जादूगरनी का सिर : इतालवी लोक-कथा

Jadugarni Ka Sir : Italian Folk Tale

एक बार इटली देश में एक राजा था जिसके कोई बच्चा नहीं था। वह हमेशा भगवान से यही प्रार्थना करता रहता था कि वह उसको कोई बच्चा दे दे पर उसकी सारी प्रार्थनाएँ बेकार जा रही थीं।

एक दिन जब वह रोज की तरह से प्रार्थना करने गया तो उसने एक आवाज सुनी — “क्या तुमको एक लड़का चाहिये जो मर जाये या एक लड़की चाहिये जो भाग जाये।”

यह सुन कर तो वह सोच ही नहीं सका कि वह इस बात का क्या जवाब दे सो वह चुप रह गया। वह घर गया और अपने सारे दरबारियों को बुलाया और उनसे पूछा कि उसको इस बात का क्या जवाब देना चाहिये। उसको क्या माँगना चाहिये।

वे बोले — “अगर लड़के को मरना है तो यह तो वैसा ही है जैसे किसी बच्चे का न होना इसलिये आपको लड़की ही माँगनी चाहिये।

क्योंकि अगर वह भाग भी गयी तो भी वह कम से कम ज़िन्दा तो रहेगी और आप उसे कभी कभी देख तो सकेंगे। और फिर उसको हम ताले में बन्द करके भी रख सकते हैं ताकि वह कहीं भागे ही नहीं।”

सो राजा फिर से अपनी प्रार्थना की जगह वापस गया और प्रार्थना की। उसने फिर वही आवाज सुनी — “क्या तुमको एक लड़का चाहिये जो मर जाये या एक लड़की चाहिये जो भाग जाये।”

इस बार उसने जवाब दिया — “मुझे एक लड़की चाहिये जो भाग जाये।”

समय आने पर उसकी पत्नी ने एक सुन्दर बेटी को जन्म दिया। शहर से कई मील दूर एक बागीचा था जिसके बीच एक महल था। उसके भाग जाने के डर से वह अपनी बेटी को वहाँ ले गया और एक आया के साथ उसको वहाँ रख दिया।

राजा और रानी अक्सर उसको मिलने के लिये वहाँ चले जाते थे ताकि वह लड़की शहर के बारे में सोच ही न सके और वहाँ से भाग भी न सके।

जब राजकुमारी 16 साल की हो गयी तो राजा जिओना का बेटा उधर की तरफ आ निकला। उसने राजकुमारी को देखा तो उसको उससे प्यार हो गया। उसने उसकी आया को रिश्वत में बहुत सारे पैसे दिये और उससे उस महल में घुसने की इजाज़त ले ली।

दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया था सो दोनों ने खुशी खुशी शादी कर ली। दोनों की यह शादी दोनों के माता पिता को बिना पता चले ही हो गयी।

नौ महीने बाद राजकुमारी ने एक सुन्दर से बेटे को जन्म दिया। सो अगली बार जब राजा अपनी बेटी से मिलने आया तो पहले वह उसकी आया से मिला। उसने उससे पूछा कि उसकी बेटी कैसी थी।

आया बोली — “बहुत अच्छी है। क्या आप विश्वास करेंगे कि उसके अभी अभी बेटा हुआ है।”

यह सुन कर तो राजा ने उससे कोई भी रिश्ता रखने से मना कर दिया। इस तरह वह राजकुमारी अपने पति और बेटे के साथ उसी महल में अकेली रहती रही।

15 साल का हो जाने के बाद भी उसके बेटे ने अपने नाना को नहीं देखा था तो उसने अपनी माँ से कहा — “माँ, मैं अपने नाना से मिलना चाहता हूँ।”

उसकी माँ ने कहा — “हाँ हाँ बेटा क्यों नहीं। जाओ तुम उनके महल में जाओ और उनसे मिल लो।”

अगले दिन वह सुबह जल्दी उठा और एक घोड़े पर सवार हो कर और काफी सारा पैसा ले कर अपने नाना से मिलने चल दिया। जब वह वहाँ पहुँचा तो उसके नाना ने उससे कोई प्यार दिखाना तो दूर बल्कि उसकी तरफ देखा भी नहीं और उससे बोला भी नहीं।

इतना खराब स्वागत देख कर वह लड़का 3–4 महीने बाद अपने नाना से बोला — “आप मुझसे इतने नाराज क्यों हैं नाना जी कि आप मुझसे बोलते भी नहीं हैं।”

