गोश्त का एक टुकड़ा (अमेरिकी कहानी) : जैक लण्‍डन

Gosht Ka Ek Tukda (American Story) : Jack London

खाने का आखिरी कौर मुँह में डालते ही और ब्रेड के आखिरी टुकड़े से प्लेट में लगी आटे की ग्रेवी को पोंछते हुए टॉम किंग को लगा कि जैसे वह भूखा ही रह गया है। उसने आखिरी कौर बहुत धीरे-धीरे और ध्यानावस्थित मूड में खाया था। घर के अन्य सदस्य तो भूखे ही रह गए थे। दूसरे कमरे में दो बच्चों को जल्दी ही सुला दिया गया था, जिससे वह संभवतः यह भूल जाएँ कि वे भूखे ही सो गए थे। उसकी पत्नी ने भी कुछ नहीं खाया था। वह याचना भरी निगाहों से चुपचाप देख रही थी। वह कामकाजी श्रेणी की दुबली-पतली स्त्री थी, जिसका शरीर अब ढल चुका था, पर चेहरे पर सुंदरता के चिह्न अभी भी देखे जा सकते थे। ग्रेवी या शोरबा बनाने के लिए उसने आटा हॉल के दूसरे छोर पर रहनेवाली पड़ोसिन से माँगा था। आखिरी दो पेनी से ब्रेड खरीदी गई थी।

वह खिड़की के साथ एक टूटी-फूटी कुरसी पर जाकर बैठ गया था, जिस पर कुरसी की सीट ने थोड़ा उसके वजन की वजह से प्रतिवाद किया था। बिल्कुल मशीन की भाँति अपना हाथ पैंट की जेब में डालकर निकाला। उसने पाइप को मुँह से लगा लिया और फिर उसने कोट की साइड पॉकेट में हाथ डाला, जिससे उसे कुछ तंबाकू मिल जाए। पर उसे निराशा ही हाथ लगी। तंबाकू न होने से उसे अपने काम का पता चला कि वह क्या कर रहा था और अपने भुलक्कड़पन पर उसने अपनी त्यौरी चढ़ाई तथा अपना पाइप अलग रख दिया। उसका चलना-फिरना बहुत सुस्त था, जिससे उसे अपने भारी-भरकम शरीर को, जो उसकी मांसपेशियों से दबा जा रहा था, उसे हिलाने-डुलाने में असमर्थ था। उसका शरीर ठोस था तथा चेहरे पर निर्विकार भाव था। उसके चेहरे में कुछ ऐसी बात नहीं थी, जो किसी को अपनी ओर आकृष्ट कर सके। उसका जूता भी जीर्ण-शीर्ण था—उसका ऊपरी हिस्सा भी काफी कमजोर था तथा उसके भारी सोल को खींच नहीं पा रहा था, जिसकी पहले रि-सोलिंग करवाई गई थी। उसकी सूती शर्ट, जिसके कॉलर अब फटनेवाले थे तथा जिस पर न मिटाए जानेवाले दाग, पेंट (रंग-रोगन) के धब्बे पड़े थे, जो केवल 2 शिलिंग वाली सस्ती सी शर्ट थी।

पर टॉम-किंग का यह चेहरा, जो बिना किसी गलती के यह चीज बता रहा था कि वह एक टिपिकल प्राइज-फाइटर (इनाम जीतनेवाला) है, जिसने कि कई साल तक एक वर्गाकार बॉक्सिंग रिंग को अपनी सेवाएँ प्रदान की थीं, यानी वह एक पेशेवर बॉक्सर (मुक्केबाज) रह चुका था और उसके चेहरे पर पड़े निशान वही कहानी बयान कर रहे थे। उसके चेहरे के नीचे आनेवाली मुखाकृति कुछ ऐसी थी, जिससे उसके चेहरे का कोई भी फीचर आप नोटिस किए ब‌िना नहीं रह सकते थे। उसकी दाढ़ी भी बनी हुई थी। उसके होंठों का कोई आकार नहीं था तथा उसकी एक साथी का मुँह ऐसा था, जिससे लगता था कि वह ज्यादतिया ‘सह’ चुकी है तथा चेहरे पर एक चाकू के निशान जैसा था। उसका जबड़ा भी हमलावर भाव लिये तथा भारी था। आँखों का चलना बहुत धीमा था और पलकें भारी थीं—वे भारी भावों के नीचे भावशून्य थीं। वह एक पशु की भाँति था और उसके फीचर भी किसी पशु की तरह ही थे। शेर की भाँति उसकी उनींदी आँखें एक लड़ाकू जानवर की भाँति थीं। झुकावदार माथा जाकर सिर के बालों से लग जाता था, जो छोटे-छोटे कटे हुए थे—उसमें से एक खलनायक की तरह कई जगह गुल्म पड़े हुए थे, जोकि एक खलनायक की भाँति लग रहे थे। एक नाक, जो दो बार टूट गई थी और उन अनगिनत घूँसों से उसकी बनावट ही बिगड़ गई थी तथा एक कान गोभी के फूल की भाँति हो गया था और फूलकर-बिगड़कर दुगने आकार का हो गया था। कुल मिलाकर यही उसकी सजावट थी, जबकि ताजी बनी दाढ़ी पर छोटे-छोटे बाल फिर से उग आने से नीली काली सी दिख रही थी।

कुल मिलाकर यह एक ऐसे आदमी का चेहरा था, जिसे यदि आप अकेले किसी गली में या अँधेरी गली में उसे मिल जाए तो आप अवश्य ही डर जाएँगे। फिर भी टॉम किंग कोई अपराधी नहीं था, न उसने कभी कोई अपराध ही किया था। झगड़े-झंझट जो उसके पेशे में एक आम बात होती है, पर उसने कभी किसी का कोई नुकसान नहीं किया था। न उसने कभी किसी से कोई झगड़ा अपने आप किया था। वह एक पेशेवर था और उसने अपनी सारी क्रूरता अपने पेशेवर खेल के लिए सुरक्षित रखी हुई थी। रिंग के बाहर वह एक सुस्त, धीरे-धीरे काम करनेवाला और विनम्र प्रकृति का व्यक्ति था। अपनी जवानी के दिनों में जब प्रचुर मात्रा में पैसा आ रहा था, तब वह खुले हाथों से खर्च करता था अपनी भलाई के लिए। उसको किसी से कोई शिकायत या बुरी भावना नहीं थी और उसके बहुत कम शत्रु थे। लड़ना (बॉक्सिंग) उसका बिजनेस था। रिंग में वह प्रतिद्वंद्वी को घायल करने के लिए, उनको अपंग करने के लिए या उनको नेस्तनाबूद करने के लिए वार करता था—घूँसा मारता था, पर उसके अंदर कोई पशुता नहीं थी। यह तो बस, केवल एक सौदे का हिस्सा था। जो व्यक्ति जीतता था, वह ज्यादा राशि लेकर वहाँ से जाता था। दर्शक उनको लड़ते हुए देखने के लिए, एक-दूसरे को ‘नॉक-आउट’ करने के लिए पैसा देकर अंदर आते थे। जब 20 साल पहले वह उलूमूल गाउडार के साथ लड़ा था तो उसको पता था कि गाउडार का प्रतिद्वंद्वी को घायल करने के लिए, उनको अपंग करने के लिए या उनको नेस्तनाबूद करने के लिए वार करता था—घूँसा मारता था, पर उसके अंदर कोई पशुता नहीं थी। यह तो बस, केवल एक सौदे का हिस्सा था। जो व्यक्ति जीतता था, वह ज्यादा राशि लेकर वहाँ से जाता था। दर्शक उनको लड़ते हुए देखने के लिए, एक-दूसरे को ‘नॉक-आउट’ करने के लिए पैसा देकर अंदर आते थे। जब 20 साल पहले वह उलूमूल गाउडार के साथ लड़ा था तो उसको पता था कि गाउडार का जबड़ा केवल 4 महीने पहले ही न्यू कासल में एक द्वंद्व में टूटा था। उसने इसी बात को ध्यान में रखते खेल खेलना शुरू किया था और अंततोगत्वा नौवें राउंड में उसने गाउडार के जबड़े को तोड़ दिया था। इसलिए नहीं कि उसे गाउडर के प्रति दुर्भावना थी और न ही गाउडार को उसके प्रति कोई दुर्भावना थी, यह तो खेल का एक भाग था। दोनों को ही खेल पता था और दोनों ही खेले।

