जैमी फ्रील और एक नौजवान स्त्री : आयरिश लोक-कथा
Jamie Freel and the Young Lady : Irish Folktale
यह बहुत दिनों पहले की बात है कि फ़ैनैट में जैमी फ्रील और उसकी माँ रहा करते थे। जैमी की माँ का जैमी के अलावा और कोई सहारा नहीं था। जैमी की मजबूत बाँहें अपनी माँ के लिये हमेशा काम करती रहतीं।
जब भी शनिवार की रात आती तो वह अपनी सारी कमाई ला कर अपनी माँ की झोली में डाल देता। माँ भी उसकी सारी कमाई ले कर उसको आधा पैन्स उसके तम्बाकू के लिये वापस कर देती जिसके लिये वह अपना फर्ज समझ कर हमेशा उसको धन्यवाद दे देता।
उसके पड़ोसी लोग उसकी बहुत बड़ाई करते और उसको सबसे अच्छा बेटा कह कर उसकी सराहना करते कि इतना अच्छा बेटा उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में कहीं देखा नहीं अअैर कहीं सुना नहीं। पर उसके कुछ ऐसे पड़ोसी भी थे जो उसको गँवार कहते थे। ये पड़ोसी उसके बहुत ही पास रहते थे पर उसने उनको देखा कभी नहीं था। जो दुनियाँ के लोगों को भी शायद ही कभी नजर आते हों सिवाय मई की शामों के या फिर हैलोवीन के त्यौहार के दिन।
उसके अपने घर से करीब दो फर्लांग की दूरी पर एक पुराना टूटा फूटा किला था जहाँ ऐसे अजीब आदमियों का घर था। हर हैलोवीन को उस किले की हर खिड़की में रोशनी हो जाती और आस पास से गुजरने वाले उनमें से लोगों को आते जाते देखते और साथ में पाइप और बाँसुरी पर बजाया गया संगीत भी सुनते।
यह तो सभी को मालूम था कि वहाँ परियाँ आनन्द मनाया करते थे पर किसी को उनमें जाने की हिम्मत नहीं होती थी। जैमी अक्सर ही उन छोटी छोटी शक्लों को दूर से देखता उनके संगीत को सुनता और सोचता रहता कि उनका वह किला अन्दर से कैसा होगा पर उसको यह कभी ठीक से देखने का मौका नहीं मिला था।
एक हैलोवीन को वह उठा उसने अपनी टोपी उठायी और अपनी माँ से बोला — “माँ मैं अपनी किस्मत आजमाने किले जा रहा हूँ।”
माँ ज़ोर से चिल्लायी — “वहाँ तुम क्या करने जा रहे हो। तुम जो एक विधवा माँ के अकेले बेटे हो। तुम इतने ज़्यादा भी उत्साही और बेवकूफ मत बनो जैमी। वे तुम्हें मार डालेंगे फिर मेरा क्या होगा।”
जैमी बोला — “डरो नहीं माँ। मुझे कुछ नहीं होगा बल्कि मैं खुशी खुशी घर वापस आऊँगा। तुम देखना।”
कह कर वह वहाँ से चल दिया। उसने आलू का खेत पार किया और किले को सामने आ पहुँचा। उसकी सब खिड़कियों में रोशनी हो रही थी। जिसमे आलू के खेत में आलू के पेड़ों के पत्ते के सोने की तरह से हिलते चमकते दिखायी दे रहे थे।
वह किले के एक तरफ पेड़ों के एक झुंड में जा कर खड़ा हो गया। वहाँ खड़े खड़े उसने उन छोटे लोगों के आनन्द मनाने की आवाजें सुनीं। हँसी की गाने की आवाजों ने उसे सहारा दिया कि वह आगे बढ़े।
बहुत सारे छोटे लोग थे और उनमें सबसे बड़ा एक था जो एक पाँच साल के बच्चे जितना बड़ा था सभी पाइप और बाँसुरी की धुन पर नाच रहे थे। जबकि दूसरे लोग खाने पीने में मस्त थे।
अपने घर में मेहमान को देख कर वहाँ के सारे लोग चिल्लाये
— “आओ जैमी फ्रील आओ।” लोगों ने “आओ” शब्द पकड़
लिया और सब लोग “आओ आओ” बुलाने लगे।
समय उड़ने लगा और जैमी वहाँ आनन्द मनाता रहा। जैमी के मेजबान ने कहा — “हम लोग आज एक नौजवान लड़की को उठा लाने के लिये डबलिन जा रहे हैं क्या तुम हमारे साथ चलोगे?”
