गधे की पूंछ : इथियोपिया की लोक-कथा

Gadhe Ki Poonchh : Ethiopia Folk Tale

एक बार की बात है कि इथियोपिया के एक शहर में एक बहुत ही अमीर व्यापारी रहता था। वह बहुत अमीर था परन्तु बहुत ही भला था। जो भी उसके घर आता वह उसकी अच्छी तरह से खातिरदारी करता था और अपने शहर वालों की भी हमेशा मदद करने को तैयार रहता था।

उस व्यापारी के पास बहुत सारा सोना था और यह बात सभी जानते थे। एक दिन एक आदमी ने देखा कि वह व्यापारी अपने खच्चर पर सवार हो कर कहीं बाहर जा रहा था।

अच्छा मौका देख कर वह आदमी उस व्यापारी के घर में घुस गया और उसकी चारपायी के नीचे रखे बक्से में से उसका सारा सोना निकाल कर तुरन्त ही वहाँ से भाग गया। बक्सा वह वहीं छोड़ गया।

कुछ समय बाद जब वह व्यापारी अपने घर आया तो उसको अपने घर का टूटा हुआ दरवाजा देख कर कुछ शक हुआ। वह जल्दी जल्दी अपने घर में घुसा। वहाँ चारों तरफ देखने के बाद उसे पता चला कि कोई चोर उसका सारा सोना चुरा कर भाग गया है।

वह जज के पास गया और बोला - "जज साहब। किसी ने मेरा सोना चुरा लिया है और मुझे शक है कि हमारे ही शहर के किसी आदमी ने उसे चुराया है।"

जज बोला - "अगर ऐसा है तो तुम बिल्कुल भी चिन्ता न करो मैं उस चोर का पता तुरन्त ही लगा लूंगा। तुम बस ऐसा करो कि मुझे एक गधा दे जाओ।"

व्यापारी तुरन्त ही एक गधा ले आया और ला कर उसने उसे जज साहब को दे दिया। जज ने उस गधे की पूंछ में खूब सारी खुशबू लगायी और उसको एक खेमे के अन्दर बाँध दिया।

फिर उसने शहर के सारे आदमियों को बुला कर कहा - "किसी ने इस व्यापारी का सोना चुरा लिया है और मुझे शक है कि यह काम तुम लोगों में से ही किसी एक का है।

मेरे पास एक गधा है जो चोर का पता लगायेगा। इस खेमे में एक गधा बंधा है। हर आदमी खेमे में जा कर उस गधे की पूंछ छुएगा। जब भी कोई भला आदमी उसकी पूंछ छुएगा तो वह चुप रहेगा लेकिन जब चोर गधे की पूंछ छुएगा तो गधा बहुत ज़ोर से ढेंचू ढेंचू करेगा।"

एक एक कर के हर आदमी उस खेमे में जाने लगा और गधे की पूंछ छू छू कर बाहर आने लगा। जब भी कोई उस गधे की पूंछ छूता तो गधा चुपचाप रहता पर जब चोर अन्दर गया तो उसने इस डर से कि उसके पूंछ छूने से गधा चिल्ला पड़ेगा गधे की पूंछ छुई ही नहीं।

जब सब लोगों ने अपना काम खत्म कर लिया तो जज ने सबके हाथ देखे। केवल एक ही आदमी के हाथ से खुशबू नहीं आ रही थी बाकी सबके हाथ से खुशबू आ रही थी।

जज ने उस आदमी को पकड़ लिया और कहा कि तुम ही चोर हो।

उस आदमी को बड़ा आश्चर्य हुआ तो उसने जज से पूछा "आपने कैसे जाना कि चोर मैं ही हूं? मैं तो चोर नहीं हूं क्योंकि मेरे छूने पर तो गधा चिल्लाया ही नहीं। बाकी सब लोगों के छूने पर भी वह नहीं चिल्लाया था तो बाकी लोग चोर क्यों नहीं हैं?"

जज बोला - "पर तुमने तो उसकी पूंछ छुई ही नहीं। अगर तुम उसकी पूंछ छूते तब तो वह चिल्लाता जैसे बाकी लोगों के छूने पर वह नहीं चिल्लाया।"

चोर ने पूछा - "आपको कैसे पता कि मैंने गधे की पूंछ छुई ही नहीं।"

जज बोला - "मैं तुम्हारे जितना बेवकूफ नहीं हूं। मैंने इस गधे की पूंछ में खुशबू लगा दी थी इसलिए अगर तुमने गधे की पूंछ छुई होती तो तुम्हारे हाथ में खुशबू आ जाती पर तुम्हारे हाथों में तो कोई खुशबू ही नहीं है।

बाकी सभी लोगों ने गधे की पूंछ छुई थी इसलिये उनके हाथों में खुशबू है, तुमने गधे की पूंछ छुई नर्हीं इसलिये तुम्हारे हाथों में खुशबू ही नहीं है।"

चोर समझ गया कि आज वह पकड़ा गया। उसने अपनी चोरी मान ली और उस व्यापारी का सारा सोना वापस कर दिया।

सो यह थी जज की अक्लमन्दी की कहानी चोर को पहचानने की। ऐसी ही चोर को पहचानने की कुछ कहानियाँ भारत में बीरबल की कहानियों में भी पायी जाती हैं।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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