होडाडैनन और चेस्टनट का पेड़ : अमरीकी लोक-कथा
Hodadenon : the Last One Left and the Chestnut Tree : American Lok-Katha
(Folktale from Native Americans, Iroquois Tribe/मूल अमेरिकी, इरक्वॉइ जनजाति की लोककथा)
यह बहुत पुरानी बात है कि एक लड़का और उसका चाचा एक लकड़ी के मकान में रहते थे। लड़के का नाम होडाडैनन था जिसका मतलब होता है “अखिरी बचा हुआ”।
ऐसा इसलिये था क्योंकि उसके परिवार के सारे लोग मर चुके थे और अब अपने परिवार में वही अकेला रह गया था इसलिये वह बस आखिरी बचा हुआ ही था।
उसका सारा परिवार पिछले कुछ सालों में खत्म हो चुका था और ऐसा विश्वास किया जाता था कि उन सबको किन्हीं उन लोगों ने मारा था जिनके पास बुरे जादू टोने की ताकत थी।
हर सुबह होडाडैनन का चाचा उसको खाना खिलाता था और फिर शिकार के लिये चला जाता था। उसके बाद होडाडैनन सारे दिन घर में अकेला रहता था। हर शाम को उसका चाचा शिकार से घर वापस लौटता था, फिर उसको खाना खिलाता था और सो जाता था।
एक बार होडाडैनन घर में अकेला खेल रहा था कि उसको लगा कि उसने कभी अपने चाचा को खाना खाते नहीं देखा। सो उसने एक हड्डी का टुकड़ा लिया और उससे उस हिरन की खाल में छेद कर लिया जिस खाल को वह रात को कम्बल की तरह इस्तेमाल करता था।
उसने सोचा आज मैं देखता हूँ कि जब हम सो जाते हैं तब क्या होता है। उस शाम को भी उसका चाचा रोज की तरह शिकार से वापस लौटा। उसने होडाडैनन को खाना खिलाया और उसे जा कर सो जाने के लिये कहा।
होडाडैनन आग के पास जा कर एक तरफ को लेट गया और दूसरी तरफ उसका चाचा काउच पर लेट गया। उस काउच पर जानवरों की बहुत सारी खालें पड़ी हुई थीं।
होडाडैनन ने अपनी हिरन की खाल ओढ़ रखी थी और वह सोने का बहाना किये लेटा हुआ था। पर वह उस हिरन की खाल में अपने बनाये गये छेद से अपने चाचा को अच्छी तरह से देख सकता था।
कुछ देर बाद होडाडैनन का चाचा आग के पास आया और धीरे से पुकारा — “होडाडैनन।” पर लड़के ने कोई जवाब नहीं दिया। चाचा ने तीन बार और उसका नाम ले कर उसको पुकारा पर फिर भी वह चुपचाप पड़ा रहा और सोने का बहाना करता रहा। फिर उसका चाचा आग के और पास गया और उसमें ज़ोर की एक फूँक मारी। आग में से कुछ चिनगारियाँ उड़ कर लड़के के पैरों पर जा पड़ीं।
उसका चाचा बोला —“ होडाडैनन, ज़रा सँभल के। मैं तुमको जला रहा हूँ।”
हालाँकि आग की कुछ और चिनगारियाँ होडाडैनन की नंगी टाँग पर जा पड़ीं थी और उसको जलन भी महसूस हुई थी फिर भी वह चुपचाप पड़ा रहा।
चाचा बोला — “नहीं, होडाडैनन जाग नहीं रहा सो रहा है।” सो वह वापस अपने काउच पर गया और उसने उसके ऊपर पड़ी हुई खालें उठानी शुरू कीं।
उसने पहले काउच का ऊपर का तख्ता हटाया और उसमें से बिर्च के पेड़ की छाल का एक बक्सा निकाला। होडाडैनन यह सब अपनी खाल के छेद में से साफ साफ देख रहा था।
उसके चाचा ने उस बक्से में से एक छोटा सा बर्तन निकाला। वह बर्तन इतना छोटा था कि उसकी हथेली में ही बस ठीक से आ पा रहा था।
उस बर्तन में से उसने कोई और चीज़ निकाली जिसको वह ठीक से देख नहीं सका। वह चीज़ एक या दो सेन्टीमीटर गोली से भी छोटी होगी।
फिर उसके चाचा ने एक छोटा सा चाकू निकाला और उस चाकू से उस चीज़ को छीला। उसकी छीलन उसने उस बर्तन में डाली और उस बर्तन को आग पर रख दिया। फिर उसने उसमें एक फूँक मारी और एक गाना गाया –
