जूलियस सीजर (नाटक कहानी के रूप में) : विलियम शेक्सपियर
Julius Caesar (English Play in Hindi) : William Shakespeare
१५ फरवरी का दिन; रोमन परंपरा के अनुसार इस शुभ दिन 'लुपरकल' नामक त्योहार मनाया जाता था। यह त्योहार रोम के विकास और समृद्धि का प्रतीक था। इसी दिन महान् शासक जूलियस सीजर पांपी पर विजय प्राप्त करके रोम आने वाला था।
त्योहार की खुशी और जूलियस सीजर की विजय ने रोम के लोगों को उल्लसित कर दिया था। वे उसका भव्य स्वागत करना चाहते थे। इसलिए काम-धंधे बंद कर वे नगर के मुख्य प्रवेश मार्ग पर एकत्र होने लगे। कुछ ही पल में वहाँ लोगों का विशाल समूह दिखाई देने लगा।
परंतु कुछ लोग ऐसे भी थे, जो सीजर की इस विजय से अप्रसन्न थे। फ्लेवियल और मारलस-ये दोनों रोम के प्रतिनिधि थे और सीजर से घृणा करते थे। उन्हें पता चला कि रोम-निवासी जूलियस सीजर के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं तो वे भड़क उठे और कठोर स्वर में बोले,"तुम लोगों को शर्म नहीं आती? कल तक तुम वीर पांपी को देखने और उसके स्वागत की तैयारी करते थे। परंतु उसके पराजित होते ही तुम्हारा प्यार और वफादारी भी बदल गई। आज तुम उसके शत्रु सीजर के स्वागत के लिए बेचैन हो रहे हो, उसकी जय-जयकार कर रहे हो। परंतु एक बात अच्छी तरह से जान लो कि सीजर की विजय से रोम का कोई भला नहीं होगा। जाओ, यहाँ से चले जाओ और वीर पांपी की पराजय का शोक मनाओ। तुम्हारे लिए यही उचित है।"
लोगों का विशाल जनसमूह तितर-बितर होने लगा। देखते-ही-देखते मुख्य प्रवेश मार्ग पूरी तरह से खाली हो गया।
इसी बीच कुछ अन्य जनप्रतिनिधि भी वहाँ आ गए, जो सीजर के विरोधी थे। फ्लेवियल उन्हें समझाते हुए बोला, "अपने स्वागत की ऐसी भव्य तैयारियाँ देखकर सीजर का दिमाग सातवें आसमान पर पहुँच जाएगा और अहंकार में भरकर वह हमें अवश्य अपमानित करेगा। अतः हमें उसके स्वागत के लिए की गई सजावट नष्ट-भष्ट कर देनी चाहिए।"
अभी वे इस विषय में सोच ही रहे थे कि तभी गाजे-बाजे के साथ सीजर और उसकी सेना ने जुलूस के रूप में नगर में प्रवेश किया। उस समय जुलूस में सीजर की पत्नी कलफुर्निया, सुरस की पत्नी पोर्शिया, ब्रुटस, डेसियस, कैसियस, कास्कामी और सिसरो थे। इन सबके साथ एक राजज्योतिषी भी था।
लुपरकल के अवसर पर रोम में एक दौड़ का आयोजन किया जाता था। इसके संबंध में मान्यता थी कि इस पवित्र त्योहार के अवसर पर दौड़नेवाले के स्पर्श मात्र से बाँझ स्त्रियाँ गर्भ धारण कर लेती थीं। सीजर की कोई संतान नहीं थी, इसलिए वह लुपरकल की दौड़ में भाग लेने के लिए अपने साथ एंटोनियस नामक सेवक को लाया था। सीजर ने कलफुर्निया को उस मार्ग पर खड़ी होने के लिए कहा, जहाँ से एंटोनियस को दौड़ते हुए निकलना था। उसने एंटोनियस को भी समझा दिया कि उसे दौड़ते हुए कलफुर्निया को स्पर्श करना है। इसी बीच ज्योतिषी भविष्यवाणी करते हुए बोला,"जूलियस, मेरी गणना के अनुसार १५ मार्च की तिथि आपके लिए बड़ी अशुभ और कष्टप्रदायक है। इसलिए इस दिन आपको विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है।"
सीजर हँसते हुए बोला,"वीर पुरुष गणनाओं पर नहीं बल्कि अपनी तलवार पर विश्वास करते हैं। इस युद्ध में मेरे सारे शत्रु नष्ट हो गए हैं। अब किस में इतना साहस है कि मेरा अहित कर सके? आप अपनी भविष्यवाणी रहने दें, मुझे यह व्यर्थ की प्रतीत होती है।"
इस प्रकार ज्योतिषी की बात को सुनी-अनसुनी कर वह जुलूस के साथ आगे बढ़ गया। परंतु ब्रुटस वहीं खड़ा रहा। यह देखकर कैसियस भी लौट आया और उसे कुरेदते हुए बोला,"रुक क्यों गए, ब्रुटस? क्या तुम लुपरकल दौड़ देखने नहीं जाओगे?"
