Dr. Shiben Krishen Raina डॉ० शिबन कृष्ण रैणा
शिबन कृष्ण रैणा जन्म 22 अप्रैल,१९४२ को श्रीनगर। डॉ० रैणा संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के
सीनियर फेलो (हिंदी) रहे हैं। हिंदी के प्रति इनके योगदान को देखकर इन्हें भारत सरकार ने २०१५ में विधि
और न्याय मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति का गैर-सरकारी सदस्य मनोनीत किया है। कश्मीरी रामायण
“रामावतारचरित” का सानुवाद देवनागरी में लिप्यंतर करने का श्रेय डॉ० रैणा को है।इस श्रमसाध्य कार्य के लिए
बिहार राजभाषा विभाग ने इन्हें ताम्रपत्र से विभूषित किया है।
एम0ए0 हिन्दी और अंग्रेज़ी में। चौदह पुस्तकें प्रकाशित। साहित्य-सेवाओं के लिए बिहार राजभाषा विभाग,पटना;
उत्तर प्र्रदेश हिन्दी संस्थान,लखनऊ; केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय,भारत सरकार; राजस्थान साहित्य अकादमी,उदयपुर;
भारतीय अनुवाद परिषद्,दिल्ली;साहित्य मण्डल,नाथद्वारा आदि द्वारा पुरस्कारों/ताम्रपत्रों आदि से सम्मानित।राजस्थान
उच्च शिक्षा सेवा में 32 वर्षों तक हिन्दी व्याख्याता,विभागाध्यक्ष,उप्राचार्य/प्राचार्य आदि पदों पर कार्यरत।
राजस्थान सरकार से स्वैच्छिक-सेवानिवृत्ति लेकर 1999 से 2001 तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान,राष्ट्र्पति निवास,
शिमला में फैलो के रूप में ‘भारतीय भाषाओं से हिन्दी में अनुवाद की समस्याएं’विषय पर शोधरत। प्रकाशित पुस्तकों
की संख्या चौदह। देश की विभिन्न प्रसिद्ध/प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों,निबन्धों,वार्ताओं आदि की संख्या डेढ़
सौ के लगभग।आकाशवाणी के लिए कहानी एवं नाट्य-लेखन भी।‘मौन संभाषण’ शीर्षक से एक कहानी संग्रह प्रकाशित।
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अनेक संगोष्ठियों में सक्रिय भागीदारी।
