जादूगर और सुलतान के बेटे : ज़ांज़ीबार (तंजानिया) लोक-कथा
Jadugar Aur Sultan Ke Bete : Zanzibar (Tanzania) Folk Tale
एक बार एक सुलतान था जिसके तीन छोटे छोटे बेटे थे। ऐसा लगता था कि वे किसी से भी पढ़ने वाले नहीं थे। इस बात से सुलतान और उसकी पत्नी बहुत ही दुखी रहते थे।
एक दिन एक जादूगर को इस बात का पता चला तो वह सुलतान के पास आया और बोला — “अगर मैं आपके बच्चों को लिखना पढ़ना सिखा दूँ और उनको होशियार बना दूँ तो आप मुझे क्या देंगे?”
सुलतान तुरन्त बोला — “मैं अपना आधा राज्य तुमको दे दूँगा। ”
जादूगर बोला —“इससे मेरा काम नहीं चलेगा। ”
सुलतान बोला — “मेरे पास जितने भी शहर हैं उनमें से आधे शहर मैं तुमको दे दूँगा। ”
जादूगर बोला — “मेरा काम इससे भी नहीं चलेगा। ”
सुलतान ने पूछा — “तो फिर तुम्हें क्या चाहिये?”
जादूगर बोला — "जब मैं आपके तीनों बेटों को पढ़ा लिखा कर लाऊँ तो जिन दो बेटों को आप चाहें आप रख लें और तीसरे बेटे को मुझे मेरे साथ के लिये दे दें। क्योंकि मुझे भी अपने साथ के लिये एक आदमी चाहिये। ”
सुलतान बोला ठीक है और जादूगर सुलतान के तीनों बेटों को ले कर चला गया। बहुत ही कम दिनों में वह सुलतान के तीनों बेटों को पढ़ना लिखना सिखा कर सुलतान के पास ले आया और बोला — “सुलतान, यह लीजिये आपके तीनों बेटे पढ़ने लिखने में बराबर के होशियार हो गये। अब आप इनमें से कोई से दो बेटे अपने लिये चुन लीजिये और तीसरा बेटा मुझे दे दीजिये। ”
सुलतान ने अपने वायदे के अनुसार दो बेटे चुन लिये और तीसरा बेटा जिसका नाम कीजाना था जादूगर के लिये छोड़ दिया। जादूगर उसको ले कर अपने घर चला गया। जादूगर का घर बहुत बड़ा था।
उस जादूगर का नाम ऐमचावी था। घर आने पर उसने अपने सारे घर की सारी चाभियाँ उस लड़के कीजाना को दे दीं और उसको कह दिया कि वह उन चाभियों से जो कमरा चाहे वह खोल सकता था।
उसने उससे यह भी कहा कि अब वही उसका पिता था और वह एक महीने के लिये बाहर जा रहा था।
जादूगर के जाने के बाद कीजाना ने घर को देखना शुरू किया। उसने एक कमरा खोला वह पूरा कमरा पिघले सोने से भरा हुआ था। उसने उस पिघले सोने में अपनी उँगली डाली तो वह उस की उँगली में चिपक गया। उसने अपनी उँगली को खूब मला खूब रगड़ा खूब धोया पर वह तो सोना था निकला ही नहीं सो उसने अपनी उँगली के चारों तरफ एक कपड़ा बाँध लिया।
जब उसका जादूगर पिता वापस आया और उसने बेटे की उँगली पर कपड़ा बँधा देखा तो उससे पूछा कि वह अपनी उँगली से क्या कर रहा था।
लड़का डर गया और डर के मारे उसने उससे कह दिया कि उसकी उँगली कट गयी थी इसलिये उसने अपनी उँगली पर पट्टी बाँध ली थी।
कुछ दिन बाद जादूगर ऐमचावी फिर से बाहर गया और कीजाना को फिर से अपने घर की सारी चाभियाँ दे गया। कीजाना ने फिर से उसका घर देखना शुरू किया।
इस बार जो कमरा उसने खोला वह पूरा बकरों की हड्डियों से भरा हुआ था। दूसरा कमरा भेड़ों की हड्डियों से भरा हुआ था। तीसरा कमरा बैलों की हड्डियों से भरा हुआ था।
चौथा कमरा गधों की हड्डियों से भरा हुआ था। पाँचवाँ कमरा घोड़ों की हड्डियों से भरा हुआ था और छठा कमरा आदमियों की खोपड़ियों से भरा हुआ था। सातवें कमरे में एक ज़िन्दा घोड़ा था।
घोड़ा बोला — “ओ ऐडम के बेटे, तुम कहाँ से आये हो?”