"तुम जाकर लुपरकल दौड़ देखो, मेरा मन नहीं है।''ब्रुटस ने रूखे स्वर में जवाब दिया। पिछले कुछ दिनों से ब्रुटस का व्यवहार असामान्य रूप से बदल गया था। सीजर के प्रति उसकी आत्मीयता और सम्मान में कमी आ गई थी। उसका मन विचारों के द्वंद्व में उलझा हुआ था। वह इसके बारे में किसी को बताना नहीं चाहता था। यही कारण था कि वह सबसे अलग-थलग रहता; किसी के साथ ज्यादा बातचीत नहीं करता था। परंतु कैसियस इस बात को महसूस कर रहा था।
ब्रुटस ने जब उत्सव में सम्मिलित होने में अनिच्छा दिखाई तो कैसियस सारी बात समझ गया। फिर भी उसके मन के द्वंद्व को उभारते हुए बोला,"ब्रुटस, जब कोई व्यक्ति मन की गुत्थियों में उलझ जाता है, तब उन्हें सुलझाने के लिए उसे दूसरे व्यक्ति की आवश्यकता होती है। इस समय तुम भी कुछ ऐसी ही स्थिति से गुजर रहे हो।"
ब्रुटस समझ गया कि वह उसके मन के द्वंद्व को जान चुका है और उसे भड़काकर बाहर निकालने का प्रयास कर रहा है। अभी वह कुछ बोलने ही वाला था कि तभी उसे सीजर की विजय का उद्घोष सुनाई दिया।
"आखिरकार रोम की जनता ने सीजर को अपना राजा मान ही लिया। यद्यपि मैं सीजर को बहुत प्यार करता हूँ, परंतु मैं नहीं चाहता कि वह रोम के सिंहासन पर बैठे।"यह कहकर ब्रुटस ने ठंडी आह भरी। फिर विस्मित होकर बोला, "कैसियस, तुम यहाँ क्यों रुके हुए हो? इस अवसर पर तुम्हें सीजर के साथ होना चाहिए था। क्या तुम्हें मुझसे कुछ कहना है?"
धूर्त कैसियस बातों का जाल फैलाते हुए बोला, "ब्रुटस, मैं अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए चिंतित हूँ। किसी के भय या दबाव में जीना मुझे पसंद नहीं है। और वह भी एक ऐसा व्यक्ति, जो कभी हमारी तरह साधारण व्यक्ति था; जिसका पालन-पोषण हमारी तरह ही हुआ; हम भी सीजर की तरह स्वतंत्र थे। आज उसे वीर और पराक्रमी समझा जाता है। परंतु यही वीर कई बार अपनी कायरता दिखा चुका है। एक बार टाइबर नदी में बाढ़ आई हुई थी। मेरे साहस और हिम्मत की परीक्षा लेने के लिए सीजर ने मुझे नदी पार करने के लिए ललकारा। हम दोनों नदी में कूद पड़े। परंतु नदी पार करने से पहले ही सीजर थक गया और सहायता के लिए चिल्लाने लगा। तब मैंने उसे डूबने से बचाया था। इसी तरह एक बार हम स्पेन में थे। उस समय सीजर को तेज बुखार हो गया। ऐसी स्थिति में वह बच्चों की तरह कराहते हुए पानी माँगने लगा। ऐसा कमजोर और कायर व्यक्ति आज हमारे बल पर विजेता बन गया है। लोग भगवान् की तरह उसकी पूजा करते हैं। यह भाग्य का खेल नहीं बल्कि हमारी अकर्मण्यता है कि शक्तिसंपन्न होने के बाद भी हम उसके दास हैं, जबकि उसमें और हममें कोई अंतर नहीं है। कई वर्ष पहले रोम में ब्रुटल नामक एक वीर था। वह रोमन राजा का प्रभुत्व स्वीकार नहीं करता था। उसकी दृष्टि में रोम के राजा का राज्य शैतान के राज्य के समान था। उसी वीर ब्रुटल के परिवार से संबंधित होने पर भी तुम सीजर का सम्मान करते हो, उसके प्रभुत्व को स्वीकार करते हो। इससे अधिक हमारे लिए अपमान की बात और क्या होगी?"
