जादू की अँगूठी : कश्मीरी लोक-कथा
Jaadu Ki Angoothi : Lok-Katha (Kashmir)
एक बार की बात है कि एक सौदागर ने अपने बेटे को 300 रुपये दिये और उससे कहा कि वह दूसरे देशों में जा कर अपनी किस्मत आजमाये। बेटा चल दिया।
वह बहुत दूर नहीं गया था कि रास्ते में उसको कुछ चरवाहे एक कुत्ते के ऊपर झगड़ते हुए मिले। उनमें से कुछ उसको मारना चाहते थे। उस कोमल दिल वाले नौजवान का दिल पसीज गया।
उसने उनसे कहा — “मेहरबानी करके आप लोग कुत्ते को न मारें। मैं इसके लिये आपको 100 रुपये देता हूँ।”
बस उस कुत्ते का सौदा हो गया। नौजवान ने उन चरवाहों को 100 रुपये दिये उनसे कुत्ता लिया और अपनी यात्रा पर आगे चल दिया।
कुछ दूर जा कर उसको कुछ आदमी मिले जिनमें से कुछ एक बिल्ले को मारना चाहते थे और कुछ का कहना था कि उसे न मारा जाये। हमारे बेवकूफ नौजवान का कोमल दिल पसीज गया और उसने कहा — “इस बेचारे जानवर को क्यों मारते हो। मैं तुम लोगों को 100 रुपये देता हूँ तुम इसे मुझे दे दो।”
यह सौदा भी तुरन्त ही पट गया और नौजवान अपना बिल्ला ले कर फिर अपनी यात्रा पर आगे बढ़ गया। आगे चल कर उसे एक गाँव में कुछ गाँव वाले मिले जो एक साँप पर झगड़ रहे थे। कुछ कह रहे थे इसको मार दो और कुछ कह रहे थे कि इसको छोड़ दो। हमारे बेवकूफ नरम दिल नौजवान ने कहा — “इस बेचारे को क्यों मारते हो। इसे मुझे दे दो मैं तुम्हें इसके लिये 100 रुपये दे दूँगा।”
लोग एक साँप के लिये 100 रुपये पा कर बहुत खुश हुए। सो 100 रुपये ले कर वह साँप नौजवान को दे दिया गया। अब यह नौजवान 300 रुपये में एक कुत्ता एक बिल्ला और एक साँप ले कर चल दिया।
हमारा यह नौजवान तो बड़ा बेवकूफ निकला। सारा पैसा खो कर अब यह क्या बिजनेस करेगा। सिवाय अपने पिता के पास लौटने के अब तो वह कुछ कर ही नहीं सकता था सो वह अपने घर चला गया।
जब उसके पिता ने यह सुना कि उसने किस तरह से अपना सारा पैसा बरबाद कर दिया है तो वह बहुत नाराज हुआ और बोला — “अरे बेवकूफ यह तूने क्या किया। जा और जा कर अस्तबल में सो जा और जा कर वहाँ अपनी बेवकूफी पर पश्चाताप कर। तू अब मेरे घर में कभी नहीं घुसना।”
सो वह नौजवान अस्तबल में चला गया और वहीं रहने लगा। उसका बिस्तर उसी घास का होता था जो जानवरों के खाने के लिये आती थी और उसके साथी थे कुत्ता बिल्ला और साँप जो उसने 300 रुपये में खरीदे थे।