टॉम किंग कभी भी बातूनी नहीं था और एक खिड़की के साथ चुपचाप अपने हाथों को देखते हुए बैठा था। उसके हाथ के ऊपर की नस अब उभर आई थी, बड़ी-बड़ी और फूली हुई उँगलियों की गाँठ भी अब बुरी तरह दबी-कुचली और विकृत हो गई थी। जिससे यह पता चलता था कि इनका क्या इस्तेमाल हो रहा था। उसको यह तो पता नहीं था कि एक आदमी का जीवन उसकी धमनियों का जीवन होता है। उसके दिल ने पूरे दबाव के साथ उन धमनियों से रक्त को पंप किया था। अब वे काम नहीं कर रही थीं। उसने उनके अंदर जो लचीलापन था, उसे निचोड़ लिया था और उनके लटक जाने से उसकी सहनशक्ति कम हो गई थी। अब वह जल्दी ही थक जाता था। अब वह तेजी से 20 राउंड फाइट नहीं कर सकता था। हैमर और रांग्स; फाइट, फाइट, फाइट, शुरू से अंत तक (Gong to Gong) घंटा बजने-घंटा बजने, उसके बाद फिर भयानक रैली, फिर रैली, रैली, जिससे उसका प्रतिद्वंद्वी कभी रोप (रस्सी की) तक पहुँचा देता था या फिर वह अपने प्रतिद्वंद्वी को रोप तक पहुँचा देता था। आखिरी 20वें मुकाबले में सबसे ज्यादा भयानक और तेज रैली होती थी और भीड़ खड़े होकर खूब जोर-जोर से चिल्लाने लगती थी। वह खुद भी दौड़कर जाता था, घूँसा मारता था, फिर ‘डक’ कर जाता था और फिर तो घूँसों की बौछार हो जाती थी तथा उसके ऊपर भी जवाबी हमले में घूँसों की बौछार होती थी और उस समय उसका दिल जोर-जोर और तेजी से उसकी नसों में खून पंप करता रहता था। वे नसें, जो उस वक्त खूब फूल गई थीं, जो बाद में फिर सिकुड़ जाती थीं, पर हर बार उतना नहीं सिकुड़ पाती थीं। पहले तो वह दिखती नहीं थीं, पर पहले से थोड़ा ज्यादा। वह उनको घूर-घूरकर देखता था। उसकी टूटी-फूटी घायल उँगलियों की गाँठें, उसको अपनी जवानी के दिनों की याद आ गई और अपने उस घूँसे की, जिसने बेन जोन्स, जो ‘वेन्श टेरर’ के नाम से भी जाना जाता था, उसका माथा फोड़ दिया था।

उसकी भूख फिर से वापस आ गई।

“ब्लाइमी, क्या मुझे स्टीक का एक टुकड़ा मिल सकता है?” उसने अपनी मुट्ठी को भींचते हुए हलके स्वर में अदब के साथ बोला।

“मैंने बर्कस और सालेज दोनों पर देखा।” थोड़ी क्षमा-याचना के स्वर में उसकी पत्नी ने कहा।

“और उन्होंने नहीं दिया!” उसने जानना चाहा।

“हाफ पेनी वाला नहीं है।” बर्क ने कहा। वह जरा लड़खड़ाती जुबान से बोली, “वह क्या कहता?”

“और वह क्या सोच रहा था कि आज रात सैंडल क्या करेगी और तुम्हारा स्कोर क्या आराम से बड़ा होगा।” टॉम किंग घुरघुराया, उसने कोई उत्तर नहीं दिया।

वह उस बुल टेरियर के बारे में सोच रहा था, जो उसने अपनी युवावस्था में पाला हुआ था और जिसको वह अनगिनत स्टीक (गोश्त के टुकड़े) खिलाया करता था; बल्कि उन दिनों वह उसे हजारों स्टीक खाने का श्रेय दे सकता था। पर अब वह समय बदल गया था। टॉम किंग अब बूढ़ा हो चला था और बूढ़े आदमी अन्य सेकंड रेट क्लब के विरुद्ध खेलता था तथा ऐसे में दुकानदारों के साथ वह ज्यादा उधारी नहीं कर सकता था। वह जब सुबह उठा था, तभी से उसे गोश्त खाने की इच्छा हो रही थी और वह अभी तक मरी नहीं थी। आज की फाइट के लिए उसे अच्छी सी ट्रेनिंग भी नहीं मिली थी। ऑस्ट्रेलिया में इस साल सूखा पड़ गया था। समय बहुत कठिन चल रहा था और यहाँ तक कि अनियंत्रित काम तक उसे नहीं मिल पा रहा था तथा उसके साथ मुक्केबाजी करनेवाला कोई पार्टनर भी नहीं मिल रहा था—खाना भी पर्याप्त नहीं मिल पा रहा था। वह डोमेन के चारों ओर दौड़ने भी गया था, जिससे उसके पाव शेप में आ जाए, पर बिना किसी पार्टनर के ट्रेनिंग कर रहा था। उसको एक अदद बीवी और दो बच्चों का पेट भी भरना था। बमुश्किल उस क्लब के मैनेजर ने उसे 3 पौंड अग्रिम राशि दी थी—जोकि दंगल में हारनेवाले खिलाड़ी को मिलती थी। कभी-कभी वह अपने पुराने दोस्तों से उधार ले लिया करता था—जोकि सूखा पड़ने के कारण ज्यादा पैसे देने की हालत में नहीं थे, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में सूखे की स्थिति थी। इस तथ्य को छुपाने की कोई जरूरत नहीं थी कि उसकी ट्रेनिंग संतोषजनक नहीं हुई थी। उसको बेहतर खाने और चिंतामुक्त होना चाहिए था। इसके अलावा जब एक आदमी 40 वर्ष का हो जाता है, तब उसका 20 साल की अवस्था में आना बहुत कठिन होता है।

“क्या समय हुआ है, लिज्जी?” उसने पूछा।

वह हॉल के उस पार तक गई और समय पूछकर आई।

“पौने आठ।”

वे लोग पहला ‘बाउट’ (द्वंद्व) कुछ ही क्षणों में शुरू करनेवाले होंगे। पर यह केवल एक ट्रायल होगा। फिर एक चार राउंड की मुक्केबाजी डीलर वेल्स और ग्रिडले के बीच होगी और उसके बाद फिर स्टाइलाइट और किसी नेवी के लड़के के साथ 10 राउंड की मुक्केबाजी होगी। इन सबमें एक घंटे से अधिक का समय लग जाएगा।

दस मिनट की चुप्पी के बाद वह डरकर खड़ा हुआ और बोला, “लिजी, सच तो यह है कि मुझे सही-सही ट्रेनिंग नहीं मिल पाई।”

वह अपने घर के दरवाजे की ओर बढ़ा। उसने लिजी को किस करने का प्रयास नहीं किया—वह बाहर जाते समय कभी करता भी नहीं था, पर आज रात को उसने हिम्मत करके उसको किस करने की कोशिश की, उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसे उसको झुककर चुंबन देना ही पड़ा। उस भारी-भरकम आदमी के सामने वह बहुत छोटी लग रही थी। ‘गुड लक टॉम, तुमने उसको हराना ही है।’ ‘हाँ, मुझे उनको हराना ही है।’ उसने दोहराया, ‘यही सबकुछ है इस खेल में, मुझे उनको किसी प्रकार हराना ही है।’ उसने उसका कसकर आलिंगन किया और दिल खोलकर हँसा। उसके कंधों के ऊपर से उसने अपने खाली कमरे की ओर देखा। यही उसके पास दुनिया में सबकुछ था। कमरे का किराया भी बहुत दिनों से बकाया था और वह थी तथा बच्चे थे। और वह रात में बाहर जा रहा था, अपनी संगिनी और बच्चों के लिए गोश्त का इंतजाम करने के लिए, उस आधुनिक आदमी की तरह, जो मशीन के ऊपर काम करने जाता है, बल्कि उस आदिवासी आदमी की तरह, जो सुबह अपने घर से शाही, पशु की तरह से फाइट करके, अपने बच्चों और परिवार के लिए भोजन (शिकार) जुटाते थे। ‘मुझे उनको हराना ही है,’ वह धीरे से मन में ही बुदबुदाया। उसकी आवाज में इस बार थोड़ी निराशा की झलक थी, यदि मैं जीत जाता हूँ तो मुझे 30 (तीस) पौंड मिलेंगे और तब मैं अपना सारा उधार चुका सकता हूँ। और यदि मैं हार गया तो मुझे एक पेनी भी नहीं मिलेगा, ताकि मैं ट्राम में बैठकर घर पहुँच जाऊँ। क्लब सेक्रेटरी ने उसे, जो कुछ भी देना था, हारने पर वह रकम मुझे पहले ही दे दी थी, “गुड बाई, मेरी प्यारी पत्नी! यदि यह सीधी-सीधी जीत हुई तो मैं सीधे घर ही आऊँगा।”

“और मैं तुम्हारा इंतजार करूँगी,” उसने हॉल में ही उससे कहा। “मेरा क्लब वहाँ से पूरे 2 मील था और जब वह चलते हुए जा रहा था तो उसे याद आया कि उसके अच्छे दिन कैसे थे! कभी वह ‘हेवी-वेट’ श्रेणी में न्यू साउथ-वेल्स में चैंपियन हुआ करता था और वह कैब में बैठकर मैच के लिए जाया करता था। और किस प्रकार से उसका समर्थन करनेवाला उसके साथ बैठकर वापस कैब में आता था, जिसका किराया भी वही देता था। तब टॉमी बर्न्स और योकीन (अमेरिकन) सिंगर जैक जॉनसन था—वे सब मोटरकार में चला करते थे। वह चल रहा था तथा किसी भी आदमी के लिए दो मील चलकर जाना और फिर फाइट करना अच्छी शुरुआत नहीं थी। वह अब एक बूढ़ा आदमी था और दुनिया बूढ़े लोगों के साथ अच्छे से नहीं चल पाती है। नेकी का काम छोड़कर अब वह किसी काम लायक नहीं रह गया था और उसमें भी उसकी टूटी हुई नाक तथा फूले हुए कान! उसको वहाँ पर भी काम मिलने में दिक्कत थी। वह कोई और काम या ट्रेड सीख लेता तो कितना अच्छा होता, वह सोच रहा था। पर यह उसको किसी ने नहीं बताया। पर अंदर-ही-अंदर उसको यह पता था कि शायद वह उनकी सुनता ही नहीं। इतना आसान था—तेजी से बड़ी-बड़ी मुक्केबाजी-बीच-बीच में आराम करने का और घावों के ठीक होने का समय, प्रशंसकों की एक बड़ी भीड़, हाथ मिलाना और कंधों पर थपकियाँ। कुछ लोग तो उससे पाँच मिनट बातचीत करने के लिए ड्रिंक पिलाने को भी तैयार रहते थे। और उन सबके बीच स्टैंड्स में तमाम जोर-जोर से चिल्लाने की आवाजें और खेल की तूफानी समाप्ति। रेफरी का कहना, “किंग, जीत गया।” और फिर अगले दिन अखबारों के स्पोर्ट्स कॉलम में उसका नाम मैच के परिणाम के साथ।

