जादुई शरबत : फ्रेंच/फ्रांसीसी लोक-कथा
Jadui Sharbat : French Folk Tale
बहुत समय पहले प्राचीन फ्रांस में पियरे नाम का एक व्यक्ति रहता था, जो दूसरों के साथ धोखाधड़ी करके अपना खर्च चलाता था। वह दूसरों को बेवकूफ बनाने की कला में निपुण था। एक दिन उसने जादुई शरबत का अविष्कार करने की डींग हांकनी शुरू कर दी। उसके अनुसार वह शरबत किसी की भी बुद्धिमता को कई गुना बढ़ा सकता था।
उसका दावा था कि उसका वह शरबत गधे को भी डॉक्टर बना सकता है। बहुत से लोगों ने पियरे की बात पर विश्वास करके उससे वह शरबत खरीद लिया। जल्दी ही यह समाचार वहां के राजा के पास भी जा पहुंचा। तब उसने अपने सैनिकों को पियरे को अपने दरबार में लाने का आदेश दिया।
दरबार में पियरे के आने पर राजा ने उससे पूछा, "क्या तुम्हारा शरबत वास्तव में एक गधे को डॉक्टर बना सकता है?"
पियरे ने उत्तर दिया, "इसमें कोई संदेह नहीं है, महाराज! यदि आप मुझे पर्याप्त समय और धन दे तो मै गधे को भी डाक्टर बना सकता हूं।" यह सुनकर राजा ने एक क्षण विचार करके कहां, "तुम्हें इसके लिए कितना समय और पैसा चाहिए?"
पियरे कम चालाक नहीं था। वह तो पहले से ही सब सोच समझ कर आया था। उसने कहा, "महाराज, मुझे यह कार्य करने के लिए दस वर्षों का समय और बीस हजार फ्रैंक की आवश्यकता पड़ेगी। इसके अलावा यह कार्य बिना गधे के तो हो नहीं सकता, स्वस्थ गधा भी उपलब्ध करा दीजिए।"
राजा ने बिना सोचे समझे उसकी बात मान ली और अपने मंत्री को आदेश दिया, "इस आदमी को बीस हजार फ्रैंक और एक अच्छा स्वस्थ गधा दे दो।"
फिर राजा ने पियरे से कहा,"अगर तुम दस साल बाद ही यह काम नहीं कर सके तो मृत्युदंड पाने के लिए तैयार रहना। अब तुरंत जाकर अपने कामों में जुट जाओ।"
राजा को नमस्कार करके पियरे दरबार से चला गया।
अगले दिन एक दरबारी, जो पियरे का दोस्त भी था, उसके घर गया। उससे पूछा,"तुम्हें यह मुसीबत मोल लेने की आवश्यकता ही क्या थी? भला तुम एक गधे को डॉक्टर में कैसे बदल सकते हो? यहां तो असंभव है!"
पियरे उसकी बात सुनकर जोर से हंस पड़ा और बोला, "मुझे बड़ी खुशी है कि तुम्हें मेरी इतनी चिंता है। लेकिन मित्र, तुम चिंता मत करो। राजा ने यह काम करने के लिए मुझे दस साल का समय दिया है। दस साल तो बहुत लंबा समय होता है। मुझे विश्वास है कि राजा, गधा और मैं, हम में से कोई ना कोई इस अवधि में जरूर मर जाएगा। मान लो ऐसा न भी हुआ, फिर भी मेरे पास दस साल तक आराम से रहने के लिए अब पर्याप्त पैसा है।"
पियरे की बात सुनकर वह दरबारी आश्चर्य से उसका चेहरा देखता रह गया। फिर वह बोला, "मान गया दोस्त,बुद्धि में तुम से पार पाना किसी के वश की बात नहीं है।"
(शैलेश सोलंकी)