कोकसन

दोनों बातों के मिल जाने से मामला बेढब हो गया है। मैं समझता हूँ।

वाल्टर

मैं नहीं समझता कि हमें उसकी निजी बातों के क्या सरोकार है।

जेम्स

नहीं-नहीं, यहाँ आने के पहिले, उसे उस औरत को छोड़ना पड़ेगा।

वाल्टर

ग़रीब बिचारा!

कोकसन

आप उससे मिलेंगे?

[जेम्स को सिर हिलाते देखकर]

शायद मैं उसे समझा सकूं।

जेम्स

[गम्भीर भाव से]

मैं समझा लूंगा, तुम्हें कुछ कहने की ज़रूरत नहीं।

वाल्टर

[कोकसन जब फ़ाल्डर को बुलाता है उस समय धीमे स्वर में जेम्स से]

उसकी सारी ज़िन्दगी अब आपके हाथ में है, पिता जी।

[फ़ाल्डर आता है, उसने अपने को संभाल लिया है, बेधड़क आकर खड़ा होता है।]

जेम्स

देखो फ़ाल्डर, वाल्टर और मैं चाहता हूँ कि तुम्हें फिर एक बार मौका दूं। लेकिन मैं दो बातें तुमसे कह देना चाहता हूँ। पहिली बात यह है कि यहाँ सताए हुए की भाँति आना ठीक नहीं है। अगर तुम्हारा यह ख़याल है कि तुम्हारे साथ अन्याय किया गया है, तो उसे भूल जाना पड़ेगा। आग में कूदकर यह नहीं हो सकता कि आँच न लगे। समाज यदि अपनी रक्षा न करेगा, तो उसकी कोई परवा न करेगा। समझते हो?

फ़ाल्डर

जी हाँ, लेकिन क्या मैं भी कुछ कह सकता हूँ।

जेम्स

कहो।

फ़ाल्डर

मैंने जेल में इन सब बातों पर बहुत विचार किया है।

कोकसन

[उत्साह देते हुए]

हाँ, अवश्य किया होगा।

फ़ाल्डर

वहाँ सब तरह के आदमी थे। मुझे मालूम हुआ, यदि पहिली बार मेरे साथ नर्मी की गई होती और जेल में रखने के बदले किसी ऐसे आदमी के मातहत रक्खा जाता जो हमारी कुछ देख भाल करता तो वहाँ जितने क़ैदी हैं उनके एक चौथाई भी न रहते।

जेम्स

[सिर हिलाकर]

मुझे इसमें बहुत सन्देह है, फ़ाल्डर।

फ़ाल्डर

[कुछ ईर्षा के भाव से]

ठीक है साहब, लेकिन मेरा यह अनुभव है।

जेम्स

भाई, तुम्हें यह न भूलना चाहिए कि तुमने शुरू किया था।

फ़ाल्डर

लेकिन मेरी मंशा बुराई की नहीं थी।

जेम्स

शायद न हो, लेकिन तुमने की ज़रूर।

फ़ाल्डर

[बीते हुए कष्टों की बात सोचकर]

इसने मुझे कुचल डाला, साहब।

[सीधा खड़ा होकर]

मैं कुछ और था और अब कुछ और हूँ।

जेम्स

इससे तो हमारे मन में शंका होती है, ।

कोकसन

आप समझे नहीं, मिस्टर जेम्स, उसका मतलब यह नहीं है।

फ़ाल्डर

[तीव्र शोक से उद्धत होकर]

नहीं, मेरा मतलब यही है कि मिस्टर कोकसन—

जेम्स

खैर, उन सब बातों को छोड़ो, फ़ाल्डर, अब आगे की ओर देखो।

फ़ाल्डर

[तत्परता के साथ]

हाँ, साहब, लेकिन आप समझ नहीं सकते कि जेल क्या चीज है।

[अपनी छाती को पकड़कर]

बस, यहाँ उसकी चोट पड़ती है।

कोकसन

[जेम्स के कान में]

मैंने आपसे कहा था कि उसे अच्छे भोजन की ज़रूरत है।

वाल्टर

मत घबड़ाओ मित्र, यह सब शान्त हो जायगा। समय तुम पर दया करेगा।

फ़ाल्डर

[कुछ मुँह सिकोड़ कर]

