पहला बेटा पहले शादी : स्वीडिश लोक-कथा

First Born First Wed : Folktale Sweden

एक बार की बात है कि एक राजा था जिसके एक तीन साल का बेटा था। एक बार उसको एक दुश्मन राजा से लड़ने के लिये जाना पड़ा। पर अपनी जीत के बाद जब उसके जहाज़ वापस लौट रहे थे तो एक बहुत ज़ोर का तूफान आ गया और उसके जहाज़ के सारे लोग करीब करीब डूबने वाले हो गये।

तब राजा ने कसम खायी कि वह समुद्र की देवी को उस नर जीव की बलि चढ़ायेगा जो जमीन पर पहुँचने पर उसकी राजधानी पहुँचने पर उससे सबसे पहले मिलने आयेगा। उसकी इस कसम खाने के बाद राजा के सारे लोग सही सलामत किनारे पहुँच गये। लेकिन राजा का पाँच साल का बेटा जिसने अपने पिता को दो साल से नहीं देखा था और जो अपने पिता की जीत की खुशी में छूटी हुई तोपों की तेज़ आवाज सुन कर बहुत खुश था अपने नौकरों से आँख बचा कर चुपचाप खिसक गया और समुद्र के किनारे की तरफ भाग गया।

और जब राजा ने धरती पर कदम रखा तो वही पहला नर जीव था जो खुशी से रोता हुआ राजा से जा कर लिपट गया। राजा उसको देख कर खुश तो बहुत हुआ पर साथ में समुद्र की रानी को बलि चढ़ाने की बात सोच कर रो पड़ा। पर फिर उसने सोचा कि राजकुमार तो केवल बच्चा ही था इसलिये वह दूसरे किसी आदमी की बलि चढ़ा देगा।

पर उसके बाद कोई भी समुद्र की यात्रा सुरक्षित रूप से नहीं कर सका। अब राजा की जनता में कानाफूसी होने लगी। उनका कहना था कि क्योंकि राजा ने समुद्र की रानी से जो अपनी कसम ली थी उसे नहीं निभाया इसी लिये ऐसा हो रहा था।

राजा और रानी भी राजकुमार को अब अकेला नहीं छोड़ते थे। उसके साथ बहुत सारे लोग लगे रहते थे। हालाँकि जहाज़ में जाने की उसकी बहुत इच्छा रहती थी पर जहाज़ में तो अब उसको घुसने ही नहीं दिया जाता था।

कुछ साल बाद वे सब समुद्र की रानी को भूल गये। जब राजकुमार दस साल का हुआ तो उसका एक छोटा भाई आया। कुछ ही दिनों में बड़ा राजकुमार अपने टीचर और कई दूसरे कुलीन लोगों के साथ इधर उधर घूमने लगा।

एक दिन गर्मी के मौसम में जब मौसम बहुत साफ था जब वह घूमते घूमते अपने शाही बागीचे के आखीर के किनारे तक आया जो समुद्र के किनारे के पास ही था कि अचानक बहुत ज़ोर का बादल छा गया। और जितना अचानक वह आया था उतना अचानक ही वह गायब भी हो गया।

लेकिन जब वह गायब हुआ तो राजकुमार भी वहाँ से गायब हो गया था। वह कहीं भी दिखायी नहीं दे रहा था। बाद में भी वह वापस नहीं लौटा। इससे राजा रानी और जनता सभी बहुत दुखी हुए।

इस बीच छोटा राजकुमार जो अब राजगद्दी का अकेला वारिस था बड़ा होता रहा। जब वह सोलह साल का हुआ तो राजा ने सोचा कि अब उसकी शादी कर दी जाये।

अब क्योंकि राजा और रानी अपने मरने से पहले उसकी शादी एक ऐसे ताकतवर राजा की बेटी से करने की सोच रहे थे जिसके वे आधीन थे। यह ध्यान में रखते हुए राजा ने चिठ्ठियाँ और अपने दूत दूर देशों में भेजे।

जब यह सब तय हो रहा था तो ऐसा कहा जाने लगा कि समुद्र का किनारा कुछ डरावना हो गया। बहुत सारे लोगों ने वहाँ रोने की आवाजें सुनीं। जो कोई शाम को वहाँ गया तो वह बीमार हो गया। आखिर लोगों ने वहाँ रात के ग्यारह बजे के बाद जाना बन्द कर दिया क्योंकि रात में वहाँ समुद्र से रोने चिल्लाने की आवाज आती थी – “पहला बेटा पहले शादी”।

फिर जब भी कभी कोई उसके पास तक गया तो वह बस अपनी जान हथेली पर रख कर ही गया।

आखिर ये शिकायतें राजा के पास पहुँचीं। उसने अपने सलाहकारों को बुलाया और यह तय पाया गया कि इस बारे में किसी अक्लमन्द स्त्री से सलाह लेनी चाहिये जिसने पहले ही बहुत सारी अजीबोगरीब घटनाओं की भविष्यवाणी की हो और जो वैसे ही हुई हों जैसा कि उसने बताया हो कि होंगीं।

