जेलब्रेक (कहानी) : हरीश जायसवाल

Jailbreak (Hindi Story) : Harish Jaiswal

'देखो अपनी हरकतों से बाज आओ वर्ना एक एक की हड्डी पसली तोड़ दूंगा।'जेलर योजक सिन्हा अपने ऑफिस में उन चारों कैदियों को धमकाते हुए कह रहा था।
'परन्तु सर हमने काम करने से मना कब किया?' उन मे से एक कैदी सागर पूछ बैठा।
'हम चाहते है हमें काम हमारी योग्यता के अनुसार मिले।सभी एक जैसे पत्थर तोड़ने के काम करने लगे तो बाहर निकल कर हमें इसी तरह की मजदूरी करनी पड़ेगी या फिर से अपराधों की दुनिया में जाना पड़ेगा।'संभव सागर की बातों को आगे बढ़ाता हुआ बोला।
'सर यह बात तो आप भी जानते हैं कि हम पढ़े लिखे मैकेनिकल इंजीनियर है।यह बात दूसरी है कि हम डिप्लोमा के अंतिम सेम की परीक्षा अपनी गलती के कारण नहीं दे पाये।' सहाय ने सागर और संभव की बातों को आगे विस्तारित किया।
'सर, जेल का मैन्युअल भी कहता है प्रत्येक कैदी को उसकी योग्यता के अनुसार काम दिया जाना चाहिये।आज जब दुनिया भर में पत्थर की चट्टानों से गिट्टी बनाने के लिये बड़े बड़े स्टोन क्रशर लगे है उस जमाने में आप हमें व्यस्त रखने के लिये चट्टानों से पत्थर टुटवा रहे है।बताईये भला ऐसे पत्थर तोड़ने से हमारी योग्यता का विकास कैसे होगा।'सिद्धम जो अब तक चुप था सबसे अहम बात को रेखांकित करते हुए बोला।
'सर, हम तो अनुरोध करते है कि हमें हमारी आवश्यकता का कुछ सामान बुलवा दीजिये।फिर देखिये कैसे हम इलेक्ट्रिक से चलने वाले छोटे छोटे हेमर बना देते है।इससे गिट्टियों की उत्पादन क्षमता भी बढ़ जायेगी और जेल की आमदनी भी बढ़ जायेगी, कैदियों की मेहनत कम होगी और आपका भी नाम होगा।'संभव बोला।
'हमारी तकनिकी योग्यता का उपयोग भी हो जायगा।'सागर ने संभव से सहमति व्यक्त करते हुए कहा।
'बस बस बहुत हो गई तुम्हारी तकनिकी योग्यता वाली बकवास।सरकार ने जो काम मुझे उपलब्ध करवाये हैं वही तुमको और बाकी कैदियों को करना पड़ेगा।तुम्हारे प्रस्तावों को मै सरकार के पास भेजता भी हुं तब भी उन्हें पास होने में सदियां लग जाएंगी।'जेलर योजक सिन्हा गरजते हुए बोला।
'सर, आप प्रस्ताव भेजिये तो सही।'सहाय अनुरोध करता हुआ बोला।
'यह सब भविष्य की बातें हो गई।अभी काम पर जाना चाहते हो या नहीं?'जेलर योजक सिन्हा ने सख्ती से पूछा।
'नहीं सर।'चारों ने दृढ़ता से उत्तर दिया।
'रामसिंह'जेलर सिपाही को आवाज देता हुआ बोला'इन चारों के पुट्ठे पर बहुत अधिक मांस चढ़ गया है।तुम्हारी लाठियों ने भी बहुत दिनों से कसरत नहीं की ।इन चारों की वह हालत करना की यह जब भी बैठे तो इन्हे अपनी सात पुश्तें याद आ जाएं।'
'कौन है यह लोग जो जेलर साहब से इतनी बहस कर रहे है?'एक अभी अभी जेल मे आया हुआ कैदी पुराने कैदी से पूछ रहा था।
'अरे चारों बीस बाईस साल की उमर के चार लड़के हैं।सभी अच्छे और संभ्रांत परिवारों से है।चारों हॉस्टल में रह कर मैकेनिकल का डिप्लोमा कोर्स कर रहे थे। कंप्यूटर का भी अच्छा ज्ञान है इनको।कुछ युवावस्था का जोश और कुछ नया करने की चाह ने इनको जेल की हवा खिलवा दी।'पुराना कैदी बोला।

'वह कैसे?'नया कैदी उत्सुकता से बोला।
'जैसा की यह चारों बतलाते है यह लोग सरकारी सिस्टम की कमियां बतलाकर उसे पूर्णतः दोष रहित बनाना चाहते थे जिससे सामान्य जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा सौ प्रतिशत सुरक्षित रहे।'पुराना कैदी चारों का इतिहास बताते हुए बोला।