ओ बर्तन ओ बर्तन तुम साइज़ में बढ़ जाओ
ओ बर्तन ओ बर्तन तुम साइज़ में बढ़ जाओ।
होडाडैनन ने देखा कि जैसे ही उसके चाचा ने उस बर्तन के ऊपर फूँक मारी और गाना गाया वह बर्तन साइज़ में बढ़ गया।
अब बढ़ कर वह बर्तन इतना बड़ा हो गया जितना कि घरों में कोई खाना पकाने वाला बर्तन होता है और उसमें से अब किसी स्वादिष्ट खाने की खुशबू भी आने लगी थी। कुछ ही देर में खाना तैयार हो गया।
उसके चाचा ने फिर उस बर्तन में फूँक मारी और गाना गाया
ओ बर्तन ओ बर्तन तुम साइज़ में छोटे हो जाओ
ओ बर्तन ओ बर्तन तुम साइज़ में छोटे हो जाओ
तुरन्त ही बर्तन फिर से उसी साइज़ का हो गया जिसका वह पहले था। चाचा ने बीज की जो छीलन छीली थी वह वापस उस बर्तन में डाली, बर्तन को उस बिर्च के बक्से में रखा और उस बक्से को उसी तरह से काउच की खालों के नीचे के खाने में छिपा दिया और सोने चला गया।
अगले दिन रोज की तरह उसका चाचा उठा, उसको खाना खिला कर घर में अकेला छोड़ कर शिकार पर चला गया।
कुछ देर तक तो होडाडैनन घर में इधर उधर खेलता रहा। कभी वह अपने तीर कमान से खेलता कभी कुछ और खेलता पर उसके दिमाग से उसके चाचा का वह गीत नहीं गया जो उसने पिछली रात उस बर्तन के लिये गाया था।
आखिर उससे रहा नहीं गया। उसने सोचा कि उसका चाचा जब शिकार से वापस आयेगा तो बहुत भूखा होगा सो मैं उसके लिये खाना बना कर रखता हूँ। सो होडाडैनन अपने चाचा के काउच की तरफ चल दिया।
अपने चाचा की तरह से उसने भी उस काउच की खालें हटायीं और अन्दर का खाना खोला। बिर्च की लकड़ी का बक्सा निकाला और उस बक्से को खोल कर वह छोटा सा बर्तन निकाला। उस बर्तन में केवल सूखा हुआ एक आधा ही बीज रखा था।
होडाडैनन बोला — “हूँ, तो यह है मेरे चाचा का खाना। पर यह तो काफी खत्म हो चुका है। अगर मुझे अपने चाचा के लिये काफी खाना बनाना है तो मुझे यह सारा बीज इस्तेमाल कर लेना चाहिये। मुझे यकीन है कि वह ऐसे बीज और ले आयेगा।”
सो होडाडैनन ने एक चाकू लिया और सारे बीज को छील लिया। उस बर्तन को वह आग पर ले गया और उस पर फूँक मार कर गाना गाया —
ओ बर्तन ओ बर्तन तुम साइज़ में बढ़ जाओ
ओ बर्तन ओ बर्तन तुम साइज़ में बढ़ जाओ।
जैसे ही उसने यह गाना गाया पिछली रात की तरह ही वह बर्तन साइज़ में बड़ा हो गया। वह अब घरों में पकाने वाले बर्तनों की तरह ही हो गया था और उसमें कुछ उबलने भी लगा था।
पर होडाडैनन को इससे सन्तुष्टि नहीं थी। उसको लग रहा था कि उसका चाचा जब घर आयेगा तो बहुत ज़्यादा भूखा होगा इसलिये मुझे और ज़्यादा खाना बना कर रखना चाहिये। सो उसने उस बर्तन पर और एक बार फूँक मारी और एक बार फिर वही गीत गाया —
ओ बर्तन ओ बर्तन तुम साइज़ में बढ़ जाओ
ओ बर्तन ओ बर्तन तुम साइज़ में बढ़ जाओ।
गाना गाते ही वह बर्तन फिर बड़ा हो गया और अब तो वह बर्तन बहुत ही बड़ा हो गया था और होडाडैनन को उसमें रखे खाने को चलाने के लिये अपने आपको थोड़ा फैला कर खड़ा होना पड़ा।
उसमें रखा खाना बहुत ज़ोर से उबल रहा था और उसमें से बहुत अच्छी खुशबू भी आ रही थी। यह देख कर होडाडैनन ने सोचा कि अगर मेरे चाचा इसमें से थोड़ा सा खाना मुझे भी देना चाहें तो?
