झूठी कसम खाने का फल : इथियोपिया की लोक-कथा
Jhoothi Kasam Khane Ka Phal : Ethiopia Folk Tale
एक बार इथियोपिया के एक गाँव में दो पड़ोसी रहते थे। दोनों ही जानवर पाल कर अपना गुजारा करते थे।
एक बार उन दोनों में झगड़ा हो गया और उस झगड़े में उनमें से एक आदमी मारा गया तो दूसरे आदमी ने उसके जानवर चुरा लिये।
जो आदमी मारा गया था उसके रिश्तेदार ने दूसरे आदमी के रिश्तेदारों से कहा कि मारने वाला आदमी उनके गाँव में रहता है और उस गाँव के नियमों के अनुसार खून के बदले में कुछ न कुछ देना होता था।
इसलिये एक दिन तय किया गया कि जिस दिन सब लोग इकठ्ठा हों और इस खून का फैसला हो। दिन तय हुआ और सब लोग उस दिन मारने वाले के गाँव में जमा हुए।
मारने वाले के गाँव के बड़े लोग बोले - "आप लोग बिल्कुल चिन्ता न करें हम मारने वाले आदमी को अभी यहाँ ले कर आते हैं।"
वे गये और मारने वाले की बजाय किसी सीधे सादे आदमी को पकड़ कर वहाँ ले आये जो इस खून के बारे में कुछ भी नहीं जानता था और न ही किसी के घर में कोई काम करता था।
मारने वाले के रिश्तेदारों ने उसे एक अँगूठी पहनायी, तेल लगा कर उसके बाल सँवारे, हाथ में एक भाला थमाया और उसको वहाँ ले आये। इस सबने तो उसकी शक्ल ही बदल दी थी
मरने वाले के पिता ने पूछा - "क्यों भाई, क्या तुम ही वह आदमी हो जिसने मेरे बेटे को मारा है?"
वह आदमी बोला - "जी हाँ।"
पिता ने फिर पूछा - "जब तुमने उसको भाला मारा था तब वह आगे की तरफ गिरा था या पीछे की तरफ?" इस पर वह आदमी चुप रहा।
पिता ने फिर पूछा - "तुमने भाला उसके पेट में मारा था या पीठ में?"
वह आदमी इस पर भी चुप रहा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह इन सवालों के क्या जवाब दे क्योंकि उसने तो उस आदमी को देखा भी नहीं था मारना तो दूर।
परन्तु वह यह कह भी नहीं सकता था क्योंकि वह पहले ही यह कह चुका था कि खून उसी ने किया है।
पिता ने फिर कहा - "ऐसा लगता है कि आप लोग हमें धोखा देने के लिये इस सीधे सादे आदमी को यहाँ ले आये हैं। अगर आप लोग मेरे पास किसी घसियारे के लड़के को लाते, या पनिहारे के लड़के को लाते तो मैं उसको कहता कि कसम खाओ कि आज से तुम पीढ़ी दर पीढ़ी तक सबके लिये घास काटते रहोगे या पानी भरते रहोगे। पर इसको मैं क्या कहूँ?
पर हमारे गाँव के आदमी के खून के बदले में आप लोगों को कुछ तो देना ही पड़ेगा इसलिये अब यह कसम आप सबको खानी पड़ेगी।"
ऐसा कह कर उस पिता ने मारने वाले की तरफ के सब लोगों को एक काले बैल के बराबर में खड़ा करके कसम दिलायी - "हम आज से कसम खाते हैं कि जो काम हम आज कर रहे हैं वही काम हम पीढ़ी दर पीढ़ी तक सबके लिये करते रहेंगे।"
इसी वजह से उसग् गाँव के लोगों के बच्चे, उनके बच्चों के बच्चे, उनके बच्चों के बच्चों के बच्चे सभी पीढ़ी दर पीढ़ी तक वही काम सब लोगों के लिये करते चले आ रहे हैं जो वे उस समय कर रहे थे।
(साभार : सुषमा गुप्ता)