'तो फिर परेशानी कहां आ गई?'नये कैदी की उत्सुकता और अधिक बढ़ गई। 'सबसे पहला निशाना इन लोगों ने एटीएम मशीन को बनाया।इन के हिसाब से एटीएम पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है और उस में से कुछ युक्तियों के द्वारा पैसा निकाला जा सकता है।इन्होने एक ऐसी डिवाईस तैयार की जो ढ़ाई सौ मीटर के क्षेत्र का सम्पूर्ण सेटेलाईट कनेक्शन तोड़ देती है।इस डिवाईस के द्वारा किसी भी एटीएम के सर्किट को ब्रेक कर उसकी कैश ट्रे को आसानी से निकाला जा सकता है।इस दौरान कैमरे सहित सभी सुरक्षा उपकरण स्वतः ही बंद हो जायेंगे।'पुराने कैदी ने बताया।
'अरे वाह तो ये चारों फेल कहां हो गये?'नया कैदी उत्सुकता की उसी रौ में पूछ बैठा।

'कहते हैं ना जब किस्मत खराब हो तो ऊंट पर बैठे हुए आदमी को भी कुत्ता काट लेता है।कुछ ऐसा ही इन लोगो के साथ भी हुआ।इन्होने मेहनत से डिवाईस बना भी ली।किसी सुनसान जगह वाली एटीएम मशीन पर रात में प्रयोग करने लगे।इनके सभी सिस्टम अच्छी तरह से काम कर रहे थे।इस खोज के दौरान यह लोग इस बात को भुल गए की डिवाईस की अपनी खुद की भी कुछ फ्रीक्वेंसी होगी।वारदात को अंजाम देते समय रात के तीन बजे इन्होंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा कुछ हो जायगा।हुआ यूँ कि जिस समय ये लोग काम कर रहे थे ठीक उसी समय एक कार चालक वहां से गुजरा जो की लो फ्रीक्वेंसी वाले एफ एम रेडियो पर गाने सुनता हुआ जा रहा था।सामान्यतः ढ़ाई सौ मीटर को पार करने में मात्र कुछ सेकंड्स ही लगते।

कार चालक जैसे ही इस क्षेत्र में घुसा उसका रेडियो बजना बंद हो गया।पास ही शौचालय था अतः वह स्वाभाविकतः रेडियो चालू छोड़ कर पेशाब करने चला गया।तीन चार मिनट के बाद जब वह वापस लौटा तब तक उसका रेडियो इनके डिवाईस की फ्रीक्वेंसी पकड़ चुका था।इस दौरान इन लोगों के बात करने की आवाज और आगे की योजना स्पष्ट सुनाई दे रही थी।उस जागरुक नागरिक ने बिना देरी किये पुलिस को सूचित कर दिया और सभी के सभी पकड़ा गए।
यद्यपि जज के सामने चारों ने ही यह कहा कि वह तो सिर्फ सिस्टम की कमियों की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहते थे।मगर जज ने उनकी दलीलों को नहीं माना और उन्हें पांच वर्षों की सजा मुकर्रर हुई ।'पुराने कैदी ने सारा वृतांत बताया।
'इसे कहते है मियां की जूती मियां के सर।गये थे इतने बड़े सिस्टम में कमी निकालने लेकिन खुद की डिवाईस की कमी के कारण खुद पकड़े गये।'नया कैदी संवेदना में बोला।
'अरे बहोत मारा रे सालों ने।'सागर जेल की बैरक में घुसते हुए बोला।
'मैं तो बैठ भी नहीं सकता भाई।ऐसा लगता है पिछला हिस्सा सूज गया हैं।'सिद्धम कराहते हुए बोला।
'इससे तो पत्थर ही तोड़ लेते तो ठीक रहता।'संभव भी लगभग कराहते हुए बोला।
'मां कसम कभी मौका मिला ना तो जेलर के खानदान को वैसे ही खतम कर दूंगा जैसे गब्बर सिंह ने शोले पिक्चर में किया था।'सहाय गुस्से से तमतमाते हुए कह रहा था।
'बायगॉड मेरे मुंह की बात छीन ली तू ने यार।काश कहीं से मुझे एक ए के 47 मिल जाय तो साले के पुरे खानदान को ही मौत के घाट उतार दूं।'संभव भी सहाय के सुर में सुर मिलाते हुए बोला।
'इतनी मार तो उस दिन भी नहीं पड़ी थी जिस दिन हम लोगों ने एक लोहे की पत्ती से बैरेक की चाबी बनाई थी उस दिन भी हमारा इरादा यह दिखाने का था कि लेसर लॉक वाले इस जमाने में पुराने समय का चाबी वाला ताला कतई सुरक्षित नहीं हैं।'सहाय कहने लगा।
'इस नक्कार खाने में कभी तो कहीं तो कोई तो इस तूती की आवाज सुनेगा।'सागर बोला।
'विश्वास है उस दिन हमें अपराधी नहीं बल्कि एक सजग, जागरुक नागरिक कह लाए जायेंगे।'संभव घाव सहलाते हुए बोला।