तो फिर तो यह खाना कम पड़ जायेगा। मेरे चाचा को तो मेरा धन्यवाद करना चाहिये कि मैंने उनके लिये खाना बना कर रखा। सो मुझे थोड़ा सा खाना और बना लेना चाहिये।
सो उसने उस बर्तन में एक बार फूँक और मारी और वह गाना और गाया।
अब क्या था बर्तन साइज़ में फिर से और बढ़ा और इतना बढ़ा कि होडाडैनन को उस बर्तन में रखे खाने को चलाने के लिये अपने चाचा के काउच पर खड़ा होना पड़ा और उसमें रखे खाने को चलाने के लिये नाव चलाने वाली पतवार इस्तेमाल करनी पड़ी।
पर इस सबको देख कर उसको इतना अच्छा लग रहा था कि वह रुकना ही नहीं चाह रहा था।
उसने सोचा कि अब यह खाना हम दोनों के लिये तो ठीक है पर क्या हो अगर हमारे घर कुछ लोग और आ जायें? तो हमारे पास उन लोगों को भी तो खिलाने के लिये काफी खाना होना चाहिये।
सो उसने चौथी बार उस बर्तन में फूँक मारी और वह जादुई गाना गाया। इस बार होडाडैनन को घर से बाहर निकलना पड़ा क्योंकि अब वह बर्तन इतना ज़्यादा बड़ा हो गया था कि उसने उस कमरे की सारी जगह घेर ली थी।
अब उस बर्तन में रखे खाने को चलाने का एक ही तरीका था कि वह एक बहुत ही बड़ा डंडा ले ले और घर की छत पर खड़ा हो कर उससे उसको चलाये।
जब होडाडैनन का चाचा घर लौटा तो सबसे पहली चीज़ उसने यही देखी कि पुडिंग (Pudding) घर के दरवाजे से उबल उबल कर बाहर आ रही थी।
फिर उसने सुना कि ऊपर कोई गा रहा था। उसने ऊपर देखा तो होडाडैनन धुँआ निकलने वाले छेद में बैठा अपनी टाँगें हिला रहा था और उस पुडिंग को चलाते हुए खुशी खुशी गाना गा रहा था — “मैं कितना अच्छा रसोइया हूँ मैं कितना अच्छा रसोइया हूँ, अब हम सब अच्छी तरह से खाना खायेंगे।”
उसका चाचा वहीं से चिल्लाया — “भतीजे नीचे उतरो। जो कुछ भी तुमने किया है उसने तो मुझे मार ही दिया है।”
फिर उसने घर के दरवाजे से ही उस बर्तन में फूँक मारी और उसको छोटा करने वाला गीत गाया।
जब वह बर्तन उतना छोटा हो गया जितना कि वह सबसे पहले था तब वह घर के अन्दर घुसा। घुसते ही वह जा कर अपने काउच पर लेट गया और रोने लगा।
अब तक होडाडैनन भी उस धुँए के निकलने वाले छेद से नीचे
आ गया था। वह अपने बूढे, चाचा के पास गया और बोला —
“चाचा, क्या बात है? तुम क्यों रोते हो?”
