चाँद की यात्रा : अमरीकी लोक-कथा
Flight to the Moon : American Lok-Katha
(Folktale from Native Americans, Eskimos Tribe/मूल अमेरिकी, ऐस्किमो जनजाति की लोककथा)
एक बार की बात है कि एक जगह एक बहुत ही ताकतवर जादूगर रहता था। उसका निशान भालू था। एक दिन उसने सोचा कि उसको चाँद पर जाना चाहिये।
सो पहले तो उसने अपने हाथ बाँध लिये और फिर एक रस्सी से अपने घुटने और गर्दन भी बाँध ली। फिर वह अपनी पीठ रोशनी की तरफ कर के अपनी झोंपड़ी के पीछे बैठ गया और उसके बाद उसने रोशनी भी बुझा दी।
फिर उसने अपने निशान को बुलाया तो भालू वहाँ तुरन्त ही आ पहुँचा। वह भालू की पीठ पर चढ़ गया और भालू उसको ले कर ऊपर चढ़ने लगा, गाँव के ऊपर, पहाड़ों के ऊपर। वह ऊपर और ऊपर चढ़ता ही गया जब तक वह चाँद पर नहीं पहुँच गये।
उनको यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि चाँद तो एक घर था जो बहुत सुन्दर सफेद हिरन की खालों से ढका हुआ था। अब क्योंकि सफेद हिरन तो बहुत ही अजीब और पवित्र माने जाते थे और वे लम्बे सफेद अंडों से उनको मिट्टी में काफी देर तक दबा कर रखने के बाद ही पैदा होते थे।
असल में वहाँ सफेद हिरनों, सफेद भैंसों और सब रंगहीन जानवरों (Albino) में कुछ रहस्य और जादू था। चाँद वाले आदमी ने इन हिरनों की खाल को सुखा लिया था और अपने घर के ऊपर बाँध लिया था जो कि चाँद जैसा दिखायी देता था।
चाँद के घर के दरवाजे के दोनों तरफ वालरस के बहुत बड़े बड़े सिर लगे हुए थे। और वे ज़िन्दा थे और जादूगर को फाड़ डालने की धमकी दे रहे थे।
पर उस जादूगर ने अपने भालू को उनके ऊपर बहुत ज़ोर से गुर्राने के लिये कहा। भालू ने वैसा ही किया जैसा कि जादूगर ने उसको करने के लिये कहा था। इससे एक पल को तो वे वालरस डर गये और बस उसी पल में जादूगर चाँद के घर के अन्दर घुस गया।
चाँद अन्दर से ठंडा होना चाहिये था पर ऐसा था नहीं क्योंकि उसमें एक रास्ता था जो ठंड को बाहर ही रखता था जैसे ऐस्किमो लोगों के घरों में होता है।
इस रास्ते में एक लाल सफेद धब्बे वाला कुत्ता था। चाँद वाला आदमी बस यही एक कुत्ता रखता था। जादूगर इस कुत्ते को पार कर के अन्दर वाले कमरे में पहुँचा।
उस कमरे में उसने बाँये हाथ को एक दरवाजा देखा जो एक दूसरी इमारत में खुलता था। जादूगर ने देखा कि उसमें तो एक सुन्दर स्त्री बैठी हुई थी और उसके सामने एक लैम्प जल रहा था।
जैसे ही उसने एक अजनबी को देखा उसने अपने लैम्प की आग पर फूँक मारी जिससे कि उसकी आग भड़क उठी और वह उसकी भड़कती हुई लौ के पीछे छिप गयी।
पर जादूगर ने उसको तब तक काफी देख लिया था और वह जान गया था कि वह सूरज थी। चाँद वाला आदमी अपनी सीट पर से उठा और जादूगर से हाथ मिलाने के लिये आया और उसका स्वागत किया।
लैम्पों के पीछे सील मछली के माँस का और दूसरे किस्म के माँस का एक बहुत बड़ा ढेर रखा हुआ था पर चाँद वाले आदमी ने अपने मेहमान को उसमें से कुछ भी नहीं दिया।
यह ऐस्किमो और इन्डियन लोगों का अपने मेहमान के साथ बर्ताव करने का कोई रिवाज नहीं था। शायद चाँद वाले आदमी का अपने मेहमानों का स्वागत करने का यह कोई और ही तरीका था।