जैमी फ्रील बोला — “हाँ हाँ क्यों नहीं।”
कुछ घोड़े बाहर खड़े हुए थे। जैमी बाहर जा कर अपने घोड़े पर बैठ गया। उसके बैठते ही उसका घोड़ा हवा में उड़ने लगा। वह इस समय अपने घर के ऊपर से उड़ रहा था उसके चारों तरफ उसके साथियों के घोड़े उड़े जा रहे थे।
उन्होंने कई पहाड़ पार किये, कई छोटी पहाड़ियों के ऊपर से उड़े, कई घाटियों से गुजरे, शहरों और मकानों के ऊपर से गये जहाँ लोग गिरियाँ भून रहे थे सेब खा रहे थे और हैलोवीन मना रहे थे। जैमी को ऐसा लगा जैसे मानो डबलिन पहुँचने से पहले पहले वह हर जगह उड़ आया हो।
परियों में से एक ने एक कैथेड्रल के ऊपर से उड़ते हुए कहा
— “यह डैरी है।” जो कुछ एक ने कहा वह सारे लोगों ने दोहरा
दिया। पचास लोगों की आवाजें “डैरी डैरी डैरी” चिल्ला रही थीं।
इस तरह से जैमी को हर शहर आदि का नाम पता चला जो वहाँ से डबलिन के रास्ते में पड़ते थे। कुछ ही देर में वे आवाजें चिल्लायीं — “डबलिन डबलिन जिसे वाइकिंग्स ने बनाया था।”
परियाँ वहाँ बने किसी और मकान में जाना नहीं चाहते थे केवल स्टीफैन्स ग्रीन में बने हुए एक बहुत ही शानदार मकान के अन्दर। वहाँ पहुँच कर सब लोग एक खिड़की के पास उतरे। जैमी ने एक बहुत ही सुन्दर बिस्तर पर एक तकिये पर रखा सुन्दर मुखड़ा देखा।
उसने देखा कि उस नौजवान स्त्री को उठा लिया गया और वहाँ से ले जा गया। जबकि उस लड़की की जगह एक डंडी छोड़ दी गयी जिसने तुरन्त ही उसी लड़की जैसी शक्ल ले ली।
उस स्त्री को एक सवार के आगे बिठा लिया गया और उसे
कुछ दूर तक ले जाया गया फिर उसे किसी और को दे दिया गया।
वे सब लोग फिर से शहरों के नाम बोलते हुए वहाँ से चले
गये। अब वे लोग घर पहुँचने ही वाले थे कि जैमी ने सुना
“रथमुलन, मिलफोर्ड, टैम्ने।” इसके बाद वे अपने घर थे।
जैमी बोला — तुम सब लोगों ने इस लड़की को एक एक कर के उठाया तुम लोगों ने उसे मुझे दे कर थोड़ा आराम क्यों नहीं किया।”
वे बोले — “ए जैमी तुम भी उसको ले जाने का अपना हिस्सा यकीनन लोगे।”
जैमी ने उस लड़की को ले लिया और अपने घर के पास उतर गया। बाकी के लोग बोले —“यह क्या जैमी तुम क्या इस तरह से हमसे व्यवहार करते हो।” कह कर वे भी वहीं उतर गये।
जैमी ने अपने हाथ में ली हुई चीज़ को कस कर पकड़ा हुआ था हालाँकि उसको यह पता नहीं था कि वह क्या पकड़े हुए था क्योंकि उन छोटे लोगों ने उसको कई प्रकार की शक्लों में बदल दिया था।
किसी पल तो वह एक काला कुत्ता थी भौंकती हुई और उसको काटने की कोशिश करती हुई। किसी दूसरे पल में वह एक आग से जलता हुआ लोहे का डंडा थी जिसमें कोई गर्मी नहीं थी। फिर वह ऊन की एक बोरी बन गयी।
