होशियार बेटा : इथियोपिया की लोक-कथा

Hoshiyar Beta : Ethiopia Folk Tale

बहुत पुरानी बात है कि इथियोपिया के गोंडर जिले में एक बूढ़ा रहता था। उसके तीन बेटे थे।

एक बार वह बूढ़ा बहुत बीमार हो गया तो उसने अपने तीनों बेटों को बुलाया ताकि वह अपनी सम्पत्ति का बंटवारा कर सके। पर अपनी सम्पत्ति का बंटवारा करने से पहले वह यह जान लेना चाहता था कि उसका कौन सा बेटा सबसे ज़्यादा होशियार है।

बूढ़े आदमी ने अपने तीनों बेटों को बुला कर उनसे कहा "तुममें से जो भी सबसे ज़्यादा होशियार होगा मैं उसको इनाम दूंगा।

अभी तो तुम लोग ऐसा करो कि मेरी इस मेज पर कुछ पैसे रखे है। तुम तीनों उनमें से 25-25 सैन्ट ले लो और मेरे लिये कोई ऐसी चीज़ खरीद कर लाओ जिससे मेरा यह कमरा भर जाये।"

उसके तीनों बेटों ने मेज पर से 2र्525 सैन्ट उठाये और कोई ऐसी चीज़ खरीदने चल दिये जिससे वे अपने पिता का कमरा भर सकें।

बूढ़े का सबसे बड़ा बेटा जब बाहर निकला तो उसने सोचा - "यह क्या मुश्किल काम है। बाजार में मुझे ऐसी कई चीज़ें मिल जायेंगी जो मेरे पिता का कमरा भर देंगी।" सो वह बाजार गया और उसने 25 सैन्ट का भूसा खरीद लिया।

जब दूसरा बेटा बाहर निकला तो उसने सोचा - "ऐसी क्या चीज़ हो सकती है जिससे 25 सैन्ट में ही पिता का कमरा भर जाए।" उसने कई दूकानें देखीं और आखीर में 25 सैन्ट के पंख खरीद लिये।

पर सबसे छोटा बेटा तो सोचता ही रह गया कि 25 सैन्ट में ऐसी कौन सी चीज़ आ सकती है जो उसके पिता का कमरा भर देगी। वह घन्टों तक सोचता रहा और फिर एक छोटी सी दूकान में जा कर एक मोमबत्ती और एक दियासलाई खरीद लाया।

अगले दिन तीनों बेटे पिता के पास लौटे। वे अपने साथ अपनी खरीदी हुई चीज़ें भी लाये थे जिनसे उनको अपने पिता का कमरा भरना था।

सबसे बड़ा बेटा भूसा लाया था उसकी बड़ी सी पोटली उसकी कमर पर रखी थी। दूसरा बेटा पंख लाया था उसकी पोटली भी उसकी कमर पर रखी था। पर सबसे छोटा बेटा तो मोमबत्ती लाया था और वह उसकी जेब में रखी थी।

दोनों बड़े बेटे अपने छोटे भाई के हाथ में कुछ भी न देख कर बड़े खुश थे। उनको लग रहा था कि इस बेचारे को तो लगता है कोई चीज़ ही नहीं मिली जिससे यह पिता जी का कमरा भर सके इसलिये अब इनाम तो बस हम ही को मिलेगा।

सबसे पहले सबसे बड़ा बेटा कमरे के अन्दर घुसा और उसने अपने पिता को अपना भूसा दिखाया। पर अफसोस, वह भूसा तो उस कमरे के एक कोने में ही सिमट कर रह गया।

अब दूसरे बेटे की बारी थी। दूसरा बेटा भी कमरे में घुसा और उसने अपने पिता को अपने लाये पंख दिखाये। पर अफसोस, वे पंख भी उस कमरे के केवल दो कोने ही भर सके।

बूढ़े आदमी ने दुखी हो कर पूछा - "क्या दुनियाँ में कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिससे मेरा कमरा भर जाये?"

यह सुन कर सबसे छोटे बेटे ने अपनी जेब से मोमबत्ती निकाली और दियासलाई से उसे जला दिया। सारा कमरा रोशनी से भर गया।

बूढ़ा आदमी यह देख कर बहुत खुश हुआ और उसने अपनी सारी सम्पत्ति अपने सबसे छोटे बेटे को दे दी।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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