ब्राज़ील के बीटिल को उनका कोट कैसे मिला : ब्राज़ील की लोक-कथा

How Brazilian Beetles Got Their Coat : Lok-Katha (Brazil)

एक बार एक छोटी कत्थई बीटिल एक पत्थर की दीवार के नीचे से हो कर जा रही थी कि उसको एक भूरा चूहा मिल गया। वह चूहा उसी पत्थर की दीवार में बने एक छेद में से निकल कर बाहर भाग रहा था।

वह उस बीटिल के पास से निकल कर बागीचे के आखीर तक भाग गया पर कुछ सोच कर वह फिर पीछे लौटा तब तक बीटिल तो केवल एक फुट ही आगे बढ़ी थी और वह चूहा तब तक दीवार के आखीर के कोने से हो कर बीटिल के पास तक दौड़ आया था।

आते ही वह बोला — “ओह मेरे भगवान तुम कितना धीरे चलती हो बीटिल रानी। तुम तो दुनियाँ में कहीं जा ही नहीं सकतीं।

देखो न मैं तुम्हारे मुकाबले में कितना तेज़ भागता हूँ,। जितनी देर में मैं यहाँ से बागीचे के आखीर तक गया और वापस भी आ गया और तुम तो अभी तक केवल एक फुट ही आगे बढ़ पायीं।” कह कर वह चूहा फिर से दीवार के दूसरे कोने तक भाग गया और फिर से वापस भी आ गया।

“तुम तो बहुत ही धीमे चलती हो। बहुत धीमे, बहुत धीमे, बहुत धीमे। क्या तुम यह नहीं चाहतीं कि तुम भी मेरी तरह से इतनी ही तेज़ भागो?”

बीटिल बोली — “हाँ मैं मानती हूँ कि तुम बहुत तेज़ भागते हो।”

असल में बीटिल इस बात की डींग नहीं हाँकना चाहती थी कि वह क्या क्या कर सकती है। वह हमेशा ही दूसरों के साथ बहुत नम्र रहती थी सो वह चूहे से कुछ नहीं बोली और दीवार के सहारे सहारे चलती रही।

उसी समय एक हरा तोता वहीं पास के एक पेड़ की शाख पर बैठा था। वह उन दोनों के बीच हुई बातें सुन रहा था।

वह चूहे से बोला — “क्या तुम बीटिल के साथ दौड़ना चाहोगे चूहे राजा? जो भी इस दौड़ में जीतेगा मैं उसको एक बहुत ही चमकीले रंग का कोट दूँगा। तुम लोग जिस रंग का कोट चाहोगे मैं तुमको उसी रंग का कोट दूँगा।”

चूहे को तो यकीन था कि इस दौड़ में वही जीतेगा सो वह बोला — “ठीक है तो तुम मेरे लिये धारी वाला कोट बना दो जैसा चीते का होता है।” यह उसने ऐसे कहा जैसे उसने वह दौड़ जीत ही ली हो।

बीटिल बोली — “मुझको तो बहुत ही सुन्दर रंगों का कोट चाहिये।”

यह सुन कर चूहा बड़ी ज़ोर से हँसा और बोला — “तुम यह दौड़ कभी नहीं जीत सकतीं बीटिल रानी। यह इनाम तो मेरा है।”

तोता दौड़ देखने के लिये उड़ कर पास के एक पाम के पेड़ पर जा बैठा। दौड़ शुरू करने के लिये वह बहुत ज़ोर से चिल्लाया “एक़ दो, तीन” तो चूहा तो तुरन्त ही दौड़ गया।

वह अपनी सबसे तेज़ गति से दौड़ रहा था। उसने एक बार सोचा भी कि “मैं इतना तेज़ क्यों दौड़ रहा हूँ। बीटिल तो बहुत धीमे चलती है और मैं तो बहुत तेज़ दौड़ता हूँ। उसके जीतने का तो कोई मौका ही नहीं है।”

फिर भी वह अपनी सबसे तेज़ गति से दौड़ता हुआ उस पाम के पेड़ के नीचे आ गया जिस पेड़ पर तोता बैठा हुआ था। पर यह क्या। उसने देखा कि तोते के बराबर में तो बीटिल बैठी हुई थी।

चूहा चिल्लाया — “अरे तुमने मुझे दौड़ में कैसे हरा दिया। और तुम पेड़ पर पहुँचीं कैसे?”

