Musharraf Alam Zauqi मुशर्रफ़ आलम ज़ौक़ी

मुशर्रफ़ आलम ज़ौक़ी (1962 - 2021) का जन्म आरा, (बिहार) में हुआ । सामयिक उर्दू दुनिया का सबसे चर्चित और सबसे सक्रिय नाम हैं। सामयिक उर्दू फिक्शन का एक जरूरी नाम हैं। आधुनिक उर्दू साहित्य की एक लाज़मी शख्सियत हैं। करीब तीन दशक से ज्यादा समय तक उन्होंने उर्दू फिक्शन की हर विधा में खूब लिखा। इतना कि जितना शायद ही कोई लिख सके।

इनकी रचनाएँ हैं : इमाम बुखारी का नैपकिन, फ़्रिज में औरत, बाज़ार की एक रात, विभाजन की कहानियाँ, सुनामी में विजेता, नफ़रत के दिनों में, बयान, पोके मान की दुनिया, नाला-ए-शबगीर, नीलामघर, शहर चुप है, उकाब की आँखें, आतिशे रफ्ता का सुराग, ले साँस भी आहिस्ता (सभी कहानी-संग्रह), मर्ग-ए-अम्बोह (उपन्यास ), आबे रवाने कबीर (उर्दू समालोचना), गुज़रे हैं कितने (खाके और साहित्यिक लेख), सिलसिलाए रोज़ो शब (साहित्यिक आलेख)।
ये पत्रिका ’मुअल्लिमे उर्दू’ के संस्थापक और सम्पादक हैं।