चाचा रोते रोते बोला — “बेटा तुमने तो मेरा सारा खाना इस्तेमाल कर लिया है जो मैं खा सकता था। उस खाने के बिना तो मैं भूखा मर जाऊँगा। इसी लिये मैं कभी तुम्हारे सामने खाता नहीं था क्योंकि मैं जानता था कि तुम ऐसा ही करोगे।”
होडाडैनन बोला — “चाचा, सब कुछ इतना बुरा तो नहीं हो सकता। तुम जा कर दूसरा बीज ले आओ।”
चाचा बोला — “नहीं बेटा, इस तरह से मैं दूसरा बीज नहीं ला सकता। यह एक ऐसा खाना था जिसको चेस्टनट कहते हैं। बहुत पहले हालाँकि तब भी वह बहुत ही खतरनाक था फिर भी मैंने इसको हासिल कर लिया था। पर अब तो इसका लाना बहुत ही मुश्किल है। और अभी यह और बहुत दिनों तक चलता पर अब मैं ऐसा दूसरा ऐसा चेस्टनट लाने के लिये बहुत बूढ़ा हो चुका हूँ।”
होडाडैनन बोला — “तुम फिक्र मत करो चाचा अब यह मेरा काम है। मैं वहाँ जाऊँगा और तुम्हारे लिये बहुत सारे चेस्टनट ले कर आऊँगा।”
चाचा बोला — “यह मुमकिन नहीं है बेटा। वहाँ का रास्ता बहुत लम्बा है और बहुत ही भयानक जीव उसकी रक्षा करते हैं। तुम्हारे परिवार के और भी लोग वहाँ गये थे पर कोई भी वहाँ से ज़िन्दा नहीं लौट सका।”
फिर भी होडाडैनन ने अपनी कोशिश नहीं छोड़ी। आखिर उसके चाचा को वहाँ का रास्ता बताना ही पड़ा। वह बोला — “यहाँ से सीधे उत्तर की तरफ जाओ। वहाँ तुमको एक तंग रास्ता मिलेगा।
उसी पर आगे चलते जाना। जैसे ही उसका पहला मोड़ आता है वहाँ दो बहुत बड़े साँप रहते हैं जो उन बुरे आदमियों के नौकर हैं जो उन चेस्टनट पेड़ों के मालिक हैं। कोई उनको पार कर के नहीं जा सकता।”
होडाडैनन बोला — “पर अगर मैं उनको पार कर जाऊँ तो चाचा?”
चाचा बोला — “अगर खुशकिस्मती से कोई उन साँपों को पार कर जाता है तो आगे जा कर उसको दो भालू मिलेंगे जो दो पहाड़ियों के बीच से जाने वाले रास्ते की रक्षा करते हैं। वे भी उन बुरे आदमियों के नौकर हैं। वे हर उसको फाड़ देते हैं जो वहाँ से गुजरना चाहता है।
उसके बाद वहाँ दो तेंदुए (Panthers) हैं जो उनके ऊपर कूद पड़ते हैं जो उनको अनदेखा कर के गुजरना चाहते हैं। होडाडैनन, यह नहीं हो सकता बेटा। मैं तुमको वहाँ नहीं भेज सकता।”
होडाडैनन बोला — “बस यही लोग हैं न, और तो कोई नहीं है न?”
चाचा बोला — “क्या ये लोग काफी नहीं है? खैर इसके बाद वह जगह आती है जहाँ वे चेस्टनट के पेड़ उगते हैं।
वहाँ सात बहिनें रहतीं हैं जिनके वे चेस्टनट के पेड़ हैं। उन सातों बहिनों के पास बहुत सारी जादू की ताकत है। अगर कोई भी चेस्टनट चुराने के लिये आता है तो वे अपने घर से भाग कर आती हैं और उसे अपने डंडे से पीट पीट कर मार देती हैं।
वहाँ से कोई अनदेखा नहीं जा सकता क्योंकि वहाँ एक पेड़ से एक आदमी की खाल लटकी रहती है जो चेस्टनट के पेड़ों के बगीचे की तरफ देखती रहती है और जब भी कोई आता है तो गा कर उन लड़कियों को बता देती है।”
होडाडैनन बोला — “इस सबको बताने के लिये धन्यवाद चाचा। अब मैं अपने रास्ते जाता हूँ। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अब मैं आपका खाना ले कर ही लौटूँगा।”