वह ऐसा समय था, पर अब उसकी समझ में आया, अपनी सुस्त मति से सोचने से, कि वे लोग भी पुराने हो गए थे, जिनको वह रिंग में हरा देता था। वह युवा था और ऊपर चढ़ रहा था तथा वह लोग उम्रदराज थे तथा अब उतार पर थे। कोई आश्चर्य नहीं कि यह उसके लिए आसान था—उनकी नसें सूज गई थीं और उँगलियों की गाँठें भी टूट-फूट गई थीं तथा हड्डियाँ भी कमजोर हो गई थीं, उन तमाम द्वंद्वों से, जो उन लोगों ने लड़ा था, उसने उस समय को याद किया, जब उसने रश-कटर्स में पुराने खिलाड़ी स्टाउशर बिल को हराया था और किस प्रकार से बच्चों की तरह बिल उस रात को ड्रेसिंग रूम में रोया था। हो सकता था कि उसके भी घर का किराया बकाया हो तथा घर में पत्नी और बच्चे हों! और शायद बिल भी उसे दिन मांस (Steak) के एक टुकड़े के बिना भूखा रहा हो! बिल ने पूरी ताकत से खेल खेला था और उसकी बहुत पिटाई भी हुई थी। अब उसको यह सब समझ में आ रहा था, जब वह खुद इस प्रकार की स्थिति में था। उस दिन स्टाउशर बिल ज्यादा दाँव (इनामी राशि) के लिए खेला था। उस रात को, 20 साल पहले, उस युवा टॉम किंग के मुकाबले में, जिसने कि यश और धन के लिए खेला था। वेल शुरू करने के लिए खेल का यही नियम था कि एक आदमी सीमित, इतनी ही ‘फाइट्स’ द्वंद्व खेल सकता था। एक आदमी की सामर्थ्य 100 मुकाबलों की हो सकती है तो दूसरे की केवल 20 मुकाबले की, प्रत्येक खिलाड़ी का खेल इस बात पर निर्भर करता था कि उसके अंदर कितनी ताकत है। जब वह इतने मुकाबले लड़ लेता है तो फिर वह इस खेल के लायक नहीं रहता है। और वह तो अपनी कूबत से ज्यादा मुकाबले लड़ चुका था और उसके हिस्से में जिनको वह रिंग में हरा देता था। वह युवा था और ऊपर चढ़ रहा था तथा वह लोग उम्रदराज थे तथा अब उतार पर थे। कोई आश्चर्य नहीं कि यह उसके लिए आसान था—उनकी नसें सूज गई थीं और उँगलियों की गाँठें भी टूट-फूट गई थीं तथा हड्डियाँ भी कमजोर हो गई थीं, उन तमाम द्वंद्वों से, जो उन लोगों ने लड़ा था, उसने उस समय को याद किया, जब उसने रश-कटर्स में पुराने खिलाड़ी स्टाउशर बिल को हराया था और किस प्रकार से बच्चों की तरह बिल उस रात को ड्रेसिंग रूम में रोया था। हो सकता था कि उसके भी घर का किराया बकाया हो तथा घर में पत्नी और बच्चे हों! और शायद बिल भी उसे दिन मांस (Steak) के एक टुकड़े के बिना भूखा रहा हो! बिल ने पूरी ताकत से खेल खेला था और उसकी बहुत पिटाई भी हुई थी। अब उसको यह सब समझ में आ रहा था, जब वह खुद इस प्रकार की स्थिति में था। उस दिन स्टाउशर बिल ज्यादा दाँव (इनामी राशि) के लिए खेला था। उस रात को, 20 साल पहले, उस युवा टॉम किंग के मुकाबले में, जिसने कि यश और धन के लिए खेला था। वेल शुरू करने के लिए खेल का यही नियम था कि एक आदमी सीमित, इतनी ही ‘फाइट्स’ द्वंद्व खेल सकता था। एक आदमी की सामर्थ्य 100 मुकाबलों की हो सकती है तो दूसरे की केवल 20 मुकाबले की, प्रत्येक खिलाड़ी का खेल इस बात पर निर्भर करता था कि उसके अंदर कितनी ताकत है। जब वह इतने मुकाबले लड़ लेता है तो फिर वह इस खेल के लायक नहीं रहता है। और वह तो अपनी कूबत से ज्यादा मुकाबले लड़ चुका था और उसके हिस्से में तमाम कठिन और संघर्षपूर्ण लड़ाइयाँ आ चुकी थीं, जिससे उसके दिल और फेफड़े ज्यादा-से-ज्यादा काम कर चुके थे और अब लगता है कि उसके फेफड़े और दिल फट जाएँगे, जिससे हमारी धमनियों का लचीलापन खत्म हो जाएगा और उसमें गाठें पड़ गईं, जो उस युवा की पतली नसों की ताकत भी कम पड़ गई थी। उसका दिमाग और हड्डियाँ सब अब घिस-पिट गए थे, अधिक सहने के कारण; हाँ, उसने उन सबसे बेहतर किया था। अब उसके कोई भी पुराने लड़नेवाले पार्टनर्स नहीं रह गए थे। वे सब अब खत्म हो गए थे और कुछ के खत्म होने में उसका भी हाथ था।

उन्होंने उसको पुराने साथियों के साथ भी लड़ाया, पर एक-एक करके उसने उन सबको परास्त कर दिया—हँसते हुए। उसी प्रकार वे ड्रेसिंग रूम में जाकर रोए थे, जैसे कि स्टाउशर उस दिन ड्रेसिंग रूम में रो रहा था। और अब वह पुराना पड़ गया था और वे उसके खिलाफ युवा लड़कों को लड़वा रहा था। अब यह लड़का सैंडल, जो न्यूजीलैंड से आया था और कई रिकार्डधारी था, पर उसके बारे में ऑस्ट्रेलिया में किसी को कुछ भी पता नहीं था, अतएव उसी को उन्होंने टॉम सैंडल के खिलाफ खड़ा कर दिया था। अगर सैंडल ने अच्छा प्रदर्शन किया तो फिर आगे उसे बेहतर मुक्केबाजों के साथ लड़वाएँगे। यदि टॉम किंग ने अच्छा खेल दिखाया तो फिर उसे बेहतर इनामी राशि मिल सकती थी। अतएव यह पता था कि घमासान लड़ाई होनेवाली थी। सैंडल की इस लड़ाई से—धन, राश और एक अच्छा कॅरियर तथा टॉम किंग एक पुरानी सफेद बालों वाला एक पुराना चैपिंग-ब्लॉक, जो प्रसिद्धि और भाग्य के हाइवे की रक्षा कर रहा था। उसके पास कुछ भी नहीं था तथा उसको और कुछ नहीं चाहिए था, 30 डॉलर के अलावा, जिससे उसको मकान मालिक का किराया और बनिया का उधार चुकाना था। टॉम किंग इसी प्रकार से भावशून्य आखों से सोच-विचार कर रहा था। उसको अपनी जवानी के दिन याद आ रहे थे, जब वह एक यशस्वी युवा था, जोकि ऊपर को उठ रहा था और अभेद्य उसकी मांसपेशियाँ लचीली थीं और त्वचा सिल्क की तरह मुलायम। उसके दिल और फेफड़े की मांसपेशियाँ, जो कभी भी थकी हुई और फटी हुई नहीं थीं और वह अपनी कोशिशों की सीमा पर हँस रही थीं। जगनी एक (Nemesis) अर्थात् पाप का दंड देनेवाली देवी थी। उसने पुराने लोगों को खत्म कर दिया था, बिना इस बात की परवाह किए कि इस प्रक्रिया में वह खुद भी नष्ट हो रहा था। इससे उसकी रक्त की धमनियाँ बढ़ गई थीं और उसकी उँगलियों की गाठें कुचल गई थीं। जवानी (Youth) द्वारा नष्ट कर दी गई थी, क्योंकि युवावस्था (Youth) हमेशा जवाँ-भरी होती है। यह तो अपनी आयु है, जो बढ़ती रहती है।

