जादूगर जासूस : लोककथा (उत्तराखंड)
Jadugar Jasoos : Lok-Katha (Uttarakhand)
सोमपाल राजा, प्रजा का हमेशा ध्यान रखता था । इसलिए उसके राज्य में खुशहाली थी । इधर दो वर्षों से उसके राज्य को अजीब विपत्ति का सामना करना पड़ रहा था । उसके राज्य के कर्मचारी रहस्यमय ढंग से गायब होने लगे थे । पहले - पहले तो राजदरबार के कुछ ही व्यक्ति गायब हुए । बाद में आम लोग भी गायब होने लगे । राजा ने खुफिया एजेन्सी को सतर्क कर दिया था । खुफिया तंत्र क्या करता ? जब खुफिया विभाग के कर्मचारी भी गायब होने लगे थे ।
इसी राज्य में एक बुढ़िया रहती थी । उसके चार बेटे और एक बेटी थी । जब तक बुढ़िया जीवित रही तब तक उसके बच्चों का जीवन भी ठीक चल रहा था । बुढ़िया खेतीबाड़ी का काम करके दो वक्त की रोटी तो जुटा ही देती थी । बुढ़िया के मरने के बाद उसके बच्चों पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा । बुढ़िया की लड़की मधु भी जवान होने लगी थी । भाइयों को अपनी रोजी रोटी के साथ मधु की शादी की भी चिन्ता होने लगी थी ।
एक दिन चारों भाइयों ने निश्चय किया कि वे नौकरी की तलाश में बाहर जाएंगे । जितना भी रुपया पैंसा जमा होगा उससे अपना घर भी चलाएंगे और मधु की शादी भी करेंगे । उनको बुढ़िया ने एक मंत्र दिया था । उस मंत्र को पढ़ने पर घर से बाहर गए लोगों के बारे में उनकी फोटो को देखकर उनकी कुशलता के बारे में पता चल जाता था । यदि फोटो का रंग धुंधला पड़ जाता तो इसका अर्थ था उस व्यक्ति की मृत्यु । चारों भाई नौकरी की तलाश में जाने लगे । उन्होंने मधु से इन शब्दों में विदा ली-
‘‘ बहिन! हमारी कुशलता के बारे में हमारी फोटो को देखकर जानकारी प्राप्त करते रहना।‘‘
चारों भाई घर से निकल गए । रास्ते में उन्हें महात्मा वेश में एक आदमी दिखाई दिया । वह आँखें बन्द कर माला जप रहा था । चारों भाइयों के चलने की आवाज को सुनकर वह उनसे बोला ,‘‘ मुझे लगता है कि तुम किसी मुसीबत में हो ।‘‘
‘‘ हाँ! हमें नौकरी की तलाश है।‘‘- चारों भाई एक साथ बोले ।
‘‘ठीक है । मेरी बात को ध्यान से सुनो । यहाँ से सीधा उत्तर दिशा में जाओ । कुछ दूरी पर तुम्हें एक पक्षी दिखाई देगा । वह कहेगा, ‘‘रुको, रुको।‘‘ तो रुकना मत। इन्सान की आवाज में बात करने वाले उस पक्षी के कहने के विपरीत करोगे तो तुम्हारी मनचाही मुराद पूरी हो जाएगी ।‘‘- महात्मा वेशधारी व्यक्ति ने कहा ।
उस महात्मा वेशधारी व्यक्ति को प्रणाम कर चारों भाई उत्तर दिशा की ओर चले गए । कुछ दूरी पर उन्हें एक पक्षी दिखाई दिया । महात्मा वेशधारी व्यक्ति के बताए अनुसार उन्होंने, जो पक्षी ने कहा उसके विपरीत कार्य किया । धीरे -धीरे उन्हें बेहोशी छाने लगी । कुछ देर बाद वे चारों पत्थरों में बदल गए ।
उनकी बहिन मधु ने अपने भाइयों की फोटो के आगे मंत्र पड़ा । फोटो का रंग धुंधला पड़ गया था । वह समझ गई कि उसके भाई अब इस दुनियां में नहीं हैं । वह बहुत रोई । रात भर उसे नींद नहीं आई। सुबह उसकी आँखें लग गई। उसने सपने में अपनी माँ को देखा । वह मधु से बोली, ‘‘ घबराओ मत, तुम अपने साथ घर में रखे पुराने छुर्रे को लेकर अपने भाइयों की तलाश में जाना । वहाँ रास्ते में तुम्हें महात्मा वेशधारी एक आदमी मिलेगा । तुम उसकी बातों में मत आना । जैसा पक्षी कहेगा वैसा ही करना । छुर्रे से पक्षी की गर्दन काट लेना । इससे जो खून निकलेगा उसे आस-पास के पत्थरों पर लगा लेना ।‘‘ अपनी माँ की कही इस बात को सुनते ही मधु की नींद टूट गई ।
मधु अपने भाइयों की तलाश में घर से निकल गई । रास्ते में उसे वही महात्मा वेश वाला आदमी दिखाई दिया । महात्मा ने उससे भी वही बातें कही जो उसके भाइयों से कही थी । वह उत्तर दिशा में गई । पक्षी ने कहा, ‘‘रुको, रुको ।‘‘ वह रुकी । उसने झट से छुर्रे से पक्षी की गर्दन काट ली । पक्षी की गर्दन कटते ही वह महात्मा वेशधारी आदमी चिल्लाया और मर गया । पक्षी की गर्दन कटने से जो खून निकला ,उसने उसे आस-पास के पत्थरों पर लगा लिया । खून की बूंदें पड़ते ही वे सारे पत्थर इन्सानो में बदल गए ।
मधु यह देखकर खुश हो गई कि उसके भाई भी पत्थर से इंसान के रूप में आ गए । पत्थर से इंसान बनने वालों में से सोमपाल राजा के दरबारी भी थे । राजा के दरबारी, मधु और उसके चारों भाइयों को राजदरबार में ले गए । गायब राजदरबारियों को फिर से देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ । राजा का एक पुत्र और चार पुत्रियां थी । राजा ने मधु से प्रसन्न होकर अपने पुत्र का विवाह उससे कर दिया । उसने चारों पुत्रियों का ब्याह मधु के चारों भाइयों से कर दिया । खुफिया कर्मचारियों ने पता लगा दिया था कि वह महात्मा वेशधारी आदमी पड़ोस के राजा का जासूस था । वह जादूगर था । वह सोमपाल के राज्य को हड़पना चाहता था ।
(साभार : डॉ. उमेश चमोला)