'भैया, हमारे जैसे बन जाओ ज्यादा पढ़ाई लिखाई दिखाने के चक्कर में ना पड़ो वर्ना इसी तरह ठुकाई खाते रहोगे।'साथ वाला कैदी बोला।
'ठीक कहते हो काका।'संभव बोला।
'एक बात बताओ भैया क्या तुम लोगों ने सरकार को जगाने का ठेका ही ले रखा है?कभी एटीएम मशीन की कमियां दिखाने पहुंच जाते हो तो कभी पत्ती से जेल के बैरक की चाबी बना देते हो, कभी जेल में मेहनत कम और उत्पादन ज्यादा की नीति पर काम करने के लिये जेलर से पंगा ले लेते हो।'पुराना कैदी प्रश्नवाचक निगाहों से देखता हुआ संभव से पूछ बैठा।
'क्या करें सिस्टम की कमियां हमसे देखी नहीं जाती।इसीलिये कोशिश करते है।'संभव बोला।
'इस कोशिश को लिख कर भी तो बता सकते थे प्रैक्टिकल करने की क्या जरुरत थी?देखो, जेलर ने क्या हाल कर दिया है मार मार कर।' 'ठीक है काका आज जेलर का दिन था।जिस दिन हमारा मौका आयेगा उस दिन हम उसका पूरा खानदान समेट देंगे।'सागर गुस्से में तमतमाते हुए बोला।

इस घटना के लगभग बीस दिन बाद एक रात लगभग साढ़े चार पांच बजे जेल के मुख्य द्वार के प्रहरी की सीटी की चीखों से शांत माहौल में कोलाहल पसर गया।जेल में लगे सुरक्षा सायरन कर्कश ध्वनि में चिंघाड़ने लगे।सभी कैदी सहमे हुए से एक दूसरे को सवालिया निगाहों से देखने लगे।सभी बैरक के ताले बाहर से बराबर लगे हुए थे।
'क्या हुआ?'जेल के तत्कालीन अधिकारी ने प्रहरी से पूछा।
'साहब, लगभग दो ढ़ाई घंटे पहले अंदर वाले गेट से कुछ वर्दी धारियों ने कहा की इमरजेंसी है किसी कैदी को हॉस्पिटल ले जाना है दरवाजा खोलो।जैसे ही मैंने छोटे गेट से चेक करने के लिए गर्दन अंदर डाली उन्होंने मुझे कुछ सुंघा दिया जिससे मुझे बेहोशी छा गई और मुझे जब होश आया तो बाहर का ताला यथावत लगा हुआ था।मुझे विश्वास है कुछ कैदी पुलिस की वर्दी पहन कर भागे है।'प्रहरी ने पूरा वाकिया बतलाया।
'ओह, तुरंत सभी कैदियों की गिनती करो।'अधिकारी ने निर्देश दिये।
'बैरक नम्बर पांच में से चार कैदी सागर, संभव, सहाय और सिद्धम गायब है श्रीमान।'जांच करने के बाद सिपाही बोला।
'अरे साहब लौट आयेंगे चारों।उनकी फितरत ही कुछ ऐसी है।जरुर इस बार भी उन्हें सरकार की कोई कमजोरी पता चल गई होगी और उसी की तरफ ध्यान दिलाने के लिये भागे होंगे।'वही बूढ़ा कैदी जेल अधिकारी की तरफ देखता हुआ बोला।
'चुप रहो, बकवास मत करो।'अफसर कैदी को डांटते हुए बोला'यदि उन लोगों के बारे में कोई जानकारी हो तो बोलो।'
'नहीं साहब कोई जानकारी नहीं है।हम कहां उनके जितने पढ़े लिखे हैं।जो वो हमसे बात करेंगे और अपनी योजना के बारे में बताऐंगे।वह तो चारों ही आपस में खुसुर पुसुर किया करते थे।'कैदी ने जवाब दिया।
'उनके पुराने रिकॉर्ड को देख कर तो यही लगता है वह लोग खुद ब खुद ही लौट आयेंगे कुछ समय के बाद।'एक सिपाही ने कैदी से सहमति जताई।
'लेकिन तब तक तो हमारी सब की नौकरियां जा चुकी होंगी।सभी अफसरों को तुरंत सूचित करो।कलेक्टर और एस पी साहब को भी।'अधिकारी ने निर्देश दिये।
'जेलर साहब तो तीन दिनों के लिये सरकारी दौरे पर पास के जिले में गये है।'सिपाही ने कहा।
'जानता हूं।परन्तु प्राथमिक जवाबदारी तो उन्ही की है।उन्हें तो वापस आना ही पड़ेगा।'अधिकारी बोला।
जेल प्रशासन की गाड़ियां सायरन बजाते हुए कुछ इस अंदाज में दौड़ रही थी की चारों भगोड़े आसपास ही कहीं छुपे होंगे और वह उन्हें गिरफ्तार कर ही लेगी ।
सुबह के सात बजते बजते तक जेल में सभी उच्चाधिकारी पहुंच चुके थे।
