हर चमकती चीज सोना नहीं होती : ईसप की कहानी

Har Chamkati Cheez Sona Nahin Hoti : Aesop's Fable

एक बार एक बारहसिंगा तालाब के किनारे पानी पी रहा था। अभी वह दो-तीन घूंट पानी ही पी पाया था कि तभी उसे पानी में अपनी छाया दिखाई दी।
अपने सींगों को देखकर वह सोचने लगा—‘मेरे सींग कितने सुंदर हैं। किसी दूसरे जानवर के सींग इतने सुंदर नहीं हैं।’ इसके बाद उसकी नजर अपने पैरों पड़ी। अपने पतले और सूखे पैरों को देखकर उसे बेहद दुख हुआ। उसने सोचा—‘मेरे पैर कितने दुबले-पतले और भद्दे हैं।’

पानी पीकर वह कुछ कदम आगे बढ़ा था कि उसके कानों में बिगुल की आवाज सुनाई दी। वह समझ गया कि शिकारी उसकी ताक में हैं। जान बचाने की फिक्र में वह जितना तेज दौड़ सकता था, दौड़ा। उसके चपल वह फुरतीले पैर शीघ्र ही उसे शिकारियों की पहुंच से दूर ले गए।
वह तेजी से दौड़ता ही जा रहा था और अब घने जंगल में वहां पहुंच गया था जहां घने पेड़ व लम्बी-लम्बी झाड़ियां उगी हुई थीं।

तभी उसके सींग घनी झाड़ियों में उलझ गए और न चाहते हुए भी उसे रुकना पड़ा। सींग कुछ ऐसे उलझ गए थे कि वह हिल भी नहीं पा रहा था। शिकारी भी पास आते जा रहे थे और बारहसिंगा भी सींग छुड़ाने का असफल प्रयास कर रहा था। शिकारी उसके पास जा पहुंचे थे और सरलता से उसका शिकार कर सकते थे।
अब बारहसिंगा मौत के मुंह में खड़ा था, समझ गया था कि अंत अब निकट ही है।
उसने कातर दृष्टि से शिकारियों की ओर देखा, लेकिन वे उसे क्यों छोड़ने वाले थे।
तभी एक तीर आकर उसे लगा और वह जमीन पर गिर पड़ा।

वह सोच रहा था, ‘मैं अपने पैरों को देखकर खुश नहीं था, जबकि इन्होंने ही मेरी जान बचाने की कोशिश की; और मेरे यह सुन्दर सींग...इन्हीं की वजह से मुझे शिकारियों के हाथों मरना पड़ रहा है।’
यह सोचते-सोचते ही बारहसिंगे ने प्राण त्याग दिए।

निष्कर्ष: हर चमकती चीज जरूरी नहीं कि सोना ही हो।

(ईसप की कहानियाँ - अनिल कुमार)

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