जब कथा संपूर्ण होती है : हिंदी लोक-कथा

Jab Katha Sampurna Hoti Hai : Folktale in Hindi

उड़िया में मैंने उन्हें कथा के अंत में यह गीत गाते हुए सुना—

मेरी कथा संपूर्ण हुई।
हरियल पेड़ निष्प्राण हुआ।

ओ हरियल पेड़, तुम निष्प्राण क्यों हुए?
काली गाय मुझे खा गई।

ओ काली गाय, तुमने पेड़ को क्यों खाया?
ग्वाले ने मुझे चारा नहीं डाला।

ओ ग्वाले, तुमने गाय को चारा क्यों नहीं डाला?
बहू ने मुझे खाना नहीं खिलाया।

ओ री बहू, तुमने ग्वाले को खाना क्यों नहीं खिलाया?
मेरा मुन्ना रो रहा था।

ओ मुन्ने, तुम क्यों रोए?
मुझे काली चींटी ने काटा।

ओ काली चींटी, तुमने मुन्ने को क्यों काटा?
मैं धूल में रहती हूँ।
कोमल माँस मिला तो मैंने काट लिया।

(साभार : भारत की लोक कथाएँ, संपादक : ए. के. रामानुजन)

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