'सारी घटना देखने के बाद तो ऐसा लगता है सब कुछ उन लोगों के दिमाग की ही उपज है।लगता है उन्होंने बेहोश करने के लिये केमिकल बनाने का काम भी खुद ही किया, पर कैसे?यह तो उनके पकड़े जाने के बाद ही पता चलेगा।'पुलिस प्रशासन के सबसे बड़े मुखिया मौके का मुआयना करने के बाद कह रहे थे।
'मुझे तो डर हैं कहीं किसी आतंकवादी गिरोह के हाथ में ना पड़ जाएं वर्ना पता नहीं क्या होगा।'जिला कलेक्टर साहब चिंता करते हुए बोले। अभी आपस में बातें चल ही यही थी कि एक नौकरानी जैसी महिला बदहवास सी जेल के ऑफिस में घुसी।वह बहुत घबराई हुई थी।
'साहब, रात को किसी ने जेलर साहब की पत्नी का खून कर दिया।सारा कमरा अस्तव्यस्त पड़ा है बिस्तर पर खून ही खून बिखरा पड़ा है।'नौकरानी ने सूचना दी।
'क्या?'सभी आश्चर्य से खड़े हो गये।
'उन चारों ने ही तो नहीं किया?'एस पी साहब ने पूछा।
'हो सकता है साहब।बीस दिनों से चारों रट लगाये हुए थे कि जेलर के खानदान को खतम कर देंगे।'साथ खड़े सिपाही ने सूचना दी।
'और कौन कौन है जेलर साहब के घर में?'कलेक्टर साहब ने पूछा।
'कोई नहीं।जेलर साहब के बच्चे नहीं हैं।पति पत्नी दोनों रहते है बस।'सिपाही ने बताया।
'जेलर साहब को जेलब्रेक की सूचना तो दे दी गई है ना?'
'जी दे दी गई है।लेकिन गाड़ी का ड्राइवर उसके किसी रिश्तेदार के यहां रुका है अतः आने में देरी हो रही है।'जेल अधिकारी ने बताया।
'यह घटना तो एकदम अप्रत्याशित होगी ना उनके लिए?'एस पी ने पूछा।
'जी, वैसे यह चारों ही अक्सर कहा करते थे कि मौका मिलते ही जेलर के खानदान को हरिद्वार के दर्शन करवा देंगे।और उन्होंने यह कर दिखाया।'सिपाही ने अधिकारीयों को बताया।

'तुरंत पास के थाने को सूचित करों, एफआरआई दर्ज करवाओ और इंवेस्टिगेटिंग टीम को बुलवाओ।'एस पी साहब ने निर्देशित किया।
'जी, श्रीमान।'जेल अधिकारी ने कहा और पास के थाने में फोन करने लगा।
लगभग आधे घंटे बाद योजक सिन्हा भी जेल पहुंच गये।
'कुछ पता चला और कौन कौन शामिल है?'योजक सिन्हा ने जेल में घुसने और अधिकारीयों का अभिवादन करने के बाद पूछा।
'आप कौन से केस की बातें कर रहे हैं सिन्हा साहब?'कलेक्टर ने पूछा।
'सर जेलब्रेक वाले केस की।और दूसरा कौन सा केस हो गया है सर?'योजक सिन्हा ने प्रति प्रश्न किया।
'आप अभी कहां से आ रहे हैं?'एस पी ने पूछा।
'सर मैं दौरे पर था वहीं पर मुझे जेलब्रेक की सूचना मिली और मैं सीधे यहीं पर आ गया।'योजक सिन्हा ने बताया।
'मतलब दूसरे केस के बारे में आपको कुछ नहीं बताया गया?आप अभी घर नहीं गये ना?'एस पी ने पूछा।
'नहीं सर मैं अभी घर पर नहीं गया सीधे यहीं पर आ गया हूं।'योजक सिन्हा ने बताया।
'कल रात आपकी पत्नी की हत्या हो गई है।'एस पी ने सीधे सीधे शब्दों में जेलर को सूचित किया और ढाढ़स बंधाने के लिये योजक सिन्हा के कंधे पर हाथ रखते हुए बोले।
'ओह।'कहते हुए योजक सिन्हा धम्म से कुर्सी में निढ़ाल हो कर धंस गया।'मतलब उन चारों ने अपना बदला ले लिया।चारों चीख चीख कर कहा करते थे कि मेरे खानदान को खतम कर देंगे और उन्होंने कर दिखाया।'योजक सिन्हा निराश स्वर में लुटा लुटा सा बोला।
'चलो घर चल कर स्थिति देखते हैं।'एस पी ने कहा।
सभी जेलर योजक सिन्हा के घर पर थे।घर का सामान अस्तव्यस्त पड़ा हुआ था।ऐसा लगता है जैसे काफी संघर्ष हुआ होगा।बेडरुम में लगा कबर्ड व अलमारी भी खुली हुई थी।योजक सिन्हा दौड़ कर कबर्ड के पास पहुंचा और स्लॉट खोल का कुछ देखने लगा।
'साहब, इस कबर्ड में परसों ही मैंने बीस लाख रुपये रखे थे वे भी गायब हैं।'योजक सिन्हा ने बताया।
'बीस लाख?वो कहां से आये आपके पास?'एस पी ने पूछा।