ये तीनों जानवर उसके बहुत अच्छे दोस्त हो गये थे। वह दिन में जहाँ भी जाता वे उसके साथ हमेशा ही लगे रहते और रात को वह हमेशा उसके पास ही सोते थे। बिल्ला उसके पैरों के पास सोता कुत्ता उसके सिर के पास सोता और साँप उसके ऊपर पड़ा रहता। उसका सिर एक तरफ को लटका रहता और उसकी पूँछ दूसरी तरफ।
एक दिन साँप अपने मालिक से बोला — “मैं इन्द्रशराजा का बेटा हूँ। एक दिन जब मैं हवा लेने के लिये जमीन में से बाहर निकला तो कुछ लोगों ने मुझे पकड़ लिया और मुझे मारने ही वाले थे कि तुम सही समय पर आ पहुँचे और मुझे बचा लिया। मैं नहीं जानता कि तुम्हारे इस उपकार का बदला मैं कभी भी चुका सकूँगा। काश तुम मेरे पिता को जानते। वह अपने बेटे के बचाने वाले से मिल कर कितने खुश होते।”
नौजवान बोला — “वह कहाँ रहते हैं। मैं उनसे जरूर मिलना चाहूँगा। अगर यह मुमकिन हो तो।”
साँप बोला — “यह तो बड़ी अच्छी बात है। वह सामने तुम पहाड़ देखते हो न। उस पहाड़ की तली में एक पवित्र नदी है। अगर तुम मेरे साथ चलो और उस नदी में डुबकी मारो तो हम दोनों मेरे पिता के राज्य में पहुँच जायेंगे।
ओह वह तुमको देख कर बहुत खुश होंगे। वह तुमको इनाम भी देंगे। पर वह ऐसा कैसे कर सकते हैं? फिर भी कम से कम तुम उनके हाथ से कुछ पा कर खुश हो सकते हो। अगर वह तुमसे पूछें तो कि तुमको क्या चाहिये तो उनको कहना कि “मुझे आपके दाँये हाथ की अँगूठी चाहिये और वह मशहूर बरतन और चमचा चाहिये जो आपके पास है।”
अगर ये दोनों चीज़ें तुम्हारे पास होंगी तो फिर तुम्हें किसी चीज़ की जरूरत नहीं रहेगी। क्योंकि अँगूठी तो ऐसी चीज़ है जिससे कि किसी आदमी को बस कहने की जरूरत है और वह बड़ा सुन्दर बंगला सुन्दर आकर्षक स्त्री भी दे सकती है।
जबकि बरतन और चमचा तुम्हारे खाने पीने की सारी जरूरतों को पूरा करेंगे। उनसे तुम्हें बहुत बढ़िया बढ़िया और स्वादिष्ट खाना मिलेगा।”
सो वह नौजवान अपने तीनों साथियों को ले कर उस नदी की तरफ चल दिया और वहाँ पहुँच कर साँप की देखभाल में उस नदी मे कूदने के लिये तैयार हुआ तो बिल्ला और कुत्ता यह देखते हुए कि वह क्या करने जा रहा था एक साथ बोले — “मालिक फिर हम क्या करेंगे हम कहाँ जायेंगे।”
नौजवान बोला — “तुम लोग मेरा यहीं इन्तजार करो। मैं बहुत दूर नहीं जा रहा हूँ और मैं वहाँ बहुत देर तक रहूँगा भी नहीं।” कह कर वह उस नदी में कूद गया और तुरन्त ही गायब हो गया।
कुत्ते ने बिल्ले से कहा — “अब हम क्या करें?”