जब वह अक्लमन्द स्त्री राजा के पास लायी गयी तो उसने बताया कि कि यह आवाजें लगाने वाला वह राजकुमार था जो समुद्र में ले जाया गया था। अब अगर वे उसके लिये कोई नौजवान कुलीन सुन्दर सी दुलहिन ढूँढ लेंगे जो पन्द्रह साल से कम की न हो और सत्रह साल से बड़ी न हो तो ये आवाजें आनी बन्द हो जायेंगीं।

अब यह तो एक बड़ी उलझन थी क्योंकि कोई भी अपनी बेटी समुद्र के राजा को देने के लिये तैयार नहीं था। फिर भी जब रोने चिल्लाने में कोई कमी नहीं हुई तो उस अक्लमन्द स्त्री ने कहा कि पहले समुद्र के किनारे एक छोटा सा घर बनवाना ठीक रहेगा तब शायद ये परेशानियाँ दूर हो जायें।

उसने यह भी कहा कि जब वह मकान बन रहा होगा तो किसी भी हालत में कोई भी चीज़ उनको नहीं डरायेगी।

सो शुरू शुरू में चार आदमी काम पर लगाये गये। उन्होंने वहाँ पर जगह तैयार की फिर पत्थर की नींव रखी और फिर बाद में एक छोटा सा घर बनाया जिसमें केवल दो बहुत सुन्दर कमरे थे, एक के पीछे एक और जिनका फर्श बहुत सुन्दर था।

घर बड़ी सावधानी से बनाया गया था। शाही घर बनाने वाले ने खुद यह घर अपनी निगरानी खड़े रह कर बनवाया था ताकि हर चीज़ ठीक और सही हो।

जब यह मकान बन रहा था तो कोई भी अनजानी आवाज सुनायी नहीं दी और हर आदमी समुद्र के किनारे शान्ति से आता जाता रहा।

इसी लिये काम करने वालों को कोई जल्दी भी नहीं थी पर उन दिनों में कोई भी आदमी एक दिन के लिये भी वहाँ से गैरहाजिर भी नहीं रह सका क्योंकि अगर किसी ने रहने की कोशिश भी की तो वे आवाजें फिर से वहाँ आनी शुरू हो गयीं जिन्हें कोई भी वहाँ सुन सकता था “पहला बेटा पहले शादी”।

जब वह मकान बन कर तैयार हो गया तो राज्य के सबसे अच्छे बढ़ई बुलवाये गये और उन्होंने उसमें काम करना शुरू कर दिया। फिर पेन्ट करने वाले आये और कुछ और कलाकारी करने वाले आये।

आखीर में उसको सजाया गया क्योंकि जब भी कभी एक दिन के लिये भी काम रोका गया तो फिर से आवाजें आनी शुरू हो गयीं। दोनों कमरे बहुत अच्छी तरह से सजाये गये। बैठने वाले कमरे में एक बहुत बड़ा शीशा लगवाया गया।

उस अक्लमन्द स्त्री के कहने के अनुसार उसको इस तरीके से लगवाया गया कि सोने वाले कमरे में अगर कोई लेटा हो तो वहाँ के बिस्तर से चाहे वह दीवार की तरफ ही मुँह कर के ही क्यों न लेटा हो उसको बैठने वाले कमरे में आने वाला आदमी उसकी देहरी पर से ही नजर आ जायेगा क्योंकि दोनों कमरों के बीच का दरवाजा हमेशा ही खुला रहने वाला था।

जब सब कुछ तैयार हो गया तो उस मकान को शाही तरीके से सजा दिया गया तो “पहला बेटा पहले शादी” की आवाजें समुद्र के किनारे से फिर से सुनायी देने लगीं।

हालाँकि किसी की इच्छा नहीं थी पर फिर भी यही ठीक समझा गया कि उस अक्लमन्द स्त्री की सलाह मानी जाये। सो पन्द्रह से सत्रह साल तक के बीच की उम्र की तीन लड़कियाँ जो राज्य के बहुत कुलीन घरों से आती थीं महल ले आयी गयीं जैसे कि वे शाही खून वाली हों।

फिर उनको एक एक कर के उस समुद्र वाले घर में ले जाया जाये क्योंकि अगर उनमें से एक भी समुद्र के राजकुमार को पसन्द आ गयी तब समुद्र से जो शोर आदि आता था वह यकीनन खत्म हो जायेगा।

इस बीच छोटे राजकुमार की शादी की बात चलती रही। जिससे उसकी शादी होने को थी वह दुलहिन जल्दी ही वहाँ आने वाली थी। समुद्र के राजकुमार के लिये भी लड़कियाँ चुनी गयीं।

वे तीनों चुनी हुई लड़कियाँ और उनके माता पिता दोनों ही उनकी किस्मत पर बहुत दुखी थे। कोई उनको तसल्ली नहीं दे पा रहा था। उनसे यह कहना भी कि उनकी तीनों बेटियों को राजकुमारी की तरह से ही रखा जायेगा उनको कोई तसल्ली नहीं दे पा रहा था। वे सोचती रहीं कि उनके साथ कुछ और बुरा होने वाला है।

पहली लड़की जिसको पहले दिन समुद्र के पास वाले महल में सोना था उन तीनों में सबसे बड़ी थी। जब उसने अक्लमन्द स्त्री से बात की और उससे उसकी सलाह माँगी तो उसने उससे कहा कि वह अपने सुन्दर बिस्तर पर आराम से सोये पर अपना चेहरा दीवार की तरफ कर के लेटे।