'सर अभी कुछ दिनों पहले ही हम ने अपना एक प्लॉट बेचा था।यह रुपया उसी का था और इन पैसों को योगिता के भाई को देने के लिये रखा था।क्योंकि उनको यह पैसा अपने लड़के के मेडिकल में एडमिशन के लिये डोनेशन में देना था।'योजक सिन्हा ने बताया।
'इन चारों ने तो कई अपराध एक साथ कर डालें।सिन्हा जी आप बाकी सामान मतलब ज्वेलरी वगैरह भी अच्छे से चेक कर लीजिये।'एस पी सांत्वना देते हुए बोले।
'जी प्रथम दृष्टि में तो सभी चीजें अपनी जगह पर बराबर दिखाई पड़ रही हैं।'योजक सिन्हा निढ़ाल सा हो कर सोफे पर बैठते हुए बोले।
'हिम्मत रखिये सिन्हा जी।'एस पी जेलर के कंधे पर हाथ रखता हुआ बोला।
कुछ ही समय में पुलिस की इन्वेस्टिंग टीम भी जेलर के बंगले पर पहुंच गई।
'किसी तेज धार वाले हथियार से छाती में वार करने के कारण मृत्यु हुई है।'इंस्पेक्टर कमरे का मुआयना करता हुआ बोला।
'इंस्पेक्टर सारा कमरा अस्तव्यस्त है और योजक सिन्हा जी के अनुसार कबर्ड में रखे उनके बीस लाख रुपये भी गायब है।' एस पी सूचना देते हुए बोले।
'जी सर, उस एंगल से भी जांच कर लेते हैं।फिलहाल तो बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा देते हैं।'इंस्पेक्टर बोला।
'गो थ्रू द प्रोसीजर बट रिजल्ट मस्ट कम क्विक।'एस पी ने निर्देश दिये।
'यस सर, आई ट्राय माय बेस्ट।'इंस्पेक्टर ने जवाब दिया।
दो दिनों के बाद एस पी के फोन की घंटी बजी।
'हैलो'एस पी ने कहा।
'जय हिन्द सर। मैं जेल क्षेत्र का थाना इंचार्ज बोल रहा हूं।'उधर से आवाज आई।
'हां, बोलिये इंस्पेक्टर क्या खबर है।उन जेलब्रेकर मर्डरर्स का कुछ सुराग हाथ लगा?'एस पी ने पूछा।
'सर, मामला कुछ गड़बड़ लग रहा है।'इंस्पेक्टर ने जवाब दिया।
'गड़बड़?कैसे?क्या उन कैदियों ने मर्डर नहीं किया हैं?'एस पी ने उत्सुकता से पूछा।
'जी सर, ऐसा ही लगता है।'इंस्पेक्टर ने जवाब दिया।

'ऐसा क्यों ?'एस पी ने फिर पूछा 'आप कैसे कह सकते है?'
'सर यह मैं नहीं पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट कह रही है।कमरे के हालात और स्थितियां बता रहीं हैं।'इंस्पेक्टर ने जवाब दिया।
'कैसे ?जरा स्पष्ट करो।'एस पी ने उत्सुकता से पूछा।
'सर जेल के सन्तरी की रिपोर्ट है कि चारों कैदी रात दो से तीन बजे के बीच भागे है और जो जाँच में सही भी सिद्ध हो रही है।पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के अनुसार मर्डर रात ग्यारह से बारह बजे के बीच हो चुका था।मतलब उनलोगों के जेलब्रेक करने से पहले ही मर्डर हो चुका था। दूसरा कमरे के हालात भी ऐसे नहीं लग रहे थे कि उस कमरे में जेलर साहब की पत्नी के अलावा चार लोग और भी थे।चार लोग जब तलाशी लेते है तो कमरे की हालत इतनी बदतर होती है कि उसमे पैर रखने की जगह भी नहीं मिलती।यहां पर तो अलमारियों से निकाल कर सिर्फ कपड़े जमीन पर फैला दिये गये थे।यह सब पुलिस को भटकाने के लिये ट्रांसप्लांट किया गया था।
जब चार व्यक्ति होते है तो चारों की मानसिकता भी अलग अलग होती है खास तौर पर उस स्थिति में जब वह अपराध करने के उद्देश्य से ही आये हो।मृतका के शरीर पर ज्वेलरी भी ज्यों की त्यों थी जिसकी कीमत भी लगभग दो लाख रुपये थी।अगर लूटना ही था तो सबसे पहले वही चीज लेते जो सबसे सामने थी।
सबसे अहम बात यह की चारों अजनबियों के घर में घुसते ही संघर्ष प्रारम्भ हो जाना चाहिये था।मगर यहां पर ड्राइंग रुम का फर्नीचर यहां तक की टीवी का रिमोट भी सेंटर टेबल पर ज्यों का त्यों रखा हुआ था।यह बातें कई तरह के शक पैदा करती है।' इंस्पेक्टर ने अपनी तहकीकात के बारे में जानकारी दी।