"कैसियस, तुम क्या कहना चाहते हो और मुझसे किस बात की आशा कर रहे हो, यह मैं भली-भाँति जानता हूँ। परंतु अभी इस बारे में बात करने का समय नहीं है। इसके लिए हमें उचित समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। परंतु मैं इतना अवश्य कहूँगा कि इस समय जैसी स्थिति है, उसके अंतर्गत रोम में रहने की अपेक्षा किसी दूरस्थ गाँव में रहना अधिक शांति और सुकून भरा है।"ब्रुटस ने थोड़ा सा उत्तेजित होकर प्रत्युत्तर दिया।
ब्रुटस पर अपनी बातों का असर देखकर कैसियस मन-ही-मन मुसकराने लगा। उसका तीर ठीक निशाने पर लगा था।
अभी वे बातें कर ही रहे थे कि जुलूस लौट आया। तभी उन्होंने क्रोध में तमतमाते हुए सीजर को देखा। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। कलफुर्निया भी कुछ उदास और मुरझाई हुई दिखाई दी। सिसरो भी क्रोधित दिखाई दिया।
मार्ग में सीजर ने एंटोनियस से कहा,"कैसियस जैसे पतले, सूखे और चिंतनशील व्यक्ति बड़े खतरनाक होते हैं। ऐसे लोग न तो किसी को अपने से बड़ा देख सकते हैं और न ही उनकी प्रसन्नता को सहन कर पाते हैं। हँसने-बोलने, खेलने-कूदने या संगीत से इनका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं होता। इनसे दूर रहना ही उचित है। इसलिए तुम मेरे आसपास हृष्ट-पुष्ट और प्रसन्न रहनेवाले सेवक नियुक्त कर दो।" एंटोनियस ने ऐसा ही किया; सीजर का जुलूस आगे बढ़ गया।
चूँकि कैसियस और ब्रुटस उत्सव में सम्मिलित नहीं हुए थे, इसलिए उन्होंने कास्का से सारी बात बताने के लिए कहा। कास्का बोला,"उत्सव में एंटोनियस ने सीजर को तीन बार मुकुट भेंट किया, लेकिन तीनों बार सीजर ने उसे ससम्मान लौटा दिया। इससे रोम की जनता प्रसन्न हो गई; लोग तालियाँ बजाने लगे, टोपियाँ उछालने लगे। तभी अधिक भीड़ के कारण सीजर का दम घुटने लगा। उसके मुँह से झाग निकलने लगे और वह मूर्च्छित होकर वहीं लुढ़क गया। परंतु गिरने से पूर्व उसने अपना अँगरखा उतार दिया था और जनता से कहा कि यदि वह चाहे तो उसका सिर काट सकती है। उसकी इस बात ने उपस्थित लोगों को मोहित-सा कर दिया। वहीं दूसरी ओर उसने फ्लेवियल और मारलस को सेवा से हटा दिया, क्योंकि उन्होंने उसकी मूर्तियों की सजावट नष्ट करने का अपराध किया था।"
ब्रुटस को पता था कि सीजर हिस्टीरिया का मरीज है। इसलिए उसने कुछ प्रत्युत्तर नहीं दिया। लेकिन कैसियस व्यंग्यपूर्ण शब्दों में बोला,"सीजर की अपेक्षा गिरने का रोग हम लोगों में अधिक है।" कैसियस जानता था कि ब्रुटस सीधा और सज्जन व्यक्ति है। उसे आसानी से अपने जाल में फँसाया जा सकता है। लेकिन उसे इस बात का डर भी था कि सीजर का सबसे विश्वासपात्र और घनिष्ठ होने के कारण ब्रुटस उसके प्रति ईमानदार है। चूँकि सीजर को कैसियस पसंद नहीं था, इसलिए वह भी उससे घृणा करता था। किंतु उसने सोच लिया था कि उसे किस प्रकार ब्रुटस को अपने पक्ष में करना है। लेकिन इससे पहले कास्का को अपने पक्ष में करना आवश्यक था। इसके लिए उसने एक योजना बनाई और कास्का को अगले दिन अपने घर पर रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया। कास्का आमंत्रण स्वीकार कर वहाँ से चला गया।