किसी भी हालत में उत्सुकता से पीछे की तरफ न देखे कि देखूँ कि पीछे क्या हो रहा है। क्योंकि उसका चेहरा दीवार की तरफ होगा तो वह केवल वही देखे जो उसको शीशे में दिखायी दे।

रात को दस बजे दुलहिन को बड़ी शान शौकत के साथ उस मकान में ले जाया गया। दरबार के लोग और उसके रिश्तेदारों ने उसको रो रो कर विदा किया। रात को ग्यारह बजे उन्होंने घर का ताला लगाया चाभी अपने साथ ली और उसे वहाँ अकेली छोड़ कर अपने किले चले गये।

वह अक्लमन्द स्त्री भी वहीं थी उसने सबको तसल्ली दी कि अगर लड़की नहीं बोली और उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा तो वह सुबह को ताजा और खुश खुश बाहर आयेगी।

बेचारी लड़की ने अपनी रात की प्रार्थना कही और फिर रोती रही जब तक कि उसको नींद नहीं आने लगी।

रात को बारह बजे घर का बाहर का दरवाजा अचानक खुला और फिर बैठक का दरवाजा खुला। वह चौंक गयी और डर गयी जब उसने दीवार पर लगे शीशे में देखा कि एक लम्बा तन्दुरुस्त नौजवान अन्दर घुसा। उसके कपड़ों से फर्श पर पानी टपक रहा था। वह ऐसे काँप रहा था जैसे सरदी से ठिठुर रहा हो। उसके मुँह से आवाज निकल रही थी “उह उह”।

फिर वह बिस्तर के पीछे चला गया और वहाँ एक बहुत सुन्दर और बहुत ही बड़ा सेब रख दिया। उसने कपड़े में लिपटी हुई एक बोतल भी टाँग दी।

फिर वह बिस्तर के पास आया सोयी हुई लड़की के ऊपर झुका उसकी तरफ देखा फिर इधर उधर कुछ कदम चला “उह उह” करते हुए अपने गीले कपड़ों से पानी झटका। उसने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारे और बिस्तर की तरफ आ कर बिस्तर पर लेट गया और सो गया।

लड़की खुश थी क्योंकि वह सोच रही थी कि अब वह सो गया है। वह उस समय अक्लमन्द स्त्री की चेतावनी भी भूल गयी कि किसी भी हालत में उसको पलट कर नहीं देखना चाहिये। उसकी उत्सुकता उसके ऊपर हावी हो गयी और उसने सोचा कि वह पीछे मुड़ कर यह देख लेती है कि वह सचमुच का आदमी है या नहीं। उसने बहुत धीरे से करवट बदली ताकि वह कहीं उठ न जाये।

पर जैसे ही वह उस नौजवान को ठीक से देखने के लिये अपने बिस्तर पर चुपचाप से बैठी हुई कि उसने उसका दाँया हाथ पकड़ लिया और उसे काट कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया।

वह फिर तुरन्त ही लेट गया और सो भी गया। जैसे ही सुबह दिन निकला उस नौजवान ने बिना बिस्तर की तरफ देखे अपने कपड़े पहने खिड़की में से बोतल और सेब उठाया और अपने पीछे दरवाजा बन्द कर के जल्दी से वहाँ से चला गया।

यह केवल सोचा ही जा सकता है कि वह बेचारी लड़की किस हाल से गुजर रही होगी। सुबह को जब उसकी दोस्त और रिश्तेदार उसको लेने के लिये वहाँ आये तो वहाँ उन्होंने उसको रोते हुए पाया और देखा कि उसका एक हाथ गायब था।

उसको किले में लाया गया और अक्लमन्द स्त्री को बुलवाया गया। उसने आते ही कहा कि अगर लड़की ने उत्सुकता से मुड़ कर न देखा होता तो यह सब न हुआ होता। उसका हाथ भी न काटा गया होता।

सब लोग उसके साथ वैसा ही बर्ताव कर रहे थे जैसे कि वह कोई राजकुमारी हो। पर वह तो अब उस छोटे घर के पास भी नहीं जा सकती थी।

बाकी बची दोनों लड़कियाँ यह घटना देख कर बहुत परेशान थीं। उनको लगा कि अब तो बस उनको मौत ही आने वाली है। उस अक्लमन्द स्त्री ने उनको बहुत तसल्ली दी हालाँकि वह जानती थी कि कैसे उनको तसल्ली देनी थी। सो दूसरी वाली ने वायदा किया कि वह किसी भी हालत में पीछे मुड़ कर नहीं देखेगी। फिर भी उसके साथ भी वही हुआ जो पहली लड़की के साथ हुआ था।

राजकुमार पानी टपकते कपड़े पहन कर रात को बारह बजे घर में आया अपने आपको झटका जिससे सारे फर्श पर पानी बिखर गया। “उह उह” करते हुए इधर उधर चला खिड़की में सेब और कपड़े में लिपटी बोतल रखी जल्दी से अपने कपड़े उतारे बिस्तर में लेटा और तुरन्त ही सो गया।

यह दूसरी लड़की भी अपनी उत्सुकता नहीं रोक पायी सो इसने भी बहुत धीरे से उठ कर अपने साथी की तरफ देखा तो उसने उसका भी दाँया हाथ पकड़ कर काट दिया और बिस्तर के नीचे फेंक दिया। वह फिर लेट गया और सो गया।

