हंस और राजकुमारी (बाल कहानी) : सुमित्रानंदन पंत

Hans Aur Rajkumari (Hindi Story) : Sumitranandan Pant

एक हंस था। वह नीलमणि तालाब में रहता था। तालाब निर्मल पानी से भरा था। वहाँ बड़े सुन्दर-सुन्दर कमल खिले रहते थे। हंस कमलों के बीच तैरता हुआ, न मालूम क्या, सोचा करता था। एक बार पूरब की राजकुमारी तालाब में नहाने आई। हंस को देखकर वह मुग्ध हो गई। उसने सखियों से कहा, 'कितना सुंदर हंस है यह! क्या मैं इसे घर नहीं ले जा सकती?'

कमलों से आवाज़ आई, ‘नहीं, नहीं, ऐसा मत करना। यह परियों की रानी का है।'

राजकुमारी ने पूछा, 'कहाँ रहती हैं परियों की रानी?'

कमल बोले, ‘आओ, चाहती हो, तो तुम्हें मिला दें।' वे उसे तालाब के बीचोंबीच ले गए। पलक झपकते ही वह परियों के महल में पहुँच गई। परियों ने उसे घेर लिया। फिर अपनी रानी के पास ले आईं। परियों की रानी ने पूछा, 'तुम कौन हो?'

राजकुमारी ने उत्तर दिया, 'मैं पूरब की राजकुमारी हूँ। आपके हंस को अपने घर ले जाना चाहती हूँ। जो कमल के फूल आपके दरवाजे पर पहरा दे रहे थे, वही मुझे आपके पास लाए हैं।'

परियों की रानी ने कहा, 'तुम हंस ले जाना चाहो, तो ले जा सकती हो, किंतु एक शर्त है।'

‘क्या?' पूरब की राजकुमारी ने चौंकते हुए पूछा।

'तुम अपनी सहेलियों को यहाँ छोड़ जाओ,' रानी बोली ।

'नहीं, नहीं, यह कैसे होगा? मैं सहेलियों के बिना कैसे रहूँगी?' राजकुमारी ने कहा ।

‘तब हंस भी हंसिनी के बिना कैसे रहेगा? वह भी मर जाएगा।' परियों की रानी ने कहा।

यह सुनकर राजकुमारी सोच में पड़ गई। उसे पता ही नहीं था कि पशु-पक्षी भी आपस में मिल-जुलकर रहते हैं। हंस के मरने की बात से उसे बहुत दुःख हुआ। वह बोली, 'हंसिनी के बिना क्या हंस सचमुच ही मर जाएगा? नहीं, नहीं, यह नहीं होगा । तब मैं हंस को नहीं ले जाऊँगी।' कहते हुए पूरब की राजकुमारी वापस जाने लगी।

चारों ओर पानी ही पानी था। जाती कैसे? उसे तैरना भी नहीं आता था। उसे सोच में डूबा हुआ देख परियों की रानी सब समझ गई। उसने अपनी सीपियों की सुंदर नाव मंगवाई। राजकुमारी को भेंट में बहुत से सुगंधित फूल और मीठे फल दे, विदा कर दिया। पूरब की राजकुमारी नाव में बैठकर तालाब से बाहर आ गई।

(कहानी संग्रह : आलू और बैगन सुंदरी 'से'
साभार : सुमिता पंत)

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