क्योंकि उसने तुरन्त ही कहा — “मेरी पत्नी उलुल( Ulul – wife of the Moon) जल्दी ही यहाँ आने वाली है। फिर हम लोग नाचेंगे। ध्यान रखना कि हँसना नहीं वरना वह अपने चाकू से तुम्हारे दो टुकड़े कर देगी और बाहर जो कुत्ता है उसको खिला देगी।”
जल्दी ही एक स्त्री एक कटोरा हाथ में लिये लौटी जिसमें उसका काटने वाला चाकू रखा हुआ था। उसने उस कटोरे को नीचे रखा, उसे लट्टू की तरह से घुमाया और आगे बढ़ कर नाचना शुरू कर दिया।
जब उसने अजनबी की तरफ अपनी पीठ की तो जादूगर ने देखा कि वह तो अन्दर से खोखली थी। उसकी तो पीठ ही नहीं थी, रीढ़ की हड्डी भी नहीं थी और अन्दर भी कुछ नहीं था सिवाय उसके फेंफड़ों और दिल के।
उसी समय उसके पति ने भी उसके साथ नाचना शुरू कर दिया। उन दोनों के नाचने का ढंग कुछ ऐसा था कि जादूगर अपनी हँसी नहीं रोक सका।
वह यह नहीं चाहता था कि वह उनके साथ कोई बदतमीज़ी करे सो उसने अपना मुँह दूसरी तरफ फेर कर खाँसने का बहाना किया।
खुशकिस्मती से जैसा उसने सोचा था तो वह तो बड़े ज़ोर से
हँस पड़ता पर उसको चाँद वाले आदमी का कहा याद आ गया और
वह बाहर चला गया। चाँद वाले आदमी को समझ में ही नहीं आया
कि इसको क्या हो गया सो उसने उसको पीछे से पुकार कर कहा।
“अच्छा हो कि तुम अपने निशान सफेद भालू को बुला लो।”
उसने ऐसा ही किया और वहाँ से सही सलामत वापस लौट
आया।
वह एक और दिन उस घर में फिर से गया और अपना चेहरा ठीक से रखने में सफल रहा। जब उन लोगों का नाच खत्म हो गया तो चाँद वाले आदमी ने उससे बहुत प्रेम से बातें की और उसको अपना पूरा घर दिखाया।
उसने जादूगर को अपने घर के दरवाजे के पास जो एक इमारत थी वह भी दिखायी। इस इमारत में बहुत सारे हिरन थे जो बहुत बड़े घास के मैदानों में चरते नजर आ रहे थे।
चाँद वाला आदमी बोला — “तुम इनमें से एक हिरन अपने घर के लिये ले सकते हो।”
जैसे ही उसने एक जानवर चुना तो वह एक छेद में से नीचे गिर पड़ा और जमीन पर जादूगर की झोंपड़ी पास आ कर खड़ा हो गया।
वहीं एक और इमारत में समुद्र में बहुत सारी सील तैर रही थीं। वहाँ भी उसको एक सील चुनने के लिये कहा गया। जब उसने उसमें से एक सील चुनी तो वह भी छेद में से नीचे गिर पड़ी और जमीन पर उसकी झोंपड़ी के पास ही गिर पड़ी।
चाँद वाला आदमी बोला — “जो कुछ मेरे पास था वह सब मैंने तुमको दिखा दिया अब तुम अपने घर जा सकते हो।”
जादूगर ने अपने निशान को बुलाया और उस पर चढ़ कर वह जमीन पर अपनी झोंपड़ी में लौट आया।
उसने देखा कि वहाँ उसका शरीर तो बेजान सा पड़ा हुआ था जबकि उसकी आत्मा उसमें से चली गयी थी। पर उसके चाँद से आने के बाद अब उसका शरीर ज़िन्दा होने लगा था।
वे रस्सियाँ जिनसे उसकी हाथ और घुटने बँधे हुए थे गिर गयी थीं हालाँकि अभी भी उनमें बहुत कस कर गाँठ लगी हुई थी।
जादूगर चाँद की यात्रा कर के बहुत थका थका महसूस कर रहा था पर जब लैम्प जलाये गये तब उसने अपने पड़ोसियों को अपनी चाँद यात्रा का पूरा हाल सुनाया।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)