अगले दिन सुबह को उस लड़की के दोस्त और रिश्तेदार उसको लेने के लिये वहाँ आये तो उन्होंने भी उसको बिना दाँये हाथ के रोता हुआ पाया। उसको भी किले में ले जाया गया जहाँ उसका भी पहली लड़की की तरह बहुत ही मामूली स्वागत हुआ।

अक्लमन्द स्त्री ने कहा कि इस लड़की ने भी जरूर ही मुड़ कर देखा होगा हालाँकि पहले तो उसने इस बात को मना ही कर दिया था कि उसने ऐसा नहीं किया था।

अब सबसे छोटी सबसे प्यारी और सबसे सुन्दर लड़की की बारी थी समुद्री मकान में जाने की। सो वह भी बहुत सारे रोते हुए लोगों के बीच समुद्री मकान में ले जायी गयी। अक्लमन्द स्त्री भी उसके साथ थी। उसने उससे बहुत मिन्नतें कीं कि वह किसी भी हाल में मुड़ कर न देखे क्योंकि इस जादू का और कोई तोड़ नहीं था।

लड़की ने कहा कि वह उसकी बात ध्यान रखेगी और साथ में यह भी कहा कि वह भगवान से प्रार्थना करेगी कि वह उसकी उत्सुकता को शान्त रखे।

जैसा पहले हुआ था वैसा ही उस दिन भी हुआ। जैसे ही रात के बारह बजे राजकुमार आया जिसके कपड़ों से पानी टपक रहा था। अपने को हिला डुला कर “उह उह” की आवाज के साथ उसने पानी झटका सेब और कपड़े में लिपटी बोतल खिड़की में रखी।

फिर वह सोने के कमरे में गया कुछ देर इधर उधर घूमा अपने कपड़े उतारे और पलंग पर सो गया।

वह लड़की बेचारी डर के मारे आधी मरी सी हो रही थी। वह भगवान से प्रार्थना करती रही कि वह उसकी उत्सुकता को शान्त रखे। आखिर प्रार्थना करते करते वह पता नहीं कब सो गयी।

उसकी आँख तब तक नहीं खुली जब तक कि राजकुमार ने उठ कर कपड़े नहीं पहन लिये। वह फिर बिस्तर तक आया उसने नीचा मुँह कर के देखा फिर कमरे के दरवाजे से एक बार फिर पीछे देखा अपना सेब और बोतल उठायी और कमरे से बाहर चला गया।

सुबह को सारा दरबार लड़की के दोस्त और रिश्तेदार और अक्लमन्द स्त्री सब उसे किले ले जाने के लिये आये तो वह उनसे मिल कर खुशी से रो पड़ी। उसको वैसी ही खुशी से किले में ले जाया गया जैसे वह कुछ जीत कर आयी हो।

राजा रानी ने उसको गले लगाया और उसको वही इज़्ज़त दी जो वे लोग उस राजकुमारी को देते जो कुछ ही दिन में छोटे राजकुमार से शादी के लिये आने वाली थी।

अब उस लड़की को हर रात अपने उसी समुद्री मकान में सोना होता था। हर शाम राजकुमार अपने सेब और बोतल के साथ आता था और हर सुबह चला जाता था।

पर लड़की को ऐसा लगता था कि हर आने वाली शाम और सुबह राजकुमार उसको पहली रात से ज़्यादा देर देखता था जबकि वह वह बेचारी डरी डरी से दीवार की तरफ मुँह किये पड़ी रहती थी। उसकी उससे ज़्यादा देखने की हिम्मत ही नहीं होती जितना कि उसको उसका शीशा दिखाता। वह केवल उसका आना और जाना ही देख पाती।

जिन दो लड़कियों ने अपने हाथ खो दिये थे वे अब किले में भी नहीं रहती थीं उस तीसरी लड़की को जो इज़्ज़त मिल रही थी वे उससे भी बहुत जलती थीं। उन्होंने उसको धमकी दी कि अगर उसने उनके हाथ उन्हें फिर से नहीं दिलवाये तो वे उसे मार देंगीं।

यह सुन कर वह लड़की उस अक्लमन्द स्त्री के पास रोती हुई गयी कि वह क्या करे। अक्लमन्द स्त्री ने कहा कि जब राजकुमार उसके पास लेट जाये तो वह दीवार की तरफ अपना चेहरा किये हुए ही राजकुमार से कहे — “राजकुमार वे दोनों लड़कियाँ अपने हाथ माँग रही हैं नहीं तो वे मुझे मार देंगीं।” उसको और कुछ कहना भी नहीं है और इसके अलावा उसे और कुछ बताना भी नहीं है।”

धड़कते दिल से वह लड़की उस शाम का इन्तजार करती रही। फिर वह तब तक इन्तजार करती रही जब तक राजकुमार आया। वह उसके बिस्तर पर काफी देर तक झुका रहा और एक लम्बी साँस ली जल्दी से कपड़े उतारे और बिस्तर में लेट गया।

तब लड़की ने काँपते हुए कहा — “अगर उन दोनों लड़कियों को उनके हाथ वापस नहीं दिये गये तो वे मुझे मार देंगीं।”