राजा बोला — “जब तक तुम जंगल में रहने वाली जादूगरनी का सिर काट कर नहीं लाओगे तब तक मैं तुमसे नहीं बोलूँगा।”

राजकुमार बोला — “नाना जी, मैं केवल आपके लिये ही वहाँ जाऊँगा और उस जादूगरनी का सिर काट कर लाऊँगा।”

राजा बोला — “यही तो मैं भी चाहता हूँ कि तुम वहाँ जाओ और उस जादूगरनी का सिर काट कर लाओ।”

“ठीक है।”

यह जादूगरनी एक ऐसी जादूगरनी थी कि जो कोई उसको देखता था वह पत्थर का हो जाता था और यह बात वह राजा जानता था कि उसके धेवते के साथ भी यही होने वाला है यानी जैसे ही वह उसकी तरफ देखेगा तो वह पत्थर का हो जायेगा।

इसी लिये उसने उससे यह कहा भी था कि वह उस जादूगरनी का सिर काट कर लाये।

उस लड़के ने एक बहुत ही बढ़िया घोड़ा चुना, काफी सारा पैसा लिया और उस जादूगरनी का सिर लाने चल दिया।

रास्ते में उसको एक बूढ़ा मिला। उसने उस लड़के से पूछा — “मेरे बेटे, तुम कहाँ जा रहे हो?”

“जादूगरनी के पास, उसका सिर लाने।”

“ओह मेरे भगवान। उसके लिये तो तुमको एक ऐसा घोड़ा चाहिये जो उड़ सके। क्योंकि वहाँ पहुँचने के लिये तुमको एक पहाड़ के ऊपर से जाना पड़ेगा जिस पर बहुत सारे शेर चीते रहते हैं। अगर तुम वहाँ से इस घोड़े पर जाओगे तो वे तुमको और तुम्हारे घोड़े दोनों को खा जायेंगे।”

लड़का बोला — “पर ऐसा घोड़ा मुझे मिलेगा कहाँ से?”

बूढ़ा बोला — “रुको, मैं तुमको एक ऐसा घोड़ा ला कर देता हूँ जो उड़ सकता है।” इतना कह कर वह गायब हो गया और जब वह लौटा तो उसके साथ एक बहुत ही शानदार घोड़ा था।

वह बूढ़ा बोला — “अब तुम मेरी बात सुनो। तुम सीधे सीधे उस जादूगरनी को नहीं देख सकते क्योंकि अगर तुमने उसको सीधे देखा तो तुम पत्थर के हो जाओगे। तुमको उसे एक शीशे में देखना पड़ेगा। वह भी तुमको मैं बताता हूँ कि वह शीशा तुम्हें कैसे मिलेगा।

तुम यहाँ से इधर चले जाओ और थोड़ी दूर जाने के बाद तुमको एक संगमरमर का महल दिखायी देगा और एक बागीचा दिखायी देगा जिसमें खूबानी के फूल वाले पेड़ लगे होंगे।

वहाँ तुमको दो अन्धी स्त्रियाँ मिलेंगी। उन दोनों स्त्रियों के पास केवल एक ही आँख है। वे दोनों उस एक आँख को आपस में बांट कर इस्तेमाल करती हैं। उन्हीं स्त्रियों के पास वह शीशा है जो तुमको उस जादूगरनी को देखने के लिये चाहिये।

वह जादूगरनी अक्सर अपना समय एक घास के मैदान में गुजारती है जिसमें बहुत सारे फूल लगे हैं। उन फूलों की खुशबू ही तुम्हारे ऊपर जादू डालने के लिये काफी है सो उस खुशबू से ज़रा बच कर रहना और ध्यान रहे कि उस जादूगरनी को केवल शीशे में ही देखना नहीं तो तुम पत्थर के हो जाओगे।”

लड़के ने उस बूढ़े को धन्यवाद दिया और उसका उड़ने वाला घोड़ा ले कर चल दिया। वह उस पहाड़ के ऊपर से उड़ा जहाँ बहुत सारे शेर चीते और सांप रहते थे और जो उसको खाने के लिये तैयार थे।

वे उसको खाने के लिये दौड़े भी पर वह क्योंकि बहुत ऊँचा उड़ रहा था इसलिये वे उसका कुछ बिगाड़ नहीं सके। पहाड़ को पीछे छोड़ता हुआ वह उड़ा जा रहा था, उड़ा जा रहा था कि दूर उसको एक संगमरमर का महल दिखायी दिया। उसने सोचा कि शायद यही उन अन्धी स्त्रियों का महल होगा।

