Yashwant Vithoba Chittal
यशवंत विठोबा चित्ताल
यशवंत विठोबा चित्ताल (३ अगस्त १९२८ - २२ मार्च २०१४) अग्रणी कन्नड़ कथा लेखक थे।
उनका जन्म कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के हनेहल्ली नामक स्थान पर हुआ। उन्होंने
अपनी प्रथमिक शिक्षा अपने गाँव के विद्यालय से एवं उच्च शिक्षा गिब्ब्ज़ हाई स्कूल, कुमता
से १९४४ में पूर्ण की। पेशे से वैज्ञानिक और स्वेच्छा से साहित्यकार बने चित्ताल ने अमेरिका
के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। भारत लौटकर अपने अंतिम
दिनों तक वे मुंबई में रहे। उनकी लेखनी विज्ञान और साहित्य दोनों क्षेत्रों में| निरंतर जाग्रत्
रही। उनके 'शिकारी' उपन्यास ने कन्नड़ साहित्य में एक समय 'अस्तित्ववादी' धारा की धूम
मचा दी थी।
उन्होंने अपने कार्य पुरुषोत्तम के लिए अकादमी पुरस्कार प्राप्त किया। उनकी रचना 'कतेयादळु
हुडुगि' (कहानी बन गई लड़की) को केंद्रीय साहित्य अकादेमी का पुरस्कार मिला है। कन्न्ड
सृजनात्मक लेखन के लिए यशवंत चित्ताल की देन को पहचानकर कर्नाटक सरकार ने पंप
प्रशस्ति, कर्नाटक साहित्य अकादेमी का गौरव (आदर) पुरस्कार, 'मास्ति प्रशस्ति, 'कर्नाटक
राज्योत्सव प्रशस्ति', 'डॉ. शिवराम कारंत प्रशस्ति', 'श्री गुरु नारायण प्रशस्ति' (प्रशस्ति-पुरस्कार
सम्मान) से सम्मानित किया था।