कैसलरीय स्ट्रीट पर वह बाएँ मुड़ गया और वहाँ से 3 ब्लॉक दूर ग्रयटी क्लब था, जहाँ उसका मैच होना था। यहाँ भी गेट पर कई लड़के खड़े थे, जिन्होंने उसको पहचानकर आदर से अंदर जाने का रास्ता दे दिया। उन्होंने एक-दूसरे से कहा, ‘यह टॉम किंग है।’

अंदर ड्रेसिंग रूम में जाते समय वह सेक्रेटरी से मिल लिया, जो युवा था तथा जिसकी आँखें बड़ी तेज थीं और चेहरे से चालाकी टपकती थी। उसने उससे हाथ मिलाते हुए पूछा, “आप कैसा महसूस कर रहे हैं, टॉम?” “बिल्कुल फिट और फाइन।” किंग ने कहा; पर उसको अंदर से पता था कि यदि उसके पास कुछ पैसे होते तो वहीं पर स्टीफ का एक टुकड़ा लेकर खा लेता।

जब वह ड्रेसिंग रूम से बाहर निकला तो उसके सहायक उसके पीछे-पीछे चल रहे थे तथा उसके साथ हॉल में बने वर्गाकार रिंग तक आए। बैठी हुई भीड़ ने उसका तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया। उसने उनके सैल्यूट का दाएँ-बाएँ हाथ हिलाकर जवाब दिया, यद्यपि वह कुछ ही लोगों को पहचान पाया, क्योंकि भीड़ में अधिकतर लोग युवा थे, जो उस वक्त संभवतः पैदा भी नहीं हुए थे, जब वह अपनी प्रतियोगिताएँ जीत रहा था। वह थोड़ा सा कूदकर उस प्लेटफॉर्म पर चढ़ गया, जिस पर रिंग बना हुआ था तथा रस्सी के उस फोल्डिंग स्टूल पर बैठ गया। जैक बाल रेफरी ने उसके पास आकर उससे हाथ मिलाया। उसे खुशी हुई कि उसे रेफरी जैक बाल मिला था, जो उसे पहले से ही जानता था और पुराना खिलाड़ी था, जिसे कई जगह चोट लगी हुई थी। बाल एकछत्र विश्व मुक्केबाज था और उतने सालों से वह कभी रिंग में उतरा नहीं था। उसको उम्मीद थी कि वह उसके साथ नरमी से बरताव करेगा। उसे भरोसा दिया बाल ने तथा महत्त्वकांक्षी युवा भारी वजनवाले मुक्केबाज भी एक-एक करके रिंग में चढ़ रहे थे और वे रेफरी द्वारा दर्शकों के सामने परिचय के साथ पेश किए जा रहे थे। साथ में उन लोगों को भी, जो उन्हें चुनौती देनेवाले थे।

“युवा प्रोटो”, बिल ने घोषित किया, “सिडनी से 50 पौंड के लिए जीतनेवाले को चुनौती दे रहा है।”

दर्शकों ने तालियाँ बजाईं और दुबारा फिर बजाईं, जब सैंडल रस्सियों के बीच से कूदकर और एक कोने में बैठ गया। टॉम किंग ने भी बहुत जिज्ञासा से अपने कोने से देखा; कुछ ही मिनट बाद वे मुक्केबाजी में एक-दूसरे के सामने होंगे। निर्दयता से, उसमें से प्रत्येक एक-दूसरे को दयाहीनता से हराने की पूरी कोशिश करेगा। पर वह ज्यादा कुछ नहीं देख सका, क्योंकि सैंडल ने अपने कास्ट्यूम के ऊपर स्वेटर और पैंट पहन रखी थी। उसका चेहरा बहुत ही खूबसूरत था और सर पर पीले रंग के बाल थे। उसकी गरदन मोटी मांसल थी, जिससे उसके सारे शरीर का पता चलता था।

युवा प्रोटो, रिंग के एक कोने तक प्रिंसिपल्स से हाथ मिलाते हुए गया और फिर रिंग के बाहर कूद गया। उसके बाद फिर एक बार चुनौतियों की घोषणा हुई। एवरयूथ कूदकर आया। यूथ को जहाँ कोई नहीं जानता था, पर उसकी प्यास बुझी नहीं थी, जो मानवता के सामने चीख-चीखकर कह रही थी कि अपनी शक्ति और कौशल के बल पर वह किसी भी विजेता की वाह-वाही कर सकता था। कुछ सालों पहले टॉम किंग भी यह सोचता था कि अपने अच्छे दिनों में वह अभेद्य था। टॉम किंग मन-ही-मन हँसता तथा इस तरह की औपचारिकताओं से बोर हो जाता था। परंतु अभी वह मंत्रमुग्ध था तथा ‘यूथ’ की छवि को अपने मन में उतारने से हटा नहीं पा रहा था। पर यह तो जवान लोग थे तथा मुक्केबाजी के उभरते हुए खिलाड़ी। वे पुराने खिलाडि़यों के शरीर के ऊपर चढ़कर ऊपर उठना चाहते थे तथा वे हमेशा आए जा रहे थे—युवा लोग, जिनकी प्यास जीत के लिए अभी बुझी नहीं थी तथा वे चिल्ला-चिल्लाकर चुनौती दे रहे थे और हमेशा ही पुराने मुक्केबाजों को धराशायी कर देते थे। इस प्रक्रिया में वे भी पुराने पड़ जाते थे तथा ढलान के रास्ते पर चल निकलते थे। जबकि उनके ऊपर भी हमेशा की भाँति शाश्वत जवाँ लोग, नए-नए युवा लोग अपने से बुजुर्ग खिलाडि़यों को हराने में लगे रहते थे—और उनके पीछे भी और नए-नए बच्चे आते जा रहे थे और यह चक्र यों ही अनवरत चलता रहता है, कभी समाप्त नहीं होता है।

