जिद्दी आत्माएँ : इतालवी लोक-कथा
Jiddi Aatmayen : Italian Folk Tale
एक दिन एक किसान अपने किसी जरूरी काम से बीला जा रहा था। उस दिन मौसम बहुत खराब था। बहुत बड़ा तूफान आया हुआ था।
उसको सड़क पर चलने में बहुत परेशानी हो रही थी पर फिर भी क्योंकि उसको वहाँ जरूरी काम था इसलिये उसका वहाँ जाना बहुत जरूरी था सो बस वह चलता ही जा रहा था।
रास्ते में उसको एक बूढ़ा आता हुआ दिखायी दिया तो उसने उस किसान से पूछा — “गुड डे, ऐसे तूफान में तुम इतनी जल्दी जल्दी कहाँ चले जा रहे हो?”
किसान चलते चलते बोला — “मैं बीला जा रहा हूँ।”
बूढ़ा बोला — “तुमको कम से कम यह तो कहना चाहिये कि “अगर भगवान की इच्छा रही तो...।”
अब किसान रुका और उसने उस बूढ़े की तरफ देखा और बोला — “अगर भगवान की इच्छा रही तो, मैं बीला जा रहा हूँ पर अगर भगवान की इच्छा नहीं भी हुई न, तो भी मुझे वहाँ पहुँचना तो है ही।”
अब यह बूढ़ा तो भगवान था। वह बोला — “अगर ऐसा है तो बीला पहुँचने में तुम्हें सात साल लगेंगे। इस बीच तुम इस कीचड़ में कूद जाओ और सात साल तक इसी कीचड़ में ही रहो।”
उस बूढ़े के यह कहते ही वह किसान एक मेंढक बन गया और वहीं पास में बने कीचड़ के एक तालाब में कूद गया।
वह वहाँ सात साल तक रहा। सात साल के बाद वह वहाँ से निकला और आदमी के रूप में आ गया। उसने अपना टोप पहना और फिर बीला की तरफ चल दिया।
कुछ दूर चलने के बाद वही बूढ़ा उसको फिर मिल गया तो उसने फिर पूछा — “अब किधर चल दिये?”
उस किसान ने उसको इस बार भी वही जवाब दिया — “मैं बीला जा रहा हूँ।”
वह बूढ़ा फिर बोला — “कम से कम तुमको यह तो कहना चाहिये “अगर भगवान की इच्छा रही तो ....”।”
किसान बोला — “ठीक है ठीक है “अगर भगवान की इच्छा रही तो” और नहीं भी हुई न, तो भी मुझे पता है कि मेरा क्या होना है। मैं अब उस कीचड़ में बिना किसी की सहायता के जा सकता हूँ।” और उसके बाद वह ज़िन्दगी भर नहीं बोला।
(साभार : सुषमा गुप्ता)