फिर भी जैमी उसको कस कर पकड़े ही रहा और परेशान परियाँ उससे दूर हटने लगे। तभी एक सबसे छोटी स्त्री बोली — “जैमी फ्रील उसको हमसे दूर ले गया है पर वह अब उसके किसी काम की नहीं है क्योंकि मैं उसे बहरा और गूँगा बना दूँगी।” कह कर उसने कुछ उस नौजवान लड़की के ऊपर फेंक दिया। जबकि वे सब अपने घर निराश हो कर लौटे जैमी ने अपने घर का ताला खोला।
उसके देखते ही उसकी माँ चिल्लायी — “ओह जैमी तुम आ गये। तुम तो सारी रात बाहर ही रहे। उन्होंने तुम्हारे साथ क्या किया। कुछ बताओ तो।”
जैमी बोला — “माँ उन्होंने मेरे साथ कुछ बुरा नहीं किया। मेरी तो किस्मत बहुत अच्छी थी। लो यह एक सुन्दर लड़की है जिसे मैं तुम्हारे साथ के लिये ले आया हूँ।”
माँ बोली — “भगवान हमारा भला करे और हमारी रक्षा करे।” कुछ देर के लिये तो वह इतनी आश्चर्य में पड़ी रह गयी कि इसके बाद उसे क्या बोलना चाहिये उसे कुछ समझ ही नहीं आया।
जैमी ने उसको अपनी उस रात की कहानी सुना कर कहा — “यकीनन तुम तो मुझे उस रात को उनके साथ जाने ही नहीं देतीं ताकि मैं हमेशा के लिये न खो जाऊँ।”
जैमी की माँ बोली — “पर बेटा जैमी। वह तो एक बड़े घर की बेटी है वह हम गरीबों के घर का खाना कैसे खायेगी। और हम गरीबों की तरह से कैसे रहेगी। ओ बेवकूफ लड़के मैं तुझसे पूछती हूँ।”
जैमी बोला — “पर मुझे लगता है माँ कि यह बजाय उस किले में रहने के यहाँ ज़्यादा सुख से रहेगी।”
इस बीच वह गूँगी बहरी लड़की जो बहुत ही हल्के कपड़े पहने हुए थी काँप उठी सो उसको आग के पास ले जाया गया। बेचारी लड़की वह बहुत कोमल और सुन्दर थी। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि उनका दिल उस पर आ गया था।
वह उसकी तरफ देर तक प्यार से देखती रही फिर बोली —
“हम आदमी लोग पहले इसको कपड़े पहनाते हैं पर मैं इसके पहनने
के लिये लिये इसकी पसन्द के कपड़े कहाँ से लाऊँ।”
कह कर वह अपने कमरे में गयी और चर्च में पहनने लायक कत्थई रंग का एक गाउन निकाल लायी। फिर उसने एक ड्रौअर खोली और उसमें से एक जोड़ी मोजे निकाले एक सफेद रंग की लिनन की लम्बी पोशाक निकाली और एक टोपी निकाली।
वह इस पोशाक को अपने “मर जाने पर पहनने वाली पोशाक” बोलती थी निकाली। इसको उसने एक खास दुख वाले मौके पर पहनने के लिये रखा हुआ था जिसमें वह एक खास काम करने वाली थी। जब भी वह उनको हवा दिखाने के लिये बाहर लटकाती तो उसे कुछ रोशनी नजर आती
पर वह इन कपड़ों को इस सुन्दर लड़की को देने को भी तैयार हो गयी जो कभी अपनी काँपती आँखों से कभी उसको और कभी जैमी को देख रही थी।
उस लड़की को वे कपड़े पहनने में बहुत तकलीफ हुई फिर वह चिमनी पास वाले कोने में बैठ गयी और अपने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया।
बुढ़िया कुछ रोती हुई सी बोली — “बेटी हम तुम्हें अपने घर में रखने के लिये क्या करें।”
जैमी बोला — “माँ मैं तुम दोनों के लिये काम करूँगा।”
उसकी माँ ने फिर कहा कि “यह कुलीन लड़की हमारे यहाँ मिलने वाला खाना कैसे खायेगी।”