राजकुमार तुरन्त बोला — “तुम उनके हाथ उठा लो वे इस पलंग के नीचे पड़े हैं और बोतल ले लो जो खिड़की में लटक रही है। उस बोतल में से थोड़ा सा पानी ले कर उनकी बाँहों और हाथों पर डाल कर उनको आपस में जोड़ कर बाँध दो। तीन दिन बाद उनकी पट्टी खोल दो तो वे आपस में जुड़ जायेंगे और ठीक हो जायेंगे।”

लड़की उसकी इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और जल्दी ही सो गयी। सुबह को राजकुमार रोज की तरह से उठा और उसके पैरों की तरफ कई बार गया। उसके पैरों की तरफ से उसने उसे काफी देर तक देखा पर लड़की की हिम्मत उसकी तरफ देखने की बिल्कुल भी नहीं हुई। बल्कि उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं। राजकुमार ने एक लम्बी आह भरी अपना सेब उठाया बोतल वहीं छोड़ी और वहाँ से चला गया।

सुबह को जब लड़की उठी तो उसने वैसा ही किया जैसा राजकुमार ने उससे करने के लिये कहा था। तीन दिन बाद जब उन दोनों के हाथों की पट्टी खोली गयी तो उनके हाथ साबुत और ठीक थे।

कुछ दिन बाद वह विदेशी राजकुमारी भी आ गयी। उसकी शादी छोटे राजकुमार जल्दी से जल्दी होने वाली थी पर वह समुद्री राजकुमार की पत्नी के बराबर सुन्दर नहीं थी। पर राजा रानी और दरबारी लोग दोनों की एक सी इज़्ज़त करते थे।

इस बात से पहली दोनों लड़कियाँ जलने लगीं तो उन्होंने फिर से समुद्री राजकुमार की होने वाली पत्नी को धमकाया कि अगर उसने उनको वह सेब नहीं चखाया जो राजकुमार रोज ले कर आया करता था तो वे उसको मार देंगी।

इस बारे में उस लड़की ने फिर से अक्लमन्द स्त्री की सलाह माँगी क्योंकि उसमें उसका पूरा विश्वास था।

सो उस रात जब राजकुमार उसके पास आया तो उसने उससे कहा — “वे दोनों लड़कियाँ मुझे मार देंगी अगर उसने उनको उसका लाया सेब नहीं खिलाया तो।”

इस पर राजकुमार बोला — “सेब खिड़की में रखा है ले लेना। जब तुम बाहर जाओ तो उसको जमीन पर रख देना और फिर जहाँ जहाँ वह लुढ़कता जाये तुम उसके पीछे चली जाना। जब यह रुक जाये तो वहाँ से तुम्हें जितने सेब चाहिये तोड़ लेना और उसी रास्ते से लौट आना जिससे तुम गयी थीं।”

लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया और सो गयी। अगली सुबह राजकुमार को वह जगह छोड़ने में बहुत परेशानी हुई। वह बहुत खुश था और बेचैन था और अक्सर लम्बी लम्बी साँसें ले रहा था। उसने लड़की को कई बार झुक कर देखा फिर वह बाहर वाले कमरे में गया वह लड़की को देखने के लिये एक बार फिर घूमा।

इस तरह से उसको कई बार देखने के बाद जब सूरज निकल आया तो वह जल्दी से कमरा बन्द कर के वहाँ से चला गया। लड़की जब सुबह उठी तो वह रो पड़ी क्योंकि वह राजकुमार को सचमुच में प्यार करने लगी थी।

उसने खिड़की में से सेब उठाया और घर के बाहर निकल कर उसे नीचे जमीन पर रख दिया। वहाँ उसने लुढ़कना शुरू कर दिया और वह लड़की उसके पीछे पीछे चलने लगी। वह उसके पीछे बहुत दूर तक चली और एक ऐसी जगह आ पहुँची जो उसके लिये अनजान थी।

वहाँ वह एक बागीचे की ऊँची सी दीवार के पास आ गयी। उसके अन्दर के पेड़ों की शाखें जिसके बाहर तक लटकी हुई थीं। उन शाखों पर बहुत सारे फल लदे हुए थे। आखिर वह एक दरवाजे के पास आ गयी जो बहुत सारी सजावट की चीज़ों से सजा हुआ था।

जैसे ही वह सेब लुढ़कता हुआ उधर पहुँचा तो वह दरवाजा अपने आप ही खुल गया। सेब उसके अन्दर लुढ़कता चला गया और उसके पीछे पीछे चलती चली गयी वह लड़की। ऐसा सुन्दर बागीचा उसने पहले कभी कहीं नहीं देखा था।

सेब लुढ़कता हुआ कुछ छोटे छोटे पेड़ों की तरफ चल दिया जिन पर बहुत सारे सेब लटक रहे थे। वहाँ जा कर वह सेब रुक गया। लड़की ने उसमें से जितने सेब उसके सिल्क के ऐप्रन में आ सकते थे तोड़ लिये।

सेब तोड़ कर उसने घूम कर देखा कि वह किस रास्ते से आयी थी और उसका दरवाजा कहाँ था जिससे उसको वापस बाहर जाना था पर वह उस सुन्दर बागीचे की सुन्दरता को कुछ देर और देखती रह गयी। वह राजकुमार की कही बात को भूल गयी। उसने सेब को अपने पैर से छू दिया तो वह सेब फिर से लुढ़कने लगा।

