गरीब को परेशान करने का नतीजा : इथियोपिया की लोक-कथा

Gareeb Ko Preshan Karne Ka Nateeja : Ethiopia Folk Tale

एक बार इथियोपिया के एक गाँव में दो आदमी बराबर बराबर रहते थे। एक आदमी बहुत अमीर था और दूसरा आदमी बहुत गरीब था। लेकिन दोनों के पास एक गधा था जो दोनों के साझे का था।

एक बार उस अमीर आदमी ने गरीब आदमी को परेशान करने की सोची। उसने गरीब आदमी को बुलाया और कहा - "मैं इस गधे को मारना चाहता हूं और अपने हिस्से का आधा गधा अपने कुत्तों को खिलाना चाहता हूं।"

इस पर गरीब आदमी बोला - "हुजूर जैसी आपकी मरजी, पर क्योंकि मैं अपने हिस्से के आधे गधे का कुछ इस्तेमाल नहीं कर पाऊंगा इसलिए आप मेरे हिस्से का आधा गधा भी ले लें और मुझे उसके बदले में पैसे दे दें।"

अमीर आदमी बोला - "मैं तुमको तुम्हारे पैसे भी नहीं दूंगा और अपने हिस्से का आधा गधा भी कुत्तों को खिलाऊंगा।"

लाचार गरीब आदमी ने अपने पड़ोसियों को इकठ्ठा किया और कहा - "देखो यह अमीर आदमी मुझे परेशान कर रहा है।

मैं तो इस गधे का माँस खा नहीं सकता क्योंकि हमारे यहाँ गधे का माँस खाना मना है और मैं इसका माँस अपने कुत्तों को भी नहीं खिला सकता क्योंकि मेरे पास कोई कुत्ता भी नहीं है और यह आदमी मेरे हिस्से के पैसे भी नहीं दे रहा है। अब आप ही फैसला करें।"

पड़ोसी मिल कर उस अमीर आदमी को समझाने गये पर वह अमीर आदमी कहाँ सुनने वाला था। वह नहीं माना और गधे को मार डाला गया। गधे के माँस को अमीर और गरीब दोनों में बराबर बराबर बाँट दिया गया।

अमीर आदमी ने अपने हिस्से का आधा माँस अपने कुत्तों को खिला दिया और गरीब आदमी ने अपने हिस्से का आधा माँस फेंक दिया। गरीब आदमी इस सबसे बहुत दुखी था पर क्या करता।

कुछ समय बीता, जाड़ा आ गया, ठंड बढ़ने लगी। गरीब और अमीर आदमी के घर बराबर बराबर थे।

एक दिन गरीब आदमी अमीर आदमी के पास गया और बोला - "हुजूर, जाड़ा आ गया है। मेरी पत्नी और बच्चे ठंड से सिकुड़ रहे हैं। गरमी पाने के लिए मैं अपना घर जलाना चाहता हूं। आप अपने घर का ध्यान रखें।"

अमीर आदमी ने कहा - "लेकिन तुम केवल गरमी पाने के लिये अपना घर क्यों जलाना चाहते हो? ऐसा भी कोई करता है क्या भला?

तुम अपना घर मत जलाओ क्योंकि हमारे तुम्हारे घर एक दूसरे के साथ हैं। क्योंकि जब तुम अपना घर जलाओगे तो आग तो मेरे घर में भी लगेगी न? मैं अपने घर को कैसे बचाऊंगा?"

गरीब आदमी बोला - "हुजूर, मैं मजबूर हूं। मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है।"

इस बार प्रार्थना करने की अमीर की बारी थी मगर गरीब आदमी भी भला क्यों मानने लगा। अमीर आदमी ने अपने दोस्तों से उस गरीब आदमी को समझाने की प्रार्थना की तो उन्होंने जवाब दिया "जब उसने तुमसे गधे के माँस के पैसे देने की प्रार्थना की थी तब तुम नहीं माने थे तो अब हम किस मुंह से उससे बात करें?"

इस तरह गरीब आदमी ने गरमी पाने के लिये अपना घर जला दिया। आग बढ़ते बढ़ते अमीर आदमी के घर तक पहुंची और उसने उसके घर को भी जला दिया।

इस तरह बदले की भावना, दुखी मन और अन्याय ने दोनों के घरों व सम्पत्ति को खत्म कर दिया।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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