किंग ने प्रेस-बॉक्स की ओर देखा और स्पोर्ट्समैन के. मोर्गन और रेफरी के. कॉर्वेर को हाथ हिलाकर अभिवादन किया। फिर उसने अपना हाथ आगे को किया तथा जब डेढ़ सेंकेड्स (सहायक) उसको ग्लव्स (दस्ताने) पहना रहे थे और उसके फीते को कस रहे थे। जिसको काफी नजदीकी से सैंडल का सेकंड ध्यान से देख रहा था तथा सैंडल को भी ग्लव्स पहना रहा था। सैंडल का ट्राउजर उतार दिया गया था और जैसे-जैसे वह आगे बढ़ रहा था, उसका स्वेटर भी उतार दिया गया था। अब टॉम किंग जो देख रहा था, वह भरपूर यौवन का अवतार था, गहरी छाती, भारी-उभरी नसें और ऐसी कसी हुई मांसपेशियाँ, जैसे कि उनके ऊपर से सिल्क फिसल जाएगा। उसका सार शरीर जीवंत था तथा टॉम किंग यह जानता था कि वह एक ऐसा जीवन था, जिसकी ताजगी कभी भी रिस-रिसकर बाहर नहीं आई थी लंबी-लंबी द्वंद्वो के बीच से, जबकि उसकी जवानी धीरे-धीरे उसका खामियाजा भुगत रही थी, वह जवानी जोकि जितनी जल्दी आई, उतनी ही जल्दी चली गई। वह दोनों आदमी एक-दूसरे से मिलने आगे बढ़े और जैसे ही घंटा बजा और उनके सहायक अपने-अपने फोल्डिंग स्टूल लेकर बाहर निकले, उन दोनों प्रतिद्वंद्वियों ने हाथ मिलाया और फिर तुरंत ही लड़ाई की मुद्रा में आ गए, जैसे कि स्टील और स्प्रिंग का कोई यंत्र हो, जो किसी हेयर ट्रिगर पर संतुलन में हो। सैंडल बार-बार उसको घूँसे पर घूँसे मार रहा था, कभी बाएँ से आँखों पर तो कभी दाएँ से पसलियों पर और जब उस पर कोई वार किया जाता तो वह उसे नीचे झुककर डक कर जाता था तथा शैतानी से नाचते हुए पीछे को हो जाता था। वह बहुत तेज तथा चालाक था, उसका प्रदर्शन बहुत चमकदार था। सारे दर्शकगणों ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया। परंतु इन सब चीजों का कोई असर नहीं पड़ा था। उसने बहुत मुकाबले लड़े थे और कई युवाओं से भी वह जानता था कि यह घूँसे कितने जोरदार थे और बहुत तेज तथा निपुण तथा कितने खतरनाक थे। यह साफ था कि सैंडल शुरू से ही जल्दी से गेम खत्म करना चाहता था। आशा की जा रही थी, जवान लोग की सोच ऐसी ही होती है। वह अपना सारा जलवा तथा अपना सारा कौशल अपनी भयानक आक्रामकता, उसकी तो आशा थी ही। जवानी अपने सारे वैभव पर थी और अपनी उत्कृष्टता तथा जंगली प्रदर्शन से वह अपने विरोधी पर हावी हो जाता था, अपनी महिमा, ताकत तथा इच्छा-शक्ति पर सैंडल रिंग में यहाँ-वहाँ सब जगह था, अंदर-बाहर, क्योंकि वह हलके-पाँवों वाला और उत्सुक दिलवाला था—वह सफेद मांस और बुझनेवाली मशाल का जीवित आश्चर्य था। इन सबके बल पर वह अपने प्रतिद्वंद्वी पर तगड़ा हमला बोलता था। वह एक उड़ती हुई चिडि़या (शटल) की तरह एक प्रकार के ऐक्शन से दूसरे प्रकार के ऐक्शन में चला जाता, यानी अपनी फुरती से अपना पैंतरा बदल लेता था। इस प्रकार से वह टॉम किंग को हराने के लिए हजारों पैंतरों, दाँव-पेंचों का प्रयोग करता था। वहीं टॉम किंग, जो उसके और उसके भाग्य के बीच में था। और टॉम किंग उसके प्रहारों को धैर्यपूर्वक सहन कर रहा था। उसको अपना काम पता था। उसको यह भी पता था कि जवानी क्या थी और अब उसकी युवावस्था नहीं थी। वह यह सोच रहा था कि सामनेवाले आदमी की गरमी थोड़ी शांत हो जाए, वह यही सब सोच रहा था, जबकि सैंडल उसको सिर पर एक तगड़ा घूँसा मारनेवाला था, पर यह उसे ‘डक’ कर गया। बॉक्सिंग के खेल में यह एक दुष्टता का दाँव था, पर इसकी अनुमति थी। यदि कोई आदमी अपने पोरों (Knuckles) या उँगलियों की गाँठों को घायल करना चाहता था, दूसरे खिलाड़ी के सिर पर घूँसा मारकर तो यह उसका मामला था और ऐसा करके वह अपना ही नुकसान करता था। किंग और नीचे झुककर उस घूँसे को बिल्कुल ही बचा सकता था, पर उसे याद आया कि उसने अपने पहले ही मुकाबले में किस प्रकार से वेल्श टेरर के सिर पर घूँसा मारा था और अपनी ही पहली उँगली की गाँठ को काफी घायल कर लिया था। सैंडल ने इसको कुछ नहीं माना और उसी स्फूर्ति और तेजी से उस पर वार करने लगा। पर जब रिंग में लंबी और बड़ी लड़ाइयाँ लड़ी जाएँगी, तब वह याद करेगा कि किंग के सिर पर मारकर उसने कितनी बड़ी भूल की थी। पहला राउंड सैंडल के नाम रहा और दर्शकों ने जोरदार तालियों से उसका अभिवादन किया, उसने किंग पर दमा-दम कई बार किए और किंग ने कुछ भी नहीं किया, पलटवार नहीं किया। बस, अपने को बचाने की कोशिश करता रहा। कभी ब्लॉक कर देता तो कभी डक कर देता या फिर क्लिव कर देता, जिससे उसको सजा नहीं मिले। कभी-कभी तो वह लगभग बेहोश तथा सिर हिलाता था, जब कोई ‘पंच’ उसके ऊपर पड़ता और भावशून्य इधर-उधर हट जाता, वह कभी भी उछलता-कूदता नहीं था, जिससे उसकी थोड़ी भी शक्ति व्यर्थ न जाए। सैंडल की जवानी का जोश थोड़ा घट जाए, तभी वह वापसी कर पाएगा। किंग की सभी चालें बहुत सुस्त तरीके से और भारी कदम वाली थीं। उसकी आँखों की धीमी गति चलने से प्रतीत होता था कि वह या तो उनींदा था या फिर स्तब्ध था। फिर भी वे ऐसी आँखें थीं, जो हर चीज देखने के लिए ट्रेंड या प्रशिक्षित की गई थीं—रिंग में अपने 20 साल के तजुर्बे से। वे ऐसी आँखें नहीं थीं, जोकि एक आनेवाले मुक्के के साथ हिल जाए या पलक झपकाएँ, फिर भी वे शांति से दूरी को देख लेती थीं और अपने सामने की दूरी को भी नाप लेती थीं।

अपने कोने में एक मिनट के आराम के लिए बैठा पैर फैलाकर, उसकी बाँहें समकोण पर रिंग की रस्सियों पर आराम करती हुई, उसका पेट और छाती पूरी तरह ऊपर-नीचे होती हुई और वह उस हवा को अंदर ले रहा था, जो उसके सहायकों द्वारा टॉवेल को हिलाने से आ रही थी। वह बंद आँखों से उन आवाजों को सुन रहा था, “टॉम, आज आप फाइट क्यों नहीं कर रहे, टॉम?” “क्या तुम उससे डर रहे हो?”

“उसकी मसल्स अब जकड़ गई हैं,” सामने की सीट पर बैठे उसने एक आदमी को कहते सुना, “वह जल्दी नहीं ‘मूव’ कर सकता। सैंडल के दो घूँसे के बदले वह एक ही घूँसा मार पाता है।”

घंटी बजी और सैंडल फुरती से चलते हुए तीन-चौथाई दूरी पर आ गया, जबकि किंग केवल छोटी दूरी एक-चौथाई चलने में ही संतुष्ट था। यह उसकी अपनी ताकत बचाने की कोशिश थी। उसको ठीक से ट्रेनिंग भी नहीं मिली थी और खाने को भी पर्याप्त नहीं मिला था, इसके अलावा वह दो मील पैदल चलकर भी आया था। यह राउंड भी पहले राउंड की ही तरह था। सैंडल आँधी-तूफान की तरह उस पर हमला बोल रहा था और दर्शकगण गुस्से से बार-बार आवाजें उठा रहे थे कि किंग क्यों नहीं काउंटर अटैक या पलटवार कर रहा था? परंतु मिथ्याभ्रम और कुछ सुस्त से मुक्के के अलावा कुछ नहीं कर रहा था। जबकि सैंडल चाहता था कि खेल की रफ्तार बढ़े, पर किंग अपनी बुद्धिमत्ता के अनुसार उसका साथ नहीं दे पा रहा था, रिंग में अपने पिटे-पिटाए चेहरे से बस वह उदासी भरी खीसें निपोर रहा था और इस प्रकार से वह अपनी इस उम्र में बची-खुची ताकत को बचा रहा था। सैंडल अभी जवान था तो अभी जवानी के जोश में वह उदारता से अपने घूँसे उस पर बरसा रहा था। किंग एक जनरल की भाँति था और उसको बुद्धिमत्ता सासें लंबी-लंबी दर्द भरी लड़ाइयों का परिणाम थीं। वह ठंडी आँखें तथा सिर से देख रहा था कि कब सैंडल का जोश कम हो! अधिकतर दर्शक यह महसूस कर रहे थे कि सैंडल किंग पर भारी पड़ रहा था। और उन्होंने सैंडल को 3:1 चांस दिया था, पर फिर भी कुछ ऐसे लोग थे, जो किंग के प्रदर्शन जानते थे, वे उसको भाव दे रहे थे।

तीसरा चक्र भी पहले की भाँति चल रहा था। एक तरफ सैंडल आगे चल रहा था, जो अब तक किंग को सजा दे रहा था, पिटाई कर रहा था। सैंडल ने आधे मिनट बाद थोड़ा सा खेल में ढील दे दी, किंग तो इसी मौके की तलाश में था और उसी वक्त उसका दायाँ हाथ हवा में लहराया और उसने अपने दाएँ हाथ से एक कसकर घूँसा मारा। एक ‘हुक’ मुक्का दाहिने को हाथ कड़ा रखने के लिए थोड़ा सा मुड़ा हुआ था और उस पर उसके पूरे शरीर का भार था। ऐसा लग रहा था जैसे कि एक सोए हुए शेर ने आँखें खोलीं और बिजली सी फुरती के साथ सैंडल पर हमला कर दिया था। उसके जबड़े की साइड में काफी चोट आ गई थी और वह एक बैल की भाँति गिर पड़ा था। दर्शक स्तब्ध रह गए थे और डरते-डरते उन्होंने तालियाँ बजाईं, कहा कि ‘जो कुछ भी हो, यह आदमी ‘मसल बाउंड’ नहीं है और वह ट्रिप हैमर (हथौड़े) की तरह घूँसा मार सकता है।’

सैंडल हिल गया था। उसने लेटकर उठना चाहा, पर उसके सहायकों ने उसे ऐसा करने से रोक दिया तथा गिनती लेने का इशारा किया। वह एक घुटने पर झुक गया, उठने के लिए तैयार हो गया, रेफरी उसके कान पर जाकर सेकंड्स गिनने लगा। नौ की गिनती पर वह उठ खड़ा हुआ, टॉम किंग से लड़ने की मुद्रा में। टॉम किंग को पता था कि उसका मुक्का यदि उसके जबड़े के एक इंच और पास होता तो वह जीत जाता, वह ‘नॉक आउट’ होता और वह 30 पाउंड लेकर अपनी पत्नी तथा बच्चों के पास पहुँच जाता।

यह चक्र अगले 3 मिनट तक चलता रहा। सैंडल पहली बार अपने विरोधी को आदर की दृष्टि से देख रहा था। किंग के

