जादूगरी के प्रारंभ की कथा : मिजोरम की लोक-कथा

Jadugari Ke Prarambh Ki Katha : Lok-Katha (Mizoram)

प्रारंभ में इस दुनिया में कोई भी जादू नहीं जानता था। पुराने जमाने में मिजोरम के एक गाँव में ‘वानशिका’ नामक एक व्यक्ति रहता था। उसके खेतों के पास एक बहुत अच्छा ‘तुइखुर’ (पानी का छोटा झरना या जलस‍्रोत) था। वह प्रतिदिन सुबह उस ‘तुइखुर’ पर स्नान करने और पीने का पानी लाने जाता था, परंतु इधर कई दिनों से उसके ‘तुइखुर’ पर जाने के पूर्व ही कोई वहाँ आकर उसे गंदा कर देता था, जिसे वह नहीं जानता था। इसलिए वह परेशान रहने लगा। वास्तविकता यह थी कि उसके ‘तुइखुर’ में ‘सिचङनेई’ (Sichangneii—ईश्वर की एक बहुत सुंदर बेटी) प्रतिदिन नहाने आने लगी थी। वह ‘वानशिका’ के पानी लेने ‘तुइखुर’ आने के पहले ही प्रतिदिन आकाश से उड़कर नीचे आती थी और ‘तुइखुर’ में नहाकर वापस उड़कर चली जाती थी। उसके नहाने के कारण ‘तुइखुर’ का पानी पूरी तरह गंदा हो जाता था। जब भी सुबह में ‘वानशिका’ पानी लेने आता था तो ‘तुइखुर’ के पानी को गंदा देखकर बहुत परेशान हो जाता था। एक दिन उसने ‘तुइखुर’ के पानी को गंदा करनेवाले का पता लगाने की ठानी। उस दिन वह आधी रात को ही अँधेरे में उठकर ‘तुइखुर’ के पास आया और उसके पास की झाड़ियों के बीच में छुपकर बैठ गया और इंतजार करने लगा। फिर रोज की तरह ही बहुत सुबह परी जैसी खूबसूरत ‘सिचङनेई’ आकाश से उड़कर आई और ‘तुइखुर’ में नहाने लगी। उसे यह पता ही नहीं था कि कोई वहाँ छुपकर बैठा है।

‘वानशिका’ ने जब यह देखा कि एक खूबसूरत परी उसके ‘तुइखुर’ में स्नान करने आती है, तब वह खुश हो गया। अचानक वह उठा और उसने परी के हाथों को जोर से पकड़ लिया। ‘सिचङनेई’ ने उससे छोड़ देने की प्रार्थना की। मगर ‘वानशिका’ ने उसे धमकी देते हुए कहा, “तुम हमेशा मेरे झरने के पानी को गंदा कर देती हो। इसलिए आज मैं तुम्हें जान से मार दूँगा।” ‘सिचङनेई’ रोने लगी। वह बहुत परेशान हो गई और ‘वानशिका’ से बार-बार क्षमा माँगते हुए जान बचाने के लिए प्रार्थना करने लगी। लेकिन ‘वानशिका’ नहीं माना। तब ‘सिचङनेई’ ने उससे कहा, “अगर तुम मेरी जान बख्श दोगे तो मैं तुम्हें जादूगरी सिखा दूँगी। फिर तुम जिसे भी चाहो, मंत्रों के द्वारा अपने वश में कर सकते हो। उसे हासिल कर सकते हो।” ‘वानशिका’ मन-ही-मन बहुत खुश हुआ और उसकी बात को मान लिया। ‘सिचङनेई’ ने ‘वानशिका’ को जादूगरी सिखाई। तभी से मनुष्यों को जादूगरी का ज्ञान हुआ और ‘वानशिका’ इस पृथ्वी का प्रथम जादूगर बन गया। जादूगरी का ज्ञान प्राप्त होने के बाद ‘वानशिका’ आराम से जीवनयापन करने लगा और मिजो समाज में उसका मान-सम्मान काफी बढ़ गया। ‘वानशिका’ से ही केइचला, ललरुआङ, साङसाईपुइआ आदि ने जादूगरी सीखी, जो आगे चलकर मिजो समाज के बहुत प्रसिद्ध जादूगर हुए।

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