जोम्बा की कथा (ईदू मिशमी जनजाति) : अरुणाचल प्रदेश की लोक-कथा
Jomba Ki Katha : Folk Tale (Arunachal Pradesh)
जोम्बा एक खूबसूरत युवती हुआ करती थी। एक बार वह पड़ोस के गाँव में रेह (ईदू मिशमी जनजाति का एक उत्सव) मनाने के लिए गई। वहाँ उसने खूब मस्ती की। दो-तीन रात बिना सोए मस्ती करती रही। इस वजह से वह काफी थक गई। थकी हारी जोम्बा घर लौटी तो उसकी आँखों से नींद उतरने का नाम ही नहीं ले रही थी । अतः वह दिन-रात लगातार बस सोती रही, सारा कामकाज छोड़कर। दिन भर यों पड़े रहना जोम्बा की सौतेली माँ को बरदाश्त नहीं हुआ। उसे गुस्सा आया तो उसने उसे जगाया, पर वह न जागी। फिर उसकी सौतेली माँ को बहुत ज्यादा गुस्सा आया और उसने जलते हुए चूल्हे से गरम कोयला लेकर उसके गुप्तांग जला दिए । अब जोम्बा पेशाब भी नहीं कर पाती थी ।
दयनीय स्थिति में वह अपने भाई के पास पहुँची तो भाई ने उससे मुँह मोड़ लिया तथा अपने घर का द्वार बंद कर लिया। पिता के पास पहुँची तो 'तुम किसी काम की नहीं हो', कहकर उन्होंने भी उसके मुँह पर ही द्वार बंद कर लिये । माता के पास गई तो उसने भी द्वार बंद कर लिये ।
जीवन से निराश होकर अंततः जोम्बा ने आत्महत्या करने का फैसला किया। जोम्बा बहुत धनी थी । उसके पास सोलह सूअर, सोलह मुरगे-मुरगियाँ तथा सोलह आतानु (गहने) और ऊन की सोलह गठरियाँ थीं। वह अपनी सारी जमा-पूँजी अपनी छोटी बहन आमुवरी के नाम कर देती हैं और नदी में कूदकर आत्महत्या करना चाहती है, परंतु आमुवरी उसे ऐसा करने नहीं देती है और उसके पीछे हो लेती है । आमुवरी रोती है और कहती है कि वह उसे छोड़कर न जाए।' किंतु जोम्बा ने दृढ़ निश्चय कर लिया था | जोम्बा नदी किनारे बैठकर रोती रही और उसने गा-गाकर कहा कि "मैं अपने माता-पिता तथा भाई के पास गई, तो उन सबने यह कहते हुए मुझे अपनाने से इनकार कर दिया कि 'जोम्बा, जिसकी योनि जलकर बंद हो गई; अब वह किसी काम की नहीं हैं, क्योंकि अब उसका विवाह करने के लिए कोई नहीं आएगा। 'ऐसी बेकार लड़की आई है' कहकर सबने मेरे लिए अपने द्वार बंद कर दिए। मेरा इस दुनिया में कोई नहीं। इसलिए मैं नदी को ही अपने माता-पिता मानकर उनकी गोद में सदा के लिए चली जाना चाहती हूँ।"
परंतु आमुवरी उसे एक पल के लिए भी नहीं छोड़ती। तब जोम्बा ने आमुवरी से कहा, “अरे! उधर वह कितना सुंदर पक्षी उड़ रहा है, देखो तो !” आमुवरी उधर देखने लगी। तभी जोम्बा मौका पाकर नदी 'कूद गई और यह देखकर आमुवरी शोक में डूब गई। फिर थोड़ी देर बाद उसने जोम्बा को नदी के बीचोबीच एक पत्थर पर बैठकर अपने बालों में कंघी करते देखा। बाद में वह फिर नदी में कूद गई। यह सब देखकर आमुवरी बहुत रोई । रोते रोते वह बेहोश हो गई। फिर एक बाघ आकर उसे खा गया। ऐसी मान्यता है कि जोम्बा जलपरी बन गई।
(साभार : मेडिको मिञ्जो)