जीसस और सेन्ट पीटर सिसिली में : इतालवी लोक-कथा
Jesus Aur St. Peter Sicily Mein : Italian Folk Tale
(जीसस और सेन्ट पीटर की यहाँ छोटी छोटी पाँच लोक कथाएं दी जा रही हैं जो इटली के सिसिली टापू पर बहुत मशहूर हैं।)
1. पत्थरों से रोटी
जब जीसस अपने 13 अपोसिल्स के साथ दुनिया में इधर उधर घूम रहे थे तो एक बार उनके पास खाने के लिये रोटी नहीं थी। सबको बहुत भूख लगी थी।
जीसस ने सबसे कहा — “तुम सब लोग नीचे से एक एक पत्थर उठा लो।” सब अपोसिल्स ने नीचे से एक एक पत्थर उठा लिया। सब अपोसिल्स ने बड़े बड़े पत्थर उठाये जबकि पीटर ने एक सबसे छोटा पत्थर उठाया।
सब फिर अपने सफर पर आगे बढ़ गये।
बड़े बड़े पत्थर उठाने की वजह से सबके पास बोझा था सो सब झुक कर चल रहे थे। पर क्योंकि पीटर के पास बहुत ही छोटा सा पत्थर था इसलिये न तो उसके पास बोझा था और न ही वह झुक कर चल रहा था। वह बड़े आराम से चल रहा था।
चलते चलते वे सब एक शहर में आये। वहाँ उन्होंने डबल रोटी खरीदने की कोशिश की पर वहाँ किसी के पास भी डबल रोटी नहीं थी।
तब जीसस बोले — “मैं तुम लोगों को आशीर्वाद दूँगा और तुम्हारे ये पत्थर के टुकड़े डबल रोटी बन जायेंगे।”
कह कर उन्होंने आशीर्वाद दिया और सब अपोसिल्स के पास खाने के लिये खूब सारी डबल रोटी हो गयी। पर क्योंकि पीटर ने पत्थर का एक बहुत ही छोटा टुकड़ा उठाया था तो उसके पास डबल रोटी का एक बहुत ही छोटा सा टुकड़ा था।
पीटर ने जीसस से पूछा — “और मेरा खाना मालिक?”
जीसस बोले — “मेरे भाई, तुमने इतना छोटा सा पत्थर क्यों उठाया? और लोगों ने कितने बड़े बड़े पत्थर उठाये तो देखो कि उनके पास कितना सारा खाना है।”
सेन्ट पीटर बेचारा चुप रह गया। वे फिर आगे चल दिये। आगे चल कर जीसस ने फिर उन सबको पत्थर उठाने को कहा।
इस बार चालाक पीटर ने एक चट्टान उठा ली जिसको वह बहुत मुश्किल से उठा सकता था। उसको ले कर चलने में उसको बहुत परेशानी हो रही थी। पर दूसरे लोगों ने हल्के पत्थर उठाये थे सो वे लोग अपने हल्के पत्थर ले कर आसानी से चल रहे थे।
जीसस ने अपने अपोसिल्स से धीरे से कहा — “देखना अब हम पीटर के ऊपर हँसेंगे।”
चलते चलते वे सब फिर एक शहर में आये। वहाँ तो बहुत सारी डबल रोटियों की दूकानें थीं और उनमें बहुत सारी गरम गरम डबल रोटी ओवन से निकल कर तभी तभी आ रही थीं।
यह देख कर सारे अपोसिल्स ने अपने अपने पत्थर नीचे फेंक दिये और डबल रोटी लेने चल दिये।
सेन्ट पीटर ने जो अपनी चट्टान के बोझ से दोहरा हुआ चला आ रहा था जब डबल रोटी की इतनी सारी दूकानें देखीं तो वह गुस्से में भर कर वहाँ से चला गया और उसने डबल रोटी की तरफ मुड़ कर भी नहीं देखा।
2. एक बुढ़िया को भट्टी में रखना
वहाँ से वे सब फिर आगे चले तो उनको एक आदमी मिला। पीटर उसके पास गया और उससे कहा — “देखो अपने जीसस मालिक आ रहे हैं तुम उनसे कुछ माँग लो।”
वह आदमी जीसस के पास गया और बोला — “मालिक मेरे पिता बूढ़े हैं और बीमार हैं। उनको ठीक कर दीजिये।”
जीसस ने जवाब दिया — “बुढ़ापे के बोझ का तो कोई भी डाक्टर कुछ भी नहीं कर सकता पर फिर भी तुम ध्यान से सुनो। अगर तुम अपने पिता को किसी भट्टी में डाल दो तो वह एक बच्चा बन कर बाहर आ जायेंगे।”
जैसे ही जीसस ने उससे यह कहा उसने यह कर दिया। वह तुरन्त ही घर दौड़ा गया और अपने बूढ़े पिता को भट्टी में डाल दिया। आश्चर्य, उसमें से एक लड़का निकल आया।
पीटर को यह घटना देख कर बहुत आनन्द आया। उसने सोचा मैं भी ऐसा ही करके देखता हूँ कि क्या मैं भी किसी बूढ़े को एक बच्चे में बदल सकता हूँ या नहीं।
तभी उसे रास्ते में एक और आदमी मिला जो जीसस से अपनी मरती हुई माँ का इलाज कराने के लिये आ रहा था। पीटर ने सोचा यह अच्छा मौका है सो उसने उसको रास्ते में ही रोक लिया और उससे पूछा — “तुम किसको ढूँढ रहे हो?”