कीजाना बोला — “यह मेरे पिता का घर है। ”
घोड़ा बोला — “अच्छा, क्या सच में? तुम्हारे पिता तो बहुत ही अच्छे हैं। पर क्या तुमको यह भी पता है कि तुम्हारे पिता को जो कुछ भी मिल जाये वह वही खा लेते है चाहे वह घोड़ा हो या बैल, या गधा हो या बकरा। और अब तुम और मैं केवल दो ही लोग इस घर में ज़िन्दा रह गये हैं। ”
कीजाना तो यह सुन कर बहुत डर गया। वह बोला — “तो फिर अब हम क्या करें। ”
घोड़े ने पूछा — “तुम्हारा नाम क्या है?”
“कीजाना। ”
घोड़ा बोला — “मेरा नाम फारासी है। अच्छा कीजाना पहले तुम मुझे खोलो फिर मैं बताता हूँ कि तुमको क्या करना है। ”
लड़के ने उसको खोल दिया।
घोड़ा बोला — “अब तुम वह कमरा खोलो जिसमें सोना भरा है। मैं उस सारे सोने को निगल जाऊँगा। फिर मैं बाहर सड़क पर थोड़ी दूर जा कर पेड़ के नीचे तुम्हारा इन्तजार करूँगा।
जब जादूगर आयेगा तो वह तुमसे कहेगा “चलो, आग जलाने के लिये लकड़ी ले आयें। ” तो तुम उससे कहना कि तुम यह काम नहीं जानते सो वह फिर अपने आप ही लकडी, लाने चला जायेगा।
जब वह लकड़ी ले कर वापस आयेगा तो वह एक बहुत बड़ा बरतन एक काँटे पर टाँग देगा और तुमसे उसके नीचे आग जलाने के लिये कहेगा। तुम उससे कहना कि तुमको आग जलानी नहीं आती सो फिर वह अपने आप ही आग जला लेगा।
फिर वह बहुत सारा मक्खन ले कर आयेगा और उसको तुमसे उस बड़े बरतन में डालने के लिये कहेगा तो तुम कहना कि तुम्हारे अन्दर इतनी ताकत नहीं है कि तुम उसे उठा कर उस बरतन में डाल सको तो वह खुद ही उस मक्खन को उस बरतन में डाल देगा।
जब वह मक्खन गरम हो रहा होगा तो वह एक झूला वहाँ ला कर रखेगा और तुमसे कहेगा आओ मैं तुमको झूला झुलाऊँ। तुम उससे कहना कि तुम पहले कभी नहीं झूले इसलिये पहले वह तुमको झूल कर दिखाये कि झूले पर कैसे झूलते हैं।
वह उठेगा और तुमको झूल कर दिखायेगा। उसी समय तुम उसको उस बड़े बरतन में धक्का दे देना जिसमें मक्खन गरम हो रहा होगा और जितनी जल्दी हो सके दौड़ कर मेरे पास आ जाना। ” यह सब उस लड़के को समझा कर वह घोड़ा चला गया।
उस दिन ऐमचावी ने अपने कुछ दोस्तों को शाम को खाने पर बुलाया था सो उस दिन वह कुछ जल्दी ही घर वापस आ गया। आ कर उसने कीजाना से कहा कि चलो आग जलाने के लिये लकड़ी ले आयें।
कीजाना ने घोड़े के सिखाये अनुसार उसको जवाब दिया कि उसको यह काम नहीं आता सो वह अपने आप ही लकड़ी लाने चला गया। वह लकड़ी ले कर आया तो उसने एक बड़ा सा बरतन एक काँटे पर टाँग दिया और कीजाना से उस बरतन के नीचे आग जलाने के लिये कहा। कीजाना बोला कि उसको आग जलानी नहीं आती।
यह सुन कर जादूगर ने खुद ही लकड़ियाँ उस बरतन के नीचे रखीं और फिर खुद ही आग जलायी। फिर वह काफी सारा मक्खन ले कर आया और कीजाना से कहा कि वह उस मक्खन को उस बरतन में डाल दे।
कीजाना बोला कि वह उतना सारा मक्खन नहीं उठा सकता था क्योंकि वह इतना ताकतवर नहीं था तो उसने खुद ही वह मक्खन उठा कर उस बरतन में डाल दिया।
ऐमचावी फिर बोला — “क्या तुमने हमारे गाँव का एक खेल देखा है?”
