गधा और मेंढक (कहानी) : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
Gadha Aur Mendhak (Hindi Story) : Suryakant Tripathi Nirala
एक गधा लकड़ी का भारी बोझ लिए जा रहा था। वह एक दलदल में गिर गया। वहाँ मेंढकों के बीच जा लगा। रेंकता और चिल्लाता हुआ वह उस तरह साँसें भरने लगा, जैसे दूसरे ही क्षण मर जाएगा।
आखिर को एक मेंढक ने कहा, ''दोस्त, जब से तुम इस दलदल में गिरे, ऐसा ढोंग क्यों रच रहे हो? मैं हैरत में हूँ, जब से हम यहाँ हैं, अगर तब से तुम होते तो न जाने क्या करते?"
हर बात को जहाँ तक हो, सँवारना चाहिए। हमसे भी बुरी हालतवाले दुनिया में हैं।