बिल्ला बोला — “हमारे मालिक ने कहा है तो हमको यहीं रहना चाहिये। तुम खाने की चिन्ता बिल्कुल मत करो। मैं लोगों के घरों में जाता हूँ और अपने दोनों के लिये बहुत सारा खाना ले कर आता हूँ।”
कह कर वह बिल्ला चला गया। इस तरह दोनों तब तक आराम से रहे जब तक उनका मालिक वापस लौट कर आया। वह नौजवान और साँप अपनी जगह ठीक से पहुँच गये तो उनके सही सलामत वापस आने की खबर राजा को भिजवायी गयी।
हिज़ हाइनैस ने अपने बेटे और अजनबी को अपने सामने पेश करने का हुकुम दिया।
पर साँप ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह तब तक अपने पिता के सामने नहीं जा सकता जब तक कि वह इस अजनबी से छुटकारा न पा जाये।
उसके छुटकारा पाने का मतलब था कि जब तक वह इस अजनबी के उपकार का बदला नहीं चुका लेता जिसने उसको एक भयानक मौत से बचाया है और जिसकी वजह से वह उसका गुलाम है।
यह सुन कर राजा खुद गया और अपने बेटे को गले लगाया और अजनबी को नमस्ते करके अपने राज्य में उसका स्वागत किया।
वह नौजवान वहाँ कुछ दिन ठहरा जिनमें उसने राजा की कॄतज्ञता के बदले में उसकी दाँये हाथ की अँगूठी ली और बरतन और चमचा लिया कि उसने उसके बेटे की जान बचायी। यह ले कर वह ऊपर आया तो अपने दोस्तों कुत्ता और बिल्ले से मिला जो उसका वहीं इन्तजार कर रहे थे। उन सबने एक दूसरे को जबसे वे बिछड़े थे तबसे अब तक की जब वे मिले अपनी अपनी कहानियाँ सुनायीं। वे आपस में मिल कर बहुत खुश हुए। उसके बाद वे नदी किनारे चलते रहे जहाँ फिर उन्होंने जादुई अँगूठी और बरतन और चमचे का जादू जाँचने का फैसला किया। सो नौजवान ने अँगूठी से सुनहरे बालों वाली एक सुन्दर लड़की और एक सुन्दर मकान माँगा।
तुरन्त ही उसके सामने ये दोनों प्रगट हो गये। फिर इसने बरतन को जाँचना चाहा तो उसने कहा कि इन सबके लिये सबसे बढ़िया और स्वादिष्ट खाना लाओ तो वहाँ पर बहुत तरीके के स्वदिष्ट खाने प्रगट हो गये।
जाहिर है कि उनकी ज़िन्दगी बड़े आराम से गुजरने लगी। ऐसा कई साल तक चलता रहा कि एक दिन एक सुबह उस लड़की ने अपने बाल बनाते समय अपने टूटे हुए बाल एक खोखले सरकंडे में रख दिये और उस सरकंडे को अपनी खिड़की के नीचे बहती नदी में फेंक दिया।
सरकंडे की वह डंडी मीलों दूर तक बहती चली गयी कि इत्तफाक से वह डंडी वहाँ के राजा के बेटे को मिल गयी। उत्सुकतावश उसने उस डंडी को खोल लिया तो उसने देखा कि उसमें तो सुनहरी बाल थे।
उन बालों को देखते ही वह महल की तरफ भागा और जा कर अपने कमरे में बन्द हो गया और वह तो वहाँ से अब बाहर ही नहीं निकले। वह तो उस लड़की के प्यार में पड़ गया था जिसके वे सुनहरी बाल थे।
न वह खाये न पिये न उसको नींद आये और न वह कहीं आये जाये जब तक कि उस लड़की को उसके पास न लाया जाये। यह देख कर उसके पिता राजा को बहुत चिन्ता हुई उसकी तो समझ में ही नहीं आया कि वह क्या करे।
उसको डर लगा कि इस तरह से उसका बेटा कहीं मर न जाये और वह बिना वारिस के ही रह जाये। आखिर उसने अपनी एक चाची से सलाह माँगने का निश्चय किया।
