Gurdial Singh
गुरदयाल सिंह

गुरदयाल सिंह (10 जनवरी 1933 - 16 अगस्त 2016) ने 1957 में अपना साहित्यिक जीवन अपनी कहानी 'भागांवाले' से शुरू किया और अपने उपन्यासों से पंजाबी साहित्य में एक अलग पहचान बनाई। 1964 में लिखा इनका उपन्यास 'मढ़ी का दीवा' एक बहु-चर्चित उपन्यास रहा जिस पर 1989 में फिल्म भी बनी। इसके अतिरिक्त 'अनहोए' 'रेत दी इक मुट्ठी', 'कुवेला', 'अध चाननी रात', 'अन्हे घोड़े दा दान', 'पौ फुटाले तों पहिलां' तथा 'परसा' भी उल्लेखनीय उपन्यास हैं। 12 कहानी संग्रह जिनमें 'सग्गी फुल्ल', 'कुत्ता ते आदमी', 'बेगाना पिंड' और 'करीर दी ढींगरी' शामिल हैं। 'धान दा बूटा', 'ओपरा घर', 'मस्ती बोटा', 'पक्का ठिकाना'(कहानी संग्रह) के अलावा इन्होंने नाटक भी लिखे हैं और बच्चों के लिए भी लेखन किया है। साहित्य अकादमी अवार्ड, ज्ञानपीठ अवार्ड, सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड, भाई वीर सिंह फिक्शन अवार्ड आदि से सम्मानित। कुछ नाटक और बाल लेखन भी।