फिर उसने दो डंडियाँ उठायीं, उनको एक साथ बाँधा और आग के पास रख कर चाचा से बोला — “चाचा, इनका ध्यान रखना। अगर मैं ठीक रहा तो ये डंडियाँ अपनी जगह से नहीं हिलेंगी पर अगर मैं मर गया तो ये टूट जायेगीं।”
इतना कह कर होडाडैनन अपने चाचा के लिये चेस्टनट लाने के लिये चल दिया। वह उत्तर की तरफ चला और जल्दी ही एक तंग रास्ते पर आ गया।
उसने सोचा शायद यही वह रास्ता है जिसके बारे में उसका चाचा बात कर रहा था पर यह तो कोई मुश्किल रास्ता नहीं लग रहा था सो वह उस रास्ते पर और आगे चल दिया।
जल्दी ही वह रास्ता मुड़ने लगा और आगे जा कर तो वह एकदम से ही बाँये को मुड़ गया। होडाडैनन वहाँ रुका और उसने रास्ते से नीचे उतर कर पेड़ों के बीच में से चारों तरफ इधर उधर झाँका।
उसको उस रास्ते के दोनों तरफ सचमुच ही दो बड़े साँप दिखायी दिये जो कुंडली मार कर बैठे हुए थे और किसी पर भी हमला करने को लिये बिल्कुल तैयार थे।
होडाडैनन बोला — “ऐसा लगता है चाचा कि तुम इस रास्ते को अच्छी तरह जानते हो।”
उसने दो चिपमंक पकड़े और उनको अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उस रास्ते पर चल दिया। जैसे ही वह उन साँपों के पास पहुँचा तो इससे पहले कि वे उस पर हमला करें उसने वे दोनों चिपमंक उन दोनों के मुँह में ठूँस दिये।
वह बोला — “ऐसा लगता है कि तुमको शायद खाना चाहिये था। अब मैंने तुमको वह दे दिया है जो तुम लोगों को अपने आप शिकार कर के खाना चाहिये था। हमारे भगवान ने किसी को किसी का नौकर नहीं पैदा किया सो यहाँ से भाग जाओ।”
जैसे ही उसने यह कहा दोनों साँपों ने अपनी अपनी कुंडली खोली और अलग अलग दिशा में भाग गये। अब वह रास्ता साफ हो गया था सो होडाडैनन उस रास्ते पर आगे चल दिया।
इस बीच होडाडैनन के चाचा ने देखा कि होडाडैनन ने घर पर जो डंडियाँ छोड़ी थीं जो अब तक काँप रहीं थीं शान्त हो गयी थीं।
अब वह रास्ता एक पहाड़ी जगह की तरफ मुड़ गया था। होडाडैनन ने फिर वह रास्ता छोड़ कर आगे की तरफ देखा।
उसने देखा कि आगे दो बहुत बड़े बड़े पत्थर थे और वहाँ दो बहुत बड़े बड़े भालू खड़े थे। वे भी उस हर उस चीज़ को फाड़ खाने के लिये तैयार थे जो वहाँ से गुज़रती।
होडाडैनन बोला — “चाचा इसका मतलब है कि तुम यहाँ से जा चुके हो।”
वह एक पेड़ पर चढ़ गया जहाँ उसको कुछ मधुमक्खियों की भिनभिनाहट सुनायी दी।
उसने मधुमक्खियों के दो छत्ते उखाड़े और इससे पहले कि वे भालू उसको पकड़ सकें उन छत्तों को उसने उन भालुओं के मुँह की तरफ फेंक दिया। भालुओं ने तुरन्त ही उनको अपने मुँह में दबोच लिया।
लड़का फिर बोला — “ऐसा लगता है कि ये भी भूखे थे। अब मैंने इनको वह दे दिया है जो इनका सबसे प्रिय खाना है – यानी शहद। हमारे भगवान ने जिसने हमें साँस दी है उसने हमको किसी का नौकर नहीं बनाया।”
जैसे ही उसने यह कहा तो वे भालू भी घूम कर दो दिशाओं में चले गये और होडाडैनन अपने रास्ते पर फिर से आगे चल दिया।
इस बीच उसके घर में उसकी छोड़ी हुई डंडियों ने एक बार फिर से काँपना बन्द कर दिया था और होडाडैनन के चाचा ने आराम की साँस ली।
होडाडैनन फिर से आगे चला तो वह रास्ता एक जंगल की तरफ चला और पेड़ों के बीच में जा कर मुड़ गया। उसने फिर वही किया। अब उसको तेंदुए देखने थे। वह रास्ता छोड़ कर एक ऐसी जगह पहुँच गया जहाँ से वह उन तेंदुओं को देख सकता था।