अचानक बागीचे का दरवाजा एक बहुत तेज़ आवाज के साथ बन्द हो गया। यह देख कर लड़की डर गयी और जो कुछ उसने किया था उस पर उसे बहुत अफसोस हुआ। अब वह उस बागीचे से बाहर नहीं जा सकती थी सो वह फिर से उस सेब के पीछे पीछे जाने पर मजबूर हो गयी।

वह उस बागीचे में बहुत दूर तक लुढ़कता चला गया और जा कर एक छोटी सी अँगीठी के पास जा कर रुक गया। उस अंगीठी के पास पानी से भरी दो केटली रखी हुई थीं – एक छोटी और एक बड़ी। उनमें से बड़ी केटली के नीचे एक बड़ी सी आग जल रही थी और छोटी केटली के नीचे एक छोटी सी आग जल रही थी।

जब सेब वहाँ जा कर रुका तो लड़की को पता ही नहीं था कि वह वहाँ पहुँच कर क्या करे। तब उसको ख्याल आया कि वह उस बड़ी आग में से थोड़ी सी आग निकाल कर छोटी आग में डाल दे। उसने ऐसा ही किया तो छोटी केटली का पानी बहुत जल्दी ही उबलने लगा और बड़ी केटली का पानी कम ज़ोर से उबलने लगा।

पर वह वहाँ रुक नहीं सकी और क्योंकि वह पहले ही राजकुमार की बात नहीं मान कर उसकी आज्ञा का उल्लंघन कर चुकी थी सो उसने सोचा कि बस अब तो वह मर ही जायेगी। राजकुमार को भी वह अब नहीं पा पायेगी।

यह सोच कर उसने सेब को एक बार पैर और मारा। अबकी बार वह सेब बागीचे के बीच में बने घास के मैदान की तरफ चल दिया उस मैदान में दो बच्चे सोये हुए थे। कड़ी धूप उनके ऊपर सीधी पड़ रही थी।

लड़की को उन बच्चों पर दया आ गयी। उसने अपना ऐप्रन उन बच्चों को ओढ़ा दिया ताकि धूप से उनकी रक्षा हो सके।

अपने ऐप्रन में से सेब निकाल कर उसने केवल उतने ही सेब अपने पास रखे जितने उसकी छोटी सी टोकरी में आ सके।

वह वहाँ भी नहीं रुक सकती थी सो उसने उस सेब में एक बार फिर से पैर मारा। इस बार पैर मारने के बाद इससे पहले कि उसको पता चलता कि वह कहाँ जा रही थी वह समुद्र के किनारे खड़ी थी। वहाँ एक सायेदार पेड़ के नीचे राजकुमार सोया हुआ था। उसके पास समुद्र की रानी बैठी हुई थी।

जब वह लड़की उनके पास पहुँचे तो वे दोनों उठ गये। राजकुमार ने अपनी चमकती हुई आँखों से उसकी तरफ चौंक कर देखा और तुरन्त ही समुद्र में कूद गया। उसके समुद्र में कूदते ही उसके ऊपर सफेद समुद्र फेन तैर गये।

इससे समुद्र की रानी बहुत गुस्सा थी। उसने लड़की को पकड़ लिया। लड़की ने सोचा बस अब तो उसकी ज़िन्दगी का आखिरी पल आ गया। उसने उससे विनती की कि उसको बहुत कठोर मौत न दी जाये। समुद्र की रानी ने उसकी तरफ देखा और उससे पूछा कि उसको सेब के पेड़ से आगे आने की इजाज़त किसने दी।

लड़की ने कहा कि उसने राजकुमार की बात नहीं मानी थी पर इसमें भी उसका किसी को कोई नुकसान पहुँचाने का कोई इरादा नहीं था। इस पर समुद्र की रानी ने कहा कि वह उसके व्यवहार को देख कर ही उसकी सजा तय करेगी।

उसने सेब को एक धक्का मारा तो वह दरवाजे से होता हुआ सेब के पेड़ के पास जा कर रुक गया। समुद्र की रानी ने देखा कि कि सेब का पेड़ तो सुरक्षित था उसको कोई नुकसान नहीं पहुँचाया गया था।

उसने उसको एक बार फिर धक्का मारा तो वह उसी अँगीठी के पास पहुँच गया जहाँ से वह लड़की आयी थी। समुद्र की रानी ने देखा कि वहाँ तो छोटी केटली का पानी बहुत ज़ोर से उबल रहा है और बड़ी केटली का पानी ठंडा हुआ जा रहा है तो वह बहुत गुस्सा हुई।

गुस्से में आ कर उसने लड़की की बाँह पकड़ ली और अपनी पूरी लम्बाई तक खड़ी हो गयी और उससे पूछा — “तूने यहाँ कुछ करने की हिम्मत कैसे की। तूने हिम्मत ही कैसे की कि तू मेरी केटली के नीचे से आग हटा कर अपनी केटली के नीचे रख दे।”

लड़की को यह पता ही नहीं था कि उसने इसमें कुछ गलती की है सो उसने कहा कि उसको नहीं मालूम कि ऐसा कैसे हुआ। इस पर समुद्र की रानी बोली कि बड़ी केटली को नीचे की आग मेरे और समुद्र के राजकुमार के बीच का प्यार बताती है और छोटी केटली के नीचे की आग तेरे और राजकुमार के बीच का प्यार बताती है।

