Alice Ekka एलिस एक्का
झारखंड की पहली आदिवासी महिला ग्रेजुएट और हिंदी की पहली आदिवासी स्त्री कथाकार। पचास के दशक में हिंदी में लेखन आरंभ किया
और 1947 से शुरू हुई साप्ताहिक ‘आदिवासी’ की नियमित लेखिका। उनके प्रकाशित साहित्य में से जो पहली रचना मिल पाई है, वह ‘आदिवासी’
के अगस्त 1959 में छपी खलील जिब्रान का अनुवाद है। कहानियों में प्राप्य ‘वनकन्या’ है, जो ‘आदिवासी’ के 17 अगस्त, 1961, वर्ष 15, के अंक 28-29 में छपी है।
एलिस का पूरा नाम एलिस खिस्तयानी पुर्ति था और वे आदिवासी विद्रोह के इतिहास प्रसिद्ध अगुआ बिरसा मुंडा के परिवार से संबंध रखती थीं।
समकालीन अंग्रेजी-हिंदी व झारखंडी भाषाओं के साहित्य और समसामयिक हलचलों से घिरे रहना, दिन-रात पढ़ना और लिखना उनकी दिनचर्या थी।