उन तेंदुओं की आँखें हरे अंगारे की तरह चमक रहीं थीं और वे सड़क के दोनों तरफ दो बड़े पाइन के पेड़ों के पीछे छिपे बैठे थे।
होडाडैनन फिर बड़बड़ाया — “ओह चाचा तुमको अपनी यात्रा के बारे में सब कुछ अच्छी तरह याद है।”
उसने अपना तीर कमान लिया, उससे उसने दो हिरन मारे और उन दोनों को अपने कन्धे पर उठा कर फिर से अपने रास्ते पर चल दिया।
इससे पहले कि वे तेंदुए उस पर झपटते उसने दोनों की तरफ एक एक हिरन फेंक दिया और बोला — “ओह लगता है कि तुम लोग भी भूखे थे। मैंने तुमको वह दे दिया है जो तुमको अपने आप शिकार कर के खाना चाहिये था।
समझ लो कि जिसने हमको चलने की ताकत दी है उस भगवान ने हमको किसी का नौकर नहीं बनाया इसलिये तुम भी यहाँ से भाग जाओ।”
जैसे ही उसने यह कहा वे दोनों तेंदुए भी दो दिशाओं में भाग गये और वह लड़का फिर से अपने रास्ते पर चल पड़ा।
इस बीच होडाडैनन के चाचा ने देखा कि घर में होडाडैनन की छोड़ी हुई डंडियाँ बहुत ज़ोर से हिल रहीं थीं जैसे किसी तूफान से हिलती हैं पर थोड़ी ही देर में वे शान्त हो गयीं। असल में वे डंडियाँ उन तेंदुओं के चले जाने के बाद शान्त हो गयी थीं।
अब होडाडैनन के सामने का रास्ता बिल्कुल सीधा और साफ था। ऐसा लग रहा था कि उस रास्ते पर बहुत लोग चल चुके थे। यहाँ आ कर लड़के ने कान लगा कर सुनना शुरू किया तो उसको पेड़ों के ऊपर से बहुत ही धीमी गाने की सी आवाज आयी।
वह जमीन पर रेंगते हुए झाड़ियों में से आगे बढ़ा और उसकी तरफ देखा जो गा रहा था। वह एक औरत की खाल थी जो पेड़ के ऊपर टँगी हुई थी और गा रही थी –
जीनू जीनू जीनू, मैं ही वह हूँ जो सबको देखती हूँ, मैं तुमको भी देख रही हूँ
यह गीत बहुत ही कोमल आवाज में था। इतनी कोमल आवाज में कि होडाडैनन उसको मुश्किल से सुन सकता था। पर उसको यह भी मालूम था कि अगर वह उस खाल को दिखायी दे गया तो यह गीत और ज़्यादा तेज़ आवाज में बदल सकता था।
उस पेड़ के नीचे जिस पर यह खाल लटकी हुई थी पेड़ों का एक झुंड था जिसके ऊपर एक तरह का फल लगा हुआ था जो बड़े बडे काँटों से ढका हुआ था। होडाडैनन जान गया कि यही चेस्टनट था।
उस औरत की खाल के नीचे जमीन पर बहुत सारी हड्डियों का ढेर लगा हुआ था और दूसरी तरफ उन सातों जादूगरनियों का एक लम्बा सा घर था।
होडाडैनन ने सोचा कि अब उसको किसी की सहायता लेनी पड़ेगी सो वह एक बासवुड (Basswood tree) के पेड़ के पास गया और उसकी छाल से एक लम्बी सी पट्टी तोड़ी।
फिर एक जलती हुई लकड़ी और बैरी का रस ले कर उसने उस छाल के टुकड़े को इस तरह सजाया कि वह एक पेटी की तरह लगने लगी। उसको अपने कन्धे पर डाल कर वह नीचे झुका और उसने चार बार जमीन को हल्के से थपका।
वह बोला — “मेरे दोस्त, मुझे तुम्हारी सहायता चाहिये।”
तुरन्त ही एक मादा मोल ने अपना सिर
जमीन से बाहर निकाला और पूछा —
“होडाडैनन, बोलो मैं तुम्हारी क्या सहायता कर
सकती हूँ?”
होडाडैनन बोला — “दादी माँ, अगर मैं बहुत छोटा बन जाऊँ तो क्या तुम मुझे अपने साथ धरती के नीचे से ले जाओगी?”