जैमी बस इतना ही बोल सका — “माँ मैं इसके लिये काम करूँगा।”
उसने अपना वायदा रखा। वह लड़की कुछ दिनों तक तो वहाँ बहुत दुखी रही। वह वहाँ रोती रहती। कई शाम बुढ़िया वहाँ बैठ कर सूत कातती रहती, जैमी वहाँ बैठ कर सैमौन मछली पकड़ने के लिये जाल बनाता रहता जो उसने अभी अभी सीखा था ताकि वह अपने मेहमान को आराम से रख सके।
वह लड़की हमेशा ही बहुत ही नम्र व्यवहार करती थी। जब भी वह उनको अपनी तरफ देखते हुए देखती तो वह धीमे से मुस्कुरा देती। धीरे धीरे उसने उन लोगों के तौर तरीके अपना लिये। जल्दी ही उसने सूअर को खाना खिलाना, आलू मसलना, मुर्गियों को खाना खिलाना और नीले रंग के मोजे बनाना भी सीख लिया।
इस तरह से एक साल गुजर गया। हैलोवीन फिर से आ गयी। जैमी ने अपनी टोपी उतारते हुए अपनी माँ से कहा — “माँ मैं अपनी किस्मत आजमाने के लिये किले में फिर से जाना चाहता हूँ।”
उसकी माँ बोली — “जैमी क्या तुम पागल हो गये हो। जो कुछ तुमने उनके साथ पिछले साल किया था उसके लिये इस बार वे लोग तुम्हें तुम्हें यकीनन मार देंगे।”
पर जैमी कहाँ सुनने वाला था। उसने माँ को समझाया और किले की तरफ चल दिया। जब वह पहले की तरह से पेड़ों के झुंड के पास पहुँच गया तो उसने फिर किले की खिड़कियों से रोशनी आती देखी और ज़ोर ज़ोर से बातें करने की आवाज सुनी।
उसने सुना वे कह रहे थे — “पिछले साल जैमी फ्रील ने हमारे साथ बहुत ही कमजोर चाल खेली जब उसने हमसे उस सुन्दर लड़की को चुरा लिया था।”
छोटी स्त्री बोली — “तो मैंने उसे सजा दे तो दी थी। क्योंकि अब वह वहाँ है और उसकी अँगीठी के पास गूँगी बैठी रहती है। पर जैमी को यह नहीं पता कि इस गिलास की जो मैं इस समय अपने हाथ में पकड़े हुए हूँ तीन बूँदें उसकी सुनने और बोलने की ताकत वापस ला सकती हैं।”
जैमी के दिल की एक धड़कन जैसे कहीं रुक गयी हो। वह तुरन्त ही उनके कमरे में घुसा। पिछली बार की तरह से इस बार भी उसका ज़ोर शोर से स्वागत हुआ।
“आओ जैमी आओ। तुम्हारा स्वागत है जैमी आओ।”
जब स्वागत की आवाज थोड़ी दबी तो छोटी स्त्री बोली —
“आओ जैमी तुमको हमारी तन्दुरुस्ती के लिये मेरे गिलास से पीना
पड़ेगा।”
जैमी ने तुरन्त ही उसके हाथ से गिलास छीन लिया और दरवाजे की तरफ तीर की तरह से भाग लिया। उसको पता ही नहीं कि वह अपने घर कैसे पहुँचा पर जब वह वहाँ पहुँचा तो बुरी तरह से हाँफ रहा था। घर पहुँच कर वह आग के पास बने एक स्टोव के ऊपर गिर पड़ा।
उसकी माँ बोली — “इस बार वे तुम्हें जरूर मार देंगे मेरा बेचारा बच्चा।”
जैमी बोला — “नहीं माँ। इस बार तो मेरी किस्मत बहुत अच्छी रही।”
कह कर आलू के खेत में लगायी गयी दौड़ को तो वह भूल गया और उसने अपने लाये गिलास में से तीन बूँदें लड़की को पिला दीं जो अभी भी उस गिलास की तली में लगी हुई थीं।
लड़की ने बोलना शुरू कर दिया और उसके सबसे पहले शब्द थे “धन्यवाद जैमी।”