'तो तुम्हे क्या लगता है?दोनों घटनाऐं अलग अलग है।'एस पी ने पूछा।
'सर, यह एक संयोग भी हो सकता है।'इंस्पेक्टर ने जवाब दिया।
'मतलब घर में काम करने वाले नौकरों पर शक किया जा सकता है?'एस पी ने प्रश्न किया।
'सर घर में पति पत्नी दोनों ही रहते है।इस कारण झाड़ू, पोंछे और बरतन आदि के लिये सिर्फ एक महिला आती है, जो कि विधवा है और उसी ने उस सुबह मर्डर की सूचना दी थी।'इंस्पेक्टर ने बताया।
'कहीं कोई अनैतिक सम्बन्धों का मामला तो नहीं?'एस पी की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी।
'जी नहीं सर, मिसेस सिन्हा बहुत ही ऊंचे चरित्र वाली महिला थी।वह तरकारी वगैरह लेने भी पड़ौस की महिलाओं के साथ ही जाती थी।उन्हें कभी किसी ने अकेले जाते या किसी को उनके यहां आते नहीं देखा।'इंस्पेक्टर ने अपनी दो दिनी जांच का खुलासा करते हुए कहा।
'इंस्पेक्टर यह कहानी तो उलझती ही जा रही है।घर में शक करने लायक कोई नौकर नहीं, योजन सिन्हा शहर के बाहर हैं।मतलब योजन सिन्हा के जाने के बाद घर में ऐसा कोई नजदीकी रिश्तेदार आया है जिसके बारे में योजन सिन्हा जानता है मगर उसे बचाने के लिये हमसे झूठ बोल रहा है।'एस पी ने शक जाहिर किया।
'संभव है सर ऐसा ही हुआ हो यह रिश्तेदार योजन सिन्हा का भाई भतीजा या और कोई नजदीकी हो सकता है।'इंस्पेक्टर बोला।
'फिर आगे की लाइन ऑफ़ एक्शन क्या होगी?'एस पी ने पूछा।
'सर, योजन सिन्हा जी के उस दिन की मोबाईल रिकॉर्डिंग चेक करनी होगी।यदि कोई मेहमान आया होगा तो उसकी सूचना योजन सिन्हा जी को उनकी पत्नी ने अवश्य दी होगी और उसी से सारी बातों का पता चल जायगा।'इंस्पेक्टर ने कहा।
'तो फिर दिक्कत कहां है ?'एस पी ने पूछा।
'सर यह हमारे ही डिपार्टमेंट का मामला है इस के लिये मुझे आपकी अनुमति की आवश्यकता पड़ेगी।'इंस्पेक्टर ने अनुमति चाही।
'गो अहेड।मुझे दो घंटे में बताओ मोबाईल रिकॉर्डिंग का क्या रिजल्ट आया।'एस पी ने आदेशित किया।
'यस सर।जयहिंद।'इंस्पेक्टर ने जवाब दिया।
'यस इंस्पेक्टर ।क्या रिपोर्ट आयी?'एस पी ने खुद आगे हो कर दो घंटे बाद फोन करके पूछा।
'सर मोबाईल से कोई क्लू नहीं मिल रहा है।क्योंकि उस दिन योजक सिन्हा और उनकी पत्नी के बीच कोई बात हुई ही नहीं।'इंस्पेक्टर निराश स्वर में बोला।
'क्या मतलब ऊपर से भगवान से भगवान ने आ कर मर्डर कर दिया ?इधर मिनिस्टर्स के प्रेशर पर प्रेशर आ रहे है, जर्नलिस्ट क्वेश्यन कर रहे है और जनता आंदोलन इधर हम है कि यह एस्टब्लिश ही नहीं कर पाएं है कि मर्डर किसने किया और क्यों किया।'एस पी गुस्से में लालपीला हो रहा था।
'सर मैं एक परमिशन और चाहता हूं।'इंस्पेक्टर अनुरोध वाले स्वर में बोला।
'क्या ?'एस पी ने पूछा।

'मैं योजक सिन्हा को गिरफ्तार करना चाहता हूं।मुझे लगता है वह बहुत कुछ जानते है मगर छुपा रहे है।शायद हमें थर्ड डिग्री भी इस्तेमाल करनी पड़े।
'करो जो करना है वह करो।थर्ड, फोर्थ, फिफ्थ जोनसी भी डिग्री इस्तेमाल करना हो करें पर परिणाम निश्चित चाहिए।'
एस पी झुंझलाते हुए बोला ।
'थैंक्यू सर।'इंस्पेक्टर बोला।
लगभग आठ घंटे बाद इंस्पेक्टर ने फोन किया।
'सर बधाई हो कातिल पकड़ा गया है और उसने इकबाले जुर्म भी कर लिया है।'इंस्पेक्टर ने सूचना देते हुए कहा।
'कौन है वह?'एस पी ने उत्सुकता से पूछा।
'सर आप खुद ही बयान ले लीजिये और प्रेस कांफ्रेंस कर सभी को सूचना दे दीजिये।'इंस्पेक्टर ने अनुरोध किया।
कुछ ही देर में एस पी साहब थाने में थे।
'वेलडन इंस्पेक्टर।चलो अब प्रेस कांफ्रेंस का समय हो गया है ।'एस पी साहब प्रशंसात्मक स्वर में बोले।