मोल बोली — “यह तो बहुत आसान है। चलो चलें।”
यह सुन कर होडाडैनन ने अपने शरीर को अपने हाथों से मलना शुरू किया। धीरे धीरे वह इतना छोटा हो गया कि वह अब मोल के साथ धरती के अन्दर सफर कर सकता था।
धरती के नीचे से हो कर वे उसी पेड़ के नीचे आ गये जिसके ऊपर उस औरत की खाल लटकी हुई थी। होडाडैनन ने फिर से अपने शरीर को अपने हाथों से मलना शुरू किया और तब तक मलता रहा जब तक वह अपने पुराने रूप में नहीं आ गया।
फिर वह उस खाल से बोला — “बहिन, मैंने तुमको पहले कहीं देखा है पर तुम किसी दूसरे से नहीं कहना कि मैं यहाँ हूँ। मैं तुमको यह सुन्दर पेटी दूँगा।”
वह खाल बोली — “अरे वाह, मैंने तो तुमको देखा नहीं। तुम मुझको यह पेटी दे दो तो मैं उन बहिनों को यह नहीं बताऊँगी कि तुम यहाँ हो।”
होडाडैनन ने तुरन्त ही वह पेटी उसकी तरफ उछाल दी। उसने भी उसको तुरन्त ही पहन लिया। पहनते ही वह पेटी उसके चारों तरफ लिपट गयी और उसको इतना कस कर बाँध दिया कि वह फिर बोल भी नहीं सकी।
होडाडैनन ने भी तुरन्त ही एक थैला भर कर चेस्टनट इकठ्ठा कर लिये। फिर उसने अपनी दोस्त मोल को बुलाया और छोटा हो कर फिर से वापस आ गया।
उधर उस पेड़ के ऊपर जब उस औरत की खाल को थोड़ी साँस आयी तब उसने गाना शुरू किया –
जीनू जीनू जीनू, किसी ने मुझे रिश्वत दी है मुझे नहीं मालूम वह कौन है?
यह सुन कर वे सातों जादूगरनियाँ अपने लम्बे से घर में से निकल कर अपना अपना डंडा ले कर भागीं। वे दौड़ी हुई वहाँ आयीं जहाँ उस औरत की खाल टँगी हुई थी पर वहाँ तो उनको कोई दिखायी नहीं दिया।
एक जादूगरनी बोली — “कोई यहाँ था।”
दूसरी जादूगरनी बोली — “हमारे कुछ चेस्टनट गायब हैं।”
तीसरी जादूगरनी बोली — “ओ औरत की खाल, तू हमारी नौकर है। बोल और बता यहाँ कौन आया था।”
पर औरत की खाल कुछ नहीं बोली। वह केवल हवा में झूलती रही और गाती रही –
जीनू जीनू जीनू, मुझे रिश्वत में एक नयी चमकीली पेटी दी गयी थी
चौथी जादूगरनी बोली — “तू झूठ बोल रही है यह तो केवल पेड़ की छाल है।”
पाँचवीं जादूगरनी बोली — “तब यह वह “आखिरी बचा हुआ” (Hodadanon) ही होगा जिसका चाचा उसको हमसे बहुत पहले चुरा कर ले गया था।”
छठी जादूगरनी बोली — “अगर वह अबकी बार आयेगा तो हम उसको पकड़ लेंगे और मार डालेंगे।”
आखिरी जादूगरनी बोली — “हमको अपने नौकर को सजा देनी चाहिये।”
उसने अपना डंडा उठाया और उस औरत की खाल को उससे मारना शुरू किया। दूसरी जादूगरनियों ने भी अपने अपने डंडों से उसे बहुत मारा।
काफी मारने के बाद वे सब जादूगरनियाँ अपने घर चली गयीं और वह औरत की खाल वहाँ पर घायल सी लटकती रह गयी। वह अभी भी धीमी आवाज में अपनी नयी चमकती पेटी का गाना गा रही थी।
इस बीच में होडाडैनन के घर में वे दोनों डंडियाँ फर्श पर गिर पड़ीं थी। बूढ़े चाचा ने उनको फर्श पर से उठाया और फिर से खड़ा कर के रख दिया और ध्यान से उनको देखने लगा।
होडाडैनन तब धरती के नीचे ही था जब वे सातों जादूगरनियाँ आपस में बात कर रहीं थीं सो उसने उनकी सारी बातें सुन ली थीं।
उसने मोल से कहा — “दादी माँ, उन सातों जादूगरनियों को हमें इस तरह से नहीं छोड़ना चाहिये। चलिये वहाँ वापस चलते हैं जहाँ वे रहती हैं।”
