N. Pichamoorthi
न. पिच्चमूर्ति
तमिल के श्रद्धेय तपस्वी साहित्यकार श्री न. पिच्चमूर्ति (15 अगस्त, 1900 - 4 दिसंबर 1976) का जन्म तंजावुर जिले के कुंभकोणम् में हुआ। पिताजी के सहज संस्कार का प्रभाव पुत्र पर पड़ा और
वे एक मनस्वी साहित्यकार एवं आध्यात्मिक विचारोंवाले चिंतक बने, कुछ इन्हीं कारणों से पिच्चमूर्ति ने लेखन को केवल मौलिक कर्म न मानकर, आत्मिक तपस्या माना। कुंभकोणम् के कॉलेज में
आध्याभ विषय में बी.ए. किया। बाद में कानून की पढ़ाई की और वकील बने। 1924 से 1938 तक वकालत करने के बाद साहित्य सेवा एवं राजनीति के मैदान में कूद पड़े। उन्होंने अंग्रेजी में भी मौलिक
कहानियाँ लिखी हैं, बाद में तमिल में लिखने लगे। 1924 में 'कलैमहल' पत्रिका द्वारा आयोजित कहानीप्रतियोगिता में उनकी कहानी 'मुल्लुम रोजावुम' (काँटा और गुलाब) पुरस्कृत हुई। उनकी कहानियों
में पारदर्शी चिंतन, गहन संवेदना, गंभीर भाषा और नई विधाओं का सामंजस्य पाया जाता है।
Tamil Stories in Hindi : N. Pichamoorthi
तमिल कहानियाँ हिन्दी में : न. पिच्चमूर्ति