“शायद नहीं। ”
ऐमचावी ने कहा — “चलो तो तब तक वह खेल खेलते हैं जब तक यह मक्खन गरम होता है। ”
उसने एक झूला लगाया और कीजाना से बोला — “आओ यहाँ आओ मैं तुमको यह खेल सिखाऊँ। ”
कीजाना बोला — “पहले आप इस खेल को खेलियेे और मैं देखता हूँ। ऐसे मैं यह खेल जल्दी सीख जाऊँगा। ”
सो जादूगर ने जैसे ही झूले पर बैठ कर झूले को हिलाना शुरू किया कि कीजाना ने तुरन्त ही उसको उस बड़े बरतन में धक्का दे दिया जिस में मक्खन गरम हो रहा था और वहाँ से तेज़ी से पेड़ के नीचे भाग गया जहाँ घोड़ा उसका इन्तजार कर रहा था।
फारासी उसको देखते ही बोला — “आओ जल्दी से मेरी पीठ पर बैठ जाओ। अब हम यहाँ से चलते हैं। ” सो कीजाना उसकी पीठ पर बैठ गया और वह घोड़ा हवा की चाल से दौड़ने लगा।
शाम को उस जादूगर के दोस्त खाना खाने के लिये आये तो उनको वह जादूगर कहीं दिखायी नहीं दिया। उन्होंने इधर देखा उधर देखा पर उनको वह कहीं भी दिखायी नहीं दिया।
उन्होंने कुछ देर तो इन्तजार किया पर फिर उनको ज़ोर की भूख लगने लगी तो उन्होंने फिर कुछ खाने के लिये ढूँढा तो उनको आग पर रखे बरतन में रखा हुआ माँस खाने को मिल गया। बस सबने मिल कर वह सारा माँस खत्म कर लिया।
खाना खा लेने के बाद उन्होंने ऐमचावी को फिर से ढूँढना शुरू किया। इस ढूँढने में उनको और बहुत सारा खाने का सामान मिल गया सो वे वहाँ दो दिन तक रहे, वह सारा खाने का सामान खत्म किया, ऐमचावी का इन्तजार किया और जब वह फिर भी वापस नहीं आया तो वहाँ से चले आये।
इस बीच में वह घोड़ा कीजाना को ले कर भागता रहा और काफी दूर निकल आया। एक बड़ा सा शहर देख कर वे वहाँ रुक गये।
कीजाना बोला — “चलो यहीं रुक जाते हैं और रहने के लिये एक घर बनाते हैं। ”
फारासी तैयार हो गया और उसने वह सारा सोना उगल दिया जो वह जादूगर के घर में से निगल कर लाया था। उस सोने से उन्होंने नौकर चाकर, जानवर और जो कुछ भी उनको जरूरत थी वह सब खरीदा।
जब लोगों ने पड़ोस में एक बहुत बड़ा मकान, इतने सारे नौकर चाकर, जानवर और अमीरी देखी तो वे अपने सुलतान के पास गये और उससे कहा कि ऐसा आदमी तो बहुत खास होना चाहिये जिसके पास यह सब हो और उससे तो उसको मुलाकात करनी ही चाहिये।
यह सुन कर सुलतान ने कीजाना को बुलाया और उससे पूछा कि वह कौन था।
कीजाना बोला — “मैं तो एक आम आदमी हूँ जैसे और सब लोग हैं। ”
“क्या तुम कोई यात्री हो?”
कीजाना बोला — “हाँ पहले था तो पर अब मुझे यह जगह पसन्द आ गयी है इसलिये मैंने यहीं रहने का विचार किया है। ”
सुलतान बोला — “तो फिर यह शहर घूमो। ”
“मुझे शहर घूमने में बहुत अच्छा लगेगा पर मुझे कोई शहर दिखाने वाला चाहिये। ”
सुलतान को वह लड़का बहुत अच्छा लगा सो वह उत्सुकता से बोला — “चलो मेरे साथ चलो, मैं दिखाता हूँ तुमको शहर। ”
सो सुलतान और कीजाना अच्छे दोस्त हो गये।
कुछ दिनों बाद सुलतान ने अपनी बेटी की शादी कीजाना से कर दी। उनके एक बेटा हुआ। वे सब बहुत दिनों तक खुशी खुशी रहे। कीजाना जब तक रहा फारासी को अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता रहा।
(साभार : सुषमा गुप्ता)