अब बीटिल ने अपने पंख फैलाये और चूहे को दिखा कर बोली — “यह तो किसी ने नहीं कहा था कि धरती पर ही दौड़ना है सो मैं उड़ कर यहाँ आ गयी।”

चूहा बोला — “अरे यह तो मुझे पता ही नहीं था कि तुम उड़ भी सकती हो।”

बीटिल बोली — “पर तुमने मुझसे पूछा ही नहीं कि मैं क्या क्या कर सकती हूँ। तुमने तो बस मेरी चाल देख कर ही मेरी बेइज़्ज़ती कर दी कि मैं बहुत धीरे चलती हूँ।”

तोता बोला — “चूहे राजा कभी किसी को उसकी शक्ल से मत जाँचो। अगर किसी को जानना है तो पहले उसके बारे में जानो कि उसके पास क्या क्या ताकतें हैं।”

उसके बाद तोते ने बीटिल को बहुत सारे रंगों वाला एक बहुत ही चमकीला कोट दिया। सो बहुत जल्दी ही ब्राज़ील की वह बीटिल अपने हरे और सुनहरी रंग के कोट में सब जगह दिखायी देने लगी।

यहाँ आ कर यह कहानी खत्म हो जानी चाहिये थी पर अभी यह कहानी खत्म नहीं हुई। बहुत साल तक ब्राज़ील की ये बीटिल अपने हरे और सुनहरी रंग के कोट का आनन्द लेती रहीं।

पर एक दिन एक छोटी बीटिल ने हल्के नीले आसमान की तरफ देखा तो बोली — “मैं तो ऐसे नीले कोट के लिये अपना यह हरा और सुनहरी कोट बड़ी खुशी से छोड़ सकती हूँ।”

इत्तफाक की बात कि यह कहते ही उसकी यह इच्छा पूरी हो गयी। तुरन्त ही ब्राज़ील की बड़ी बीटिल तो अपने हरे और सुनहरे रंग के कोट में दिखायी देती रहीं पर छोटी बीटिल अपने हलके नीले कोट में दिखायी देने लगीं।

हरी और सुनहरी रंग की बीटिल के कोट बहुत सख्त थे सो उन कोटों के गहने भी बन सकते थे जबकि हलके नीले कोट बहुत ही मुलायम थे सो जैसे ही लोग उनको उठाते थे तो उनके वे कोट टूट फूट जाते थे।

इसके अलावा हरे और सुनहरे रंग की बीटिल हमेशा बड़ी होती थी जबकि हलके नीले रंग की बीटिल हमेशा बहुत छोटी होती थीं। जब ब्राज़ील के लोगों ने अपना झंडा बनाया तो उसमे उन्होंने एक हरा वर्ग बनाया जैसा कि हरी बीटिल का होता है। उसके बीच में इन्होंने सुनहरी रंग की ईंट की एक शक्ल बनायी। यह सुनहरी रंग ऐसा लगता है जैसे हरी बीटिल पर सुनहरी रंग हो।

उस ईंट के बीच में उन्होंने फिर एक गोला खींचा जिसका रंग हलका नीला है – जैसा कि नीली बीटिल के कोट का रंग होता है। फिर उन्होंने उस नीले रंग में चाँदी के रंग के सितारे बनाये और उस नीले गोले के बीच में उसके चारों तरफ एक सफेद धारी का गोला बनाया।

इस तरह से उन्होंने उस बड़ी और छोटी बीटिल दोनों के रंगों को अपने झंडे पर जगह दे दी।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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