मूवमेंट अभी भी सुस्त और आँखें उनींदी सी। वह इस बात से चेत गया था कि उसके सहायक रिंग के बाहर घुटने टेककर खड़े थे, कूदकर अंदर आने के लिए, इसलिए उसने इस द्वंद्व को ऐसे खत्म किया, जिससे वह अपने कॉर्नर (कोने) पर पहुँच जाए तथा स्टूल पर बैठ जाए। और जब घंटी बजी, तब वह जल्दी से स्टूल पर बैठ गया, जबकि सैंडल को काफी चलकर अपने कोने तक पहुँचना पड़ा। यह छोटी-छोटी बातें बहुत काम आती हैं। वह ज्यादा आराम कर पाया और सैंडल को ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ी तथा आराम के एक मिनट में से काफी समय निकल गया। प्रत्येक राउंड के शुरुआत में किंग स्टूल पर से उठकर धीरे-धीरे चलता था, जबकि सैंडल को उतनी दूर और चलकर उसके पास पहुँचना पड़ता था। ऐसे ही हरेक राउंड के खत्म होने पर अपने कोने पर पहुँचने की कोशिश करता था और तुरंत बैठ जाता था।

इस प्रकार से दो और ‘चक्र’ निकल गए। किंग ज्यादा कोशिश नहीं कर रहा था कि वह कुछ तेजी से खेले, परंतु किंग को यह सुखद नहीं लग रहा था, क्योंकि जो तमाम मुक्के उसे मारे जा रहे थे, वह उसे जहाँ-तहाँ लग ही रहे थे, परंतु किंग अपने सुस्तीपने में डटा रहा, जबकि युवा गर्मजोश दर्शक उसे उकसा रहे थे कि वह भी तेजी से खेले। फिर छठे राउंड में भी सैंडल एक क्षण को लापरवाह हुआ कि किंग ने उसके जबड़े पर मुक्का दे मारा। फिर से सैंडल नौ की गिनती तक पड़ा रहा और फिर उठ खड़ा हुआ।

नौवें राउंड तक सैंडल के चेहरे का गुलाबीपन जाता रहा था और अब वह उस द्वंद्व के लिए तैयार हो रहा था, जो इन मुकाबलों का सबसे कठिन मुकाबला होनेवाला था। टॉम किंग एक पुराना मँजा हुआ खिलाड़ी था, पर उससे कहीं ज्यादा, जितना कि उसने कल्पना की थी। एक ऐसा पुराना खिलाड़ी, जिसकी अक्ल ठिकाने पर रहती थी, जो कि असाधारण रूप से अपनी रक्षा कर रहा था तथा जिसके नॉटेड क्लब के मुक्केबाजी ने उसे लगभग दो बार नॉक ऑउट कर ही दिया था। पर फिर भी टॉम किंग को यह साहस नहीं हो पा रहा था कि वह सैंडल पर जल्दी-जल्दी हमला बोले। टॉम अपने क्षत-विक्षत नकल्स (Knuckles) को भूला नहीं था तथा उसका यह मानना था कि उसे पूरे खेल में बने रहना है तो उसे अपने Knuckles को बचाकर रखना पड़ेगा और उसका हिट गिना जाए। जब वह अपने कॉर्नर में बैठा अपने विरोधी की ओर देखते हुए सोच रहा था कि उसके पास बुद्धिमत्ता और चतुराई है तो उसके पास जवानी है, जो एक वरदान है; और यदि दोनों को (अनुभव + जवानी) को मिला दिया जाए तो दुनिया का सबसे ताकतवर मुक्केबाजी के भारी वजन में विश्व चैंपियन तैयार हो जाए।

किंग वह सब फायदा उठा रहा था, जो वह ले सकता था। वह ‘क्लिंच’ करने का कोई मौका नहीं छोड़ता था; और जब वह क्लिंच (Clinch) करता था, तब वह अपने कंधों से अपने विरोधी की पसलियों पर हमला कर रहा होता है। रिंग के दर्शन में ‘क्लिंच’ भी उतना प्रभावी होता है, जितना कि मुक्का पंच करना, क्योंकि उससे विरोधी को जो क्षति पहुँचती है, वह उसकी कोशिश से कहीं ज्यादा होती है। और क्लिंच करते समय वह अपना सारा भार भी विरोधी पर डाल देता था और फिर उसको छूटकर जाने नहीं देता था। इससे रेफरी को हमेशा उन दोनों को अलग करना पड़ता था, जिसमें सैंडल उसकी सहायता करता था, क्योंकि सैंडल ने अभी तक विश्राम करना नहीं सीखा था। उसकी लहराती हुई भुजाएँ और बाँहों को मोड़नेवाली तगड़ी ‘मसल्स’ (मांसपेशियाँ) और जब दूसरा आदमी क्लिंच करने के लिए भागकर कंधे को पसलियों पर मारता हुआ और उसका सिर सैंडल के बाएँ हाथ के नीचे होता, तब सैंडल हमेशा यह कोशिश करता कि वह अपने दाएँ हाथ को पीछे ले जाकर उसके बाहर निकले हुए मुँह पर वार करे। यह बहुत चालाकी भरी चाल थी, जो उसके दर्शकगण बहुत सराहते थे, पर वह स्ट्रोक इतना खतरनाक भी नहीं था। एक तरह से यह एक बेकार का स्ट्रोक था। पर सैंडल थका नहीं था और किंग खिसियाता हुए उसे स्वीकार कर लेता था।

सैंडल ने अपने शरीर को बहुत कस लिया, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि किंग केशरी को बहुत चोटें पहुँचाई गई थीं। केवल पुराने शातिर खिलाड़ी यह जान सकते थे कि किंग कितनी होशियारी से अपने बाएँ दस्ताने से सैंडल के हँसुली पर वार कर रहा था; पर बाइसेप्स (हँसुली) पर मुक्का पड़ने से उसका असर (शक्ति) कम हो जाता था। नौवें चक्र में ऐसा हुआ कि तीन बार किंग का मुक्का सैंडल के जबड़े पर लगा और चूँकि सैंडल का शरीर भारी था और वह मैट पर गिर पड़ता था, पर प्रत्येक बार वह नियत 9 सेकंड के बाद उठ खड़ा होता था, अच्छी तरह हिला हुआ और जबड़े भिंचे हुए; पर अब भी वह ताकतवर था। उसकी तेजी थोड़ी कम पड़ गई थी और अपनी कोशिश कम बरबाद होने देता था। वह अब निर्दयता से लड़ रहा था और उसका जो मुख्य गुण था, जवानी, उससे वह अपनी ताकत ले रहा था, जबकि किंग का सबसे बड़ा गुण था अनुभव और वह उसके भरोसे खेल रहा था, क्योंकि उसकी शक्ति कम हो गई थी और ओज भी कम हो गया था, अतएव उसने थोड़ी चालाकी से काम लेना शुरू कर दिया था तथा बुद्धि से, जो उसको बार-बार द्वंद्व करने से पैदा हो गई थी तथा वह सावधानी से अपनी ताकत को इस्तेमाल करता था। केवल उसने यह सीख लिया था कि वह कोई बेकार जानेवाला दाँव न खेले, पर वह यह भी कोशिश करता था कि उसका विरोधी अपनी ताकत को इधर-उधर जाया करे। बार-बार वह अपने पैर और शरीर को ऐसे छद्म तरीके से ‘मूव’ करता था, जिससे कि उसके विरोधी को या तो डक पड़ता था या फिर उसको उलट वार करना पड़ता था; किंग बीच-बीच में आराम कर लेता था, पर सैंडल को आराम नहीं करने देता था। यह भी उसकी एक चाल थी।

दसवें राउंड में शुरू-शुरू में ही सैंडल चेहरे पर बाईं ओर वार करता था। सैंडल इससे थक गया था और वह अपने बाएँ चेहरे को खींच लेता था या डक कर देता था और फिर उसने अपने दाएँ हाथ से उसके सिर पर बाईं ओर जोर से स्विंगिंग हुक वार किया। इतनी ऊर्जा का यह नहीं था कि प्राणघातक हमला हो, पर फिर भी उसके (किंग के) आँखों के आगे अँधेरा छा गया और कुछ मिनटों के लिए वह बेहोश हो गया। उसका परिचित ब्लैक ऑउट हो गया था। कुछ क्षणमात्र के लिए वह मृतप्राय हो गया था। उसने देखा कि उसका विरोधी एक क्षण के लिए सफेद पृष्ठभूमि में एक काली छाया की तरह प्रतीत हो रहा है। उसने दुबारा यही दृश्य देखा। सफेद पृष्ठभूमि में कुछ धुँधले से चेहरों की छवियाँ! ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह कुछ पल के लिए सो गया हो तथा गिरने के लिए कुछ भी समय नहीं बचा था। दर्शकों ने देखा कि वह लड़खड़ाया तथा उसके घुटने मुड़ गए, पर वह जल्दी से अपनी पोजीशन पर खड़ा हो गया, पर इतनी जल्दी भी नहीं कि वह अपनी ठुड्डी को अपने कंधे के साए में छिपा सके।