अगले दिन कास्का निर्धारित समय पर कैसियस के घर पहुँचा। कैसियस उसे अपने वाव्क्तजाल में फँसाते हुए बोला, "हम शक्ति-संपन्न होने के बाद भी एक ऐसे व्यक्ति के दास हैं, जो न केवल कायर है, बल्कि बुद्धिहीन और अभिमानी भी है। ऐसे व्यक्ति की दासता हमारे गौरव और सम्मान पर कलंक है। इससे अधिक हमारे लिए अपमान की बात और क्या होगी? लेकिन यदि हम मिल जाएँ तो इस कलंक से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है।"
उसने ये बातें कुछ इस प्रकार से कही थीं कि कास्का उत्तेजित हो उठा। वह क्रोधित होकर बोला, "कैसियस, तुम सीजर के विरुद्ध जो भी कदम उठाओगे, उसमें मैं सदा तुम्हारा साथ दूंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि उस अत्याचारी का अंत करके ही दम लूँगा।"
इस प्रकार बातों-ही-बातों में उसने सीजर के सबसे विश्वासपात्र व्यक्ति को अपने पक्ष में कर लिया। इस विजय से उसकी आँखें प्रसन्नता से भर उठीं।
इसके बाद कैसियस ने अपनी धूर्ततापूर्ण बातों से कुछ और लोगों को भी अपनी ओर कर लिया। ये सभी सीजर के विश्वासपात्र थे। इसी तरह उसने अनेक तर्क देकर ब्रुटस को भी अपनी सहायता के लिए मना लिया।
जिस दिन रोम के सिंहासन पर सीजर का राज्याभिषेक था, उससे एक रात पूर्व कैसियस — कास्का और अन्य सहयोगियों के साथ ब्रुटस के घर पहुँचा । वहाँ उसने सीजर और एंटोनियस की हत्या का प्रस्ताव रखा। सभी ने प्रस्ताव का स्वागत किया । परंतु ब्रुटस असहमति व्यक्त करते हुए बोला, “यदि सीजर की इस प्रकार सीधे ढंग से हत्या कर दी गई तो वह मरकर रोम में भगवान् का स्थान प्राप्त कर लेगा। रोम की जनता उसकी हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए उठ खड़ी होगी । अतः हमें यह काम सोच-समझकर करना होगा, जिससे उसकी हत्या राष्ट्रहित में लगे।"
ब्रुटस की बात में दम था। सभी उसकी बुद्धिमत्ता के कायल हो गए। इसलिए पुनः सारी योजना बनाई जाने लगी। अंततः सबकुछ निर्धारित हो गया।
इधर सीजर की हत्या का षड़यंत्र रचा जा रहा था, उधर कलफुर्निया को स्वप्न में इस घटना का आभास हो गया था। प्रातः उसने सीजर को स्वप्न के बारे में बताया और बाहर न जाने की प्रार्थना की। वह १५ मार्च का दिन था । ज्योतिषी ने भी सीजर को इस दिन सावधान रहने की चेतावनी दी थी।
परंतु अहंकार में भरा सीजर उसी दिन राजधानी में जाने के लिए उत्सुक था । अतः वह कलफुर्निया से बोला, “इस प्रकार का व्यवहार कायरों को शोभा देता है, महान् जूलियस सीजर को नहीं । यदि आज मेरी मृत्यु निश्चित है तो वह घर बैठे भी आ सकती है। परंतु मैं कायरों की भाँति घर में बैठने की बजाय बाहर खतरों का सामना करना पसंद करूँगा।"
