Gudipati Venkata Chalam
गुडिपाटि वेंकटचलम्
गुडिपाटि वेंकटचलम् का जन्म 19 अगस्त, 1894 को आंध्र प्रदेश के गुंदूर जिला तेनाली शहर में हुआ।
तेलुगु साहित्य में श्री चलम् प्रथम स्त्रीवादी लेखक थे। वे स्वाधीनता के पूर्व नारीस्वतंत्रता के लिए व्यथित होनेवाले
महान लेखक थे। तेलुगु कहानी लेखन में विद्यागत परिवर्तन लाने के कारण वे तत्कालीन साहित्य-जगत् में विवादास्पद
बने। उनकी लेखनी ने तेलुगु कहानी को वैविध्यपूर्ण बनाने के साथ गहन एवं समृद्ध भी किया। परिणामस्वरूप तेलुगु
कहानी में चलम् का युग चल पड़ा। उनकी कथावस्तु को आदर्श बनाकर तेलुगु में अनेक लेखक उदित हुए। स्त्रियों की
समस्याओं के प्रति सहानुभूति जताते हुए, उनके साथ हो रहे अन्याय एवं अत्याचारों का खंडन करते हुए उन्होंने अनेक
उपन्यास, कहानियाँ, एकांकी, कविताएँ, प्रेम-पत्र, म्यूजिंग्स आदि की रचना की। उनकी सौ से अधिक कहानियाँ हैं, जो तेरह
संग्रहों में संकलित हैं, उनमें चलमजी की कलम', 'आत्मार्पण', 'एक फूल खिल उठा', 'स्टेशन का पंप', 'बद किस्मती का शाप'
आदि संकलन विशेष लोकप्रिय हुए हैं। उनके द्वारा रचित उपन्यास 'जीवनादर्श', 'चित्रांगी, 'मैदानमु, 'अरुण्य' हैं। 'ब्रह्म का शाप',
'सावित्री', 'शशांक', 'तलाक', 'पुरुरव' आदि एकांकी विशेष रूप से चर्चित हैं। उनकी अन्य रचनाओं में 'गीतांजली' (अनुवाद)
'स्त्री और बच्चों का पोषण', 'गिजिगाडु' इत्यादि बहुचर्चित हुई। क्रांतिकारी स्वेच्छा प्रणय को प्रतिपादित कर कथा साहित्य के
जगत् में वे प्रख्यात हुए।
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