उसकी यह चाची एक जादूगरनी थी। उस बुढ़िया ने उसकी सहायता करने का वायदा किया। उसने राजा से कहा कि उसको चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। उसको पूरा भरोसा है कि वह उस सुन्दर लड़की को उसके बेटे की पत्नी बना कर ले आयेगी। उसने एक मधुमक्खी का रूप रखा और ज़ज़ज़ज़ करती उड़ने लगी। उसकी तेज़ सूँघने की ताकत उसको उस लड़की के पास ले आयी जिसको वह एक बुढ़िया दिखायी दी जिसने अपने सहारे के लिये एक छड़ी पकड़ रखी थी।
उसने उस लड़की को अपना परिचय उसकी चाची बता कर दिया और उससे कहा कि उसने उसको पहले कभी देखा नहीं था क्योंकि उसने वह देश उस लड़की के जन्म के तुरन्त बाद ही छोड़ दिया था।
यह सब कहने के साथ साथ उसने उस लड़की को अपने गले से लगाया और चूम लिया। वह सुन्दर लड़की तो उसके धोखे में आ गयी। उसने भी जादूगरनी को गले से लगाया और अपने घर में ले आयी। उसको वहीं ठहरने को कहा जब तक वह ठहरना चाहे। उसने बुढ़िया की इतनी इज़्ज़त की और उसकी इतनी देखभाल की कि बुढ़िया ने सोचा कि अब तो उसका काम बहुत आसान हो गया।
जब उसको वहाँ रहते रहते तीन दिन हो गये तो एक दिन उसने लड़की से कहा कि बजाय इसके कि वह उस जादुई अंगूठी को अपने पति के पास छोड़े उसको उसे अपने पास रखना चाहिये क्योंकि उसका पति तो अक्सर शिकार पर ही रहता था या फिर किसी और काम से बाहर रहता था सो वह अँगूठी उससे खो सकती थी।
लड़की ने सोचा कि उसकी चाची उसको ठीक ही सलाह तो दे रही थी सो उसने अपने पति से उसकी वह जादू की अँगूठी माँगी। पति ने उसको वह अँगूठी दे दी। जादूगरनी ने उससे अँगूठी के बारे में पूछने से पहले एक दिन इन्तजार किया फिर उससे कहा कि वह वह अँगूठी देखना चाहती है।
लड़की को कोई शक नहीं हुआ और उसने वह अँगूठी अपनी चाची को देखने के लिये दे दी। जैसे ही चाची के हाथ में अँगूठी आयी वह मधुमक्खी बनी और उसको ले कर वहाँ से उड़ गयी और वहाँ आयी जहाँ राजकुमार अपने महल में बहुत बुरी हालत में पड़ा हुआ था।
उसने जा कर उससे कहा — “उठो बेटा उठो और खुश हो जाओ। अब और दुखी होने की जरूरत नहीं है। जिस लड़की को तुम ढूँढ रहे थे वह अब बस तुम्हारे बुलाने पर तुरन्त ही हाजिर हो जायेगी। देखो यही वह तलिस्मा है और इसी से तुम उसको यहाँ बुला सकते हो।”
राजकुमार तो यह सुन कर बिल्कुल पागल सा हो गया और उस लड़की को देखने के लिये इतना इच्छुक हो गया कि उसने तुरन्त ही अँगूठी से उस लड़की को वहाँ लाने के लिये कहा। तुरन्त ही वह लड़की अपने मकान सहित उसके महल के बागीचे में उतर आयी। वह तुरन्त ही उसके मकान में गया और उससे अपने प्रेम के बारे में बताया। उसने उससे कहा कि वह उसकी पत्नी बन जाये। लड़की ने देखा कि वह यहाँ से किसी तरह भी बच नहीं सकती है सो उसने इस शर्त पर उसको हाँ कर दी कि वह एक महीने बाद उससे शादी कर लेगी।