'जी सर।थैंक्यू।'इंस्पेक्टर ने जवाब दिया।
'मैं आपको यह सूचित करना चाहता हूं कि जेलर योजक सिन्हा की पत्नी के कातिल को पकड़ लिया गया है।'एस पी साहब घोषणा करते हुए बोले।
'कौन है असली कातिल?उसका उद्देश्य क्या था?क्या जेलब्रेक का और मर्डर को आपस में कोई सम्बन्ध है?'पत्रकारों ने प्रश्नों की बौछार करते हुए पूछा।
'जी, यह रहा असली कातिल।'कहते हुए एस पी ने कातिल को आगे कर दिया।
'अरे यह तो योजन सिन्हा है।'पत्रकारों के मुंह से निकला।
'सर यह सब कैसे हुआ इसकी जानकारी देने का कष्ट करें।'एक पत्रकार ने अनुरोध किया।
'वास्तव में यह पति पत्नी के आपसी टकराव का गंभीर व घातक परिणाम है।'एस पी ने बताना प्रारम्भ किया'योजक सिन्हा अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था।उसमें कोई कमी होने के बावजूद बच्चे ना होने के कारण कुंठित भी था।ऊपर से उसकी पत्नी योगिता का डॉमिनेटिंग नेचर उसे अपने घर वालों से दिन ब दिन और अधिक दूर होते जा रहा था।
योगिता सदैव अपने घर वालों की आर्थिक सहायता अपनी सीमा से बढ़ कर किया करती थी।यह बात भी दोनों के बीच विवाद का एक बडा कारण था।योजन सिन्हा चाह कर भी अपने भाई भतीजों और घर वालों की कोई मदद नहीं कर पाता था।
पिछले दिनों योगिता के भाई के लड़के के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिये बीस लाख रुपयों की जरुरत थी।पैसे ना होने पर योगिता ने योजक को प्लॉट बेचने और भाई की मदद करने को विवश किया।यही प्लॉट योगिता की हत्या का कारण बना।'
'तो क्या बीस लाख रुपये योजन सिन्हा के पास ही है?कोई डकैती या लूट हुई ही नहीं?जब योजन सिन्हा शहर में थे ही नहीं तो उन्होंने मर्डर कैसे किया?चार कैदी जो जेलब्रेक करके भागे हैं उनका इस मर्डर से सीधा सम्बन्ध है?'पत्रकारों ने दनादन प्रश्न दाग दिये।
'फेल्युर ऑफ़ टाइम मैनेजमेंट के कारण ही इस पुरे घटनाक्रम का खुलासा हुआ है।बेहतर होगा हम घटना का पूरा विवरण योजन सिन्हा के मुंह से ही सुने।'एस पी ने कहा'बताओ योजन कब, कहां और कैसे हुआ?'
'इस योजना की पटकथा वास्तव में उसी दिन लिखी जा चुकी थी जिस दिन एक लोहे की पत्ती को उन चारों कैदियों ने बैरक की चाबी में परिवर्तित कर दिया था।मैं समझ चुका था इन लोगों के माध्यम से मैं अपने पर इल्जाम आए बिना अपना काम आसानी से कर सकता हूं। इस कारण मैंने उन लोगों को अपनी इस योजना में अप्रत्यक्ष रुप से शामिल होने की पेशकश की।उन्हें इस बात का कतई अहसास नहीं था कि मैं अपनी इस योजना के माध्यम से अपनी पत्नी की हत्या करना चाहता हूं।
मैंने अपने आप को उन चारों के सबसे बड़े हितैषी के रुप में प्रस्तुत किया और उनके जेल से भागने की योजना बनाई।इस योजना के अनुसार मैंने उन लोगों को अपना बच्चा माना तथा उनके बेहतर भविष्य के लिये उन्हें कोई बिजनेस चालू करने के लिये पैसे देने की पेशकश भी की।'योजक सिन्हा ने बताया।
'लेकिन इतने सारे कैदियों में से आपने हमें ही क्यों चुना?'सागर ने योजना सुनने के बाद संशय पूर्वक पूछा।
'क्योंकि तुम लोग अभी जवान हो।तुम लोगों में कुछ नया कर गुजरने का जज्बा है।अभी तुम काफी कुछ कर सकते हो।पांच साल बाद जब तुम सजा काट कर बाहर निकलोगे तब तक तुम्हारे सोचने का तरीका बदल चुका होगा।हो सकता है तब तक तुम्हारे सोचने की शक्ति भी कुंद हो चुकी हो और तुम पर अपराधी होने का ठप्पा लग चुका होगा।'जेलर ने चारों का भावनात्मक शोषण करते हुए कहा।

'लेकिन जब हम जेलब्रेक करके जाऐंगे तो स्थितियां और भी खराब होंगी क्योंकि हम पर भगोड़े होने का ठप्पा भी लग चुका होगा।'सिद्धम ने कहा।
