Harriet Beecher Stowe
हैरियट बीचर स्टो
हैरियट बीचर स्टो (14 जून 1811 - 1 जुलाई 1896) विश्वविख्यात अमेरिकी लेखिका, रंगभेद एवं दासप्रथा की कट्टर विरोधी, एवं उपन्यासकार थी। उनके नाम की तुलना में उनका उपन्यास, अंकल टॉम्स केबिन (1852), अधिक प्रसिद्ध है। हिंदी में, "टाम काका की कुटिया", शीर्षक से उसका अनुवाद 1916 में ही हो गया था। इस उपन्यास की गिनती दुनिया को हिला देनेवाले उपन्यासों में होती है। पहले यह उपन्यास प्रख्यात पत्र 'नेशनल एरा’ में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ था। जून 1851 के अंक में इसकी पहली किस्त छपी थी। उस समय श्रीमती स्टो की आयु चालीस वर्ष थी और वे सात बच्चों की मां थीं। इस पत्र में इस उपन्यास की चालीस किस्तें छपीं और अमरीकी जनता ने इसमें इतनी रुचि दिखायी थी कि पत्र की प्रसारण संख्या कई गुना हो गयी। इसके बाद 1852 में इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया और पहले ही संस्करण की तीन लाख से अधिक प्रतियां बिक गयीं। इसके बाद अगले दस वर्षों में इसके चौदह सौ संस्करण प्रकाशित हुए और इसने संयुक्त राज्य अमरीका के उत्तरी राज्यों में दासताविरोधी चेतना को प्रखर बनाने में अग्रणी भूमिका निभायी। अगले दस वर्षों में विश्व की साठ भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका था। जर्मन अनुवाद पढ़कर मार्क्स-एंगल्स के मित्र और प्रख्यात क्रांतिकारी जर्मन कवि हाइने ने भावविभोर होकर इसकी प्रशंसा की थी और रूसी अनुवाद पढ़कर लियो टोल्स्टोय ने इसे विश्व साहित्य की एक महान कृति कहा था।
हैरियट बीचर स्टो : उपन्यास हिन्दी में
Harriet Beecher Stowe : Novel in Hindi