ईसा का जन्म : क़ुरआन-कथा
Isa Ka Janm : Quran-Katha
इमरान के खानदान पर खुदा बहुत मेहरबान था। एक बार इमरान की बीबी ने अर्ज किया-"ऐ मेरे परवरदिगार, मेरे पेट में जो बच्चा है, उसके होने पर मैं उसे तेरी भेंट कर दूंगी।तू सब-कुछ समझता और जानता है। मेरी तरफ से इस होने वाले बच्चे को कबूल कर!"खुदा ने इमरान की बीबी की प्रार्थना मंजूर कर ली।
कुछ दिन बाद उन्होंने बेटी जनी। यह लड़की बहुत सुन्दर थी।अब फिर इमरान की बीबी ने प्रार्थना की-"ऐ खुदा! मैंने यह बेटी जनी है। मैं इसे और इसकी औलाद को तेरी शरण में भेंट करती हूँ।" खुदा ने खुशी-खुशी इस लड़की को स्वीकार लिया। लड़की का नाम मरियम रखा गया।
मरियम का पालन-पोषण कौन करे?-खुदा के सामने यह प्रश्न आया तो उसने बहुत से लोगों से इसकी चर्चा की। उन लोगों में से बहुत से मरियम का पालन-पोषण करने का अधिकार पाने के लिए उत्सुक हो उठे।खुदा ने कहा-"अच्छा, आप सबके नाम का एक-एक कलम दरिया में छोड़ा जाता है, जिसका कलम बहाव के विरुद्ध चलकर ऊपर को चढ़ेगा उसे ही मरियम का संरक्षक घोषित किया जाएगा।" अल्लाह की आज्ञानुसार सबलोगों ने अपने-अपने तीर छोड़े।हज़रत जक़रिया नामक एकव्यक्ति का तीर नदी के बहाव के विरुद्ध ऊपर को बहने लगा।और सबके तीर बहाव के साथ बह गए। बस, हज़रत जक़रिया को ही मरियम का संरक्षक बना दिया गया।
जकरिया मरियम के स्थान पर जाते तो उसके पास खाने की कई प्रकार की चीजें रखी हुई पाते। एक दिन जक़रिया ने पूछा-"ऐ मरियम! ये खाने की चीजें तुम्हारे पास कहाँ से आती हैं?"
मरियम ने जवाब दिया-"ये सब चीजें खुदा के यहाँ से आती हैं। अल्लाह जिसे चाहता है, बेहिसाब रोजी देता है।"
फरिश्तों ने एक दिन मरियम से कहा-"ऐ मरियम! तुमको अल्लाह ने पसन्द किया और दुनिया की सब औरतों से बेहतर समझते हुए तुम्हें चुना।तुम अपने परवरदिगार के हुक्म को मानती रहो और उसके आगे सिर झुकाती रहो।" फरिश्तों ने आगे कहा"ऐ मरियम!खुदा तुम्हें अपने उस हुक्म की खुशखबरी देता है कि जल्दी ही तुम्हारे पुत्र होगा और उसका नाम होगा-ईसा मसीह !तुम्हारा बेटा इस दुनिया में और अगले जहान में भी इज्जत पाएगा और खुदा के नज़दीकी बन्दों में से होगा।वह पालने में भी और बड़ा होकर भी सबके साथ अच्छी तरह बरताव करेगा!"
फरिश्तों की बात सुनकर मरियम बोली-"या मेरे परवरदिगार! ऐसा कैसे हो सकता है? मेरे लड़का कैसे पैदा होगा, जबकि मुझे तो कभी किसी मर्द ने छुआ भी नहीं?"
मरियम की बात सुनकर अल्लाह ने बहुत खुश होकर कहा-"मरियम!तुम घबराओ नहीं।मैं जो चाहता हूँ वह होकर ही रहता है ! मैं जिस चीज़ को पैदा करना चाहता हूँ उसी के लिए कह देता हूँ 'कुन' (हो) और वह हो जाती है! मरियम! तुम्हारा बेटा पैग़म्बर होगाऔर वह दुनिया में आते ही कहेगा- "मैं तुम्हारे पालनकर्ता की तरफ से तुम्हारे लिए निशानियाँ लेकर आया हूँ। मैं मिट्टी में पक्षी की शक्ल बनाकर फूंक मार दूं तो वह उड़ने लगे।मैं खुदा के हुक्म से जन्म के अंधों और कोढ़ियों को भला-चंगा और मुर्दो को जिन्दा कर सकता हूँ।तुम जो कुछ खाकर आओ वह और जो तुमने घरों में जमा कर रखा हैवह सब तुम्हें बतला दूँ।ए मरियम! तू उस बच्चे की सब बातों पर यकीन करना।"
इसके कुछ दिन बाद ही मरियम ने एक बच्चे को जन्म दिया।बच्चे का नाम 'ईसा' रखा गया।