'मैं तुम लोगों को इतना पैसा दे कर भेजूंगा कि तुम लोग खुद अपना छोटा मोटा वर्कशॉप खोल लोगे और दूसरे लोगों के लिये काम करना चालु कर दोगे।मुझे अपने बच्चों की प्रतिभा पर पुरा विश्वास है।तुम जरुर सफल होंगे।'जेलर अपने बनावटी कोमल स्वर में बोला।'इज्जत की रोजी रोटी मिलेगी वह अलग।'
'हम तो सरकार की कमियां दिखाना चाहते थे वह एक गलत कदम जरुर था मगर हमारी नज़रों में अपराध नहीं।किन्तु जेलब्रेक करना तो जानबूझ कर किया गया अपराध होगा।और अपराध हम कर नहीं सकते।'संभव ने कहा।
'किसने कहा यह अपराध होगा।यह भी सरकार को आईना दिखाने का ही काम होगा।इससे जेल की सुरक्षा के आधुनिकतम प्रबंध किये जायेंगे।इसका पता तुम्हे बाद में चलेगा।'जेलर ने कहा।
'लेकिन फिर भी हम गैर कानूनी काम नहीं कर सकते।'सागर ने दृढ़ता से कहा।
इसी घटना के बाद मैंने चारों की इतनी पिटाई करवाई की उनका जेल में बैठना तक दूभर हो गया।वो कहते है ना मार के आगे तो बड़े से बड़ा भूत भी भाग जाता है।यह तो बेचारे इंसान थे अन्ततः टूट ही गये।उन्होंने मेरे कहे अनुसार काम करना स्वीकार कर लिया।जेलर ने पत्रकारों को बताया।
'लेकिन यह सारी योजना थी क्या?इसमें टाइम मिसमैनेजमेन्ट का फंडा आया कहां से?'एक पत्रकार ने पूछा।
'मैं अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिये अपनी बाइक का ही इस्तेमाल करता हूं।योजना के अनुसार घटना के एक दिन पहले मैं अपनी बाइक को शहर के बस अड्डे के वेहिकल स्टैंड पर खड़ा कर आया था।मैंने चारों को समझा दिया था कि रात ग्यारह बजे सभी संतरियों की ड्यूटी चेंज होती है।उस समय कुछ मिनटों केलिये जेल में वीरानी सी रहती है निकलना ज्यादा आसान रहेगा।
बैरक से निकलने के बाद उन्हें मेरे चैम्बर में जाना है।वहां पर उन्हें पुलिस की वर्दी, क्लोरोफॉर्म की शीशी, रुमाल और एक केरी बैग में रखे हुए बीस लाख रुपये भी मिल जायेंगे।बाहर के गेट की डुप्लीकेट चाबी का प्रबंध भी मैंने कर दिया था।उन्हें बस बाहर वाले संतरी को बेहोश कर भाग जाना था।'जेलर ने बताया।
'फिर आपकी पत्नी का मर्डर हुआ कैसे?उन्हें तो जेल से निकल कर भागना ही था वह आपके घर पहुंचे कैसे?'एक पत्रकार ने पूछा।
'घटना वाले दिन मुझे यहां से सत्तर किलोमीटर दूर पास के जिले में सरकारी दौरे पर जाना था।मैं सरकारी गाड़ी से गया था और सरकारी गेस्ट हाउस में ही रुका था।गाड़ी के ड्राइवर के रिश्तेदार के यहां कुछ फंक्शन था इसलिये उसे मैंने वहां पर रात रुकने की अनुमति दे दी।मैं रात लगभग नौ बजे सरकारी गेस्ट हाउस से निकला तथा एक नॉन स्टॉप बस से यहां आ गया तथा बस स्टैंड से बाइक उठा कर बंगले पर आ गया।
घर आ कर मैंने योगिता को बताया की मैं कुछ जरुरी कागजात यहीं पर भूल गया था।वह सो जाय मैं कागज लेकर सुबह जल्दी बस से निकल जाऊंगा।यह बात लगभग ग्यारह बजे की है।जल्दी ही योगिता की नींद लग गई और लगभग साढ़े ग्यारह बजे मैंने उसका मर्डर कर दिया।बेडरुम को अस्तव्यस्त मैंने ही किया था।
मैं उसी समय बाइक से फिर बस स्टैंड चला गया और वापस जाने वाली बस पकड़ ली।मेरी प्लैनिंग के अनुसार लगभग इसी समय उन चारों को जेल ब्रेक करना था।लेकिन शायद किसी कारण से उनलोगों को निकलने में तीन बज गये और यही टाइम का मिसमैनेजमेंट योजना पर भारी पड़ गया।'जेलर ने पूरा विवरण सिलसिलेवार दिया।
अखबारों में घटना पढ़ने के बाद उन चार कैदियों ने भी अपनी नैतिक जवाबदारी समझते हुए सरेंडर कर दिया।

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