इस बीच सौदागर का बेटा शिकार से घर वापस लौटा तो उसने देखा कि न तो उसका घर है और न उसकी पत्नी है। यह देख कर वह बहुत दुखी हुआ। वहाँ तो बस खाली जगह पड़ी थी जैसी कि उसने उस जादू की अँगूठी इस्तेमाल करने से पहले देखी थी जो उसको इन्द्रशराजा ने दी थी।
वह वहीं जमीन पर बैठ गया और अपना अन्त करने की सोचने लगा। उसी समय उसके साथी कुत्ता और बिल्ला वहाँ आये। असल में जब उन्होंने घर को वहाँ से गायब होते देखा था तो वे डर गये थे सो वे वहाँ से कहीं और चले गये और जा कर छिप गये।
मालिक के वापस आते ही वे भी वहाँ आ गये और उन्होंने अपने मालिक से कहा — “मालिक रुकिये। आपका इम्तिहान तो बहुत बड़ा है पर यह समस्या ऐसी नहीं है कि सुलझायी न जा सके। हमें आप एक महीना दीजिये हम आपको आपका घर और पत्नी दोनों ढूँढ कर लाने की कोशिश करेंगे।”
नौजवान बोला — “ठीक है जाओ। भगवान तुम्हारी सहायता करें। तुम मेरी पत्नी को वापस लाओ ताकि मैं ज़िन्दा रह सकूँ।” यह सुन कर कुत्ता और बिल्ला दोनों तुरन्त ही वहाँ से भाग गये और तब तक नहीं रुके जब तक वे उस जगह नहीं पहुँच गये जहाँ उनके मालिक का घर और उनकी पत्नी थी।
बिल्ला बोला — “हमको शायद यहाँ कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़े। देखो राजा ने हमारे मालिक का घर और पत्नी दोनों ही अपने लिये ले लिये हैं। तुम यहाँ ठहरो मैं घर के अन्दर जा कर मालकिन को देख कर आता हूँ।”
यह सुन कर कुत्ता तो वहीं बैठ गया और बिल्ला चढ़ कर कमरे की खिड़की तक पहुँच गया जहाँ वह सुन्दर लड़की दुखी बैठी थी। लड़की बिल्ले को पहचान गयी। उसने जबसे वह यहाँ आयी थी तबसे अब तक वहाँ क्या हुआ था उसको सब बता दिया।
फिर उसने बिल्ले से पूछा — “क्या यहाँ से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है?”
बिल्ला बोला — “बिल्कुल है। अगर आप मुझे यह बता दें कि वह अँगूठी कहाँ है।”
लड़की बोली — “वह तो उस जादूगरनी के पेट में है।”
बिल्ला बोला — “ठीक है। मैं उसके पेट से उसे निकाल लूँगा। एक बार वह हमें मिल जाये फिर सब कुछ हमारा है।” यह कह कर बिल्ला खिड़की से नीचे उतर आया और एक चूहे के बिल के पास जा कर लेट गया जैसे कि वह मरा हुआ हो। इत्तफाक से चूहों के समाज की एक बारात उधर से गुजर रही थी। उस बारात में पास पड़ोस के बहुत सारे चूहे शामिल थे। चूहों के राजा के सबसे बड़े बेटे की शादी होने जा रही थी। बिल्ला यह देख कर हुँकारा।
उसके दिमाग में तुरन्त ही यह विचार आया कि उसको दुलहे चूहा को पकड़ लेना चाहिये और उसकी सहायता लेनी चाहिये। सो जैसे ही चूहों की बारात उस बिल के सामने से गुजरी वह बारात के सम्मान में चीखता और कूदता हुआ उसके आगे पहुँच गया। उसने तुरन्त ही दुलहे को भी ढूँढ लिया और उस पर कूद गया।
यह देख कर दुलहा चूहा डर गया और ज़ोर से चिल्लाया — “मुझे जाने दो मुझे जाने दो।”
यह देख कर वहाँ मौजूद सारे चूहे चिल्लाये — “हाँ हाँ इसको जाने दो। आज तो इसकी शादी का दिन है।”