उस घर के तीनों लोगों को एक दूसरे को इतना कुछ बताना पूछना था कि वे तीनों उस रात सारी रात जागते रहे और बातें करते रहे।
लड़की ने जैमी से कहा — “मेहरबानी कर के मुझे एक कलम स्याही की दवात और कागज दो दो ताकि मैं अपने पिता को चिठ्ठी लिख सकूँ और उनको यह बता सकूँ कि मेरा क्या हुआ।”
उसने चिठ्ठी लिखी पर हफ्तों गुजर गये उसका कोई जवाब ही नहीं आया। उसने फिर और भी कई चिठ्ठियाँ लिखीं पर उसे किसी का भी जवाब नहीं मिला।
आखिर वह बोली — “तुमको मेरे साथ डबलिन चलना पड़ेगा ताकि हम मेरे पिता को ढूँढ सकें।”
जैमी बोला — “पर तुमको वहाँ ले जाने के लिये मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं तुम्हारे लिये एक कार किराये पर ले सकूँ। और वहाँ तक पैदल तुम यात्रा करोगी कैसे।”
पर उस लड़की ने जैमी से इतनी विनती की कि उसने उसको फ़ैनेट से डबलिन अपने साथ पैदल चलने के लिये मना ही लिया। अब यह कोई बहुत आनन्ददायक यात्रा तो नहीं थी पर आखिर वे स्टीफैन्स ग्रीन में बने घर तक पहुँच ही गये और जा कर उनके दरवाजे पर दस्तक दी।
एक नौकर ने दरवाजा खोला तो लड़की ने उससे कहा कि वह अन्दर जा कर कहे कि “आपकी बेटी आयी है।”
नौकर बोला — “पर मैडम यहाँ जो भला आदमी रहता है उसके तो कोई बेटी ही नहीं है। उसके एक बेटी थी पर वह तो एक साल पहले मर गयी।”
“सुलीवान। क्या तुम मुझे नहीं पहचानते।”
“नहीं ओ लड़की बिल्कुल नहीं।”
“ठीक है तुम मुझे उस भले आदमी से बस मिलवा दो। बस मेरी इतनी ही प्रार्थना है कि तुम मुझे उससे मिलवा दो।”
“यह तो कोई मुश्किल काम नहीं है। मैं देखता हूँ कि मैं क्या कर सकता हूँ।”
कुछ ही पलों में उस लड़की का पिता बाहर आया तो लड़की चिल्लायी और उसने उससे पूछा — “प्रिय पिता जी क्या आप अपनी बेटी को नहीं जानते।”
उस भले आदमी ने गुस्से में कहा — “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे अपना पिता पुकारने की। लगता है कि तुम उसका रूप बना कर आ गयी हो। मेरे तो कोई बेटी नहीं है।”
“पिता जी मेरी आँखों में देखिये तब आपको मेरी याद आ जायेगी।”
“मैंने कहा न कि मेरी बेटी मर चुकी है और उसको दफ़नाया भी जा चुका है। उसको मरे हुए बहुत बहुत दिन हो गये।” कहते कहते उस भले आदमी की आवाज में गुस्से की बजाय दर्द और दुख झलकने लगा। “मेहरबानी कर के तुम यहाँ से चली जाओ।”
“ज़रा रुकिये पिता जी। जब तक आप यह अँगूठी मेरी उँगली से न उतार लें। ज़रा देखिये इस पर आपका और मेरा दोनों का नाम लिखा है।”
भला आदमी बोला — “यकीनन यह मेरी बेटी की अँगूठी है पर मैं यह नहीं कह सकता कि यह तुम्हारे पास आयी कैसे। मैं ईमानदारी के रास्ते से नहीं डरता।”
“अच्छा तो मेरी माँ को बुलाइये वह मुझे देखते ही जरूर पहचान जायेंगीं।” लड़की इस समय तक परेशानी से ज़ोर ज़ोर से रोने लगी थी।