अब क्योंकि तूने मेरी केटली के नीचे की आग निकाल कर अपनी केटली के नीचे रख दी है तो राजकुमार अब तुझसे ज़्यादा प्यार करता है बजाय मेरे।

फिर वह ज़ोर से चिल्ला कर बोली — “देख ज़रा। मेरी केटली के पानी ने उबलना बन्द कर दिया है और तेरी केटली का पानी कितनी ज़ोर से उबल रहा है। पर मैं देखती हूँ कि तूने और क्या क्या नुकसान मेरे बागीचे में पहुँचाया है और फिर तेरी सजा तय करती हूँ।”

कह कर समुद्र की रानी ने फिर से एक बार सेब को अपने पैर से धक्का मारा तो वह लुढ़कता हुआ सोते हुए बच्चों के पास जा कर रुक गया। समुद्र की रानी ने उन्हें देख कर पूछा “यह तूने किया है?”

लड़की रोते हुए बोली — “जी हाँ। पर ऐसा करने में मेरा मतलब उनको किसी तरह का नुकसान पहुँचाने का नहीं था।

मैंने इन छोटे बच्चों को अपने ऐप्रन से इसलिये ढक दिया था ताकि वे उस कड़कती धूप में जलें नहीं और मैंने वे सेब जो मेरी टोकरी में आये नहीं उन्हें इनके पास छोड़ दिया था।”

समुद्र की रानी बोली — “तेरा यह काम और तेरी सच्चाई तुझे मुक्ति दिलायेगी। मैं देख रही हूँ कि तू बहुत ही दयालु है। ये बच्चे मेरे और राजकुमार के हैं पर क्योंकि अब वह तुझे मुझसे ज़्यादा प्यार करता है इसलिये अब मैं उसको तुझे देती हूँ।”

अब तू अपने किले को लौट जा और वहाँ जा कर वही कहना जो मैंने तुझसे कहा है “तेरी शादी मेरे राजकुमार के साथ तभी होगी जिस समय उसके छोटे भाई की शादी होगी। तेरे जवाहरात गहने शादी का जोड़ा और तेरी शादी वाली कुर्सी सब कुछ वैसी ही होनी चाहिये जैसी दूसरी राजकुमारी की होगी।”

उसी पल से जब पुजारी जी तुझे और राजकुमार को आशीर्वाद देंगे तभी से उसके ऊपर से मेरी ताकत खत्म हो जायेगी। लेकिन क्योंकि मैंने यह देख लिया है कि उसके अन्दर वे सब गुण हैं जो एक राजा में होने चाहिये इसलिये मैं चाहती हूँ कि उसको उसके पिता का वारिस बन जाना चाहिये क्योंकि वह अपने पिता का बड़ा बेटा है।

छोटा राजकुमार उस राज्य का राजा बन सकता है जो उसकी पत्नी उसके लिये ले कर आयेगी। यह तू उनसे मेरी तरफ से कह देना क्योंकि केवल इन्हीं शर्तों पर मैं राजकुमार को आजाद करूँगी।

और जब तू दुलहिन के रूप में सज जाये तो किसी को बताये बिना ही तू यहाँ मेरे पास आना ताकि मैं यह देख सकूँ कि उन लोगों ने तुझे किस तरह सजाया है। और ले यह सेब ले यह तुझे बिना किसी को बताये रास्ता दिखायेगा।”

इसके बाद समुद्र की रानी ने उस सेब में एक ठोकर मारी और उस लड़की को वहीं छोड़ कर चली गयी। वह सेब बागीचे के बाहर किले की तरफ चल पड़ा। किले पहुँच कर लड़की ने डर और खुशी से भर कर राजा और रानी को समुद्र की रानी का सन्देश सुनाया और साथ में यह भी बताया कि वह किन शर्तों पर राजकुमार को आजाद करने वाली थी।

राजा ने खुशी से वह सब स्वीकार कर लिया जो समुद्र की रानी ने कहा था। तुरन्त ही दो शादियों की तैयारियाँ शुरू कर दी गयीं। दो दुलहिन वाली कुर्सियाँ बराबर बराबर रखी गयीं। दो शादी की पोशाकें बनवायी गयीं। गहनों के दो सैट बनवाये गये। सब चीज़ें दोनों दुलहिनों के लिये एक सी बनवायी गयीं।

जब लड़की को उसकी दुलहिन की पोशाक में सजा दिया गया तो उसने बहाना बनाया कि वह नीचे की मंजिल से कुछ भूल आयी है। सो वह अपने सेब के साथ नीचे गयी और उसको जमीन पर रख दिया। वह तुरन्त ही समुद्र के किनारे की तरफ लुढ़क गया।

वहाँ उसको समुद्र की रानी और राजकुमार उसका इन्तजार करते मिल गये। समुद्र की रानी बोली — “अच्छा हुआ कि तू आ गयी क्योंकि अगर ज़रा सा भी तूने मेरे कहे का उल्लंघन किया होता तो तेरे ऊपर बदकिस्मती का पहाड़ टूट पड़ा होता। पर तू कैसी लगती है? क्या तू वैसी ही सजी हुई है जैसी कि वह दूसरी राजकुमारी सजी हुई है? वह तुझसे ज़्यादा अच्छी तरह से तो नहीं सजी हुई – कपड़ों में या गहनों में? उस राजकुमारी के पास तुझसे ज़्यादा अच्छे कपड़े और गहने तो नहीं हैं?”