बिल्ला बोला — “नहीं नहीं। मैं इसको तब तक नहीं जाने दूँगा जब तक तुम मेरा कुछ काम नहीं करोगे। सुनो सामने वाले महल में जिसमें राजा और रानी रहते हैं उसमें एक जादूगरनी रहती है। उस जादूगरनी ने एक अँगूठी निगल ली है जो मुझे बहुत जरूरी चाहिये। अगर तुम मुझे वह अँगूठी ला कर दे दोगे तो मैं तुम्हारे इन दुलहे राजा को छोड़ दूँगा।”
वे सब एक साथ बोले — “हाँ हाँ हम तुम्हें वह अँगूठी ला कर दे देंगे। और अगर हम तुम्हें वह अँगूठी ला कर न दें तो तुम हम सबको खा सकते हो।”
अब यह तो एक बहुत बहादुरी का जवाब था। खैर किसी तरह से उन्होंने वह अँगूठी ला कर उस बिल्ले को दे दी। आधी रात को जब जादूगरनी गहरी नींद सो रही थी एक चूहा उसके बिस्तर के करीब गया और उसके चेहरे पर चढ़ गया।
वह खर्राटे मार कर सो रही थी सो जैसे ही उसने अगली बार अपना मुँह खोला उसने अपनी पूँछ उसके गले में डाल दी। इससे उसको बहुत ज़ोर की छींक आ गयी और वह अँगूठी उसके मुँह में से निकल कर बाहर आ पड़ी और फर्श पर लुढ़क गयी।
चूहे ने तुरन्त ही उसको अपने मुँह में दबाया और वहाँ से अपने राजा के पास भाग लिया। चूहों का राजा भी उसको देख कर बहुत खुश हुआ। वह भी तुरन्त ही उसको ले कर बिल्ले के पास गया और वह अँगूठी उसको दे कर अपने बेटे को छुड़ा लाया।
बिल्ले को जैसे ही अँगूठी मिली वह उसको ले कर कुत्ते के पास भागा आया और दोनों अपने मालिक के पास यह खुशखबरी ले कर दौड़ चले।
लगता था कि अब सब कुछ ठीक हो गया था क्योंकि अब तो बस उनको वह अँगूठी ले जा कर अपने मालिक को ही देनी थी। और उसको उस अँगूठी से बस यह बोलना था कि उसका सुन्दर घर और पत्नी फिर से उसके पास आ जायें। बस फिर सब कुछ पहले जैसा आनन्दमय हो जायेगा।
उन्होंने सोचा कि यह अँगूठी पा कर उनका मालिक कितना खुश होगा। यह सोच कर वे वहाँ से जितनी जल्दी हो सकता था भाग लिये।
रास्ते में उनको एक नदी पार करनी पड़ी तो कुत्ते ने बिल्ले को अपनी पीठ पर बिठाया और नदी तैर गया। कुत्ते ने सोचा “अँगूठी तो यह बिल्ला ले जा रहा है तो फिर मालिक की नजर में मेरी क्या कीमत रह जायेगी।”
सो उसने अच्छा मौका देख कर बिल्ले से अँगूठी माँगी और धमकी दी कि अगर उसने उसको अँगूठी नहीं दी तो वह उसे नदी में बीच धार में ही फेंक देगा।
यह धमकी सुन कर बिल्ला डर गया उसने तुरन्त ही अँगूठी कुत्ते को दे दी पर अफसोस कि जैसे ही बिल्ले ने कुत्ते को अँगूठी दी कुत्ते से पकड़ी नहीं गयी और वह पानी में गिर पड़ी जिसे उसी समय एक मछली ने निगल लिया।
यह देख कर कुत्ता चिल्लाया — “ओह अब मैं क्या करूँ। अब मैं क्या करूँ। मेरी अँगूठी तो मछली ने निगल ली।”
बिल्ला बोला — “हमको जो करना है वह करना है। हमको उसे वापस पाना ही चाहिये। और अगर हम उसे वापस नहीं पा सकते तो हमें इस नदी में डूब कर मर जाना चाहिये। मैं तुम्हें एक तरकीब बताता हूँ। तुम जाओ और कहीं से एक छोटा मेमना मार कर मेरे पास ले आओ।”
कुत्ता बोला — “ठीक है।” और यह कह कर वह दौड़ गया। वह जल्दी ही एक छोटा सा मेमना मार कर ले आया और बिल्ले को दे दिया।
