Iqbal Majeed इक़बाल मजीद
इक़बाल मजीद के निधन की खबर से उर्दू अदब और रंगकर्म की दुनिया में शोक की लहर फैल गई।
इक़बाल मजीद 1960 के बाद उभरे उर्दू कथाकारों में विशेष स्थान रखते थे। उनके दो कथासंग्रह भीगे 50 लोग
तथा हलफियाबयान प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने रेडियो के लिए बहुत से नाटक लिखे हैं जिनमें से कुछ पुरस्कृत भी हुए हैं।
भोपाल के ख्याति प्राप्त उर्दू साहित्यकार और रंग निदेशक इक़बाल मजीद उर्दू अकादमी भोपाल के डायरेक्टर भी रहे चुके हैं।
इक़बाल मजीद ने उर्दू में अनेक कहानियों और नाटकों के लेखन के साथ ही उर्दू नाटकों का निर्देशन भी किया। इसके लिए उन्हें
अनेक राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर के सम्मानों से नवाजा जा चुका है। टुसुर-फुसना, चांदनी का जहर, क्राइम एंड पनिश्मेंट व गोदान
उनके काफी मशहूर नाटक रहे हैं। उनके नाटकों का मंचन बहुत भी भव्य पैमाने पर किया जाता रहा है, इसीलिए
उन्हें थियेटर का शोमेन भी कहा जाता था। - खालिद अनवर