मुझे भी ऐसी आशा है।

जेम्स

[बड़ी नम्रता से]

खैर, देखो भई, तुम्हें जो कुछ करना है, वह यह है कि बीती हुई बातों पर पर्दा डालो। और अपनी अच्छी साख जमाओ। अब रही दूसरी बात, वह यह है कि जिस औरत के साथ तुम्हारा सम्बन्ध था; तुम्हें वचन देना पड़ेगा कि आगे उसके साथ तुम्हारा कोई सरोकार नहीं रहेगा। अगर तुम इस तरह का सम्बन्ध रख कर अपना जीवन-सुधार शुरू करोगे, तो तुम कभी अपनी नीयत ठीक नहीं रख सकते।

फ़ाल्डर

[हर एक की मुँह की ओर दुःखी आँखों से देखकर]

लेकिन साहब....इसी भरोसे पर तो मैंने यह सब दुःख झेले हैं। और भी...कल रात को ही मुझसे उसकी मुलाकात हुई है।

[यह और इसके पीछे की बातें सुनकर कोकसन की परेशानी बढ़ती जाती है।]

जेम्स

यह बहुत दुःख की बात है, फ़ाल्डर। तुम समझ सकते हो मेरे जैसे कार्यालय के लिए यह असंभव है कि वह अपनी आखें सब तरफ से बन्द कर लें। अपनी नीयत ठीक करने का यह प्रमाण दे दो, बस मैं तुम्हें अपने यहाँ रख लूंगा, नहीं तो मैं लाचार हूँ।

फ़ाल्डर

[ जेम्स की ओर स्थिर दृष्टि से देखते हुए अचानक कुछ दृढ़ होकर]

नहीं, मैं उसे छोड़ नहीं सकता! यह असम्भव है। मेरे लिए उसके सिवा और कोई नहीं है, साहब। और उसके लिए भी मैं ही सब कुछ हूँ।

जेम्स

मुझे इसके लिए दुःख है, फ़ाल्डर। लेकिन मैं अपना विचार बदल नहीं सकता। तुम दोनों के लिए आगे चलकर इसका नतीजा अच्छा होगा। इस सम्बन्ध में भलाई कभी नहीं हो सकती। यही तुम्हारे सब दुखों का कारण था।

फ़ाल्डर

लेकिन, साहब, इसका तो यह मतलब है कि मैंने वे सारे दुख व्यर्थ ही झेले किसी काम का नहीं रहा। मेरा स्वास्थ्य बिलकुल चौपट हो गया। यह सब मैंने उसके लिए ही किया था।

जेम्स

अच्छा सुनो, अगर दरअसल वह अच्छी औरत है, तो खुद ही समझ जायगी। वह कभी तुम्हारी दुर्गति न करायेगी। हाँ, अगर उसके साथ तुम्हारे विवाह होने की आशा होती, तो दूसरी बात थी।

फ़ाल्डर

यह मेरा कसूर नहीं है, साहब, कि वह अपने पति से छुटकारा नहीं पा सकी। अगर उसका वश होता, तो वह ज़रूर ऐसा करती। यही सारी विपत्ति का मूल कारण है।

[अकस्मात् वाल्टर की ओर देखकर]

अगर कोई इसकी मदद कर सकता। अब केवल धन की जरूरत

कोकसन

[वाल्टर हिचक कर कुछ कहना ही चाहता था कि बीच में बात काटकर]

मेरी समझ में अभी उसकी चर्चा करने की ज़रूरत नहीं। यह बहुत दूर की बात है।

फ़ाल्डर

[वाल्टर की ओर कातर भाव से]

उसने तब से उस पर और भी अत्याचार किया होगा। वह साबित कर सकती है, कि उसने उसे छोड़ने पर मजबूर किया।

वाल्टर

मैं तुम्हारी सब तरह से मदद करने को तैयार हूँ, फ़ाल्डर, अगर अपने बस की बात हो।

फ़ाल्डर

आपकी मुझपर बड़ी कृपा है।

[वह खिड़की के पास जाकर नीचे सड़क की ओर देखता है]

कोकसन

[जल्दी से]

मेरी बातों पर न जाइए मि॰ वाल्टर। उसके विशेष कारण हैं।

फ़ाल्डर

[खिड़की के पास से]