“मेरी पत्नी तो अभी अभी उस दुख को भूलने की कोशिश कर रही है। वह तो अब अपनी बेटी के बारे में कुछ बोलती भी नहीं। मै उसे यहाँ बुला कर उसके दुख को ताजा क्यों करूँ।”
पर लड़की जिद करती रही तो उस भले आदमी को अपनी पत्नी को वहाँ बुलाना ही पड़ा। जैसे ही वह स्त्री दरवाजे पर आयी तो लड़की ज़ोर ज़ोर से चीख कर उससे कहने लगी — “माँ क्या तुम अपनी बेटी को नहीं पहचान रहीं।”
स्त्री बोली — “मेरे कोई बेटी नहीं है वह बहुत दिन पहले मर चुकी है और दफ़नायी भी जा चुकी है।”
“पर माँ तुम मेरा चेहरा ध्यान से देखो तो तुम मुझे यकीनन जान जाओगी।”
स्त्री ने अपना सिर ना में हिलाया।
लड़की बोली — “क्या तुम सब लोग मुझे भूल गये हो। अच्छा ठीक है। पर मेरी गरदन पर इस निशान को देखो। माँ अब तो तुम्हें यकीनन ही मेरी याद आ गयी होगी।”
तब स्त्री ने कहा — “हाँ हाँ। मेरी बेटी ग्रेसी की गरदन पर भी एक निशान तो था पर मैंने तो खुद उसको ताबूत में देखा और उसका ढकना ढके जाते देखा।”
अब जैमी के बोलने की बारी थी। उसने उनको परियों के लड़की को वहाँ से ले जाने वाला पुराना किस्सा बताया। उनको बताया कि कैसे उसने उस लड़की की शक्ल की एक लड़की को पिछले हैलोवीन के समय दफ़नाते हुए देखा था और फिर कैसे तीन बूँदों ने उसको इस जादू से आजाद कर दिया।
इसके बाद उसने अपनी कहानी रोक दी। उसके बाद लड़की ने वहाँ से कहानी कहना शुरू किया कि उस लड़के और उसकी माँ ने उसकी कितनी अच्छी तरह देख भाल की।
लड़की के माँ बाप को जैमी की बात कुछ पल्ले नहीं पड़ी पर फिर भी उन्होंने जैमी को आदर के साथ बिठाया। और जब उसने वापस फ़ैनै जाने की इजाज़त माँगी तो उन लोगों को यही समझ में नहीं आया कि उसका धन्यवाद कैसे दें।
लेकिन तभी एक और उलझन पैदा हो गयी। उनकी बेटी उसको वहाँ से जाने ही न दे। लड़की ने कहा — “अगर जैमी यहाँ से जायेगा तो मैं भी उसके साथ ही जाऊँगी। उसने मुझे परियों से बचाया है नहीं तो माँ और पिता जी आप लोग मुझे कभी नहीं देख पाते। सो अगर वह यहाँ से जायेगा तो मैं भी इसके साथ ही जाऊँगी।”
लड़की का यह पक्का इरादा देख कर भले आदमी ने यह तय किया कि वह जैमी को अपना दामाद बना ले। जैमी की माँ को फ़ैनेट से एक गाड़ी भेज कर बुलवा लिया गया और फिर वहाँ एक शानदार शादी की तैयारियाँ हुईं।
फिर वे सब डबलिन में एक बहुत बड़ा घर ले कर रहने लगे। और जैमी को अपनी ससुर की मौत के बाद उनकी सारी जायदाद मिल गयी।
1. Vikings were Scandinavians (present day Denmark, Sweden and Norway), who from the late 8th to late 11th centuries, raided and traded from their Northern European homelands across wide areas of Europe, and explored westwards to Iceland, Greenland, and Vinland.
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)