मोल धरती में और नीचे गयी और होडाडैनन को उन बहिनों के घर के नीचे उनके काउच के नीचे तक ले गयी जहाँ वे सोती थीं। वहाँ एक रस्सी में उन सातों के दिल बँधे हुए थे।
तुरन्त ही होडाडैनन ने उछल कर उनके वे दिल पकड़ लिये और वहाँ से भाग निकला। सातों जादूगरनियों ने उसको देख लिया सो वे अपना अपना डंडा ले कर उसके पीछे पीछे भागीं।
इसी समय होडाडैनन के घर में उसकी दोनों लकड़ियाँ फिर से गिर पड़ीं। इसको देख कर बूढ़े का दिल इतना टूट गया कि वह उनको दोबारा खड़ी नहीं कर सका।
वह वहीं लेट कर उनको घूरता रहा और सोचता रहा कि उसका भतीजा अब कभी ज़िन्दा वापस लौट कर नहीं आयेगा।
उधर औरत की खाल ने पेड़ के ऊपर से गाया —
जीनू जीनू जीनू, होडाडैनन के पास तुम्हारे दिल हैं और यही तुम्हारा अन्त है
पहली जादूगरनी ने होडाडैनन को करीब करीब पकड़ ही लिया था सो उसने उसको मारने के लिये अपना डंडा उठाया। जैसे ही उसने अपना डंडा उठाया होडाडैनन ने एक दिल को उसकी रस्सी से कस कर बाँध दिया जिससे वह तुरन्त मर गयी।
फिर जब दूसरी जादूगरनी ने उसको डंडा मारना चाहा तो होडाडैनन ने फिर वैसा ही किया। उसने दूसरे दिल को भी रस्सी से बाँध दिया सो दूसरी जादूगरनी भी मर गयी।
उसके बाद उसने बचे हुए पाँच दिल भी रस्सी से बाँध दिये और इस तरह से सातों जादूगरनियों को मार दिया। फिर वह उस पेड़ पर चढ़ा जिस पर वह औरत की खाल लटक रही थी।
वह उस खाल को खोल कर नीचे ले आया और उसको नीचे आदमियों की हड्डियों के ढेर के ऊपर रख दिया। फिर वह एक सूखे हुए पेड़ को वहाँ तक ले कर आया।
पेड़ को लाते हुए वह चिल्लाया — “उठो ओ मेरे रिश्तेदारों उठो। एक पेड़ तुम्हारे ऊपर गिरने वाला है।” तुरन्त ही वे सारी हड्डियाँ और वह औरत की खाल ज़िन्दा हो गये।
वह औरत की खाल होडाडैनन की बहिन थी। बहुत दिन पहले इन जादूगरनियों ने उसको और उसके दूसरे परिवार वालों को पकड़ लिया था। उन्हीं की हड्डियाँ वहाँ पड़ी हुई थीं।
अब उसके सामने उसके माता पिता थे, उसके भाई थे और उसके परिवार के और लोग थे। सब ज़िन्दा हो जाने पर बहुत खुश थे और होडाडैनन को उनको ज़िन्दा करने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद दे रहे थे।
होडाडैनन ने जमीन पर से बहुत सारे चेस्टनट उठाये और अपने सारे रिश्तेदारों को बाँट दिये और उनसे कहा कि वे उनको बो दें और फिर सबके खाने के लिये बहुत सारा खाना होगा।
फिर वह थैला भर कर चेस्टनट अपने चाचा के लिये ले कर घर गया। उसका बूढ़ा चाचा बेचारा हड्डियों का ढाँचा बना अपनी काउच पर लेटा हुआ था। उसकी आँखें उन दो डंडियों पर लगी हुई थीं।
घर में घुसते ही वह बोला — “चाचा चाचा, मैं आ गया।”
अपने भतीजे की आवाज सुन कर उसका चाचा उछल कर अपने काउच से खड़ा हो गया और उसको गले से लगा लिया।
आज तक उसका चाचा अपने उसी घर में रह रहा है और उन्हीं चेस्टनट से अपने उसी बर्तन में अपनी पुडिंग बनाता है।
तभी से भगवान के दिये ये चेस्टनट और दूसरी अच्छी चीज़ों की तरह किसी एक परिवार के नहीं हैं चाहे वह कितना भी ताकतवर क्यों न हो बल्कि सबके हैं।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)