वह आदमी बोला — “ंमैं मालिक को ढूँढ रहा हूँ। मेरी माँ की उम्र बढ़ती जा रही है और वह बहुत बीमार है। केवल मालिक ही उसको ठीक कर सकते हैं।”
पीटर बोला — “मालिक तो अभी आये नहीं हैं पर पीटर यहाँ है और वह तुम्हारी सहायता कर सकता है। सुनो तुम्हें क्या करना है। एक भट्टी में आग जलाओ और अपनी माँ को उसमें डाल दो तो वह ठीक हो जायेगी।”
वह गरीब आदमी यह जानता था कि पीटर मालिक का बहुत ही प्रिय और खास आदमी है इसलिये उसने उसका विश्वास कर लिया। वह तुरन्त ही अपने घर भागा भागा गया और अपनी माँ को जलती भट्टी में डाल दिया।
पर उसमें से उसकी माँ तो ठीक हो कर बाहर नहीं आयी।
अब जरा सोचो कि उस बेचारी बुढ़िया का क्या हुआ होगा? वह बेचारी तो ज़िन्दा ही जल कर मर गयी।
उधर बेटा चिल्लाया — “ओह मैं तो मुश्किल में पड़ गया। इस दुनिया का और दूसरी दुनिया का भी यह कैसा सेन्ट है? इसने तो मेरे ही हाथों मेरी ही माँ को जलवा दिया। अब मैं क्या करूँ?”
वह पीटर को ढूँढने निकला तो उसको जीसस मिल गये। उसने उनको सब कुछ बताया तो वह यह सब सुन कर बहुत हँसे।
“पीटर, पीटर, पीटर, यह तुमने क्या किया?” पीटर ने उनसे माफी माँगने की बहुत कोशिश की पर उस आदमी के रोने चिल्लाने की आवाज में उसकी अवाज जीसस को बिल्कुल भी सुनायी नहीं दी।
और वह आदमी तो बस चिल्लाये ही जा रहा था — “मेरी माँ वापस करो, मुझे अपनी माँ चाहिये।”
उसका रोना सुन कर जीसस उस आदमी के घर गये। उसकी माँ के लिये आशीर्वाद बोला और उस बुढ़िया को ज़िन्दा किया और ठीक किया।
पीटर को उन्होंने जो सजा उनको देनी चाहिये थी वह उन्होंने उसको नहीं दी।
3. डाकुओं की कहानी
ऐसे ही मालिक जीसस अपने अपोसिल्स के साथ एक बार फिर कभी दुनिया में घूम रहे थे कि एक कच्ची सड़क पर उनको रात हो गयी।
जीसस ने पूछा — “पीटर, यहाँ हम लोग अपनी रात कैसे गुजारेंगे?”
