जीसस और सेन्ट पीटर फ्रियूली में : इतालवी लोक-कथा
Jesus Aur St. Peter Friuli Mein : Italian Folk Tale
सेन्ट पीटर जीसस से कैसे मिला
एक बार की बात है कि एक बहुत ही गरीब आदमी था जिसका नाम था पीटर। वह मछली पकड़ कर अपना गुजारा करता था।
एक दिन मछली पकड़ कर जब वह घर पहुँचा तो बहुत थक गया था। उस दिन उसको कोई मछली भी नहीं मिली थी। उसको और भी ज़्यादा बुरा तब लगा जब उस दिन उसकी पत्नी ने उसके लिये शाम का खाना भी नहीं बनाया था।
वह बोली — “आज मैं खाने के लिये सारा दिन इधर उधर तो देखती रही पर बनाने के लिये मुझे कुछ मिला ही नहीं और तुम्हें मालूम है कि हमारे पास पैसे तो हैं नहीं जो मैं कहीं से कुछ खरीद लाती।”
पीटर बोला — “पर बिना खाना खाये मुझे नींद कैसे आयेगी? जल्दी कर मुझे कुछ खाने के लिये दे।”
“घर में तो आज कुछ भी नहीं है पीटर। अगर तुम चाहो तो हम लोग पास वाले खेत पर जा सकते हैं जहाँ बहुत अच्छी अच्छी बन्द गोभियॉ लगी हुई हैं। वहाँ से हम उनको तोड़ कर ला सकते हैं।”
“पर मैं चोरी करना नहीं चाहता।”
“तब तो हमको आज बिना खाना खाये ही रहना पड़ेगा।”
“क्या कहा तूने? बन्द गोभी? क्या हम दोनों साथ साथ जा कर उनको ला सकते हैं?”
पीटर की पत्नी बोली — “हाँ हाँ क्यों नहीं। कोई हम लोगों को देखे नहीं इसके लिये हम ऐसा करेंगे कि एक आदमी एक तरफ से जाये और दूसरा आदमी दूसरी तरफ से।”
पीटर बोला “यह ठीक है।” और दोनों बन्द गोभी लाने के लिये खेत की तरफ चल दिये। पीटर ने एक सड़क ली और उसकी पत्नी ने दूसरी सड़क ली।
जब पीटर खेत की तरफ जा रहा था तो उसे सफेद बालों और भूरी ऑखों वाला एक आदमी मिला। वह सड़क के किनारे लकड़ी के एक लठ्ठे पर बैठा हुआ था।
पीटर ने उसको देख कर सोचा “यह अजनबी यहाँ बैठा क्या कर रहा है?”
सो उसने उस अजनबी से पूछा — “ओ भले आदमी, तुम यहाँ बैठे क्या कर रहे हो?”
वह आदमी बोला — “मैं यहाँ लोगों को यह सिखाने के लिये बैठा हुआ हूँ कि कोई बुरा काम नहीं करना चाहिये . . .।”
पीटर ने तुरन्त सोचा — “ओ मेरे भगवान, यह तो लगता है कि मुझे ही इशारा करके यह कह रहा है।”
वह अजनबी आगे बोला — “ . . . और अगर उन्होंने कोई खराब काम किया तो उसके लिये बाद में उनको पछताना पड़ेगा।”
यह बात तो पीटर के दिमाग में ही नहीं घुसी सो वह अजनबी को बीच में ही वहीं छोड़ कर आगे बढ़ गया पर उस अजनबी के शब्द उसके कानों में बहुत देर तक गूँजते रहे।
खेत पर पहुँचने पर उसको एक स्त्री का साया वहाँ घूमता हुआ दिखायी दिया। वह उस खेत के मालिक की पत्नी का साया था।
पीटर ने उसको देखा तो वह डर गया। वह बोला — “खेत के मालिक की पत्नी का साया? उफ़ मैं तो यहाँ से तुरन्त ही भागता हूँ।”
और बस पीटर वहाँ से तुरन्त ही भाग लिया।
वह पौधों, गड्ढों और हैजैज़ को फांदता हुआ भागा चला जा रहा था। वह भागता भागता सीधा घर पहुँचा। उस अजनबी के शब्द अभी भी उसके कानों में गूँज रहे थे “उसके लिये बाद में उनको पछताना पड़ेगा।”
जैसे ही वह घर में घुसा उसने झाड़ू उठायी और अपनी पत्नी को उससे मारना शुरू कर दिया — “तो तू मुझे एक चोर बनाना चाहती थी, ओ कमीनी औरत।”
पत्नी चिल्लायी — “पीटर, भगवान के लिये मुझे माफ कर दो। क्या तुम्हें पता है कि मैं भी उस खेत से कुछ नहीं चुरा सकी क्योंकि उसी समय खेत का मालिक वहाँ आ गया था और मुझे अपनी जान बचा कर वहाँ से भागना पड़ा।”
“और मुझे उसकी पत्नी ने डराया, ओ कमीनी औरत। तू तो मुझे चोर ही बनाना चाहती थी। मैं यहाँ से जा रहा हूँ और अब जा कर पश्चाताप करूँगा।”
और वह वहाँ से भाग लिया उस अजनबी को ढूँढने के लिये जिसके शब्द अब तक उसके कानों में गूँज रहे थे “उसके लिये बाद में उनको पछताना पड़ेगा।” उसने जल्दी ही उस अजनबी को पकड़ लिया और जा कर उसको अपनी सारी कहानी कह सुनायी।
अजनबी बोला — “हाँ पीटर यह तुमने ठीक किया कि तुम मेरे पास चले आये। पर मैं तुमको यह बता दूँ कि वह साया जो तुमने खेत पर देखा था वह साया खेत के मालिक की पत्नी का नहीं था बल्कि वह तुम्हारा अपना ही साया था। और क्योंकि तुम खराब काम करने जा रहे थे इसलिये तुम उस साये को पहचान नहीं सके।
आओ तुम मेरे साथ आओ। तुम तो मेरे सबसे अच्छे दोस्त और मेरा दाँया हाथ हो जाओगे। मैं लौर्ड हूँ।” और पीटर उस अजनबी के पीछे पीछे चल दिया।
(साभार : सुषमा गुप्ता)