वह नीचे खड़ी है, बुलाऊँ? यहीं से बुला सकता हूँ।

[वाल्टर हिचकता है, और कोकसन तथा जेम्स की ओर देखता है।]

जेम्स

[सिर हिलाकर]

हाँ, बुलालो।

[फ़ाल्डर खिड़की से इशारा करता है।]

कोकसन

[घबड़ाकर जेम्स और वाल्टर से धीमी आवाज़ में]

नहीं, मिस्टर जेम्स, जब वह जेल में था तब उसे जिस तरह रहना चाहिए था, वैसे वह न रह सकी। उसने मौक़ा खो दिया। हम क़ानून को धोखा देने की सलाह नहीं कर सकते।

[फ़ाल्डर खिड़की के पास से चला आता है। तीनों आदमी चुपचाप गम्भीर भाव से उसकी तरफ देखते हैं।]

फ़ाल्डर

[उनके भावों में परिवर्त्तन देखकर सशंक नेत्रों से हर एक की तरफ देखते हुए]

हमारा और उसका सम्बन्ध अभी तक पवित्र है, साहब! जो कुछ मैंने अदालत में कहा था वह बिलकुल सच है। कल रात को हम थोड़ी देर तक बग़ीचे में केवल बैठे ही थे।

[स्वीडिल बाहर के कमरे से आता है]

कोकसन

क्या है?

स्वीडिल

श्रीमती हनीविल।

[सब चुप रहते हैं।]

जेम्स

बुलाओ।

[रुथ धीरे-धीरे भीतर आती है, और फ़ाल्डर के पास एक किनारे स्थिर भाव से खड़ी हो जाती है। बाक़ी तीनों आदमी दूसरी ओर खड़े हैं। कोई बोलता नहीं। कोकसन अपनी मेज़ के पास जाकर काग़जों को देखने के लिए झुक जाता है मानो अवस्था ऐसी ही आ गई है कि वह अपनी पुरानी जगह पर आ बैठने के लिए मज़बूर है।]

जेम्स

[तेज़ आवाज से]

दरवाजा बन्द कर दो।

[स्वीडिल दरवाज़ा बन्द करता है]

हमने तुम्हें इसलिए बुलाया है कि इस मामले में कुछ बातें तै करनी ज़रूरी हैं। मुझे मालूम हुआ कि तुम फ़ाल्डर से अभी हाल में ही फिर मिली हो।

रुथ

जी हाँ, कल ही।

जेम्स

उसने अपने बारे में सब बातें हम से कह दी हैं, और हमें उनके लिए बहुत रंज है। मैंने उसे अपने यहाँ काम देने का वादा किया है इस शर्त पर कि वह फिर से नई ज़िन्दगी शुरू करे।

[रुथ की ओर गौर से देखकर]

इसमें केवल ज़रा हिम्मत की ज़रूरत है।

[रुथ अपने हाथों को मलती हुई फ़ाल्डर की ओर देखती रहती है। मानो उसे विपत्ति का आभास हो गया है।]

फ़ाल्डर

वाल्टर साहब ने हमारे ऊपर दया करके कहा है कि वह तुम्हारा विवाह-विच्छेद करा देंगे।

[रुथ चौंक कर जेम्स और वाल्टर की ओर देखती है]

जेम्स

यह तो बहुत कठिन है, फ़ाल्डर।

फ़ाल्डर

लेकिन साहब—

जेम्स

[गम्भीर होकर]

देखो श्रीमती हनीविल, तुम्हें इनसे प्रेम है?

रुथ

हाँ, साहब, मैं उनसे प्रेम करती हूँ।

[फ़ाल्डर की ओर दुखित नेत्रों से देखती है।]

जेम्स

तब तुम उसके रास्ते का काँटा नहीं बनोगी—क्यों?