सैंडल ने अपना यह वार कई बार दुहराया, जिससे कि किंग का थोड़ी देर के लिए सिर चकरा जाता था, फिर उसे अपनी रक्षा का उपाय सूझ गया था, जिसके लिए उसने डेढ़ कदम पीछे हटकर दाएँ हाथ का नाटक करते हुए, बाएँ हाथ से जबरदस्त वार किया था। उसकी टाइमिंग इतनी सही थी कि सैंडल के चेहरे पर बड़ी जोर से पड़ा। यह फुल स्विंगिंग वार था, जो बड़ी जोर से उसके चेहरे पर पड़ा तथा सैंडल हवा में उछल गया था। और फिर पीछे को घूमकर खड़ा हो गया, फिर उसका सिर और कंधा मैट से टकराया। किंग ने ऐसा दो बार किया और फिर खुले शेर की तरह उसने सैंडल पर मुक्कों की बौछार कर दी तथा उसको पीछे रस्सी की ओर ढकेल दिया। उसने सैंडल को थोड़ा समय आराम के लिए दिया और फिर वह जैसे ही उठा, उसके ऊपर घूँसों की बौछार कर दी। सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। पर सैंडल की ताकत और सहनशक्ति गजब की थी और वह अपने पाँवों पर खड़ा रहा। एक नॉक-ऑउट बिल्कुल तय था तथा पुलिस का एक कैप्टन, जोकि भयानक सजा से भौचक्का रह गया था, वह इस फाइट को रोकने के लिए आगे बढ़ा। उसी वक्त राउंड खत्म करने के लिए घंटा बजा और सैंडल लड़खड़ाते हुए अपने कोने की ओर बढ़ा। उसने पुलिस कैप्टन का प्रतिवाद किया तथा दो बैक एयर-स्प्रिंग फेंके, जिससे पुलिस कैप्टन ने अपनी जिद छोड़ दी।

टॉम किंग अपने कोने में जाकर खड़ा हो गया था तथा इस बात पर निराश था कि यदि यह फाइट रोक दी गई होती तो रेफरी उसके पक्ष में फैसला दे देता और पर्स उसका होता। सैंडल अपनी महिमा और कॅरियर के लिए लड़ रहा था, जबकि वह केवल पैसों और परिवार के भोजन के लिए लड़ रहा था। और अब इस एक मिनट के विश्राम में वह पुनः अपनी ताकत पा लेगा।

‘युवावस्था की जीत होगी’—यह कहावत उसके मन में कौंध गई और उसने वह दिन याद किया, जब उसने पहली बार यह कहावत सुनी थी। वह रात, जब उसने स्टॉउदर विल को धराशायी किया था। वह सुवस्त्रधारी आदमी, जिसने फाइट के बाद उसको ड्रिंक लाकर दी थी। उसने कहा था—“Youth will be Served”। वह आदमी सही था। और उस रात को वह द्वंद्व जीत गया था, जवानी की जीत हुई थी। आज युवा आदमी सामने कोने में खड़ा था। जहाँ तक उसका सवाल था, वह अब बूढ़ा आदमी था और पिछले आधे घंटे से वह लड़ रहा था। यदि वह सैंडल की तरह लड़ता तो वह 15 मिनट से अधिक नहीं ठहर पाता। पर मुद्दा यह था कि अभी उसने दुबारा से वह शक्ति वापस नहीं पाई थी। वे तनी हुई धमनियाँ और दुर्बल हृदय ने उसको राउंड्स के बीच में होती है—उसमें वह अपेक्षित लाभ नहीं ले पाया था। अगला राउंड लड़ने के लिए उसके पास ताकत नहीं बची थी। उसके पाँव भारी हो रहे थे और उनमें अकड़न भी आ गई थी। उसको दो मील चलकर नहीं आना चाहिए था तथा वह गोश्त भी उसे नहीं मिला था, जिसकी उसे इच्छा थी। उस सुबह उसके मन में उस कसाई के प्रति बहुत घृणा हो गई थी, जिसने उसे सुबह उधार पर गोश्त नहीं दिया था। एक बूढ़े आदमी से कैसे आशा की जा सकती थी, वह आधे पेट मुक्केबाजी के लिए जाए? गोश्त का एक टुकड़ा कितना जरूरी था, केवल कुछ ही पेनी का होता है, पर उसके लिए तो वह तीस पौंड के बराबर था।

जब ग्यारहवें चक्र के लिए घंटा बजा तो सैंडल भागकर आया और उस ताजगी के साथ, जो उसकी नहीं थी। किंग जान गया था कि यह एक ‘ब्लफ’ था, जोकि इतना पुराना था, जितना कि खेल था। वह सिकुड़ गया, स्वयं को बचाने के लिए, फिर एकदम से उसने स्वयं को आजाद छोड़ दिया, जिससे कि सैंडल को सेट होने का मौका मिल गया। यही किंग को चाहिए था। उसने अपने बाएँ हाथ से वार करने का दिखावा किया तथा दाएँ हाथ से उस पर प्रहार किया। हवा में लहराता हुआ हुक, फिर आधा कदम पीछे हटता हुआ और फुल-कट उसके चेहरे पर घूँसा मारा और सैंडल चटाई पर धराशायी हो गया। इसके बाद उसने सैंडल को आराम नहीं करने दिया तथा उसके ऊपर दनादन घूँसे बरसाता रहा और बीच-बीच में उस पर भी घूँसे बरसते रहे; पर उसने सैंडल की कहीं ज्यादा पिटाई की और उसको रस्सी के पास भेज दिया तथा उसके ऊपर हर तरह के घूँसे बरसाए, उसके क्लिंचेज से बचते हुए या कोशिश किए गए को पंच-आउट करते हुए और जब सैंडल गिर जाता था, तब उसे एक हाथ से ऊपर उठाते हुए, दूसरे हाथ से फिर स्मैश करता है, रस्सियों के पास धक्का देता, पर इस बार वह गिरता नहीं है।

इस वक्त तक भीड़ पागल सी हो गई थी और चिल्ला रही थी, “कम ऑन टॉम”, “गॉट हिम, गॉट हिम”, “यू हैव गॉट हिम”, “टॉम, यू हैव गॉट हिम” (तुम उसके ऊपर हावी हो गए हो।) यह एक तूफानी फिनिश था और रिंग साइड दर्शक चाहते भी थे, जिसके लिए उन्होंने पैसों का भुगतान किया था। और टॉम किंग, जिसको अपनी शक्तियों को बनाए रखने के लिए आधा घंटा मिल गया था। उसने अपनी सारी शक्ति लगा दी और उसने चतुराई से कुछ ताकत बचाई, जो उसको पता था, वह एक महान् कोशिश में लगा था। उसको यह पता था कि या तो अभी या कभी नहीं। उसकी ताकत तेजी से घटती जा रही थी और जल्द ही खत्म हो जा जाएगी और इसके पहले उसको अपने विरोधी को 10 की गिनती तक धराशायी कर देना था। उसने शांत दिमाग से मुक्के मारने जारी रखा। उसे अपने मुक्कों का वजन और उनका गुण पता था। उसको यह भी पता चल गया था कि सैंडल को नॉक ऑउट (हराना) करना बहुत मुश्किल है। उसकी शक्ति और सहनशक्ति, जवानी की ताकत थी। सैंडल को वास्तव में एक महान् आदमी बनना था। सफल योद्धा इसी प्रकार के तूफानी गुणों से बनते हैं।

सैंडल फिरकी की तरह नाच रहा था और लड़खड़ा रहा था। किंग के पैरों में भी अकड़न आ गई थी और उँगलियों की गाँठ भी कमजोर हो रही थी, फिर भी वह स्वयं को मजबूत करके उसके ऊपर घूँसे बरसा रहा था, जिससे उसके यातना वाले हाथों में और दर्द हो रहा था। यद्यपि इस वक्त उसकी पिटाई लगभग नहीं के बराबर हो रही थी और हर एक मुक्का एक कठिन कोशिश का परिणाम होता था। उसके पाँव अब सीसे की तरह हो गए थे और वह उसको अब खींच रहा था, जबकि सैंडल के समर्थक इस प्रकार के लक्षणों से खुश हो रहे थे तथा उसको बढ़ावा देने के लिए ‘बैकअप सैंडल, सैंडल’ चिल्ला रहे थे।

किंग में एकदम से कोशिश करने की स्फूर्ति आई। उसने जल्दी-जल्दी दो मुक्के जड़े। एक जरा ज्यादा ऊँचा था—सोलर प्लेक्सस (सौर-तंतुजाल) से थोड़ा ऊपर और दूसरा जबड़े पर। वे बहुत भारी मुक्के नहीं थे, पर फिर भी इतने कमजोर नहीं थे, सैंडल चकराकर गिर गया, काँपते हुए। रेफरी ने उसके पास आकर गिनती शुरू कर दी। वे घातक 10 सेकंड! सारे दर्शकगण एक धीमी चुप्पी में साँस रोककर, किंग काँपते पैरों से विश्राम कर रहा था।

यदि वह इन घातक 10 सेकंड में उठकर खड़ा नहीं होता तो फिर ‘फाइट’ उसकी होगी। किंग को एक घातक चक्कर आ रहा था और उसकी आँखों के सामने चेहरे लटक रहे थे और झूल से रहे थे। उसको लग रहा था कि रेफरी की आवाज बहुत दूर से आ रही है। यह असंभव था कि एक आदमी, जिसे सजा मिली हो, वह उठ खड़ा हो!