पीटर बोला — “उधर कुछ चरवाहे अपनी भेड़ें चरा रहे हैं वहाँ चल कर देखते हैं। आइये, मेरे साथ आइये।” सो वे सब उन चरवाहों की तरफ पहाड़ी के नीचे की तरफ चल दिये।
वहाँ जा कर पीटर ने पूछा — “क्या हमको यहाँ रात भर के लिये सोने की जगह मिल सकती है? हम लोग गरीब यात्री हैं और बहुत थक गये हैं और बहुत भूखे भी हैं।”
चरवाहों के सरदार ने उनको नमस्ते तो की पर उनको खाना खिलाने या उनको रात भर के सोने के लिये जगह देने के लिये उनमें से कोई हिला तक नहीं।
वे अपने गूँधे हुए आटे को एक तख्ते पर बेलने की कोशिश कर रहे थे पर उनको यह नहीं लग रहा था कि वे 13 आदमियों को खाना खिला पायेंगे। जबकि वे सभी भूखे थे।
फिर बाद में उन्होंने कहा — “उधर वह भूसे का ढेर है आप लोग वहाँ सो सकते हैं।”
मालिक और उनके अपोसिल्स ने अपनी अपनी पेटी बाँधी और बिना एक शब्द बोले भूसे के ढेर पर सोने चले गये।
वे लोग अभी मुश्किल से लेटे ही थे कि शोर से उनकी ऑख खुल गयी। वहाँ कुछ डाकू चिल्लाते हुए आ पहुँचे थे “हाथ ऊपर करो, हाथ ऊपर करो।”
चरवाहे उन डाकुओं कोे बुरा भला कह रहे थे। लोग एक दूसरे को मार रहे थे। चरवाहे इधर उधर भाग रहे थे। डाकुओं ने उनके खेतों पर कब्जा कर लिया तो उन्होंने वहाँ कुछ जानवरों को देखा।
फिर उस भूसे के ढेर को देखा तो वहाँ कुछ लोगों को सोते पाया तो उनसे कहा — “हर एक अपने अपने हाथ ऊपर करो। और बताओ कि आप लोग हैं कौन?”
पीटर बोला — “13 थके और भूखे गरीब यात्री।”
डाकू बोले — “अगर ऐसा है तो बाहर निकलो। खाना तो तख्ते पर बिल्कुल अनछुआ रखा है। चरवाहों के खरचे पर पेट भर कर खाना खाओ क्योंकि हमको तो अपनी जान बचा कर भागना भी है।”
सभी बहुत भूखे थे। अब उनको किसी से खाना माँगने की भी जरूरत नहीं पड़ी। वे उस तख्ते की तरफ भागे चले गये। पीटर बोला — “डाकुओं की जय हो। वे अपने अमीर होने के मुकाबले में गरीब और भूखे लोगों के बारे में ज़्यादा सोचते हैं।”
अपोसिल्स भी चिल्लाये — “डाकुओं की जय हो।” और सबने मिल कर पेट भर खाना खाया।
4. बोतल में बन्द मौत
एक बार एक बहुत ही अमीर और दयालु सराय वाला था जिसने अपनी सराय के आगे एक साइन बोर्ड लगा रखा था। उस साइन बोर्ड के ऊपर लिखा था “मेरी सराय में आने वाले को खाना मुफ्त”।
सो सारा दिन लोग उसकी सराय में आते रहते थे और वह सब को मुफ्त खाना खिलाता रहता था।
एक बार जीसस और उनके 12 अपोसिल्स भी उस शहर में आये। उन्होंने भी वह साइन बोर्ड पढ़ा तो सेन्ट थोमस बोला — “मालिक, जब तक मंै अपनी ऑखों से देख न लूँ और अपने हाथों से छू कर महसूस न कर लूँ तब तक मैं किसी चीज़ पर विश्वास नहीं करता। सो चलिये अन्दर चलते हैं।”
सो जीसस और सब अपोसिल्स उस सराय के अन्दर गये। उन्होंने सबने वहाँ खूब खाया और खूब पिया। सराय के मालिक ने भी उनका शाही स्वागत किया।
वहाँ से चलने से पहले सेन्ट थोमस बोला — “ओ भले आदमी, तुम मालिक से कोई चीज़ क्यों नहीं माँग लेते?”
उस सराय वाले ने जीसस से कहा — “मालिक, मेरे घर में एक अंजीर का पेड़ है पर मैं उस पेड़ की एक भी अंजीर नहीं खा पाता।
जैसे ही वे पकती है बच्चे आ जाते हैं और वे सारी अंजीरें खा जाते हैं। अब मैं यह चाहता हूँ कि आप ऐसा कुछ कर दें कि जो भी उस पेड़ पर चढ़े वह मेरी इजाज़त के बिना नीचे न आ सके।”
जीसस ने कहा — “ऐसा ही होगा।” और उस पेड़ को उन्होंने वैसा ही आशीर्वाद दे दिया।
अगली सुबह पहले चोर का उस पेड़ से हाथ चिपक गया, दूसरे का पैर चिपक गया और तीसरे का तो सिर ही दो डालियों के बीच फँस गया और वह उसे उनमें से निकाल ही नहीं सका।
जब सराय वाले ने उनको इस तरह पेड़ से चिपके देखा तो उनको सबको नीचे उतारा और उनकी अच्छी पिटायी करके उनको छोड़ दिया।
कुछ ही दिनों में सबको पेड़ के इस गुण के बारे में पता चल गया कि जो कोई पेड़ को छुएगा वह उससे चिपक जायेगा। तो छोटे बच्चे तो उस पेड़ के पास आते ही नहीं थे बड़े भी उस पेड़ से दूर रहने लगे।
अब सराय वाला आराम से रह सकता था और अपने पेड़ की अंजीरें खा सकता था।
इस तरह सालों गुजर गये। वह पेड़ बूढ़ा हो गया। अब उस पर फल नहीं आते थे। सराय वाले ने एक लकड़ी काटने वाले को उस पेड़ को गिराने के लिये बुलाया।
उसने पेड़ गिरा दिया तो सराय वाले ने उससे पूछा — “क्या तुम मेरे लिये इस पेड़ की लकड़ी की एक बोतल बना सकते हो जो इतनी बड़ी हो कि उसमें एक आदमी घुस जाये?”
“हाँ हाँ क्यों नहीं।” और लकड़ी काटने वाले ने उसके लिये उस पेड़ की लकड़ी की उतनी बड़ी एक बोतल बना दी।
उस बोतल में उस पेड़ की लकड़ी के जादुई गुण आ गये थे – वह यह कि जो कोई भी उस बोतल में घुसता तो वह बिना सराय वाले की इजाज़त के बाहर ही नहीं आ सकता था।
अब वह सराय वाला भी बूढ़ा हो चला था। एक दिन मौत उसको लेने के लिये आया तो वह आदमी बोला — “हाँ हाँ क्यों नहीं। चलो चलते हैं। पर तुम्हारे साथ जाने से पहले क्या तुम मेरा एक काम करोगे?
मेरे पास एक बोतल है जिसमें शराब भरी हुई है। पर उसमें एक मक्खी पड़ गयी है। अब उस शराब को मैं पी ही नहीं सकता। क्या तुम उसमें कूद कर उस मक्खी को निकाल दोगे ताकि मैं मरने से पहले उस बोतल में से कम से कम एक घूँट शराब तो पी चलूँ।”
“अरे तुम मुझसे बस इतना सा काम करवाना चाह रहे हो? यह तो कुछ भी नहीं मैं अभी करता हूँ।”
कह कर मौत उस बोतल में कूद पड़ा। उसके बोतल में कूदते ही सराय वाले ने उस बोतल के मुँह पर डाट लगा दी।
फिर वह मौत से बोला — “बस अब तुम मेरे पास रहोगे और तुम कभी भी इसमें से निकल नहीं पाओगे।”
मौत तो अब सराय वाले के पंजे में फँस चुका था सो दुनिया में अब किसी को मौत ही नहीं आ रही थी। सब ज़िन्दा थे। अब सब जगह पैरों तक लम्बी सफेद दाढ़ी वाले लोग दिखायी पड़ते थे।
यह बात अपोसिल्स ने भी देखी और जीसस को इसका इशारा किया। जीसस ने आखिर उस सराय वाले के पास जा कर बात करने का इरादा किया।
वह उस सराय वाले के पास गये और उससे कहा — “भाई, क्या तुम सोचते हो कि यह ठीक है कि तुमने मौत को इस तरह से सालों से बन्द कर रखा है?
ज़रा उन लोगों के बारे में सोचो जो बूढ़े होने की वजह से कमजोर हो गये हैं या जो अपनी ज़िन्दगी को घसीट रहे हैं और बिना मौत के ठीक नहीं हो सकते कि उन बेचारे लोगों का क्या होगा?”
सराय वाले ने जवाब दिया — “मालिक, क्या आप यह चाहते हैं कि मैं मौत को बाहर निकाल दूँ? तब आप मुझसे वायदा कीजिये कि मरने के बाद आप मुझे स्वर्ग भेज देंगे तभी मैं मौत को इस बोतल में से बाहर निकालूँगा।”
जीसस ने सोचा अब मैं क्या करूँ? अगर मैं उसको इस बात के लिये मना कर दूँ तब तो मैं बहुत बड़ी मुसीबत में फँस जाऊँगा क्योंकि मौत इस बोतल में ही बन्द रह कर किसी को भी नहीं आ पायेगी और यह ठीक नहीं है इसलिये जीसस ने कहा — “जैसा तुम चाहते हो ऐसा ही होगा।”
जीसस से यह वायदा ले कर सराय वाले ने वह बोतल खोल दी और मौत को आजाद कर दिया।
इसके बाद सराय वाले को कुछ और साल ज़िन्दा रहने दिया गया। बाद में मौत फिर वापस आया और उसको स्वर्ग ले गया। इस तरह सराय वाला मौत को बोतल में बन्द करके स्वर्ग चला गया।
5. सेन्ट पीटर की माँ
ऐसा कहा जाता है कि सेन्ट पीटर की माँ बहुत ही कंजूस थी। उसने कभी तो दान नहीं दिया और न ही कभी कोई पैसा अपने साथियों पर खर्च किया।
एक दिन जब वह लीक छील रही थी तो एक गरीब औरत उससे भीख माँगने आयी। उसने उससे कहा — “क्या मुझे कुछ खाने के लिये दोगी?”
सेन्ट पीटर की माँ बोली — “जो यहाँ आता है वह माँगता ही चला आता है। ठीक है यह लो और अब इसके बाद कुछ और नहीं माँगना।” कह कर उसने लीक की एक पत्ती उसके गुच्छे में से तोड़ी और उसको दे दी।
अगली ज़िन्दगी में जब मालिक ने सेन्ट पीटर की माँ को बुलाया तो उन्होंने उसको नरक भेज दिया। स्वर्ग का मालिक सेन्ट पीटर था। जब वह स्वर्ग के दरवाजे पर बैठा हुआ था तो उसने एक आवाज सुनी।
“पीटर, ज़रा देखो तो मैं कितनी भुन रही हूँ.। बेटा, ज़रा तुम मालिक के पास जाओ और मुझे यहाँ इस आफत से निकालो।”
सेन्ट पीटर मालिक के पास गया और उनसे कहा — “मालिक, मेरी माँ नरक में है और वह वहाँ से निकलना चाहती है।”
“क्या? तुम्हारी माँ ने ज़िन्दगी भर कभी तो कोई अच्छा काम किया नहीं। उसने सारी ज़िन्दगी में लीक की केवल एक पत्ती दान की है और वह चाहती है कि मैं उसको नरक से बाहर निकाल दूँ।
ठीक है ऐसा हो तो नहीं सकता पर फिर भी तुम यह करके देखो। उसको लीक की यह पत्ती देना और कहना कि वह इसको पकड़ ले और फिर इस पत्ती के सहारे अपने आपको स्वर्ग तक खींच लाये।”
एक देवदूत उस पत्ती को ले कर नीचे गया और सेन्ट पीटर की माँ से बोला “लो इसको पकड़ लो और ऊपर चढ़ आओ। मैं तुमको ऊपर खींचता हूँ।”
सेन्ट पीटर की माँ ने उस पत्ती को पकड़ लिया। जैसे ही वह देवदूत उसको स्वर्ग में खींचने वाला था कि दूसरी गरीब आत्माओं ने जो पीटर की माँ के साथ नरक में थीं उसको ऊपर जाते हुए देख कर उसकी स्कर्ट पकड़ ली।
इस तरह से वह देवदूत केवल सेन्ट पीटर की माँ को ही नहीं खींच रहा था बल्कि उसके साथ और बहुत लोगों को भी खींच रहा था।
तभी वह मतलबी स्त्री चिल्लायी — “नहीं नहीं, तुम सब नहीं। तुम लोग दूर हटो। केवल मैं ही जाऊँगी स्वर्ग में। तुमको स्वर्ग जाने के लिये एक सेन्ट पैदा करना पड़ेगा जैसे कि मैंने किया है।”
यह कह कर उसने उन सबको लात मार कर और अपने आपको हिला कर अपने से दूर झटक दिया।
यह करते समय वह खुद भी इतने ज़ोर से हिली कि वह नाजुक सी लीक की पत्ती दो हिस्सों में टूट गयी और सेन्ट पीटर की माँ फिर से नरक में गिर गयी।
(साभार : सुषमा गुप्ता)