रुथ

[कंपित कंठ से]

मैं उसकी सेवा कर सकती हूँ।

जेम्स

सब से अच्छी सेवा जो तुम कर सकती हो, वह यह है कि तुम उसे छोड़ दो।

फ़ाल्डर

नहीं, कोई मुझे तुमसे अलग नहीं कर सकता, रुथ। तुम विवाह-विच्छेद करा सकती हो। हममें तुममें और कोई बात तो नहीं हुई है। बोलो।

रुथ

[उसकी ओर न देख कर उदासी के साथ सिर हिलाते हुए]

नहीं।

फ़ाल्डर

हुजूर, जब तक मामला साफ़ न हो जायगा हम एक दूसरे से अलग रहेंगे। हम यह बचन देते हैं। केवल आप हमारी मदद करें।

जेम्स

[रुथ से]

तुम सब बातें समझ रही हो न? मेरा मतलब भी तुम समझती हो।

रुथ

[बहुत धीरे से]

हाँ।

कोकसन

[अपने ही आप]

औरत समझदार है।

जेम्स

यह अवस्था भयंकर है।

रुथ

क्या मुझे उसको छोड़ना ही पड़ेगा, साहब?

जेम्स

[अनिच्छा से उसकी ओर देखकर]

मैं तुम्हारे ऊपर छोड़ता हूँ। देवी, उसका भविष्य तुम्हारे ही हाथ में है।

रुथ

[व्याकुल होकर]

मैं उसकी भलाई के लिए सब कर सकती हूँ।

जेम्स

[कुछ खुशी से]

यही तो चाहिए। यही तो चाहिए।

फ़ाल्डर

मेरी समझ में कुछ नहीं आता। क्या सचमुच तुम मुझे छोड़ दोगी? कोई और बात है।

[जेम्स की ओर एक क़दम बढ़ाकर]

मैं ईश्वर की क़सम खाकर कहता हूँ कि अभी हम दोनों का सम्बन्ध बिलकुल पवित्र है।

जेम्स

मैं तुमपर विश्वास करता हूँ, फ़ाल्डर। तुम भी उसकी तरह हिम्मत बाँधो।

फ़ाल्डर

अभी अभी आप कह रहे थे कि तुम्हारी मदद करेंगे।

[रुथ की ओर ताकता है जो मूर्ति की भाँति खड़ी है। ज्यों ज्यों उसे समस्या का ज्ञान होता है उसके मुँह और हाथ काँपने लगते हैं।]

यह क्या बात है? आपने तो....

वाल्टर

पिता जी!

जेम्स

[जल्दी से]

मत घबड़ाओ, मत घबड़ाओ, फ़ाल्डर। मैं तुम्हें काम देता हूँ। केवल मुझे जानने मत देना कि तुम क्या कर रहे हो।—बस।

फ़ाल्डर

[मानो सुना ही नहीं]

रुथ!

[रुथ उसकी ओर देखती है, फ़ाल्डर अपने हाथों से मुँह ढाँक लेता है। सन्नाटा छा जाता है।]

कोकसन

[अचानक]

बाहर कमरे में कोई आया है।

[रुथ से]

तुम जरा भीतर जाओ, दो चार मिनट अकेले रहने से तुम्हें आराम मिलेगा।

[क्लर्क के कमरे की ओर इशारा करता है और बाहर की ओर जाने लगता है। फ़ाल्डर चुप खड़ा रहता है। रुथ डरते-डरते अपना हाथ बढ़ाती है। उसके स्पर्श से फ़ाल्डर सिहर कर पीछे की ओर हटता है। वह दुःखित होकर क्लर्क के कमरे की ओर जाती है। अचानक चौंक कर वह भी पीछे हो लेता है और दरवाजे के भीतर जाकर उसका कंधा पकड़ता है। कोकसन दरवाज़ा बन्द करता है।]

जेम्स

[बाहर के कमरे की ओर उँगली दिखाकर]

कोई भी हो अभी भगा दो।

स्वीडिल

[दरवाज़ा खोलकर सहमी हुई आवाज़ से]

सार्जन्ट विस्टर, खुफिया पुलीस।

[डिटेक्टिव कमरे में आकर दरवाज़ा बन्द कर देता है।]

विस्टर

आपको तकलीफ़ दी, माफ़ कीजिए। ढाई साल पहिले आपके यहाँ एक क्लर्क था जिसको मैंने इसी कमरे में गिरफ़्तार किया था।

जेम्स

हाँ, तो क्या हुआ?