केवल कोई युवा ही उठकर खड़ा हो सकता था। चौथे सेकंड तक उसने अंधों की तरह लोटकर रस्सी को पकड़ने की कोशिश की। सातवें सेकंड की गिनती तक किंग अपने को खींच-तानकर घुटनों पर आ गया। वह हिलते हुए अपने सिर को अपने कंधे पर रखकर आराम करने लगा। जैसे ही रेफरी ने ‘9’ बोला, सैंडल उठ खड़ा हुआ, ठीक से स्टालिंग पोजीशन में। उसने बायाँ हाथ पेट पर बाँधा हुआ था, जिससे वह अपने जीवनदायी अंगों की रक्षा कर रहा था और वह किंग की तरफ जा रहा था, इस आशा में कि वह उसे क्लिंच कर पाएगा और इस तरह से उसे कुछ समय मिल जाएगा।

जैसे ही सैंडल उठा, किंग उस पर झपट पड़ा, उस पर दो घूँसे जड़े, उसके प्रहार उसकी बलिष्ठ भुजाओं द्वारा कम हो गए थे। अगले ही क्षण सैंडल ‘क्लिंच’ में था और थोड़ा हताश होकर पकड़े हुए था और रेफरी ने पास जाकर उन दोनों आदमियों को अलग करना चाहा, पर किंग ने किसी प्रकार से अपने आपको छुड़ा लिया। परंतु किंग को पता था कि वह युवा उसकी रिकवरी को रोक सकता था। उसका एक कड़ा मुक्का ऐसा कर सकता था। उसने उसको (किंग को) आउट जेनरल्ड कर दिया था, हर द्वंद्व में उससे बढ़-चढ़कर उसको पछाड़ दिया था और उसे Out Point कर दिया। सैंडल उसके क्लिंच से बाहर आ गया था। टॉम किंग ने काफी कड़वाहट से यह याद किया कि उसको उस एक टुकड़े के लिए मास्टर स्टॉक की जरूरत महसूस हुई, उस पंच के लिए, जो वह सैंडल पर जड़ना चाहता था। उसने स्वयं को उस मुक्के के लिए तैयार किया, पर वह उतनी तेजी से और गति से नहीं पड़ा। सैंडल थोड़ा सा लड़खड़ाया, पर गिरा नहीं, रस्सियों तक गया, किंग भी लड़खड़ाता हुए उसके पीछे-पीछे रस्सियों तक गया, साथ ही उसको दर्द भी था, फिर भी उसने सैंडल पर एक बार फिर वार किया। पर उसका शरीर साथ छोड़ रहा था। उसके पास जो कुछ शेष थी, वह एक लड़ते रहने की बुद्धि, वह भी थकान के मारे कम हो गई थी और जैसे उस पर बादल छा गए हों! उसका मुक्का, जिसका निशाना जबड़े के लिए था, वह कंधे तक ही जा सका, पर उसकी थकी हुई मांसपेशियाँ उसकी आज्ञा का पालन नहीं कर सकीं और उसके घूँसे के जोर से किंग अपने-आप ही पीछे को हट गया और लगभग गिर गया था। एक बार वह फिर उठ खड़ा हुआ, पर वह मुक्का उसे लगा ही नहीं। वह सैंडल के ऊपर गिर पड़ा तथा उसे क्लिंच कर लिया, पर उसे वह पकड़े रहा, जिससे वह जमीन पर गिर न पड़े।

किंग ने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश नहीं की। उसने अपने ‘बोल्ट’ को शूट कर दिया था। यहाँ तक कि क्लिंच के दौरान भी सैंडल उस पर भारी और ताकतवर पड़ रहा था। जब रेफरी ने उन दोनों को छुड़ाया तो उसे लगा कि सैंडल फुरती से ‘रिकवर’ कर गया था। उसके ‘पंचेज’, जो शुरू में कमजोर और बिल्कुल सही नहीं पड़ रहे थे, अब तगड़े और सही जगह पर पड़ रहे थे। उसने सैंडल के दस्ताने को अपनी ओर बढ़ते देखा तथा उसे अपने हाथों से रोकना चाहा। उसने खतरे को देखा और अपने हाथों से रोकना चाहा, पर उसके हाथ तो बहुत भारी हो रहे थे। (सैकड़ों किलोग्राम के बराबर) और उसको वह उठा नहीं सका, फिर उसने उसे आत्मबल से उठाना चाहा, पर उसके ऊपर दस्तानेवाला हाथ जोरों से पड़ा, बिजली की स्पार्किंग, फिर उसकी आँखों के सामने अँधेरा छा गया।

जब उसकी आँखें खुलीं तो वह अपने कोने में पहुँच गया था और दर्शकों की आवाज समुद्र की लहरों के बांडीबीच के तट पर टकराने की तरह जोर से शोर करती हुई सुनाई पड़ रही थीं। उसके दिमाग के नीचे गीले स्पॉज से दबाया जा रहा था तथा सिड सलिवान उसके चहरे और छाती पर ठंडे पानी के छींटे स्प्रे से डाल रहा था। उसके दस्ताने हटा लिये गए थे और सैंडल उसके ऊपर झुककर हाथ हिला रहा था। उसकी उस आदमी के प्रति कोई बुरी भावनाएँ नहीं थीं, जिसने उसे अभी पहली बार रिंग में देखा, उसने उसके हैंडशेक का प्रत्युत्तर देना चाहा, पर उसके चोट खाए न्यूकल्स (Knuckles) उसको ऐसा नहीं करने दे पा रहे थे। फिर सैंडल रिंग के बीचोबीच खड़ा हो गया, तब दर्शकगणों में एक धीमी खलबलाहट सी मच गई, उसको सुनने के लिए कि वह युवा प्रोटो की चुनौती स्वीकार कर रहा है और दाँव पर लगी धनराशि 100 पौंड की हो जाएगी। किंग बड़े दयनीय भाव से उसे देख रहा था, जब उसके सहायक उसका चेहरा पोंछ रहे थे और उसे रिंग छोड़कर जाने के लिए तैयार कर रहे थे। उसको भूख लग रही थी। यह साधारण किस्म की भूख नहीं, परंतु एक बड़ी बेहोशी सी आ रही थी। उसके पेट में जोर से भूख की ज्वाला धधक रही थी, जो उसके सारे शरीर में व्याप्त हो रही थी। उसे अपने मुक्केबाजी का वह क्षण याद आया, जब युवा सैंडल लड़खड़ाकर गिर गया था और वह हार के कगार पर था, अगर वह मांस का टुकड़ा खाने के बाद ऐसा हो सकता था, उसको वह जो निर्णायक मुक्का मारता, पर अफसोस, वह हार गया। यह सब उस स्टीक के कारण था।

उसके सहायक उसे आंशिक रूप से रिंग से बाहर जाने में सहायता कर रहे थे, पर उसने उनसे जल्द ही पीछा छुड़ा लिया—रस्सियों के बीच से बिना किसी की मदद से निकला और बीच वाली गली से रास्ता बनाता हुआ बाहर निकल गया। ड्रेसिंग रूम से बाहर निकलकर हॉल में होकर जब वह बाहर निकल रहा था, तब कुछ लोगों ने उससे पूछा, “आप क्यों नहीं उसके पीछे गए और उसको क्यों नहीं हरा दिया?” “आह, तुम भाड़ में जाओ,” किंग ने कहा और सीढि़यों से उतरकर वह ‘साइड-वाक’ (फुटपाथ) पर आ गया।

कोने में एक मयखाना था, जिसके दरवाजे खुले हुए थे और उसने अंदर रोशनी तथा मुसकराती हुई बार-मेड्स देखी। कई लोग उसी की फाइट के बारे में चर्चा कर रहे थे और काउंटर पर तमाम धन पड़ा था। किसी ने उसको बुलाकर कुछ ड्रिंक ऑफर किया। वह थोड़ा हिचकिचाया, फिर उन्हें मना कर दिया और बाहर अपने रास्ते पर चला गया।

उसकी जेब में एक पैसा भी नहीं था और घर तक का दो मील का रास्ता बहुत लंबा लग रहा था। वह जरूर ही बुढ़ा रहा था। डोमेन को पार करने के बाद वह अचानक बेंच पर बैठ गया, इस बात से बेखबर कि घर पर उसकी पत्नी उसका इंतजार कर रही थी उसके द्वंद्व का परिणाम जानने के लिए। यह किसी भी नॉक-आउट से ज्यादा कठिन था और उसको यह असंभव लग रहा था कि वह उसका सामना कर पाएगा।

उसको बहुत कमजोरी और दुःख लग रहा था और उसकी बुरी तरह ध्वस्त/घायल उँगलियाँ उससे कह रही थीं कि यदि उसे कोई नेवी जॉब मिल भी जाता है तो शायद अगले एक हफ्ते तक वह फावड़ा नहीं उठा सकता था। भूख से जो पेट में कुलबुलाहट हो रही थी, वह बड़ी दर्दनाक थी। उसकी लाचारी उसके ऊपर हावी हो गई और उसकी आँखें उस दुःख से नम हो गई थीं। उसने अपने चेहरे को हाथों से ढक लिया था तथा जब वह रो रहा था तो उसे एक पुरानी फाइट में हारे स्टाउशर बिल की याद आ गई कि क्यों वह ड्रेसिंग-रूम में जाकर इस प्रकार से फूट-फूटकर रोया था!

  • मुख्य पृष्ठ : जैक लण्‍डन की कहानियाँ हिन्दी में
  • अमेरिका की कहानियां और लोक कथाएं
  • भारतीय भाषाओं तथा विदेशी भाषाओं की लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां