Krishna Mohan Singh Munda कृष्णमोहन सिंह मुंडा
पेशे से इंजीनियर कृष्णमोहन सिंह मुंडा युवा आदिवासी कथाकार हैं और मुंडारी, पंचपरगनिया व हिंदी,
तीन भाषाओं में लिखते हैं। आदिवासी दर्शन व भाषा-साहित्य के आंदोलन से जुड़े तथा झारखंडी भाषा-साहित्य-संस्कृति,
अखड़ा के प्रवक्ता कृष्ण मोहन ने कविता, कहानी और आलोचना के क्षेत्र में बहुत तेजी से अपनी पहचान बनाई है।
वे झारखंड के उभरते हए कथा लेखक हैं और अपनी कहानियों में आदिवासी जीवन के आधुनिक दवंदव को बखुबी
रेखांकित करते हैं। कथा के साथ-साथ कृष्ण मोहन वैचारिक लेखन और कविता भी नियमित रूप से लिख रहे हैं।
अभी तक कविता या कथा का कोई संकलन प्रकाशित नहीं हुआ है, पर इन दिनों वे इस दिशा में प्रयत्नशील हैं।
संप्रति झारखंड सरकार में अभियंता।