विस्टर

मैंने सोचा कि शायद आपको उसका पता मालूम हो।

[संकोचवश कोई जवाब देता]

कोकसन

[हँसकर बात बनाते हुए]

यह बतलाना हमारा काम नहीं है कि वह कहाँ है।—बतलाइए!

जेम्स

आपका उससे क्या काम है?

विस्टर

उसने इधर हाज़िरी नहीं बोली है।

वाल्टर

क्या अभी तक पुलीस से उसका पिंड नहीं छूटा है?

विस्टर

हाँ, हमें उसका पता मालूम रहना ज़रूरी है। खैर, यह कोई ऐसी बात नहीं थी। लेकिन हमें मालूम हुआ है कि झूठे प्रशंसापत्र दिखाकर उसने एक नौकरी कर ली थी। दोनों बातें साथ-साथ आ पड़ी। अब हम उसे छोड़ नहीं सकते।

[फिर सब चुप हो जाते हैं वाल्टर और कोकसन कनखियों से जेम्स की ओर देखते हैं जो खड़ा डिटेक्टिव की ओर स्थिर दृष्टि से देखता रहता है।]

कोकसन

[कुछ तेज़ होकर]

अभी हम बहुत व्यस्त हैं और किसी वक्त आइए तब शायद हम बतला सकें।

जेम्स

[दृढ़ता से]

मैं नीति का सेवक हूँ। लेकिन किसी की मुख़बिरी करना मुझे पसन्द नहीं। मुझसे ऐसा काम नहीं हो सकता। अगर तुम्हें उसे गिरफ़्तार करना है तो बिना हमारी मदद के कर सकते हो।

[बातें करते-करते उसकी आँख फ़ाल्डर की टोपी पर पड़ती है जो टेबिल पर पड़ी हुई थी। वह मुँह सिकोड़ता है।]

विस्टर

[उसके भाव के परिवर्तन को देखकर शान्त स्वर से]

बहुत अच्छा, साहब। लेकिन मैं आपको होशियार कर देता हूँ कि उसको आश्रय देना....

जेम्स

मैं किसी को आश्रय नहीं देता, लेकिन आप आगे कभी आकर मुझसे ऐसे प्रश्न न कीजिएगा जिनका जवाब देने के लिए हम मजबूर नहीं हैं।

विस्टर

[रूखी आवाज़ से]

खैर, साहब, अब आगे मैं आपको तकलीफ़ नहीं दूंगा।

कोकसन

मुझे दर असल अफ़सोस है कि मैं आपको कोई खबर नहीं दे सकता। खैर, आप तो समझते ही हैं। अच्छा, सलाम!

[विस्टर जाने के लिए मुड़ता है, लेकिन बाहर की ओर न जाकर क्लर्क के कमरे की ओर बढ़ता है।]

कोकसन

वह नहीं—वह नहीं दूसरा दरवाज़ा।

[विस्टर क्लर्क के कमरे का दरवाज़ा खोलता है, रुथ की आवाज़ सुनाई देती है। वह कह रही है "मान जाओ।" फ़ाल्डर कहता है "नहीं, मैं नहीं मान सकता।" थोड़ी देर सन्नाटा रहता है। अचानक रुथ डरकर चिल्ला उठती है "यह कौन है"? विस्टर भीतर घुस जाता है। तीनों आदमी दरवाज़े की ओर हक्के बक्के होकर देखते हैं।

विस्टर

[भीतर से]

तुम हट जाव।

[वह ज़ल्दी से फ़ाल्डर का हाथ पकड़कर बाहर आता है। फ़ाल्डर का चेहरा बिलकुल सफ़ेद हो गया है, वह तीनों आदमियों की ओर देखता है।]

वाल्टर

ईश्वर के लिए उसे इस बार छोड़ दो।

विस्टर

मैं अपने ऊपर यह ज़िम्मेदारी नहीं ले सकता, साहब।

फ़ाल्डर

[एक विचित्र निराशापूर्ण हँसी के साथ]

अच्छी बात है!

[रुथ की ओर एक दृष्टि डालकर वह सिर उठाता है, और बाहर के आफ़िस से निकल जाता है। विस्टर उसके साथ प्रायः घिसटता हुआ जाता है।]

वाल्टर

[व्यथित होकर]

बस, अब कहीं का नहीं रहा। बराबर यही बला सिर पर सवार रहेगी।

[स्वीडिल बाहर के कमरे से ताकता हुआ नज़र आता है। सीढ़ी से नीचे उतरने की आवाज़ आती है। अचानक द्वार पर विस्टर की धीमी आवाज़ "या खुदा!" सुनाई देती है।]

जेम्स

यह क्या हुआ?

