Mikhail Saltykov-Shchedrin
मिख़ाईल सल्तिकोव-श्चेद्रीन

मिख़ाईल सल्तिकोव-श्चेद्रीन (1826-1889) "मनमानी, कपटभाव, झूठ, लुटेरापन, ग़द्दारी और मूर्खता के विरुद्ध आवाज़ उठाना ही मेरे साहित्य-सृजन का स्थायी विषय बना रहा है..." मिख़ाईल सल्तिकोव-श्चेद्रीन ने अपने कृतित्व के बारे में लिखा है। उनकी सबसे अधिक विख्यात रचना है - ‘श्रीमान गोलोव्योव’। इसमें एक ज़मींदार-परिवार की कहानी कही गयी है। किन्तु दरअसल इसमें ज़ारकालीन रूस के समूचे ज़मींदार वर्ग की परोपजीविता का गहन तथा निर्मम भण्डाफोड़ किया गया है। श्चेद्रीन द्वारा जीवन के अन्तिम वर्षों में लिखे गये ‘क़िस्से’ मानो महान रूसी व्यंग्यकार के पूरे कृतित्व का, जिन्होंने रूसी क्रान्तिकारी जनवादी चिन्तन के विकास में बड़ा योगदान किया, निष्कर्ष प्रस्तुत करते हैं। ‘क़िस्सा यह कि एक देहाती ने दो अफ़सरों का कैसे पेट भरा’ (1869) लोक-कथा की शैली में लिखा गया है।

मिख़ाईल सल्तिकोव-श्चेद्रीन : कहानियाँ हिन्दी में

Mikhail Saltykov-Shchedrin : Stories in Hindi