बिल्ले ने उसका पेट फाड़ डाला और खुद तो उसमें बैठ गया और कुत्ते को उसने कहा कि वह भी कहीं पास में छिप कर चुपचाप बैठ जाये।
कुछ ही देर में नाधार नाम की एक चिड़िया वहाँ आयी जिसको केवल देखते ही किसी भी मछली की हड्डियाँ टूट जाती हैं और उस मेमने की लाश पर मँडराने लगी। और फिर कुछ पल बाद ही उसने इस इरादे से नीचे की तरफ झपट्टा मारा कि वह उस मेमने को सारा का सारा उठा कर ले जायेगी।
उसी समय बिल्ला उसमें से निकल आया और उस चिड़िया पर कूद पड़ा। उसने चिड़िया को धमकी दी कि अगर उसने उनकी अँगूठी उनको वापस नहीं दिलवायी तो वह उसको मार देगा। यह धमकी सुन कर नाधार चिड़िया तुरन्त ही राजी हो गयी। वह तुरन्त ही मछलियों के राजा के पास उड़ गयी और उससे कहा कि वह तुरन्त इस बात की छानबीन करे कि वह अँगूठी किस मछली के पास है और तुरन्त ही उसको वह अँगूठी ला कर दे।
मछलियों के राजा ने वैसा ही किया। अँगूठी मिल गयी और वह बिल्ले को दे दी गयी। बिल्ला कुत्ते से बोला — “अब चलो। हमें अँगूठी मिल गयी।” यह सुन कर कुत्ता फिर अकड़ गया और बोला — “नहीं मैं नहीं चलूँगा जब तक कि तुम मुझे अँगूठी नहीं दोगे। जब तुम मुझे उसे दे दोगे तो मैं उसे भी ले जाऊँगा और तुम्हें भी। और अगर तुमने मुझे अँगूठी नहीं दी तो मैं तुम्हें मार डालूँगा।”
कुत्ते की यह धमकी सुन कर बिल्ले ने तुरन्त उसको अँगूठी दे दी। उस लापरवाह कुत्ते ने उसे फिर से जमीन पर गिरा दिया। इस बार वह एक काइट चिड़िया ने उठा ली। बिल्ला चिल्लाया — “देखो अँगूठी ले कर वह काइट चिड़िया उधर जा रही है। देखो देखो।”
यह देख कर कुत्ता भी कुछ परेशान सा हो कर बोला — “उफ़ यह क्या हुआ। यह मैंने क्या कर दिया।”
बिल्ला चिल्लाया — “अरे ओ बेवकूफ कुत्ते मुझे मालूम था कि ऐसा ही कुछ होगा। पर अब तुम अपना भौंकना छोड़ो नहीं तो तुम उस चिड़िया को डरा दोगे और फिर वह कहीं ऐसी जगह जा कर छिप जायेगी जहाँ फिर हमको उसे ढूँढना भी मुश्किल हो जायेगा।”
बिल्ला तब तक इन्तजार करता रहा जब तक काफी अँधेरा नहीं हो गया। अँधेरा होने पर बिल्ला उस पेड़ पर चढ़ा जिस पेड़ पर वह चिड़िया बैठी थी। उसने चिड़िया को मारा उससे अँगूठी हासिल की और पेड़ से नीचे उतर आया।
नीचे उतर कर बोला — “चलो अब चलें। हमको यहाँ से जल्दी जल्दी चलना चाहिये। हमको पहले ही बहुत देर हो चुकी है। हमारे मालिक हमारा इन्तजार कर रहे होंगे। बहुत देर हो गयी तो वह कहीं दुख से मर ही न जायें। चलो।”
इस बार कुत्ता अपने अपने आप से बहुत शरमिन्दा था। उसने बिल्ले से अपनी गलतियों की माफी माँगी। तीसरी बार वह उससे अँगूठी माँगने बहुत शरमा रहा था सो वह बिल्ले को ले कर तुरन्त अपने मालिक के पास चल दिया।
उनका मालिक दुखी बैठा हुआ था। बिल्ले ने जब उसको अँगूठी ले जा कर दी तो वह खुशी से नाच उठा। उसके मिलते ही उसने उससे अपना घर और अपनी पत्नी लाने के लिये कहा। उसकी सुन्दर पत्नी और घर तुरन्त ही वहाँ हाजिर हो गये। वे लोग फिर से उसी तरह से सुख से रहने लगे जैसे पहले रहते थे।
(सुषमा गुप्ता)