लड़की ने हिचकते हुए जवाब दिया कि नहीं ऐसा नहीं है वह भी ठीक वैसी ही सजी हुई है जैसी दूसरी राजकुमारी सजी हुई है। यह सुन कर समुद्र की रानी ने उसकी शाही पोशाक फाड़ दी उसके सब गहने खोल दिये उसके बालों में से जवाहरात निकाल कर जमीन पर फेंक दिये ।

उन सबको जमीन पर फेंकते हुए चिल्लायी — “मेरे राजकुमार की दुलहिन क्या ऐसी लगनी चाहिये जैसी और दुलहिनें लगती हैं? क्योंकि मैंने उसे तुझे दे दिया है तो मैं ही तुझे दुलहिन की पोशाक भी दूँगी।”

कह कर उसने एक पेड़ के नीचे से कुछ घास उखाड़ी तो वहाँ कीमती पत्थरों से जड़ा हुआ एक सोने का मन्दिर प्रगट हो गया। उसमें से उसने शादी का एक जोड़ा निकाला जो उस लड़की के इतना फिट आया जैसे वह उसके नाप का ही बनाया गया हो।

वह जोड़ा इतना मँहगा था और कीमती पत्थरों की चमक से इतना चमक रहा था कि लड़की की आँखें तो उनकी रोशनी में चौंधियाने लगीं। उसका ताज भी रोशनी से खूब दमक रहा था।

समुद्र की रानी उसको इन कपड़ों और गहनों में सजा कर बोली
— “अब तू किले वापस चली जा और उन्हें बताना कि मैंने जब राजकुमार से शादी की थी तो मैं कैसे सजी हुई थी। यह सब मैं तुझे और तेरे बच्चों को मुफ्त दे रही हूँ।

पर तू हमेशा राजकुमार से अच्छा व्यवहार करना ताकि वह तुझसे सन्तुष्ट रहे। ज़िन्दगी भर सबसे पहले उसी की खुशी के बारे में ही सोचना।”

लड़की ने इस बात का वायदा किया और समुद्र की रानी ने बड़े प्यार से रो कर उस लड़की को विदा किया।

जब वह लड़की किले में पहुँची तो सारे लोग उसकी पोशाक की सुन्दरता और कीमत देख कर ही हैरान रह गये। उसके मुकाबले में और राजकुमारियाँ तो कुछ भी नहीं लग रही थीं। सारे राज्य का खजाना भी वैसी पोशाक खरीदने के लिये बहुत कम था।

अब कोई उससे जलने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहा था क्योंकि अभी तक उस राज्य में कोई भी राजकुमारी इतना दहेज ले कर नहीं आयी थी।

सब लोग शादी के लिये चर्च में गये। पादरी दुलहिनों की कुरसियों के सामने खड़ा हुआ। उनकी किताबें खुली हुई थीं। सब लोग उस राजकुमार का इन्तजार कर रहे थे जिसके लिये समुद्र की रानी ने उसको आजाद करने के लिये कहा था। पर उसको तो तब तक नहीं आना था जब तक पादरी आशीर्वाद नहीं बोलता।

सब लोग उसका बड़ी बेसब्री से इन्तजार कर रहे थे। फिर राजा ने अपने एक बहुत बड़े कुलीन आदमी से कहा कि उस राजकुमार की जगह वह दुलहिन की कुर्सी पर बैठे। वह बेचारा वहाँ जा कर बैठ गया।

पर जैसे ही पादरी ने अपनी प्रार्थना करनी शुरू की कि चर्च के दरवाजे के दोनों किवाड़ खुल गये और एक लम्बा मजबूत नौजवान अपनी चमकती आँखें लिये वहाँ आ पहुँचा। उसने शाही कपड़े पहन रखे थे और वह दुलहिन की कुर्सी की तरफ बढ़ा चला आ रहा था।

उसने अपनी जगह पर बैठे हुए आदमी को इतनी ज़ोर से हटाया कि वह बेचारा गिरते गिरते बचा। और फिर खुद उस पर बैठते हुए बोला “यह मेरी जगह है। हाँ पादरी जी अब आप अपना आशीर्वाद पढ़िये।”

जब आशीर्वाद बोला जा रहा था तो राजकुमार चुप था। फिर बाद में उसने अपने माता पिता और दरबार को खुशी से नमस्ते की। सबके सामने अपनी पत्नी को गले लगाया। उसकी पत्नी को पहली बार उसको अच्छी तरह देखने का मौका मिला था।

उसके बाद वह राजकुमार दूसरे लोगों की तरह से मामूली आदमी हो गया। अपने पिता के मरने के बाद में वह राजा बन गया। वह एक बहुत बड़ा और मशहूर राजा साबित हुआ। उसके लोग उसको बहुत प्यार करते थे। उसकी पत्नी भी उससे बहुत खुश थी।

वे लोग बहुत दिनों तक खुशी खुशी रहे और अब उनके बच्चे उनके राज्य पर राज कर रहे हैं।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)

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