Pudhumaipithan
पुदुमैपित्तन
पुदुमैपित्तन (புதுமைப்பித்தன்) का मूल नाम वृद्धाचलम् है। उनका जन्म 25 अप्रैल, 1906 को हुआ और 20 जून,
1948 को वे असमय स्मृति शेष हुए। वे उपनाम 'पुदुमैपित्तन' से प्रसिद्ध हुए तथा अपने समय के
लोकप्रिय प्रगतिवादी कथाकार थे। कथा साहित्य में नए शिल्प विधान, अनूठा अभिव्यंजन, सशक्त
शब्द-- विन्यास एवं विलक्षण शैली के प्रस्तुतीकरण दुवारा उन्होंने कई मौलिक प्रयोग किए।
मुख्यतः आंचलिक शैली को अपनाने का श्रेय उन्हीं को है। उनके कथा-- स्रोत पीड़ित, दलित, दीन
-हीन वर्गों में से ही अधिक फूटे। उनकी कहानियाँ अपने समय की सामाजिक विकृतियों,
अंधविश्वासों और स्वार्थी छलनाओं को प्रतिबिंबित करती हैं। उनकी प्रकाशित रचनाओं में
उल्लेखनीय हैं: आठ कथा-संग्रह, एक कविता-संग्रह, दो नाटक, एक लघु उपन्यास और तीन
अनुवाद (अंग्रेजी से) ।