कलफुर्निया ने उसके पैर पकड़ लिये और रोते हुए बोली, “आप चाहे जितने भी तर्क दें, किंतु मैं आपको कहीं नहीं जाने दूँगी। रात के स्वप्न ने मेरा चैन छीन लिया है; मेरा मन भयभीत हो रहा है। आप एंटोनियस को वहाँ भेज दें। वह सीनेट के सदस्यों को कह देगा कि तबीयत खराब होने के कारण आज आप सीनेट में नहीं आ सके। "
सीजर ने आधे-अधूरे मन से कलफुर्निया की बात मान ली। तभी उसे ले जाने के लिए डेसियस आ पहुँचा। सीजर ने डेसियस से कहा, “तुम सीनेट के सदस्यों को सूचित कर दो कि आज मैं राजधानी में नहीं जाऊँगा।"
निर्धारित कार्यक्रम में अचानक परिवर्तन देख डेसियस आश्चर्यचकित रह गया। उसने इस प्रकार घुमा-फिराकर पूछा कि सीजर ने विवश होकर उसे सबकुछ बता दिया ।
तब डेसियस प्रसन्न होकर बोला, "यह तो बड़ा ही शुभ स्वप्न है। इसका अर्थ है कि आज से रोम में नवीन रक्त का संचार होगा, लोगों को नवजीवन प्राप्त होगा। आप इसका गलत अर्थ न लगाएँ और प्रसन्न होकर सीनेट में चलें। सीनेट के सदस्य आपको राजमुकुट पहनाना चाहते हैं। यदि आज आप नहीं गए तो सभी आपको कार समझकर आपका मजाक उड़ाएँगे। हो सकता है, कुछ लोग यह कहें कि जब तक कलफुर्निया को शुभ स्वप्न नहीं आएगा, तब तक सीजर का राज्याभिषेक नहीं होगा । "
डेसियस की बात ने सीजर के विचारों को बदल दिया। तभी वहाँ ब्रुटस, कास्का, कैसियस आदि भी आ पहुँचे। सीजर तैयार होकर उनके साथ राजधानी की ओर चल दिया।
सीनेट में पहुँचते ही सीनेटर पॉपिलियस ने कहा, "तुम्हारा प्रयास सफल हो।" यह सुनकर पत्रकारियों के चेहरों का रंग उड़ गया। उन्होंने सोचा कि शायद उनकी योजना लीक हो गई है। लेकिन ब्रुटस ने उन्हें समझाया कि पॉपिलियस की बात का हमारे साथ कोई संबंध नहीं है। इस बात से सीजर के चेहरे पर भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। तब जाकर उन्होंने चैन की साँस ली। फिर उनके संकेत पर टेबोनियस नामक षड़यंत्रकारी एंटोनियस को लेकर बाहर चला गया।
सीनेट की कार्यवाही आरंभ हुई। डेसियस ने मेटेलस सिंबर को अपनी समस्या सीजर के समक्ष रखने के लिए कहा ।
मेटेलस ने सीजर के सम्मान में सिर झुकाया और उससे अपने भाई पबलियस सिंबर के निष्कासन का आदेश वापस लेने की प्रार्थना की।
सीजर रूखे स्वर में बोला, "मेटेलस, तुम्हारे सिर झुकाने या नम्रतापूर्वक प्रार्थना करने से मेरा मन नहीं पिघलेगा । इस प्रकार कपट में लिपटी सौजन्यता दिखाने की तुम्हें कोई आवश्यकता नहीं है। मैं आज तक न्याय के मार्ग से कभी विचलित नहीं हुआ। तुम्हारे भाई का निष्कासन राष्ट्रीय कानून के अनुसार हुआ है और मैं इसे नहीं बदल सकता।"
इस तरह उसने सिंबर को दुत्कार दिया।