[स्वीडिल झपककर आगे बढ़ता है, दरवाज़ा भी बन्द हो जाता है। पूरा सन्नाटा छा जाता है।]

वाल्टर

[भीतर के कमरे की भोर बढ़कर]

अरे! यह औरत बेहोश हो रही है।

[वह और कोकसन बेहोश होती हुई रुथ को उठाकर क्लर्क के कमरे के दरवाज़े से बाहर लाते हैं।]

कोकसन

[घबड़ाकर ]

शान्त हो, शान्त हो, मत घबड़ाओ!

वाल्टर

तुम्हारे पास ब्रांडी नहीं है?

कोकसन

मेरे पास शेरी है।

वाल्टर

अच्छा, ले आओ जल्दी।

[जेम्स एक कुर्सी खींच लाता है, वाल्टर रुथ को उस पर लिटा देता है।]

कोकसन

[शेरी की बोतल लाकर]

यह लीजिये बहुत तेज़ अच्छी शेरी है।

[वे उसके होठों के भीतर शेरी ढालने की चेष्टा करते हैं। पैरों की आहट पाकर ठहर जाते हैं। बाहर का दरवाज़ा खुलता है। और उसी कमरे में विस्टर और स्वीडिल कोई चीज़ लादकर लाते हैं।]

जेम्स

[तेजी से बढ़कर]

यह क्या है?

[वे उस बोझ को नज़रों से बाहर दफ्तर में उतारते हैं। रुथ के सिवा सब जाकर उसके चारों ओर खड़े हो जाते हैं और दबी ज़बान से बातें करते हैं।]

विस्टर

कूद पड़ा—गर्दन टूट गई।

वाल्टर

हा ईश्वर!

विस्टर

यह सोचना पागलपन था कि मुझे झाँसा देकर निकल जायगा। दो चार महीने के सिवा और तो कुछ होता ही नहीं।

वाल्टर

[निराशा से]

बस, इतना ही।

जेम्स

ओफ़! जान ही पर खेल गया।

[अचानक बड़े ही व्यथित कंठ से]

जल्दी जाओ। एक डाक्टर बुला लाओ।

[स्वीडिल दौड़ता है]

एक डोली भी लाना।

[विस्टर चला जाता है। रुथ के चहरे पर भय और कातरता का भाव बढ़ता जाता है मानो किसी की बात सुनने की हिम्मत उसमें न हो। फिर धीरे-धीरे उठकर उनकी ओर बढ़ती है।]

वाल्टर

[अचानक उसकी ओर देखकर]

हटो।

[तीनों आदमी रास्ता छोड़कर पीछे हटते हैं। रुथ घुटनों के बल देह के पास गिर पड़ती है।]

रुथ

[धीमी आवाज़ से]

यह क्या? इसकी साँस बन्द हो रही है।

[लाश से लिपटकर]

मेरे प्रियतम! मेरे सुहाग!

[बाहर के कमरे के दरवाज़े पर लोग खड़े नज़र आते हैं।]

रुथ

[उन्मत्त की भाँति खड़ी होकर]

नहीं नहीं, वह मर गए। मत छुओ।

[लोग हट जाते हैं]

कोकसन

[चुपके से बढ़कर बैठे हुए कंठ से]

हाय दुखिया! तुझ पर इतनी विपत्ति!

[अपने पीछे पैरों की आहट सुनकर रुथ कोकसन की ओर देखती है।]

कोकसन

अब उसे कोई नहीं छू सकता और न कभी छू सकेगा। वह अब ईश्वर के शान्तिभवन में सुरक्षित है।

[रुथ पत्थर की भाँति निश्चल होकर दरवाज़ा के पास खड़े हुए कोकसन की ओर देखती है। कोकसन झुककर व्यथित भाव से उसका हाथ पकड़ लेता है जैसे कोई किसी भूले भटके को पथ बताने के लिए पकड़ता हो।]

परदा गिरता है।

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