इन दोनों अन्धी स्त्रियों के बीच में एक ही आँख थी और इस आँख को वे एक दूसरे को दे ले कर इस्तेमाल करती रहती थीं।

यह लड़का उस संगमरमर के महल के पास पहुँच तो गया पर महल का दरवाजा खटखटाने की हिम्मत नहीं कर सका सो वह बागीचे में ही टहलता रहा। वे स्त्रियाँ अपना शाम का खाना खा रही थीं। जब वे अपना खाना खा चुकीं तो वे भी बागीचे में टहलने के लिये आ गयीं।

उस समय वह एक पेड़ पर चढ़ गया ताकि वे स्त्रियाँ उसको देख न सकें। वे बातें करती हुई घूम रही थीं। जिस स्त्री के पास आँख थी उसने ऊपर की तरफ मुँह उठा कर देखा और बोली — “तुमको यह महल देखना चाहिये जो राजा ने अभी नया नया बनवाया है।”

दूसरी बोली — “अच्छा? तो तुम मुझे आँख दो तो मैं भी देखूँ।”

पहली वाली ने उसको आँख दे दी। पर जैसे ही उसने हाथ बढ़ा कर आँख देनी चाही तो लड़के ने पेड़ से नीचे झुक कर उसको बीच में ही ले लिया।

दूसरी बोली — “तो तुम मुझको आँख नहीं देना चाहतीं। तुम सारा कुछ अपने आप ही देख लेना चाहती हो।”

“पर मैने तुमको आँख दी तो।”

“नहीं, तुमने तो नहीं दी।”

“मैंने अभी तो तुम्हारे हाथ में रखी।”

वे इसी तरह आपस में बहस करती ही रहीं जब तक कि उनको यह पता नहीं चल गया कि उनमें से किसी की भी गलती नहीं थी और इस समय आँख उन दोनों में से किसी के पास भी नहीं थी।

तब वे ज़ोर से बोलीं — “ऐसा लगता है कि हमारे बागीचे में कोई और है जिसने हमारी आँख ले ली है। और अगर वह आदमी यहीं है तो मेहरबानी करके वह हमारी आँख हमें दे दे क्योंकि हम दोनों के पास केवल एक ही आँख है।

और अगर उसे हमसे हमारी आँख के बदले में कुछ चाहिये तो वह हमको यह भी बता दे कि उसको हमसे क्या चाहिये हम अपनी आँख के बदले उसको वह दे देंगे।”

तब वह लड़का पेड़ पर से नीचे उतर आया और बोला — “मेरे पास है आपकी आँख। आप मुझे उसके बदले में वह शीशा दे दीजिये जिसमें मैं जादूगरनी को देख सकूँ क्योंकि मुझे जादूगरनी को मारना है।”

उन अन्धी स्त्रियों ने कहा — “खुशी से। पर पहले तुम हमारी आँख तो वापस करो तभी तो हम वह शीशा तुमको ढूँढ कर दे सकेंगे।”

उस लड़के ने उनकी आँख वापस कर दी। उनमें से एक स्त्री ने अपने आँख लगायी और दोनों महल में चली गयीं। कुछ देर में ही वे एक शीशा ले कर वापस लौटीं।

उन्होंने वह शीशा उस लड़के को दे दिया और वह लड़का शीशा ले कर अपनी आगे की यात्रा पर चल दिया।

वह फिर चलता रहा, चलता रहा जब तक हवा में फूलों की खुशबू नहीं भर गयी। जैसे जैसे वह आगे बढ़ता गया फूलों की खुशबू और तेज़ और और तेज़ होती चली गयी।

वह अब घास के मैदान में बने एक महल के पास पहुँच गया था। उस मैदान में फूल ही फूल लगे हुए थे वह जादूगरनी अपने घास के मैदान में घूम रही थी। उस लड़के ने अपना घोड़ा थोड़ा पीछे किया और उस जादूगरनी की तरफ पीठ करके उसको शीशे में देखा।

जादूगरनी को अपनी ताकत पर बहुत विश्वास था कि उसको देखते ही लोग पत्थर बन जायेंगे और अपनी इसी ताकत के भरोसे पर वह किसी से बच कर कहीं भागने की कोशिश भी नहीं करती थी और इसी लिये अभी भी वह कहीं गयी भी नहीं। वहीं बागीचे में ही घूमती रही।