उसके बाद ब्रुटस और कैसियस ने भी पबलियस सिंबर को मुक्त करने की प्रार्थना की। सीजर उनकी प्रार्थना अस्वीकार करते हुए बोला, "मैं न तो व्यर्थ में किसी को दंडित करता हूँ और न ही बिना किसी ठोस कारण के अपना निर्णय बदलता हूँ। इसलिए तुम निर्णय बदलने की उम्मीद छोड़ दो। पबलियस के निष्कासन पर मैं पूरी तरह अटल हूँ।'
डेसियस और सिन्ना ने भी दया की अपील की, लेकिन सीजर ने उन्हें डाँट दिया, "मैंने ब्रुटस की प्रार्थना को भी अस्वीकार कर दिया है। इसके बाद कुछ नहीं बचता।"
सीजर का व्यवहार देखकर कास्का गुस्से में भरकर बोला, “ठीक है, अब हमारे हाथ ही हमारी बात को पूरा करेंगे।"
यह कहकर उसने सीजर पर छुरे से वार किया । फिर सभी एक-एक कर उसे छुरा घोंपने लगे। अंत में ब्रुटस ने छुरा निकालकर सीजर के सीने में घोंपा ।
षड़यंत्रकारियों में अपने विश्वासपात्र मित्र ब्रुटस को देखकर सीजर मर्माहत हो उठा। उसके मुख से केवल इतना ही निकला, "ब्रुटस, तुम भी...!" इतना कहते ही सीजर ने दम तोड़ दिया।
सीजर के मरते ही सिन्ना ने प्रसन्न होकर उद्घोष किया, "अत्याचारी का अंत हो गया। अब हम स्वतंत्र हैं।"
इसके बाद ब्रुटस ने सीनेट के सदस्यों को भयरहित होने तथा शांत रहने के लिए कहा। फिर उसने राष्ट्र के नाम जनहित संदेश प्रसारित किया, जिसमें रोम को क्षति न पहुँचाने की बात कही गई थी।
इधर, एंटोनियस को सीजर की हत्या का समाचार मिला तो वह घर भाग गया। बाद में उसने नौकर के हाथ पत्रकारियों के पास संदेश भेजा कि यदि वे उसे अभय प्रदान कर दें तो वह सदा उनका वफादार सहयोगी बनकर रहेगा। किंतु यह उसकी एक चाल थी, जिसे षड़यंत्रकारी समझ न सके। उन्होंने उसे क्षमा कर दिया ।
एंटोनियस उनके पास गया और उनकी तारीफों के पुल बाँधते हुए बोला, “आप राष्ट्र के हितैषी हैं। आपने सीजर की हत्या राष्ट्रहित में ही की होगी, इसलिए मुझे उनकी हत्या से कोई सरोकार नहीं है। किंतु सीजर मेरे मालिक थे, अतः अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए मैं विधिवत् और सम्मानपूर्वक उनका दाह-संस्कार करना चाहता हूँ ।"
षड़यंत्रकारी उसकी चिकनी-चुपड़ी बातों में बुरी तरह फँस चुके थे। उन्होंने सीजर का शव उसे सौंप दिया।
एंटोनियस शव को लेकर जनता के बीच पहुँचा और रोते हुए बोला,"ये वही महान् जूलियस सीजर हैं, जिन्होंने तीन बार रोम के राजमुकुट को ठुकरा दिया था, जिसने रोम की जनता के सामने स्वयं को सौंप दिया था। ये रोम के लिए अनेक भले कार्य करना चाहते थे, लेकिन इससे पूर्व ही पत्रकारियों ने इनकी हत्या कर दी। अब आप ही उनसे अपने राजा की हत्या का प्रतिशोध लें। तभी महान् जूलियस सीजर की आत्मा को शांति मिलेगी।"
सच का पता चलते ही रोमन प्रजा भड़क उठी। उन्होंने षड़यंत्रकारियों को घेर लिया और उनका वही हश्र किया, जो इतिहास में विश्वासघातियों का होता आया है।
(रूपांतर - महेश शर्मा)