उसको वहीं घूमते देख कर उसको शीशे में देखते हुए वह लड़का उसके पास तक चला आया और अपनी तलवार घुमा कर चलाते हुए उसका सिर काट लिया।

उसके सिर से थोड़ा सा खून निकला जो जमीन पर गिरते ही सांपों में बदल गया। उस लड़के ने शीशे में देखते हुए ही वह सिर एक थैले में रखा और उड़ते घोड़े को धन्यवाद दे कर वह उसके ऊपर सवार हो कर तुरन्त ही वहाँ से उड़ चला।

घर लौटने के लिये उसने दूसरा रास्ता लिया। वह एक बन्दरगाह से गुजरा। समुद्र के पास ही एक चैपल था। वह लड़का उस चैपल में चला गया तो वहाँ उसको एक सुन्दर सी लड़की काले कपड़े पहने रोती हुई दिखायी दी।

जैसे ही उसने उस लड़के को देखा तो चिल्लायी — “चले जाओ यहाँ से चले जाओ। यहाँ अगर ड्रैगन आ गया तो वह तुमको खा जायेगा। वह रोज एक ज़िन्दा आदमी खाता है। आज क्योंकि मेरी बारी है इसलिये मैं यहाँ उसका इन्तजार कर रही हूँ। पर तुम यहाँ से चले जाओ।”

लड़के ने उसको धीरज बॅधाया — “देखो तुम घबराओ नहीं और रोओ भी नहीं। मैं तुमको उस ड्रैगन से बचाऊँगा।”

लड़की रोते रोते बोली — “यह नामुमकिन है। उस जैसे ड्रैगन को मारना नामुमकिन है।”

लड़का फिर उसको तसल्ली देते हुए बोला — “तुम डरो नहीं और आओ मेरे घोड़े पर बैठ जाओ।” कह कर उस लड़के ने उस लड़की को अपने घोड़े पर बिठा लिया।

उसी समय पानी में छपाकों की आवाज सुनायी दी तो लड़के ने उस लड़की से अपनी आँखें बन्द करने के लिये कहा और उसने खुद भी अपनी आँखें बन्द करके थैले से जादूगरनी का सिर निकाल लिया।

जैसे ही ड्रैगन ने पानी में से अपना सिर बाहर निकाला तो उसको जादूगरनी का सिर दिखायी दिया। वह उसको देख कर तुरन्त ही पत्थर का हो गया और समुद्र की तली में डूब गया।

यह लड़की तो एक राजा की बेटी थी। सो इस लड़की को ड्रैगन से बचा कर वह लड़का उसको उसके माता पिता के पास ले गया। राजा और रानी दोनों ही अपनी बेटी को ज़िन्दा और सही सलामत देख कर बहुत खुश हुए।

इसके बदले में राजा ने अपनी बेटी की शादी उस लड़के से करने का वायदा किया और अगर वह उसके पास रहा तो उसको अपना वारिस बनाने का भी वायदा किया।

उस लड़के ने राजकुमारी को तो ले लिया पर उसके राज्य के लिये उसको बहुत बहुत धन्यवाद दिया और कहा कि वह तो खुद ही अपने राज्य का राजा था और उसको वहाँ वापस लौटना था। राजकुमारी को ले कर वह अपने नाना के पास पहुँच गया।

राजा अपने धेवते को ज़िन्दा वापस आया देख कर आश्चर्यचकित भी हुआ और साथ ही कुछ दुखी भी हुआ।

लड़का बोला — “नाना जी, आप यही चाहते थे न कि मैं जाऊँ और जादूगरनी का सिर काट कर लाऊँ। सो देखिये मैं उसका सिर काट कर ले आया हूँ।”

इतना कह कर उसने अपनी आँखें बन्द करके उस जादूगरनी का सिर थैले से निकाला और राजा के सामने कर दिया। जैसे ही राजा ने उसका सिर देखा वह पत्थर का हो गया।

उसके बाद वह लड़का अपने माता पिता के पास चला गया। वहाँ से उन सबको ले कर वह अपने नाना के राज्य में लौट आये और अपने नाना के बाद वह लड़का वहाँ का राजा बन गया।

उस राजकुमारी से उसकी शादी हो गयी और वे सब खुशी खुशी रहने लगे।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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